श्री गणेश चतुर्थी व्रत - Shree Ganesh Chaturthi Vrat in hindi

श्री गणेश चतुर्थी व्रत हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री गणेश (Lord Ganesha) कई रूपों में अवतार लेकर प्राणीजनों के दुखों को दूर करते हैं। श्री गणेश मंगलमूर्ति है, सभी देवों में सबसे पहले श्री गणेश का पूजन (Warship of Shree Ganesha) किया जाता है। श्री गणेश शुभता के प्रतिक हैं। पंचतत्वों मै श्री गणेश को जल का स्थान दिया गया है। बिना गणेश का पूजन किए बिना कोई भी इच्छा पूरी नहीं होती है। विनायक भगवान का एक नाम अष्टविनायक भी है। इनका पूजन व दर्शन का विशेष महत्व है। इनके अस्त्रों में अंकुश एवं पाश है। चारों दिशाओं में सर्वव्यापाकता की प्रतीक उनकी चार भुजाएं है। उनका लंबोदर रूप समस्त सृष्टि उनके उदर में विचरती है। बड़े कान अधिक गृह्यशक्ति तथा आंखें सुक्ष्म दृष्टि की सूचक है। उनकी लंबी सूड महाबुद्धित्व का प्रतीक है। श्री गणेश चतुर्थी के दिन श्री विघ्नहर्ता की पूजा अर्चना और व्रत से व्यक्ति के समस्त संकट दूर होते हैं। 
श्री गणेश चतुर्थी व्रत का महत्व (Importance of Shri Ganesh Chaturthi Vrat in hindi)
श्री गणेश चतुर्थी का उपवास जो भी भक्त संपूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ करता है उस की बुद्धि और ऋषि सिद्धि की प्राप्ति होने के साथ-साथ जीवन में आने वाली विघ्न बाधाओं  का भी नाश होता है। सभी तिथियों में चतुर्थी तिथि श्री गणेश को सबसे अधिक प्रिया होती है। गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन वर्जित होता है। इस दिन चंद्र दर्शन करने से व्यक्ति पर झूठे कलंक लगने की आशंका रहती है। इसलिए इस उपवास को करने वाले व्यक्ति को अर्ध्य देते समय चंद्र की ओर ना देखते हुए नजरें नीची कर अर्ध्य देना चाहिए। 

श्री गणेश चतुर्थी पूजन 
संतान की कुशलता का कामना हुआ लंबी आयु हेतु भगवान गणेश और माता पार्वती की विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए। व्रत का आरम्भ तारों की छांव में करना चाहिए। व्रतधारी को पूरा दिन अन्न जल ग्रहण किए बिना मंदिरों में पूजा अर्चना करनी चाहिए और बच्चों की दीर्घायु के लिए कामना करनी चाहिए। इसके बाद संध्या समय पूजा की तैयारी के लिए गुड़, तिल, गन्ने और मूली का उपयोग करना चाहिए। व्रत में यह सामग्री विशेष महत्व रखती है। यह व्रत दुःख-संकटों को दूर करने तथा सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाला है। इस दिन स्त्रियां निर्जल व्रत कर गणेशजी की पूजा करती है। व्रतधारी को कथा सुनने के बाद देर शाम चंद्रोदय के समय तिल, गुड़ आदि का अर्ध्य देकर भगवान चंद्र देव से व्रत की सफलता की कामना करनी चाहिए। (Religious Fast and Festivals, Hindu vrat ewam Tyohar)

चने में विद्यमान पोषक तत्व और उनका हमारे शरीर में होने वाले फायदे

चना (Gram) भारतीय खान-पान के प्रमुख अनाजों में से है। इसे शक्तिवर्धक अनाज (Enhancing grain) माना जाता रहा है। यह तो सभी जानते हैं कि यह न सिर्फ पाचन को सही रखता है बल्कि हृदय को भी सुरक्षित रखता है। चना का प्रयोग भारत में सदियों से हो रहा है। इसे सीधे प्रयोग करने के अलावा दाल और उससे बने उत्पादों के रूप में भी होता है। इसका स्वाद तो अलग और अनोखा होता ही है साथ ही इसका प्रयोग ताकत बढ़ाने के लिए भी किया जाता रहा है। इसे अंकुरित कर के भी खाया जाता है ऐसे कई कारण हैं जिनके कारण चना को स्वास्थ्य के लिए बेहतर (Gram is good for health) माना जाता है। प्रस्तुत हैं आठ कारण जिनसे चना स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। 
Benefits of gram
1. वजन घटाने (Weight loss) के लिए : चना को प्राकृतिक रूप से वजन घटाने में सहायक माना जाता है। ऐसा इसमें फाइबर कंटेंट (Fiber content) कि अधिकता के कारण होता है। ये न सिर्फ आपके भूख को कंट्रोल करते हैं बल्कि लंबे समय तक आपके पेट को भरा भी रखते हैं। शाकाहारी (Vegetarian) लोगों के लिए यह प्रोटीन (Protein) का भी बेहतर स्त्रोत है। इससे आपके वजन को नियंत्रित (Weight management) करने में भी मदद मिलती है। 

2. शरीर में शक्ति (Power) और रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ाता है: चना में खनिज लवण (Minerals) के रूप में मैगनिज काफी मात्रा में होता है। इसके अलावा इसमें जरूरी पोषक तत्व जैसे थायमीन, मैंगीशियम और फॉस्फोरस भी पाया जाता है। मैंगीशियम शरीर में ऊर्जा के उत्पादन में प्रमुख भूमिका निभाता है। 
3. ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) सही रखता है : चना का ग्लाइसेमिक इंडेक्स लो होता है। इस कारण से यह डायबिटीज के रोगियों के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। इसके कारण  ब्लड ग्लूकोज बहुत धीमे-धीमे बढ़ता है। इसमें सोंल्यूबल फाइबर, हाइ प्रोटीन और आयरन होता है। ये तत्व भी ब्लड शूगर लेवल को मैनेज करने में मददगार हैं।

4. महिलाओं में होंर्मोंन का लेवल (Hormones level) नियमित रखता है। इससे ब्रेस्ट कैंसर (Breast cancer) और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम हों जाता है। 

5. एनिमिया होने से बचाता है : चना में आयरन इतनी मात्रा में मौजूद होता है कि यह शरीर के आयरन कि जरूरत को आसानी से पूरा करता है और एनिमिया होने से रोकता है। बच्चे और महिलाओं के एनिमिया का खतरा अत्यधिक होता है। इसी कारण से उन्हें नियमित चना का सेवन करने के लिए कहा जाता है।   

6. रक्तचाप (Blood pressure) नियंत्रित करता है: चना रक्त वाहिकाओं (blood vessels) को सामान्य करता है, जिससे हाइपरटेंशन का खतरा कम होता है। इस दलहन में पोटैशियम और मैग्नीशियम भी होता है, जो शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स को भी बैलेंस करता है। 

7. पाचन संबंधी समस्याओं से बचाता है : फाइबर की अधिक मात्रा के कारण यह पाचन तंत्र (Digestive System) और आंत को भी बेहतर बनाये रखता है। इससे पाचन संबंधी समस्याएं नहीं होती हैं। इसके पोषक तत्व कब्ज को भी दूर करता हैं। 

8. हृदय संबंधी रोगों (heart diseases) से दूर रखता है: विशेषज्ञों के अनुसार काला चना रोज खाने से कई प्रकार के हृदय संबंधी समस्याओं को कम कर देता है। इसमें मैग्नीशियम और फोंलेट भी काफी मात्रा में होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने का कार्य करते हैं।