माहवारी (मासिक-धर्म) सम्बंधी परेशानियां

मासिक धर्म का समय:

          सामान्यत: स्त्री को प्रथम मासिक-धर्म के बाद दूसरा मासिक-धर्म 27 दिन तो किसी को 28 दिन में होता है। ऋतुचक्र के अनुसार माहवारी का नियत समय पर होना जरूरी रहता है। इस क्रिया से स्त्रियों का गर्भाशय और प्रजनन संस्थान शुद्ध और स्वस्थ होकर गर्भाधान के लिए उपयुक्त क्षेत्र बने रहते हैं और स्त्रियों का स्वास्थ्य भी उत्तम बना रहता है।
विभिन्न औषधियों से उपचार-
1. बबूल:
2. तिल: तिल 5 ग्राम, 8 दाने कालीमिर्च, एक चम्मच पिसी सोंठ, 4 दाने छोटी पीपल। सभी को एक कप पानी में काढ़ा बनाकर पीने मासिक-धर्म सम्बन्धी शिकायतें दूर हो जाती हैं।
3. मेथी: 50 ग्राम मेथी के बीज और 40 ग्राम मूली के बीजों को पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर नियमित रूप से 2-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मासिक-धर्म सम्बन्धी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
4. तुलसी:
5. आम: आम की मंजरी 50 ग्राम तथा गुड़ 50 ग्राम, दोनों को 500 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालें, जब यह 100 मिलीलीटर की मात्रा में बचा रह जाए तो उसे छानकर पी लें। इससे मासिक-धर्म खुलकर आता है।
6. कपास:
7. करेला: 2 चम्मच करेले के रस में चीनी मिलाकर सेवन करने से मासिक-धर्म नियमित रूप से आने लगता है।
8. केला: केले के तने में से छाल (परत) निकालकर उसे कुचलकर उसका 4 चम्मच रस निकाल लें। इसे 7-8 दिनों तक निराहार (बासी मुंह) सेवन करने से किसी भी कारण से रुका हुआ मासिक-धर्म नियमित रूप से आने लगता है।
9. कालीमिर्च: 4-5 कालीमिर्च के बारीक चूर्ण को एक चम्मच शहद में मिलाकर 20-25 दिनों तक सेवन करने से मासिक-धर्म की अनियमितता समाप्त हो जाती है।
10. धनिया:
11. अनार: अनार के थोड़े से छिलकों को सुखाकर फिर उसका चूर्ण बनाकर शीशी में भरकर रख ले। इसमें से 1 चम्मच चूर्ण को खाकर ऊपर से पानी पी लें। इससे बार-बार खून आने की शिकायत दूर हो जाती है।
12. हल्दी: यदि गर्भाशय में कोई खराबी या सूजन है और मासिक-धर्म ठीक से न होता हो, तो एक चम्मच हल्दी गुड़ के साथ भूनकर खाना चाहिए।
13. अशोक: अशोक की छाल 10 ग्राम को 250 मिलीलीटर दूध में पकाकर सेवन करने से माहवारी सम्बंधी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
14. पुदीना: पुदीने की चटनी कुछ दिनों तक लगातार खाने से मासिक-धर्म नियमित हो जाता है।
15. कतीरा: कतीरा तथा मिश्री, दोनों को बराबर की मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसे दो चम्मच लेकर कच्चे दूध के साथ सेवन करने से मासिक-धर्म सम्बंधी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
16. मुलेठी: आधा चम्मच मुलेठी का चूर्ण सुबह-शाम शहद के साथ चाटना चाहिए। लगभग एक महीने तक मुलेठी का चूर्ण लेने से मासिकस्राव सम्बन्धी सभी रोग दूर हो जाते हैं।
17. रीठा: रीठे का छिलका निकालकर उसे धूप में सुखा लें। फिर उसमें 2 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने से माहवारी सम्बंधी रोग में लाभ होता है।
18. सौंफ: सौंफ 10 ग्राम तथा पुराना गुड़ 10 ग्राम की मात्रा में लेकर इसे आधा लीटर पानी में उबालें। जब पानी तिहाई मात्रा में बचा रह जाए तो उसे छानकर पीने से मासिक-धर्म सम्बन्धी शिकायते समाप्त हो जाती हैं।
19. खजूर: पिण्ड खजूर प्रतिदिन 100 ग्राम की मात्रा में 2 महीने तक लगातार सेवन करते रहने से मासिक-धर्म नियमित रूप से आने लगता है।
20. सोंठ:
21. चुकन्दर: चुकन्दर का रस एक कप गर्म करके इसमें थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर कुछ दिनों तक पीते रहने से रुका हुआ मासिक-धर्म खुलकर आने लगता है।
22. लहुसन: मासिक-धर्म यदि अनियमित हो लहसुन की 2 पुतिया को प्रतिदिन सेवन करने से मासिक-धर्म नियमित रूप से आने लगता है।
23. आंवला: एक चम्मच आंवले का रस पके हुए केले के साथ कुछ दिनों तक लगातार सेवन करने से मासिक-धर्म में अधिक रक्तस्राव यानी खून का बहाव नहीं होता है।
24. हींग:
25. पीपल: पीपल, सोंठ, नारंगी, कालीमिर्च तथा नीम की कोपलें सभी को 10-10 ग्राम की मात्रा में लें। इसमें 3-4 ग्राम शुद्ध हींग मिला दें। इन सभी को बारीक कूट-पीसकर महीन चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में से 50 ग्राम काले तिल पीसकर मिलाएं। इसमें से 2-3 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन ताजे पानी के साथ सेवन करें। इससे 8-10 दिनों तक नियमित चूर्ण खाने से माहवारी के विकार नष्ट हो जाते हैं।
26. नीम: नीम की सूखी पत्तियां 10 ग्राम, 10-11 तुलसी की पत्तियां, 10 ग्राम त्रिफला का चूर्ण, 5 ग्राम सोंठ, 3 ग्राम पीपल, 2 ग्राम कालीमिर्च और 5 ग्राम जवाखार। इन सभी को कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर शीशी में भरकर रख लें। इस चूर्ण में से 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। इससे मासिक-धर्म सम्बन्धी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं।
27. कसीरा: कसीरा, एलवा और बीजाजोर को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी में पीस लें। फिर चने के बराबर आकार की गोलियां बना लें। 2 गोली सोते समय प्रतिदिन सेवन करने से मासिकधर्म सम्बन्धी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं।
28. राई: राई, विजयसार की लकड़ी, बच और मालकांगनी की लकड़ी। सभी को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर सुबह-शाम 3-3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मासिक-धर्म सम्बंधी परेशानी समाप्त हो जाती हैं।
29. नागकेसर: नागकेसर, सफेद चन्दन, पठानी लोध्र और अशोक की छाल सभी को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसमें से 1 चम्मच चूर्ण सुबह-शाम एक चम्मच ताजे पानी के साथ सेवन करने से मासिक-धर्म के विकारों में लाभ मिलता है।
30. इलायची: इलायची, धाय के फूल, जामुन, मंजीठ, लाजवन्ती, मोचरस, तथा राल सभी को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर इसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 2 लीटर पानी में उबालें, फिर इसको छानकर इस पानी से योनि को धोयें। इससे कुछ ही दिनों में योनि का लिबलिबापन, दुर्गंध आदि नष्ट हो जाती है तथा मासिक-धर्म नियमित रूप से आने लगता है।
31. जीरा: काला जीरा 5 ग्राम, अरण्डी का गूदा 10 ग्राम, सोंठ 5 ग्राम तीनों को बारीक पीसकर लेप तैयार कर लें। इसे पन्द्रह दिनों तक पेट पर लेप करना चाहिए। यह उपचार पन्द्रह दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए। इससे मासिक-धर्म खुलकर आने लगता है तथा इससे नसों की पीड़ा भी नष्ट हो जाती है।
32. गुड़हल: लाल गुड़हल के फूलों को कांजी में पीसकर 5 ग्राम की मात्रा में लेने से रजोधर्म ठीक से होने लगता है।
33. महुवा: इसके फलों की गुठली तोड़कर गिरी निकाल लें, इसे शहद के साथ पीसकर गोल मोमबत्ती जैसा बना लें, रात्रि में सोने से पूर्व, मासिक-धर्म आने के समय के पहले से इसे योनि में उंगली की सहायता से प्रवेश करके रख दें। इससे मासिक-धर्म में अधिक खून का जाना बंद हो जाता है।
34. रस: पपीता, अनान्नास, गाजर और अंगूर के रस के साथ-साथ हरी सब्जियों के मिक्स जूस के सेवन से भी राहत मिलती है। मूली के मुलायम पत्तों का रस भी मासिकस्राव सम्बंधी विकारों में लाभकारी है।
35. दालचीनी: दालचीनी का सेवन करने से अजीर्ण, उल्टी, लार, पेट का दर्द और अफारा मिटता है। यह स्त्रियों का ऋतुस्राव साफ करता है और गर्भाशय का संकोचन करती है।
36. मुलहठी: 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण थोड़े शहद में मिलाकर चटनी जैसा बनाकर चाटने और ऊपर से मिश्री मिलाकर ठंडा किया हुआ दूध घूंट-घूंटकर पीने से मासिकस्राव नियमित हो जाता है। इसे कम-से-कम 40 दिन तक सुबह और शाम पीना चाहिए। यदि पित्त कुपित होने से मासिकस्राव में खून अधिक मात्रा में और अधिक दिनों तक जाता (रक्त प्रदर) हो तो 20 ग्राम मुलहठी चूर्ण और 80 ग्राम पिसी मिश्री मिलाकर 10 खुराक करके एक पुड़िया शाम को एक कप चावल के धोवन के साथ सेवन करने से पित्त प्रदर (बहने) में आराम होता है।
नोट : मुलहठी के खाते समय तले पदार्थ, गर्म मसाला, लालमिर्च, बेसन के पदार्थ, अण्डा व मांस का सेवन नहीं करना चाहिए।
37. जटामांसी: जटामांसी का चूर्ण 20 ग्राम, कालाजीरा 10 ग्राम और कालीमिर्च 5 ग्राम मिलाकर चूर्ण बनायें और 1-1 चम्मच दिन में 3 बार कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे मासिक-धर्म की पीड़ा, मानसिक तनाव और शारीरिक अवसाद दूर होंगे।
38. मूली:
39. निर्गुण्डी: निर्गुण्डी के बीजों के 2 ग्राम चूर्ण की फंकी सुबह और शाम लेने से मासिक धर्म नियमित होने लगता है। नोट: शरीर के किसी भी भाग से खून निकल रहा हो, उसे रोकने में भी इस विधि का उपयोग किया जा सकता है।
40. लोध: लोध की छाल का चूर्ण 1 चम्मच दिन में 3 बार रोजाना कुछ दिनों तक पानी के साथ लें। इससे रुका हुआ मासिक-धर्म शुरू हो जायेगा।
41. नागरमोथा: नागरमोथा को पीसकर उसमें गुड़ को मिलाकर गोलियां बनाकर खाने से मासिक-धर्म नियमित होने लगता है।
42. पपीता:

माहवारी (मासिक धर्म) के सभी दोषों को दूर करना

माहवारी (मासिक धर्म) के सभी दोषों को दूर करना


1. किशमिश:
पुरानी किशमिश को 3 ग्राम की मात्रा में लेकर इसे लगभग 200 मिलीलीटर पानी में रात को भिगोकर रख दें। सुबह इसे उबालकर रख लें। जब यह एक चौथाई की मात्रा में रह जाए तो इसे छानकर सेवन करने से मासिक-धर्म के सभी दोष नष्ट हो जाते हैं।चिकित्सा:

2. तिल:





3. ज्वार: ज्वार के भुट्टे को जलाकर इसकी राख को छान लें। इस राख को 3 ग्राम की मात्रा में पानी से सुबह के समय खाली पेट मासिक-धर्म चालू होने से लगभग एक सप्ताह पहले देना चाहिए। जब मासिक-धर्म शुरू हो जाए तो इसका सेवन बंद कर देना चाहिए। इससे मासिक-धर्म के सभी विकार नष्ट हो जाते हैं।
4. चौलाई: चौलाई की जड़ को छाया में सुखाकर बारीक पीस लें। इसे लगभग 5 ग्राम मात्रा में सुबह के समय खाली पेट मासिक-धर्म शुरू होने से लगभग 7 दिनों पहले सेवन करें। जब मासिक-धर्म शुरू हो जाए तो इसका सेवन बंद कर देना चाहिए। इससे मासिक-धर्म के सभी विकार नष्ट हो जाते हैं।
5. असगंध: असगंध और खाण्ड को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस लें, फिर इसे 10 ग्राम लेकर पानी से खाली पेट मासिक धर्म शुरू होने से लगभग 7 दिन पहले सेवन करें। जब मासिक-धर्म शुरू हो जाए तो इसका सेवन बंद कर देना चाहिए। इससे मासिक-धर्म के सभी विकार नष्ट हो जाते हैं।
6. रेवन्दचीनी: रेवन्दचीनी 3 ग्राम की मात्रा में सुबह के समय खाली पेट माहवारी (मासिक धर्म) शुरू होने से लगभग 7 दिन पहले सेवन करें। जब मासिक-धर्म शुरू हो जाए तो इसका सेवन बंद कर देना चाहिए। इससे मासिक-धर्म के सभी विकार नष्ट हो जाते हैं।
7. कपूरचूरा: आधा ग्राम कपूरचूरा में मैदा मिलाकर 4 गोलियां बनाकर रख लें। प्रतिदिन सुबह खाली पेट एक गोली का सेवन माहवारी शुरू होने से लगभग 4 दिन पहले स्त्री को सेवन करना चाहिए। मासिक-धर्म शुरू होने के बाद इसका सेवन नहीं करना चाहिए। इससे मासिक-धर्म के सभी विकार नष्ट हो जाते हैं।
8. राई: मासिक-धर्म में दर्द होता हो या स्राव कम होता हो तो गुनगुने पानी में राई के चूर्ण को मिलाकर, स्त्री को कमर तक डूबे पानी में बैठाने से लाभ होता है।
9. मूली: मूली के बीजों का चूर्ण सुबह-शाम जल के साथ 3-3 ग्राम सेवन करने से ऋतुस्राव (माहवारी) का अवरोध नष्ट होता है।
10. अडूसा (वासा): अड़ूसा के पत्ते ऋतुस्त्राव (मासिकस्राव) को नियंत्रित करते हैं। रजोरोध (मासिकस्राव अवरोध) में वासा पत्र 10 ग्राम, मूली व गाजर के बीज प्रत्येक 6 ग्राम, तीनों को 500 मिलीलीटर पानी में पका लें। चतुर्थाश शेष रहने पर यह काढ़ा कुछ दिनों तक सेवन करने से लाभ होता है।
11. कलौंजी: 2-3 महीने तक भी मासिक-धर्म के न होने पर और पेट में भी दर्द रहने पर एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल और 2 चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम को खाना खाने के बाद सोते समय 30 दिनों तक पियें। नोट: इस प्रयोग के दौरान आलू और बैगन नहीं खाना चाहिए।
12. विदारीकन्द:
13. उलटकंबल:
14. अनन्नास:
15. बथुआ: 2 चम्मच बथुआ के बीज 1 गिलास पानी में उबालें। आधा पानी बच जाने पर छानकर पीने से रुका हुआ मासिकधर्म खुलकर साफ आता है।