स्तनों में दूध की खराबी satan ki doodh kharab hona

स्तनों में दूध की खराबी







           गर्भवती स्त्री द्वारा भारी द्रव्यों का अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने से स्तन्य दोष (स्तनों के दूध में विकार) पैदा होते हैं, जिससे बालकों में कई प्रकार की बीमारियां पैदा हो जाती हैं, जो स्तन्य दोष या स्तन के दूध में विकार कहलाती है।परिचय:

विभिन्न भाषाओं में नाम:


हिन्दी

दूध की खराबी।

बंगाली

स्तन दोष।

मलायलम

मुलप्पलिन्टे केतु, भरा, स्तन्य दोष।

तमिल

मूलइप्पल कुटरम।

डोगरी

मम्मे दा दुदेआला दोष।

कन्नड़ी

हलिना दोष।

अंग्रेजी

लेक्टीयल डिसोर्डर्स।





1. मूंग: मूंग का सूप या मीट का सूप एक दिन में सुबह और शाम 14 मिलीलीटर से लेकर 28 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने स्तनों में दूध के विकार नष्ट हो जाते हैं।
2. त्रिफला: त्रिफला, चिरायता पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल), कटुकी प्रकन्द और मुस्तकमूल को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें, फिर इसी काढ़े को एक दिन में 14 मिलीलीटर से लेकर 28 मिली लीटर की मात्रा में सुबह-शाम पीने से स्तनों के दूध के विकारों में लाभ मिलता है।
3. गुडूची: गुडूची का तना, शतावरी की जड़ (मूल), सारिवा की जड़ (मूल) व पटोल के पत्ते, निम्ब (नीम) का बारीक चूर्ण (त्वक्), लाल चंदन की लकड़ी आदि को बराबर मात्रा में लेकर पकाकर काढ़ा बनाकर रख लें, फिर इसी बने काढ़े को 14 मिलीलीटर से लेकर 28 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम को महिलाओं के स्तनों का दूध विकार रहित हो जाता है।
4. पटोल: पटोल के पत्ते, निम्ब के पत्ते, असन की लकड़ी, पाठा पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल), मूर्वामूल, गुडूचौतना, कटुकी प्रकन्द और शुंठी को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें, इसी काढ़े को 14 मिलीलीटर से लेकर 28 मिलीलीटर को खुराक की मात्रा में एक दिन में सुबह और शाम पीने स्तनों के दूध की खराबी दूर हो जाती है।
5. चिरायता: चिरायता, शुंठी, देवदारू की लकड़ी, पाठा के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल), मुस्तक की जड़, मूर्वा, सारिया की जड़, गुडूचीतना, इन्द्रयव और कटुकीप्रकन्द को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर रख लें, फिर इसी काढ़े को 14 मिली लीटर से लेकर 28 मिलीलीटर को खुराक के रूप में पिलाने से स्तनों के रोग में स्त्री को लाभ पहुंचता हैं।
6. सारिवा: सारिवा की जड़, मुस्तक, त्रिफला और चिरायता के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) को बराबर मात्रा में लेकर काढ़े को 14 मिलीलीटर से लेकर 28 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम को पीने से स्तनों का दूध शु़द्ध हो जाता है।
7. भारंगी: भारंगी, अतिविषा की जड़ (मूल), देवदारू की लकड़ी और वचाप्रकन्द को 6 से 12 ग्राम की मात्रा में लेकर 100 से 250 मिलीलीटर दूध के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से स्तनों का दूध शु़द्ध हो जाता है।





स्तनों की सौंदर्यता के लिए satan ki sundarta

स्तनों की सौंदर्यता के लिए






           स्त्री की सौंदर्यता को बनाये रखने में उनके स्तन की अपनी विशेष भूमिका मानी जाती है क्योंकि स्तन मण्डल (वक्षस्थल) यदि ढीले और कमजोर होते हैं, तो उसकी शरीर सौंदर्यता कम होती है इसी प्रकार यदि स्तन आकर्षक, पुष्ट और प्राकृतिक रूप से सुडौल होते हैं तो वह नारी की सौंदर्यता को और अधिक निखार देते हैं।परिचय:

1. असगंध: असगंध और शतावरी को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर लगभग 2-2 ग्राम की मात्रा में शहद के खाकर ऊपर से दूध में मिश्री को मिलाकर पीने से स्तन आकर्षक हो जाते हैं।
2. कमलगट्टे: कमलगट्टे की गिरी यानी बीच के भाग को पीसकर पाउडर बनाकर दही के साथ मिलाकर प्रतिदिन 1 खुराक के रूप में सेवन करने से स्तन आकार में सुडौल हो जाते हैं।
3. जैतून: जैतून के तेल की स्तनों पर धीरे-धीरे मालिश करने से करने से स्तनों की सुन्दरता बढ़ जाती है।
4. सुपारी पाक: मुनक्का (द्राक्षा) 50 ग्राम को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर तज 3 ग्राम, तेजपात 3 ग्राम, नागरमोथा 3 ग्राम, सूखा पोदीना 3 ग्राम, पीपल 3 ग्राम, खुरासानी अजवायन 3 ग्राम, छोटी इलायची 3 ग्राम, तालीस के पत्ते 5 ग्राम, वंशलोचन 5 ग्राम, जावित्री 5 ग्राम, खेतचन्दन 5 ग्राम, कालीमिर्च 5 ग्राम, जायफल 5 ग्राम, सफेद जीरा 7 ग्राम, बिनौला की गिरी 13 ग्राम, लौंग 13 ग्राम, सूखा धनिया 13 ग्राम, पीपल की जड़ 13 ग्राम, खिरनी के बीज 45 ग्राम, बादाम की गिरी 50 ग्राम, पिस्ता 50 ग्राम, सुपारी एक किलो, शहद और चीनी 1-1 किलो और गाय का देशी घी आधा किलो आदि लें। इसके बाद 50 ग्राम पिसा हुआ मुनक्का और सुपारी चूर्ण को गाय के देशी घी में मिलाकर धीमी आग पर भूने, चीनी और शहद को छोड़कर सभी पदार्थो (द्रव्यों) को डाल दें, उसके बाद चीनी और शहद की चाशनी बनाकर मिला दें, फिर उसके बाद सभी चीजों को अच्छी तरह पकाकर उतारकर ठंडा करके सुबह-शाम पिलाने से नारी के स्तनों की सौंदर्यता बढ़ती है और योनि की बीमारियों का नाश और योनि को टाईट करती है।
5. गंभारी: गंभारी की 2 किलोग्राम छाल को पीसकर 16 लीटर पानी में मिलाकर चतुर्थांश काढा बना लें। गम्भारी की 250 ग्राम छाल को पानी के साथ पीसकर चटनी बना लें। गम्भारी के कल्क यानी लई और काढ़े में 1 लीटर तिल का तेल मिलाकर रख लें। इस तेल को रूई में भिगोकर स्तनों पर रखने से, ढीले और लटके हुए स्तन टाईट और सुन्दर हो जाते हैं।
6. कमल: कमल के बीजों को पीसकर 2 चम्मच की मात्रा में थोड़ी मिश्री मिलाकर बराबर रूप से 4-6 हफ्ते तक सेवन करने से स्तन कस जाते हैं और वे कठोर बन जाएंगे।