चने में विद्यमान पोषक तत्व और उनका हमारे शरीर में होने वाले फायदे

चना (Gram) भारतीय खान-पान के प्रमुख अनाजों में से है। इसे शक्तिवर्धक अनाज (Enhancing grain) माना जाता रहा है। यह तो सभी जानते हैं कि यह न सिर्फ पाचन को सही रखता है बल्कि हृदय को भी सुरक्षित रखता है। चना का प्रयोग भारत में सदियों से हो रहा है। इसे सीधे प्रयोग करने के अलावा दाल और उससे बने उत्पादों के रूप में भी होता है। इसका स्वाद तो अलग और अनोखा होता ही है साथ ही इसका प्रयोग ताकत बढ़ाने के लिए भी किया जाता रहा है। इसे अंकुरित कर के भी खाया जाता है ऐसे कई कारण हैं जिनके कारण चना को स्वास्थ्य के लिए बेहतर (Gram is good for health) माना जाता है। प्रस्तुत हैं आठ कारण जिनसे चना स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। 
Benefits of gram
1. वजन घटाने (Weight loss) के लिए : चना को प्राकृतिक रूप से वजन घटाने में सहायक माना जाता है। ऐसा इसमें फाइबर कंटेंट (Fiber content) कि अधिकता के कारण होता है। ये न सिर्फ आपके भूख को कंट्रोल करते हैं बल्कि लंबे समय तक आपके पेट को भरा भी रखते हैं। शाकाहारी (Vegetarian) लोगों के लिए यह प्रोटीन (Protein) का भी बेहतर स्त्रोत है। इससे आपके वजन को नियंत्रित (Weight management) करने में भी मदद मिलती है। 

2. शरीर में शक्ति (Power) और रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ाता है: चना में खनिज लवण (Minerals) के रूप में मैगनिज काफी मात्रा में होता है। इसके अलावा इसमें जरूरी पोषक तत्व जैसे थायमीन, मैंगीशियम और फॉस्फोरस भी पाया जाता है। मैंगीशियम शरीर में ऊर्जा के उत्पादन में प्रमुख भूमिका निभाता है। 
3. ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) सही रखता है : चना का ग्लाइसेमिक इंडेक्स लो होता है। इस कारण से यह डायबिटीज के रोगियों के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। इसके कारण  ब्लड ग्लूकोज बहुत धीमे-धीमे बढ़ता है। इसमें सोंल्यूबल फाइबर, हाइ प्रोटीन और आयरन होता है। ये तत्व भी ब्लड शूगर लेवल को मैनेज करने में मददगार हैं।

4. महिलाओं में होंर्मोंन का लेवल (Hormones level) नियमित रखता है। इससे ब्रेस्ट कैंसर (Breast cancer) और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम हों जाता है। 

5. एनिमिया होने से बचाता है : चना में आयरन इतनी मात्रा में मौजूद होता है कि यह शरीर के आयरन कि जरूरत को आसानी से पूरा करता है और एनिमिया होने से रोकता है। बच्चे और महिलाओं के एनिमिया का खतरा अत्यधिक होता है। इसी कारण से उन्हें नियमित चना का सेवन करने के लिए कहा जाता है।   

6. रक्तचाप (Blood pressure) नियंत्रित करता है: चना रक्त वाहिकाओं (blood vessels) को सामान्य करता है, जिससे हाइपरटेंशन का खतरा कम होता है। इस दलहन में पोटैशियम और मैग्नीशियम भी होता है, जो शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स को भी बैलेंस करता है। 

7. पाचन संबंधी समस्याओं से बचाता है : फाइबर की अधिक मात्रा के कारण यह पाचन तंत्र (Digestive System) और आंत को भी बेहतर बनाये रखता है। इससे पाचन संबंधी समस्याएं नहीं होती हैं। इसके पोषक तत्व कब्ज को भी दूर करता हैं। 

8. हृदय संबंधी रोगों (heart diseases) से दूर रखता है: विशेषज्ञों के अनुसार काला चना रोज खाने से कई प्रकार के हृदय संबंधी समस्याओं को कम कर देता है। इसमें मैग्नीशियम और फोंलेट भी काफी मात्रा में होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने का कार्य करते हैं। 

फैशन डिजाइनिंग (Fashion Designing) में बनाए अपना कैरियर

12वीं के बाद वैसे तो कैरियर के लिए कई क्षेत्र हैं, लेकिन छात्रों की रुचि और क्षमता भी क्षेत्रों के चयन का आधार होती है। वैसे छात्र जिनमें रचनात्मकता व समय को पकड़ने की क्षमता हो, लीक से हट कर कुछ करने का जज्बा हो, वे फैशन डिजाइनिंग (Fashion designing) या फैशन इंडस्ट्री (Fashion Industry) के क्षेत्र में कैरियर बना सकते हैं। फैशन डिजाइनिंग में कैरियर (career in fashion designing) की असीम संभावनाएं हैं। यह क्षेत्र उन लोगों के लिए है, जो कपड़ों में अपने सपनों का पंख लगाने में महारत रखते हैं।
फैशन डिजाइनिंग में बनाए कैरियर
इन क्षेत्रों में बनायें अपना कैरियर

फैशन अब कपड़ों तक ही सीमित नहीं रह गया है, यह इंडस्ट्री का रूप ले चुका है। इसके तहत अपेरल डिजाइनिंग (Apparel Designing), फैशन डिजाइनिंग (Fashion Designing), प्रॉडक्शन मैनेजमेंट (Production Management), क्लोथिंग टेक्नॉलॉजी (Clothing Technology), टेक्सटाइल साइंस (Textile Science), अपेरल कंस्ट्रक्शन (Apparel Construction), फैब्रिक डाइंग (Fabric Design), प्रिंटिंग, कलर मिक्सिंग (Color mixing) और कंप्यूटर डिजाइनिंग (Computer Designing) शामिल है।

फैशन डिजाइनिंग से संबन्धित कोर्सेज (Courses related to Fashion Designing)
विभिन्न संस्थानों में फैशन डिजाइनिंग के कई कोर्स संचालित होते हैं। वैसे इस क्षेत्र में बैचलर कोर्स, मास्टर कोर्स के अलावा डिप्लोमा कोर्स भी किया जा सकता है। फैशन डिजाइनिंग से संबन्धित प्रमुख संस्थान:-


  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नॉलॉजी, निफ़्ट कैंपस, हौज खास, नई दिल्ली
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइनिंग, पालडी, अहमदाबाद
  • अमेटी इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नॉलॉजी, नोएडा
  • पर्ल अकादमी ऑफ फैशन, नारायण इंडस्ट्रियल एरिया, फेज-2, नई दिल्ली


योग्यता और चायन प्रक्रिया (Eligibility and selection process)

फैशन डिजाइनिंग करनेवाले विभिन्न संस्थानों में चयन का आधार अलग-अलग होता है। स्नातक डिग्री के लिए किसी भी संकाय से 50 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं उतीर्ण (12th  pass) होना आवश्यक है। अनेक संस्थाएं एडमिशन के लिए लिखित परीक्षा (Written examination), ग्रुप डिस्कशन (Group discussion) और साक्षात्कार (Interview) का भी आयोजन करती है।

कोर्स करने के उपरांत आप क्या कर सकते हैं

फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद आप चाहें तो अपना बिजनेस (Own business) भी शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा फैशन डिजाइनर, मार्केटिंग और मार्केटइजिंग, अपेरल मार्केटइजिंग, फैशन स्टाइलिस्ट, विजुअल मार्केटइजिंग, फैशन को-ऑर्डिनेटर, टेक्सटाइल डिजाइनर एवं फैशन कंसलटेंट के रूप में भी काम कर सकते हैं।