मोटापा (OBESITY)


मोटापा

          सामान्य रूप से शरीर में बनने वाली चर्बी से शरीर को रोगों से लड़ने की ताकत मिलती है लेकिन जब चर्बी सामान्य से अधिक बनने लगती है तो हमारा शरीर थुलथुल व मोटा हो जाता है। इस तरह अधिक चर्बी जमा होने से शरीर की अंगों की त्वचा लटकने लगती और शरीर बेडौल हो जाता है। इस तरह शरीर में अनावश्यक चर्बी बनने को मोटापा कहते हैं।परिचय :

विभिन्न भाषाओं में नाम :


हिंदी   

मोटापा।

अंग्रेजी   

ओबेसिटी एण्ड डिजीज रिजिल्टग देयरटू।

बंगाली   

मेदा (मेध) वृद्धि।

गुजराती     

चर्बीवधावी।

कन्नड़ी     

बोज्जु।

मलायलम

मेदोजन्य मय मुष्क वृद्धि।

मराठी     

चर्बी वडणे।

उड़ीया    

देनासिचिर्वि जनिवा।

तमिल    

ऊझारेहदइ।

तेलगु     

डाऊ।

अरबी     

शिरा मेदज।
          मोटापे की बीमारी अनेक कारणों से होती है, जैसे- अधिक मात्रा में चिकने पदार्थों (घी, मक्खन) खाना, चर्बी (फैट) वाल पदार्थ अधिक खाना, दिन भर कुछ न कुछ खाते रहना, मिठाइयां अधिक खाना, गर्म पानी से स्नान करना, अधिक मात्रा में गर्म कपड़े पहनना, हर समय आराम करना, कोई कार्य न करना, व्यायाम (एक्सरसाईज) न करना आदि। कुछ लोगों में मोटापा वंशानुगत भी होता है अर्थात जिसके माता-पिता मोटे होते हैं उसके बच्चे भी मोटे ही होते हैं। मोटापे के कारण पुरुष या स्त्री का रक्तचाप बढ़ जाता है और वायु संचरण में रुकावट महसूस होती हैं। मोटापे के कारण त्वचा फूल जाती है जिससे शरीर पूर्ण रूप से वायु ग्र्रहण नहीं कर पाता। अधिक चर्बी के कारण हृदय पर भी प्रभाव पड़ता है जिससे हृदय की गति धीमी हो जाती है।
          मोटापे के रोगी को पेट में भारीपन महसूस होता है, धीरे-धीरे शरीर में चर्बी की परते बनने लगती है, रोगी को चलने-फिरने का मन नहीं करता, प्यास अधिक लगती है, थोड़ी-सी मेहनत से ही दम फूलने लगता, खून में कार्बन-डाई-ऑक्साइड की मात्रा अधिक होने से शरीर में हमेशा थकावट रहती है, पसीना अधिक आता है, श्वांस लेने में परेशानी होती है, अंगों में दर्द होता है, छींके आती रहती है, शरीर से बदबूदार पसीना आता है, खून का भार बढ़ जाता है, जोड़ों में दर्द रहता है, सूजन आ जाती है, पेट बढ़ जाता है और कमजोरी आ जाती है। मोटापे के कारण मन में मोह पैदा होता है, शरीर की स्फुर्ति समाप्त हो जाती है।।
          मोटापे के रोगी को गाय का दूध, देशी घी, गाढ़ी दाल, चावल, आलू, गर्म दूध, चीनी से बने पदार्थ, पनीर, आइसक्रीम, मिठाइयां, मांसाहारी भोजन, अधिक चिकनाई व चटपटा पदार्थ, सांभर, सूप, बिस्कुट, केक, नमकीन पदार्थ, जेली, मिठाइयां, बाहर का खाना, देर रात पार्टियों में खाना, नए शालि चावल आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। शीतल पानी से नहाना मोटापे के लिए हानिकारक होता है।
आहार-तालिका
मोटापे को कम करने के लिए खाने के सम्बंध में कुछ दिशा-निर्देश नीचे दिये गए हैं जो इस प्रकार से हैं-     
दिशा-निर्देश                                                                     समय
शहद मिला हुआ एक गिलास नींबू का रस।                              6.00 बजे सुबह
एक फल और छाछ                                                               8.00 बजे सुबह
100 ग्राम कच्चा सलाद, 300 ग्राम सब्जियां,
3 चपाती, 200 ग्राम चावल, दलिया, खिचड़ी,
एक दिन छोड़कर दाल, छाछ, सूप।                                         12.00 से 1.00 बजे के बीच
फल का रस, कोई रसीला फल                                                 शाम 4.00 बजे
2 या तीन तरह के फल और
इनमें से प्रत्येक 100 ग्राम की मात्रा में लें।
200 ग्राम सब्जियां भाप में पकी हुई लें।                                    शाम 7.00 बजे
एक बड़ा चम्मच अंकुरित दाल और सूप लें।       
विभिन्न औषधियों के द्वारा रोग का उपचार :   
नींबू :
2. सेब और गाजर : सेब और गाजर को बराबर मात्रा में कद्दूकस करके सुबह खाली पेट 200 ग्राम की मात्रा में खाने से वजन कम होता है और स्फूर्ति व सुन्दरता बढ़ती है। इसका सेवन करने के 2 घंटे बाद तक कुछ नहीं खाना चाहिए।
3. मूली :
4. मिश्री : मिश्री, मोटी सौंफ और सुखा धनिया बराबर मात्रा में पीसकर एक चम्मच सुबह पानी के साथ लेने से अधिक चर्बी कम होकर मोटापा दूर होता है।
5. चूना : बिना बुझा चूना 15 ग्राम पीसकर 250 ग्राम देशी घी में मिलाकर कपड़े में छानकर सुबह-शाम 6-6 ग्राम की मात्रा में चाटने से मोटापा कम होता है।
6. सहजन : सहजन के पेड़ के पत्ते का रस 3 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से त्वचा का ढीलापन दूर होता है और चर्बी की अधिकता कम होती है।
7.  विजयसार : विजयसार के काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।
8. अर्जुन : अर्जुन के 2 ग्राम चूर्ण को अग्निमथ के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा दूर होता है।
9. भृंगराज : भृंगराज के पेड़ के ताजे पत्ते का रस 5 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ प्रयोग करने से मोटापा कम होता है।
10. शहद : 120 से 240 ग्राम शहद 100 से 200 मिलीलीटर गुनगुने पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से शरीर का थुलथुलापन दूर होता है।
11.  वायविडंग :
12. तुलसी :
13. बेर : बेर के पत्तों को पानी में काफी समय तक उबालकर पीने से चर्बी नष्ट होती है।
14. टमाटर : टमाटर और प्याज में थोड़ा-सा सेंधानमक डालकर खाना खाने से पहले सलाद के रूप में खाने से भूख कम लगती है और मोटापा कम होता है।
15.  त्रिफला :
16. हरड़ :
17.  सोंठ :
18. गिलोय :
19.    जौ :
20.  गुग्गुल :
21. तिल : तिल के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से शरीर पर बनी हुई अधिक चर्बी कम होती है।
22. सरसो : सरसो के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से मोटापा नष्ट होता है।
23. दही : दही को खाने से मोटापा कम होता है।
24. छाछ : छाछ में कालानमक और अजवायन मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।
25. आलू :
26. अपामार्ग : अपामार्ग के बीजों को पानी में पकाकर खाने से भूख कम लगती है और चर्बी कम होने लगती है।
27. कुल्थी : 100 मिलीलीटर कुल्थी की दाल प्रतिदिन सेवन करने से चर्बी कम होती है।
28.  पीपल : 4 पीपल पीसकर आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है।
29. पालक :
30.  पानी :
31.  डिकामाली : डिकामाली (एक तरह का गोंद) लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में गर्म पानी के साथ मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापा कम होता है।
32. कूठ : कूठ को गुलाब जल में पीसकर पेट पर लेप करने से पेट की बढ़ती हुई अवस्था में लाभ होता है। इसका लेप हाथ, पांव पर लेप करने से सूजन कम होती है।
33. माधवी : माधवी के फूल की जड़ 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम छाछ के साथ सेवन करने से कमर पतली व सुडौल होता है।
34.  बरना : बरना के पत्तों का साग नियामित रूप से सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
35. एरण्ड :
36. पिप्पली :
37. जौखार :
38. लुके मगसूल : 50 ग्राम लुके मगसूल को कूटकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण 1 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ सेवन करें। इससे मोटापा दूर होता है।
39. माजून मुहज्जिल : माजून मुहज्जिल 10 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के साथ रात को सोते समय पीने से पेट का बढ़ना कम होता है।
40. बबूल : बबूल के पत्तों को पानी के साथ पीसकर शरीर पर करने से त्वचा का ढीलापन दूर होकर मोटापा कम होता है।
41. सुगन्धबाला : सुगन्धबाला, नागकेशर और मोतिया के पत्तों को बारीक पीसकर शरीर पर लगाने से पसीने के कारण आने वाली बदबू दूर होती है।
42. चित्रक : चित्रक की जड़ का बारीक चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से पेट की बीमारियां और मोटापा समाप्त होता है।
43. बेल :
44. परवल : परवल और चीते का काढ़ा बनाकर सौंफ और हींग का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है।
45. समुद्रफेन :  समुद्रफेन को ब्राह्मी के रस में पीसकर शरीर पर लगाने से पसीने की बदबू समाप्त होती है। 
46. हल्दी : हल्दी को दूध में मिलाकर शरीर पर लेप करने से लाभ होता है।
47. असगंध : असगंध 50 ग्राम, मूसली 50 ग्राम और काली मूसली 50 की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और 10 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध के साथ लेने से मोटापे की बीमारी समाप्त होती है।
48. अजवायन : अजवायन 20 ग्राम, सेंधानमक 20 ग्राम, जीरा 20 ग्राम और कालीमिर्च 20 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण प्रतिदिन सुबह खाली पेट छाछ के साथ पीएं। इससे शरीर की अधिक चर्बी नष्ट होती है।
49. फलालैन : फलालैन का कपड़ा ढीला करके गले पर लपेटकर रखने से गले की अधिक चर्बी कम होती है।
50. चावल : चावल का गर्म-गर्म मांड लगातार कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
51. करेला : करेले के रस में 1 नींबू का रस मिलाकर सुबह सेवन करने से शरीर की चर्बी कम होती है।
52. चाय : चाय में पोदीना डालकर पीने से मोटापा कम होता है।
53. दालचीनी : एक कप पानी में आधा चम्मच दालचीनी का चूर्ण डालकर उबालतें और इसमें एक चम्मच शहद प्रतिदिन सुबह खाली पेट और रात को सोते समय खाएं। इससे शरीर का अधिक वनज कम होता है और मोटापा दूर होता है।
54. रस : फलों का रस बहुत उपयोगी है। मोटापा कम करने के लिए 6 से 8 महीने तक फलों का रस लेना लाभदायक होता है। इसके सेवन से किसी भी प्रकार के दुष्परिणामों का सामना नहीं करना पड़ता। फलों का रस कैलोरी को कम करता है जिससे स्वभाविक रूप से वसा कम हो जाती है। इससे शरीर का वजन और मोटापा कम होता है। गाजर, ककड़ी, पत्तागोभी, टमाटर, तरबूज, सेब व प्याज का रस फायदेमंद होता है।
55.  धनिया : सूखा धनिया 10 ग्राम, गुलाब के सूखे फूल 20 ग्राम और मिश्री को मिलाकर चूर्ण बना लें और यह 2-2 चुटकी सुबह-शाम दूध के साथ लेने से चर्बी नष्ट होती है और मोटापा दूर होता है।
56. छाछ : मोटापे से परेशान व्यक्ति को प्रतिदिन छाछ पीना चाहिए।
57. ईसबगोल : ईसबगोल के नियमित सेवन करने से कोलेस्ट्राल नियंत्रित होता है और शरीर में अधिक चर्बी नहीं बनता।
58. अनन्नास : प्रतिदिन अनन्नास खाने से स्थूलता नष्ट होती है क्योंकि अनन्नास चर्बी को नष्ट करता है

आमाशय की जलन

आमाशय की जलन


          आमाशय के श्लैष्मिक झिल्ली या पेट के अंदर जब अम्ल और पित्त की अधिकता हो जाती है तो पेट में जलन व दर्द होता है जिससे आमाशय में सूजन आ जाती है। यह जलन जब छाती और गले तक पहुंच जाती है तो आमाशय में तेज जलन व बेचैनी महसूस होती है और कभी-कभी जलन व बेचैनी बढ़ जाने के कारण श्लेष्मा व पित्त मिली हुई पदार्थो की उल्टी हो जाती है ।परिचय :

भोजन और परहेज :