परवल, जौ, छिलके वाले मूंग की दाल, चावल, तुरई, लौकी, करेला, मौसमी, अनार, आंवला, मुनक्का, ग्वारपाठा, जैतून का तेल आदि का सेवन करना लाभकारी होता है। सादा भोजन, बिना घी-तेल वाला और आसानी से पचने वाला भोजन करना चाहिए। पित्तपथरी के रोग से पीड़ित रोगी को योगाभ्यास करना चाहिए।
शराब, नशीले पदार्थ, मांसाहार, उड़द, गेहूं, पनीर, दूध की मिठाइयां, नमकीन, तीखे मसालेदार, तले हुए पदार्थ, डोसा, ढोकला आदि का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि अधिक चर्बी, मसाले एवं प्रोटीन के सेवन से जिगर व प्लीहा (तिल्ली) रोग उत्पन्न होने की सम्भावना बढ़ जाती है। इसका परिणाम यह होता है कि खून का शुद्धिकरण सही रूप से नहीं हो पाता है।