फैशन डिजाइनिंग (Fashion Designing) में बनाए अपना कैरियर

12वीं के बाद वैसे तो कैरियर के लिए कई क्षेत्र हैं, लेकिन छात्रों की रुचि और क्षमता भी क्षेत्रों के चयन का आधार होती है। वैसे छात्र जिनमें रचनात्मकता व समय को पकड़ने की क्षमता हो, लीक से हट कर कुछ करने का जज्बा हो, वे फैशन डिजाइनिंग (Fashion designing) या फैशन इंडस्ट्री (Fashion Industry) के क्षेत्र में कैरियर बना सकते हैं। फैशन डिजाइनिंग में कैरियर (career in fashion designing) की असीम संभावनाएं हैं। यह क्षेत्र उन लोगों के लिए है, जो कपड़ों में अपने सपनों का पंख लगाने में महारत रखते हैं।
फैशन डिजाइनिंग में बनाए कैरियर
इन क्षेत्रों में बनायें अपना कैरियर

फैशन अब कपड़ों तक ही सीमित नहीं रह गया है, यह इंडस्ट्री का रूप ले चुका है। इसके तहत अपेरल डिजाइनिंग (Apparel Designing), फैशन डिजाइनिंग (Fashion Designing), प्रॉडक्शन मैनेजमेंट (Production Management), क्लोथिंग टेक्नॉलॉजी (Clothing Technology), टेक्सटाइल साइंस (Textile Science), अपेरल कंस्ट्रक्शन (Apparel Construction), फैब्रिक डाइंग (Fabric Design), प्रिंटिंग, कलर मिक्सिंग (Color mixing) और कंप्यूटर डिजाइनिंग (Computer Designing) शामिल है।

फैशन डिजाइनिंग से संबन्धित कोर्सेज (Courses related to Fashion Designing)
विभिन्न संस्थानों में फैशन डिजाइनिंग के कई कोर्स संचालित होते हैं। वैसे इस क्षेत्र में बैचलर कोर्स, मास्टर कोर्स के अलावा डिप्लोमा कोर्स भी किया जा सकता है। फैशन डिजाइनिंग से संबन्धित प्रमुख संस्थान:-


  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नॉलॉजी, निफ़्ट कैंपस, हौज खास, नई दिल्ली
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइनिंग, पालडी, अहमदाबाद
  • अमेटी इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नॉलॉजी, नोएडा
  • पर्ल अकादमी ऑफ फैशन, नारायण इंडस्ट्रियल एरिया, फेज-2, नई दिल्ली


योग्यता और चायन प्रक्रिया (Eligibility and selection process)

फैशन डिजाइनिंग करनेवाले विभिन्न संस्थानों में चयन का आधार अलग-अलग होता है। स्नातक डिग्री के लिए किसी भी संकाय से 50 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं उतीर्ण (12th  pass) होना आवश्यक है। अनेक संस्थाएं एडमिशन के लिए लिखित परीक्षा (Written examination), ग्रुप डिस्कशन (Group discussion) और साक्षात्कार (Interview) का भी आयोजन करती है।

कोर्स करने के उपरांत आप क्या कर सकते हैं

फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद आप चाहें तो अपना बिजनेस (Own business) भी शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा फैशन डिजाइनर, मार्केटिंग और मार्केटइजिंग, अपेरल मार्केटइजिंग, फैशन स्टाइलिस्ट, विजुअल मार्केटइजिंग, फैशन को-ऑर्डिनेटर, टेक्सटाइल डिजाइनर एवं फैशन कंसलटेंट के रूप में भी काम कर सकते हैं।

काजू का सेवन आपके हृदय के लिए है लाभकारी, जाने काजू के फायदे

भारतीय समाज में जब भी सेहत की बात आती है, तो बड़े-बुजुर्ग काजू-बादाम (Cashew nut) खाने की सलाह देते हैं और यह बात काफी हद तक सही भी है। काजू न सिर्फ शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि कई रोगों से भी बचाता है। काजू का प्रयोग हमेशा से भारतीय किंचन में किया जाता रहा है। यह न सिर्फ भोजन के स्वाद को बढ़ाता है बल्कि इसे स्वास्थ्य (Health) के लिहाज से भी बेहतर माना जाता रहा है। इसमें ऐसे कई पोषक तत्व होते हैं, जो मेटाबोलिज्म को बेहतर बनाते हैं और हृदय रोगों के खतरे को भी कम करते हैं, जिससे हृदय स्वस्थ (Healthy heart) रहता है।
 Benefits-of-Cashew-nut
 ये हैं इसके फायदे 

हृदय को रखता है स्वस्थ :- इसमें स्वास्थ्य के लिए अच्छे फैट क्री प्रचुर मात्रा होती है और कोलेस्ट्रॉल नगण्य होता है। इससे ब्लड कोलेस्ट्रॉल कम होता है और ट्राइग्लिसराइड हदय को स्वस्थ बनाते हैं। कुछ लोग यह मानते हैं कि फैट कम लेने से शरीर स्वस्थ रहता है, जबकि यह सही नहीं है। हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हर प्रकार के पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है और फैट भी उनमें से एक है। लेकिन फैट स्वास्थ्यवर्धक स्रोतों से आना चाहिए। काजू भी फैट का एक स्वास्थ्यवर्धक स्रोत है।

शरीर को बनाता है मजबूत:- इसमें मैग्रीशियम होता है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है, मांसपेशियों और नर्व की कार्यप्रणाली को सही रखता है. कैल्सियम को हड्डियों में सही प्रकार से अवशोषित करने के लिए हमारे शरीर को लगभग 300-750 मिलीग्राम मैरनीशियम की जरूरत होती है। 

ब्लड प्रेशर को करता है कंट्रोल:- काजू में सोडियम कम और पोटैशियम अधिक होता है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखता है। यदि शरीर में सोडियम की मात्रा अधिक होती हैं तो शरीर को पानी की जरूरत भी अधिक पड़ती है। इससे ब्लड की मात्रा भी बढ़ती है और ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है। 

कैंसर का खतरा होता है कम:- काजू में सेलेनियम और विटामिन इ जैसे एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर को फ्री रैडिकल्स से बचते हैं। इससे इम्युनिटी बढ़ती है और कैंसर का खतरा कम होता है। इसमें जिंक भी होता है, जो इंफेक्शन से बचाया है। 
शारीरिक प्रक्रियाओं को रखता है सही:- इसमें कॉपर की उपयुक्त मात्रा होती है। यह एंजाइम की सक्रियता, हॉर्मोन के निर्माण, ब्रेन फंक्शन को सही रखने में सहायता करता है। 

किन्हें नहीं खाना चाहिए
इसे कोई भी खा सकता है लेकिन जिन्हें इससे एलर्जी हो या माइग्रेन की समस्या हो उम्हें इससे बचना चाहिए इसमे काफी केलोरी होती है जो वजन बढ़ा सकता है। अतः मोटे लोगों को भी इसे खाने से बचना चाहिए। यदि किसी को काजू से एलर्जी हो, तो इससे उल्टी, डायरिया, स्किन रैशेज और सांस लेने में परेशानी हो सकती है यदि ऐसी समस्या होती है तो इसे खाना छोड़ दें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें ।