गाजर के औषधीय गुण और घरेलू नुस्खे

गाजर (Daucus carota)

गाजर जिसे हम सब्जी के रूप में प्रयोग करते हैं इसके जूस पीते हैं, पर इसमे कुछ औषधीय गुण भी होती है। इसके पोशाक तत्व हमारे शरीर में होने वाले कई बीमारियों और समस्याओं को भी दूर करता है। प्रस्तुत है कुछ गाजर के गुण, इसके फायदे और कुछ घरेलू नुस्खे/ उपचार जिन्हें आप अपने जीवन में अपना सकते हैं। Benefits of Carrot, Gajar ke fayde, iske gun aur iske gharelu ewam desi nuskhe/upchar.
गाजर के गुण, फायदे और घरेलू नुस्खे

आँत का अलसर, उदर शूल ( पेट में दर्द ), अपच :- प्रतिदिन सबेरे गाजर का 60 मि० ली० रस पिऐं।

पेट के कीड़े :- नास्ते में केवल गाजर खाएँ ।

कब्ज :- गाजर के 25 मि०ली० रस में (स्पिनाक) पालक का 25 मि० ली० रस मिलाकर सेवन करें।

पीलिया :- एक कप गाजर का रस सबेरे खाली पेट में सेवन करें।

रर्तोंधी:- कच्चा गाजर नियमित खाएँ ।

दांत रोग से बचाव :- भोजन के बाद एक गाजर चबाकर खाएँ ।

मासिक स्राव-रोध ( अमेनोरिया ):- एक कप गाजर का रस 10-15 दिनों तक पिएँ ।

पतले दस्त :- 1/2 किलो गाजर को 250 मि० ली० पानी मे पकाएँ । पानी को छानकर उसमें कुछ नमक मिलाकर 30 मि०ली० प्रति 30 मिनट पर पिएँ ।

कैसर ( कर्कट ), दमा, गठिया :- गाजर का एक ग्लास रस सबेरे और शाम को सेवन करें।

बच्चों के लिए टानिक :- a) गाजर बराबर खिलाएँ ।
(b) गाजर, पपीता, खीरा, टमाटर, मूँगफली (अंकुरित) और भिन्डी - इन सभी का सलाद (salad) तैयार कर प्रतिदिन खिलाने से बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा होता है ।

खुजली, चर्मरोग, सूजन, जलन :- गाजर का रस लगाएँ ।

चेहरे से झुर्रियां हटाने के लिए :- गाजर का रस और शहद 1 :4 की मात्रा मिलाकर चेहरे पर लगा दें । आधा घंटा के बाद गुनगुने पानी से धोवें । एक महीने तक लगातार ऐसा करते रहें ।

रक्तचाप की कमी (low B. P.) आँख 'की रोशनी, चर्मरोग, सुंदरता :- गाजर के 1/2 गिलास रस में खीरे (cucumber) का आधा ग्लास रस मिला दें। उसमें दो चम्मच नींबू रस, एक चम्मच शहद और एक चम्मच मिश्री भी मिलाकर एक-एक कप सुबह-शाम सेवन करते रहें ।

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बंधगोभी के फायदे एवं घरेलु नुस्खे


  • पेट का फोड़ा:- बन्दगोभी का रस और गाजर का रस बराबर मात्रा में मिला दें। 125 मि० ली० सबेरे खाली पेट में 2-3 महीने तक सेवन करते रहें ।
  • वजन कम करने के लिए (over weight) :-कच्ची बन्दगोभी सलाद के रूप में हर रोज 2-3 महीने तक खाएँ ।
  • संक्रमित घाव, अलसर, फोड़ा-फुंसी, चर्मरोग:- गोभी के पत्ते को साफ कर आग के ऊपर गरम कर दें। उसको कूटकर घाव पर लगा कर पट्टी बाँध दें । हर रोज नया पत्ता बाँधे ।
  • कब्जा :- कच्ची गोभी महीन काट दें और उसमें गोलर्मिंच, नमक और र्नीचू रस मिला कर खाएँ ।
  • बुढापे में नियमित रक्त संचार के लिए :- भोजन में कच्ची गोभी नियमित खाएँ ।
  • आधकपारी :- गोभी के कुछ पत्तों को काटकर एक कपड़े में लगा दें और सोने से पहले माथे पर बाँध दें ।