एड्स AIDS

एड्स


         एड्स का अर्थ है रुक्वायर्ड इम्युनो डेफिसियेन्सी सिन्ड्रोम। यह रोग संभोग अथवा सुई के द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्तियों तक पहुंचती है। एड्स से ग्रस्त रोगी का खून यदि भूल से किसी अन्य व्यक्ति को चढ़ा दिया जाए तो वह व्यक्ति इस रोग से ग्रस्त हो जाता है। इस रोग में रोगी के खून में सफेद कण कम हो जाते हैं जिसके कारण शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता खत्म हो जाती है। इस रोग के लक्षण काफी साल बाद रोगी के शरीर में नज़र आते हैं।परिचय:

लक्षण-

चिकित्सा:






11. अनन्तमूल: अनन्तमूल को कपूरी, सालसा आदि नामों से जाना जाता है। यह अति उत्तम खून शोधक है। इसके चूर्ण के सेवन से मूत्र की मात्रा दुगुनी या चौगुनी हो जाती है। मूत्र की अधिक मात्रा होने से शरीर को कोई हानि नहीं होती है। यह जीवनी शक्ति को बढ़ाता है, शक्ति प्रदान करता है। यह मूत्र साफ लाने वाला, खून साफ करने वाला, त्वचा साफ करने वाला,, घाव भरने वाला, शक्ति बढ़ाने वाला, जलन खत्म करने वाला होता है। इसका चूर्ण लगभग 1 ग्राम के चौथे भाग की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से सुजाक जैसे रोग भी दूर हो जाते हैं।
12. वायबिडंग: एड्स रोग में जीवनी शक्ति की कमी और जीवाणु जनित दोषों की वृद्धि होती है। जबकि वायबिडंग समस्त प्रकार के जीवाणुओं को खत्म करने में सफल माना जाता है। लगातार 2 महीने तक प्रतिदिन वायबिडंग का सेवन करने से स्मरण शक्ति, धारण शक्ति और ग्रहण शक्ति बढ़ती है और शरीर स्वास्थ रहता है। इसे एड्स रोग में 1 वर्ष तक खाने से अधिक लाभ होता है। यह वायु रोग, पित्त, बलगम, एवं सत्व, तम, रज आदि दोषों को खत्म करता है। प्रथम 3 महीने तक इसे 10 ग्राम तथा बाद में 5 ग्राम प्रतिदिन सुबह-शाम खाना चाहिए।
13. लाल चित्रक: लाल चित्रक (लाल चीता) को आधा से 2 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से शरीर स्वस्थ होता है





योनि (स्त्री जननांग) को छोटी करना yoni ko choti karna

योनि (स्त्री जननांग) को छोटी करना






          अधिक संभोग करने या अधिक संतानों के जन्म लेने से अथवा अन्य कारणों से योनि बड़ी हो जाती है। ऐसी स्थिति में उसे सिकोड़ने की चिकित्सा अवश्य ही करनी चाहिए।परिचय:

1. गेंदा: गेंदा को जलाकर उसकी राख को योनि में रखकर मलना चाहिए। परन्तु ध्यान रखें कि उसे कपड़छन कर लें ताकि कोई हानिकारक पदार्थ न रह जाए। ऐसा न करने से मालिश करने से होने वाले लाभ के बजाय योनि के छिल जाने से हानि भी हो सकती है।
2. दूध: बकरी और गाय आदि दोनों के दूध से निर्मित मट्ठे या छाछ को योनि में छीटें दें और इसी से योनि को धोने से योनि सिकुड़कर छोटी हो जाती है।
3. बीर बहूटी: बीर बहूटी को सुखाकर रख लें, इसे घी में मिलाकर पीसकर योनि पर लेप करने से योनि का आकार छोटा हो जाता है।
4. भांग: उत्तम क्वालिटी की भांग को पीसकर छान लें। फिर कपड़े में इसकी पोटली बांधकर योनि में रखने से बढ़ी हुई योनि पहले जैसे हो जाती है।
5. माजूफल: माजूफल, धाय के फूल और फिटकरी को पीसकर बेर के समान आकार की गोली बनाकर योनि के अन्दर रख लें। इससे योनि छोटी हो जाती है।
6. ढाक की छाल: ढाक की छाल और गूलर के फल को समान मात्रा में लेकर चूर्ण तैयार कर लें। फिर शहद व तिल का तेल मिलाकर योनि में लेप करने से भी योनि का आकार छोटा होता है।
7. बैंगन: सूखे हुए बैंगन को पीसकर योनि में रखने से योनि संकुचित होकर छोटी हो जाती है।
8. लौंग: लौंग को घोड़ी के दूध में मिलाकर सुखा लें। इसके बाद इसे पीसकर योनि में रखने से योनि का आकार संकुचित होकर योनि छोटी हो जाती है।
9. बबूल: बबूल, बेर, कचनार, अनार, नीलश्री के बारीक चूर्ण को समान मात्रा में लेकर पानी में उबाल लें। फिर इसमें कपड़ा भिगोकर योनि में रखें। इससे योनि सिकुड़कर छोटी हो जाती है।
10. बकायन: बकायन की सूखी छाल को पीसकर योनि में बुरकने से योनि सिकुड़कर छोटी हो जाती है।