स्तनों का छोटा होना satan ka chota hona

स्तनों का छोटा होना







           शरीर के अन्य अंगों के अनुपात में नारी के स्तनों का छोटा रह जाना एट्रॉफी ऑफ ब्रेस्ट कहलाता है। स्तनों के अन्दर की ग्रंथियां पूर्णत: विकसित नहीं होने से इस तरह की स्थिति पैदा होती जाती है।परिचय:

1. कलौंजी: कलौंजी आधे से 1 ग्राम की मात्रा में रोज सुबह-शाम स्त्री को पिलाने से स्तन के आकार में वृद्वि हो जाती है।
2. गंभारी: गंभारी के रस और तिल के तेल को मिलाकर स्त्री के स्तनों पर धीरे-धीरे मालिश करें और इसी तेल में रूई को भिगोकर जनेन्द्रिय (सेक्सुल इन्द्री) में रखने से स्तनों के आकार में वृद्धि होती है।
3. एरण्ड: एरण्ड के तेल की मालिश करने से स्तनों का आकार बढ़ने लगता है।
4. काला जीरा: काला जीरा (स्याह जीरा) आधा से 2 ग्राम सुबह-शाम खाने से स्तनों में पहले की तुलना में वृद्धि होती है।
5. दुद्धी:
6. चौलाई: चौलाई (गेन्हारी) की सब्जी के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) को अरहर (रहरी) की दाल के साथ मिलाकर खाने से पशु और स्त्री के स्तनों की वृद्धि होती है।
7. तोदरी: तोदरी के बीजों को पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी चूर्ण को 5 से 10 ग्राम की मात्रा में पानी में भिगोकर उसमें मिश्री को अच्छी तरह मिलाकर लई (लुआबदार) शर्बत बनाकर पीने से स्तनों के छोटे आकार में बदलाव मिलता है।
8. गजपीपल: गजपीपल, बच और असगंध को बराबर मात्रा में लेकर भैंस के दूध से बने मक्खन के साथ स्तनों पर लेप करने से स्तनों के छोटेपन से छुटकारा मिलता है।
9. बच:
10. हल्दी: हल्दी, खिरैटी, सेंधानमक और प्रियंगु को लेकर अच्छी तरह पकाने के लिए धीमी आग पर रखें, जब पानी थोड़ा-सा जल जाये तब तिल के तेल को डालकर थोड़ा-सा पका लें, फिर इसमें तेल से आधी मात्रा में भैंस के दूध से बने घी को मिलाकर पकायें, पानी के सूखने के बाद इस बने काढ़े को उतारकर रख लें, इसी बने काढ़े को रोजाना सुबह-शाम स्तनों की मालिश करने से स्तनों के आकार में वृद्धि होती है।
11. सफेद मोथा: सफेद मोथा के फूल को काली रंग की गाय के दूध में पीसकर स्तनों पर लेप करने से स्तनों के साइज (आकार) में वृद्धि होती है





स्तनों में दूध की खराबी satan ki doodh kharab hona

स्तनों में दूध की खराबी







           गर्भवती स्त्री द्वारा भारी द्रव्यों का अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने से स्तन्य दोष (स्तनों के दूध में विकार) पैदा होते हैं, जिससे बालकों में कई प्रकार की बीमारियां पैदा हो जाती हैं, जो स्तन्य दोष या स्तन के दूध में विकार कहलाती है।परिचय:

विभिन्न भाषाओं में नाम:


हिन्दी

दूध की खराबी।

बंगाली

स्तन दोष।

मलायलम

मुलप्पलिन्टे केतु, भरा, स्तन्य दोष।

तमिल

मूलइप्पल कुटरम।

डोगरी

मम्मे दा दुदेआला दोष।

कन्नड़ी

हलिना दोष।

अंग्रेजी

लेक्टीयल डिसोर्डर्स।





1. मूंग: मूंग का सूप या मीट का सूप एक दिन में सुबह और शाम 14 मिलीलीटर से लेकर 28 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने स्तनों में दूध के विकार नष्ट हो जाते हैं।
2. त्रिफला: त्रिफला, चिरायता पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल), कटुकी प्रकन्द और मुस्तकमूल को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें, फिर इसी काढ़े को एक दिन में 14 मिलीलीटर से लेकर 28 मिली लीटर की मात्रा में सुबह-शाम पीने से स्तनों के दूध के विकारों में लाभ मिलता है।
3. गुडूची: गुडूची का तना, शतावरी की जड़ (मूल), सारिवा की जड़ (मूल) व पटोल के पत्ते, निम्ब (नीम) का बारीक चूर्ण (त्वक्), लाल चंदन की लकड़ी आदि को बराबर मात्रा में लेकर पकाकर काढ़ा बनाकर रख लें, फिर इसी बने काढ़े को 14 मिलीलीटर से लेकर 28 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम को महिलाओं के स्तनों का दूध विकार रहित हो जाता है।
4. पटोल: पटोल के पत्ते, निम्ब के पत्ते, असन की लकड़ी, पाठा पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल), मूर्वामूल, गुडूचौतना, कटुकी प्रकन्द और शुंठी को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें, इसी काढ़े को 14 मिलीलीटर से लेकर 28 मिलीलीटर को खुराक की मात्रा में एक दिन में सुबह और शाम पीने स्तनों के दूध की खराबी दूर हो जाती है।
5. चिरायता: चिरायता, शुंठी, देवदारू की लकड़ी, पाठा के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल), मुस्तक की जड़, मूर्वा, सारिया की जड़, गुडूचीतना, इन्द्रयव और कटुकीप्रकन्द को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर रख लें, फिर इसी काढ़े को 14 मिली लीटर से लेकर 28 मिलीलीटर को खुराक के रूप में पिलाने से स्तनों के रोग में स्त्री को लाभ पहुंचता हैं।
6. सारिवा: सारिवा की जड़, मुस्तक, त्रिफला और चिरायता के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) को बराबर मात्रा में लेकर काढ़े को 14 मिलीलीटर से लेकर 28 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम को पीने से स्तनों का दूध शु़द्ध हो जाता है।
7. भारंगी: भारंगी, अतिविषा की जड़ (मूल), देवदारू की लकड़ी और वचाप्रकन्द को 6 से 12 ग्राम की मात्रा में लेकर 100 से 250 मिलीलीटर दूध के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से स्तनों का दूध शु़द्ध हो जाता है।