सबसे साफ-सुथरा ग्लेशियर है - मारगेरैय ग्लेशियर (Margerie Glacier)

मारगेरैय ग्लेशियर  (Margerie Glacier): यह ग्लेशियर 21 मील (3 किलोमीटर) लंबा है। यह अलास्का  में स्थित है। यह ग्लेशियर बे नेशनल पार्क और प्रीजर्व का भी हिस्सा है। ग्लेशियर का नाम फ़्रांस के प्रसिद्ध ज्योग्राफ और ज्यूलोजिस्ट इमेनुएल डी मारगेरैय के नाम पर रखा गया है। इमेनुएल पहली बार 1913 में इस ग्लेशियर की यात्रा की थी। वह ग्लेशियर बे का मुख्य हिस्सा है जिसे 26 फरवरी 1925 को नेशनल मोन्यूमेंट घोषित किया गया था। इसे 2 दिसंबर 1980 को नेशनल पार्क एंड वाइल्ड लाइफ प्रीजर्व घोषित किया गया था। यूनेस्को ने 1986 में वर्ल्ड बायोस्फेयर रिजर्व और 1992 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट की श्रेणी में इसे रखा था। ग्लेशियर बे के अंत में स्थित मारगेरैय ग्लेशियर की चौड़ाई एक मील (1.6 किलोमीटर) तक फैली है।
मारगेरैय ग्लेशियर टाइड-वाटर ग्लेशियर की श्रेणी में आता है। इसकी ऊंचाई 350 फीट है जिसमें से 250 फुट वाटर लेवल से ऊपर है और 100 फुट वाटर लेवल से नीचे है। इसकी ऊंचाई स्टेचू ऑफ लिबर्टी से भी ज्यादा है। इसका लेयर कर्व है और इसमें रॉक और आइस मिला हुआ है। यह जिगजैग और ट्विस्टेड फॉर्म में है। किरणों को अब्सॉर्व करने की क्षमता के कारण इसका बर्फ नीले रंग का दिखता है। दूसरे अन्य ग्लेशियर के मुकाबले यह बहुत ज्यादा साफ-सुथरा है या सबसे एक्टिव ग्लेशियर है। यह कलविंग के लिए एक्टिव है। इसका मतलब होता है बर्फ की दीवार का टूट-टूट कर समुद्र में गिरना। जब यह टूटता  है, तो राइफल के चलने जैसी आवाज आती है। यह ग्लेशियर मरीन और टेरेस्ट्रीयल वाइल्ड लाइफ के लिए जाना जाता है। यह व्हेल, पक्षियों और भालू के निवास के लिए बहुत अनुकूल जगह है।
ग्लेशियर बे नेशनल पार्क प्रीजर्व विश्व का सबसे बड़ा प्रोटेक्टेड एरिया है। इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट की श्रेणी में रखा गया है। इसे यूनाइटेड नेशन के बायोस्फेयर रिजर्व मैं भी शामिल किया गया है। 1794 में जब कैप्टन वैनकोवर यहां से गुजरे थे तो यहां सिर्फ बर्फ था कोई खाड़ी (बे) नहीं थी। 80 प्रतिशत विजिटर्स ग्लेशियर को देखने के लिए क्रूज शिप की सवारी करके यहां आते हैं।

गेंहू के पौधे से कैसे पाएँ मोटापा से छुटकारा

मोटापा दूर करते हैं गेंहू के पौधे - घरेलू नुस्खे
मोटापा दूर करने के लिए लोग क्या - क्या नहीं करते हैं। कुछ लोग व्यायाम करते हैं, तो कुछ लोग इसके लिए डायटिंग के हार्ड रूल अपनाते हैं।  लेकिन प्रकृति में मौजूद अनेक खाद्य पदार्थों से भी वजन को कम  किया जा सकता है। गेंहू के छोटे पौधे इस मामले में बहुत लाभकारी है। गेंहू के छोटे पौधों के पत्ते स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार से फायदेमंद होते हैं। इसमें क्लोरोफिल एमिनो एसिड, खनिज लवण, विटामिन और विभिन्न प्रकार के एंजाइम होते हैं और डायट के लिए महत्वपूर्ण पोषक  तत्व होते हैं। यह मोटापा को घटाने का असरदार और सुरक्षित तरीका भी है।
यह आपकी खुराक को कम करता है और मेटाबॉलिज्म को बढ़ता है। इससे वजन घटता है। इसमें मौजूद क्लोरोफिल खून में मौजूद विषैले तत्वों को दूर करता है अर्थात खून को साफ करने का कार्य करता है। इससे एनर्जी में वृद्धि होती है,  जिससे काम अधिक करने की छमता भी बढ़ती है और कैलोरी बर्न होती है। इस पौधे में शुगर, कोलेस्ट्रॉल और फैटबहुत कम होते हैं। यह थायरॉयड ग्लैंड को भी स्टिम्युलेट  करने का कार्य करता है। अच्छी बात यह है कि इसे घर में भी आसानी से उगाया जा सकता है। इसका जूस बना कर इसे इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके जूस को सुबह खाली पेट पीने से काफी तेजी से फायदा होता है। 
कैसे तैयार करें गेंहू के पौधे:

दस-बारह मिटटी के गमलों में अच्छी मिटटी भरकर , उसमे प्रतिदिन बरी-बरी से उत्तम गेहूँ दाने बो दीजिए और छाया में अथवा कमरे या बरामदे में रखकर, यदा-कदा थोड़ा-थोड़ा पानी डालते जाइए।  धुप न लगे तो अच्छा है ।  जिस मिटटी में गेहूँ बोया जाए उसमे रासायनिक खाद नहीं होना चाहिए। गमलों में गोबर की खाद डालनी चाहिए।  तीन-चार दिन बाद पौधा उग जायेंगे और दस-बारह दिन में सात-आठ इंच के हो जायेंगे।  तब उसमे से पहले दिन बोए हुए 30-40 पौधों को जड़ सहित उखाड़कर जड़ को काटकर फेंक दें और बचे हुए डंठल तथा पत्तियों को जिसे गेहूँ का जवारा  (wheat grass) भी कहते है।  धोकर साफ सिल पर थोड़ा पानी के साथ पीस लें, आधे गिलास के करीब रस छानकर तैयार कर लीजिए और रोगी को तत्काल व ताजा रस रोज सवेरे पिला दीजिए ।  इसी प्रकार शाम को भी ताजा तैयार कर पिलाइये । 
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