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स्तनों में रसूली astan ki rasoli

स्तनों में रसूली







           स्तनों के अन्दर सुपारी से लेकर बेल की तरह की गांठें बन जाती हैं जो प्रारम्भ में छोटी होती है पर समय के साथ-साथ आकार में बढ़ती जाती है। इसमें दर्द रहता है। कभी-कभी यह दर्द बहुत अधिक बढ़ जाता है।परिचय:

1. एरण्ड: एरण्ड के तेल से स्त्री के स्तनों की मालिश करें और एरण्ड के पत्तों को स्तन पर बांधने से स्तन में होने रसूली (गांठें, गिल्टी) धीरे-धीरे कम होकर समाप्त हो जाती हैं। साथ ही साथ स्तनों के आकार में बढ़ोत्तरी होती जाती है।
2. बड़ी हर्रे : बड़ी हर्रे, छोटी पीपल और रोहितक की छाल को लेकर पकाकर काढ़ा बना लें, फिर इसी काढ़े में यवक्षार एक चौथाई से आधा ग्राम की मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम पीने से स्तनों में होने वाली रसूली या गांठें मिट जाती हैं।
3. सज्जीखार: सज्जीखार, सुहागे की खील (लावा) और यवक्षार को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसी चूर्ण को आधा से एक ग्राम तक की मात्रा में सुबह-शाम प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
4. नीम: नीम के तेल और तिल के तेल को बराबर मात्रा में लेकर मालिश करने से स्तनों में होने वाली गांठे कम होकर मिट जाती हैं। परन्तु ध्यान रहें कि केवल नीम के तेल से स्तनों की मालिश करने से स्तनों में जलन आदि के पैदा होने का डर सा लगा रहता है।
5. सरफोंका: सरफोंका की जड़ को अच्छी तरह पीसकर स्तनों पर लेप करने से स्तनों में होने वाली गांठे यानी रसूली का असर कम होकर नष्ट हो जाती है।
6. कचनार: कचनार की छाल को पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी चूर्ण को एक चौथाई ग्राम से आधा ग्राम की मात्रा में सोंठ और चावल के पानी (धोवन) के साथ मिलाकर पीने और स्तनों पर लेप करने से स्तनों की गांठों में लाभ मिलता है।
7. मुण्डी: मुण्डी (गोरखमुण्डी) के पंचांग (फल, जड़, तना, फूल और पत्तों) के रस को 10 से लेकर 20 मिलीलीटर तक खुराक के रूप में  सुबह-शाम पीने से स्तनों में आने वाली गिल्टी (गांठें) कम होकर समाप्त हो जाती हैं।





स्तनों की घुण्डी का फटना satan ki gundi fatna

स्तनों की घुण्डी का फटना







           छोटे बच्चे कभी-कभी दांत से या एक स्तन को पीते समय दूसरे स्तन की घुण्डी (चूंची) को नाखून से जख्मी कर देता है। जब इस जख्म में बच्चे दबाव डालकर दूध पीते हैं तो दर्द और जख्म दर्द बढ़ जाता है, तो स्तनों में घुण्डी या चूंची का कटना या फटना कहलाता है।परिचय:

1. एरण्ड: एरण्ड के तेल से स्तन या स्तनों की चूंची विदार (घुण्डी फटने) में मालिश करने से लाभ मिलता है।
2. मक्खन: 108 बार धोये मक्खन में मुर्दासंग और सिन्दूर को डालकर पीसकर छान लें, इस पीसे मिश्रण को फिर से 21 बार धोने के बाद स्तन पर लगाने से घुण्डी फटने का जख्म ठीक होने लग जाता है।
3. चिरायता: चिरायता को पीसकर घुण्डी के जख्म पर लगाने से लाभ होगा।
4. नीम: नीम के तेल और तिल के तेल को बराबर मात्रा में लेकर स्तनों के निप्पल (घुण्डी) के जख्म पर प्रतिदिन 2 से 3 बार लगाने से जख्म भरने लगता है।
5. तुम्बक: तुम्बक (तेजफल) को पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी बने चूर्ण को एक चौथाई ग्राम से आधा ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम प्रयोग करने से स्तनों की घुण्डी में बच्चे के दांत के द्वारा काटने से हुए जख्म में आराम मिलता है।
6. कायफल :
7. मुलहठी: मुलहठी को बारीक पीसकर स्तनों की घुण्डी के जख्मों पर सुबह, दोपहर और शाम लगाने से लाभ मिलता है।
8. हरीतकी: हरीतकी (हर्रे) को पानी में पीसकर शहद के साथ मिलाकर स्तनों की जख्मी चूंची (घुण्डी) पर लगाने से जख्म जल्दी भरने लग जाते हैं