योनि में जलन और खुजली का होना

योनि में जलन और खुजली का होना


इसमें योनि से पीला या काले रंग का बदबूदार स्राव होता है और साथ ही साथ खुजली व जलन होती है।परिचय:

विभिन्न भाषाओं में नाम:


हिन्दी

योनिदाह, योनि में खुजली।

गुजराती

योनि मा बडतर अने खाज।

बंगाली

जोनिदाह, जोनिकण्डु।

मराठी

योनिदाह, योनि में खुजति।

मलयालम

योनि इरिसिल कोरिसिल।

तमिल

पेनकुरि एरिछछ्ल।

डोगरी

पेरबली जुगुदि जलन थियकुंगु।

अरबी

जोनिमुखशोथ।

अंग्रेजी

बर्निग सन्शेसन एण्ड प्रुराइटिस आ दि वल्वा।
कारण:
1. कत्था: कत्था (खादिर सार) 5 ग्राम, विंडग 5 ग्राम और हल्दी 5 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर योनि पर लगाने से योनि में होने वाली खुजली शांत हो जाती है।
2. नीम:
3. नारियल: नारियल तेल 50 ग्राम और 3 ग्राम कपूर (कर्पूर) को  मिलाकर योनि पर लेप करने से योनि की खुजली से छुटकारा मिलता हैं।
4. अजवायन:
5. कमल: कमल की जड़ को पानी के साथ अच्छी तरह से पीसकर पेस्ट बनाकर दाद और योनि की खुजली वाले भाग पर लगाने से खुजली शांत हो जाती है।
6. त्रिफला:
7. आंवला: आंवले का रस 20 ग्राम, 10 ग्राम शहद और 5 ग्राम मिश्री को मिलाकर मिश्रण बना लें, फिर इसी को पीने से योनि की जलन समाप्त हो जाती है।
8. अमरूद: अमरूद के पेड़ की जड़ को पीसकर 25 ग्राम की मात्रा में लेकर 300 मिलीलीटर पानी में डालकर पका लें, फिर इसी पानी को साफ कपड़े की मदद से योनि को साफ करने से योनि में होने वाली खुजली समाप्त हो जाती है।
9. चंदन: चंदन के तेल में नींबू के रस को मिलाकर योनि पर लगाने से योनि में होने वाली खुजली मिट जाती है।
10. चमेली: चमेली के तेल में कपूर को मिलाकर लगाने से योनि की खुजली मिट जाती है।
11. बावची: बावची और चंदन के तेल को समान मात्रा में लेकर मिला लें, फिर इसी बने तेल से योनि की मालिश करने से योनि में खुजली होना बंद हो जाती है।
12. गुलाबजल:
13. मेहंदी: मेहंदी के सूखे पत्ते 5 ग्राम, लाल चंदन 5 ग्राम, 3 ग्राम कपूर, नारियल 50 मिलीलीटर तेल को मिलाकर योनि पर लगाने से योनि में होने वाली खुजली समाप्त हो जाती है।
14. तिल: तिल का तेल 50 मिलीलीटर, नीम के पत्ते 10 ग्राम और मेहंदी के सूखे पत्ते 10 ग्राम की मात्रा में लेकर 10 ग्राम शुद्ध मोम में मिलाकर योनि पर लेप करने से योनि में होने वाली खुजली समाप्त हो जाती है।
15. सुहागा: एक चौथाई ग्राम भुना हुआ सुहागा या बोरिक एसिड को पानी में डालकर योनि को सुबह-शाम साफ करने से योनि में होने वाली खुजली मिट जाती हैं।
16. आमलकी: आमलकी का रस 7 मिलीलीटर से लेकर 14 मिलीलीटर, गुडूची 3 ग्राम, चीनी 5 से 10 ग्राम की मात्रा में लेकर सुबह-शाम पीने से योनि की खुजली में लाभ मिलता है।
17. एरण्ड: एरण्ड का तेल लगभग 7 मिलीलीटर से 14 मिलीलीटर को 100-250 मिलीलीटर दूध के साथ सुबह-शाम पीने से योनि की खुजली मिटती है।
18. खतमी: खतमी के बीज, मुल्तानी मिट्टी, मकोय के पत्तों के रस में मिलाकर योनि पर लगाने से योनि की खुजली मिटती है।
19. आंवला: आंवले के 20 मिलीलीटर रस में पांच ग्राम शक्कर और 10 ग्राम शहद मिलाकर पीने से योनि की जलन में अत्यंत आराम होता है।
20. अपामार्ग: अपामार्ग की जड़ को पीसकर रस निकाल लें। इस रस को रूई में भिगोकर योनि में रखने से योनिशूल और मासिक-धर्म की रुकावट मिटती है।





स्तनों में रसूली astan ki rasoli

स्तनों में रसूली







           स्तनों के अन्दर सुपारी से लेकर बेल की तरह की गांठें बन जाती हैं जो प्रारम्भ में छोटी होती है पर समय के साथ-साथ आकार में बढ़ती जाती है। इसमें दर्द रहता है। कभी-कभी यह दर्द बहुत अधिक बढ़ जाता है।परिचय:

1. एरण्ड: एरण्ड के तेल से स्त्री के स्तनों की मालिश करें और एरण्ड के पत्तों को स्तन पर बांधने से स्तन में होने रसूली (गांठें, गिल्टी) धीरे-धीरे कम होकर समाप्त हो जाती हैं। साथ ही साथ स्तनों के आकार में बढ़ोत्तरी होती जाती है।
2. बड़ी हर्रे : बड़ी हर्रे, छोटी पीपल और रोहितक की छाल को लेकर पकाकर काढ़ा बना लें, फिर इसी काढ़े में यवक्षार एक चौथाई से आधा ग्राम की मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम पीने से स्तनों में होने वाली रसूली या गांठें मिट जाती हैं।
3. सज्जीखार: सज्जीखार, सुहागे की खील (लावा) और यवक्षार को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसी चूर्ण को आधा से एक ग्राम तक की मात्रा में सुबह-शाम प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
4. नीम: नीम के तेल और तिल के तेल को बराबर मात्रा में लेकर मालिश करने से स्तनों में होने वाली गांठे कम होकर मिट जाती हैं। परन्तु ध्यान रहें कि केवल नीम के तेल से स्तनों की मालिश करने से स्तनों में जलन आदि के पैदा होने का डर सा लगा रहता है।
5. सरफोंका: सरफोंका की जड़ को अच्छी तरह पीसकर स्तनों पर लेप करने से स्तनों में होने वाली गांठे यानी रसूली का असर कम होकर नष्ट हो जाती है।
6. कचनार: कचनार की छाल को पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी चूर्ण को एक चौथाई ग्राम से आधा ग्राम की मात्रा में सोंठ और चावल के पानी (धोवन) के साथ मिलाकर पीने और स्तनों पर लेप करने से स्तनों की गांठों में लाभ मिलता है।
7. मुण्डी: मुण्डी (गोरखमुण्डी) के पंचांग (फल, जड़, तना, फूल और पत्तों) के रस को 10 से लेकर 20 मिलीलीटर तक खुराक के रूप में  सुबह-शाम पीने से स्तनों में आने वाली गिल्टी (गांठें) कम होकर समाप्त हो जाती हैं।