बुद्ध पुर्णिमा (बैशाख पुर्णिमा) - Buddh Purnima (Baishakh Purnima)

बैसाख मास की पुर्णिमा (Baishakh maas ki purnima) को बुद्ध पुर्णिमा (Buddh Purnima) के रूप में मनाया जाता है। इसकी मान्यता यह है की बौद्ध धर्म (Buddhism) के संस्थापक भगवान बुद्ध (God Buddha) को बैशाख पुर्णिमा (Baishakh Purnima)  के दिन ही बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था। इस पुर्णिमा को भारतवर्ष में बुद्ध पुर्णिमा के त्योहार (Buddh Purnima ka Tyohar)  के रूप में मनाया जाता है। दुनियाभर से बौद्ध धर्म के अनुयायी (Buddhist) इस दिन बोधगया और सारनाथ में प्रार्थना (Prayer) करने आते हैं। इस समय यहाँ बहुत ही हर्षोल्लास का महौल रहता है।
Buddha Purnima
हिन्दू धर्म के अनुयायी बुद्ध को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के नौवें अवतार के रूप में मानते हैं। अतः हिंदुओं के लिए भी यह दिन पवित्र माना जाता है। दोनों ही धर्मों के लोग बुद्ध पुर्णिमा (Bauddh Purnima) को बहुत ही श्रद्धा के साथ मानते हैं। बौद्ध धर्मवलंबी (Buddhist) इस दिन श्वेत वस्त्र धरण करते हैं और बौद्ध मठों में एकत्रित होकर समूहिक प्रार्थना करते हैं। इस दिन ये व्रत-उपवास (Vrat-Upvas) रखते हैं और गरीबों को दान दिया करते हैं। 
वैसे तो प्रत्येक माह की पुर्णिमा (Purnima) श्री हरि विष्णु भगवान को समर्पित होती है। शास्त्रों में पुर्णिमा (Purnima) के दिन तीर्थस्थलों में गंगा स्नान (Ganga snan) विशेष महत्व बताया गया है। बैशाख पुर्णिमा का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है की इस पुर्णिमा को भाष्कर देव अपनी उच्च राशि मेष में होते हैं, चंद्रमा भी उच्च राशि तुला में। शास्त्रों में पूरे बैशाख में गंगा स्नान (Ganga asnan) का महत्व बताया गया है, जिसमें पुर्णिमा स्नान (Purnima asnan) सबसे फलदायी है। 

आर्कियोलॉजी में बनायें कैरियर

आर्कियोलॉजी (Archaeology): पुरानी सभ्यता एवं संस्कृति (Old civilization and culture) को जानना
Career in archaeology
आर्कियोलॉजी इतिहास विषय (History subject) से जुड़ा हुआ है, लेकिन अब इसकी पढ़ाई अलग शाखा के रूप में होती है। वैसे छात्र जिनकी इतिहास में रुचि हो, मानव विकास एवं पुरानी सभ्यताओं को जानने में रुचि रखते हैं तो उनके लिए आर्कियोलॉजी में कैरियर (career in archaeology) की संभावना काफी ज्यादा है। इस विषय से जुड़ने पर फाइदा यह होता है कि नयी चीजों को जानने का मौका मिलता है। साथ ही वेतन (Salary) भी अच्छी होती है।
क्या है आर्कियोलॉजी (What is archaeology in hindi)

पुरानी सभ्यता और संस्कृति के बारे में वैज्ञानिक नजरिये (Scientific view) से जांच-परख करना आर्कियोलॉजी कहलाता है। इसमें पुरानी सामग्री कि मदद से जानकारी हासिल कि जाती है कि प्राचीन काल में लोगों का रहन-सहन कैसा था।

आर्कियोलॉजी से संबन्धित कोर्स (Courses in archaeology)

आर्कियोलॉजी में स्नातक और स्नातकोत्तर (Graduation and Post graduation in Archaeology) स्तर के कोर्स (course) कराये जाते हैं। वैसे छात्र जिन्होंने 12वीं में इतिहास का एक विषय के रूप में अध्ययन किया हो आर्कियोलॉजी में स्नातक (Archaeology me snatak) कर सकते हैं। वहीं स्नातकोत्तर करने के लिए स्नातक कि डिग्री का होना आवश्यक है। आगे आप इस विषय में पीएचडी कि डिग्री भी हासिल कर सकते हैं।
आर्कियोलॉजी के क्षेत्र में आने वाले छात्र में कुछ व्यक्तिगत गुणों का होना भी आवश्यक है। इसमें विश्लेषणात्मक क्षमता, तार्किक क्षमता, विभिन्न भाषाओं का ज्ञान, कार्य के प्रति लगाव होने के साथ लगातार बिना थके कार्य करने के गुण का होना आवश्यक है।

आर्कियोलॉजी के लिए कुछ प्रमुख शिक्षण संस्थान (Educational Institutes for Archaeology)

आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय
दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ हेरिटेज रिसर्च एंड मैनेजमेंट
कर्नाटक यूनिवेर्सिटी इत्यादि

रोजगार के क्षेत्र
पुरालेखन विभाग, पुरातत्व विभाग, शिक्षण संस्थान, प्राइवेट बिजनेस एजेंसी, ह्यूमन एंड हैल्थ सर्विस ऑर्गनाइज़ेशन, आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया

आर्कियोलॉजिस्ट कि मांग वर्तमान में तेजी से बढ़ रही है। सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में आर्कियोलॉजिस्ट को रखा जा रहा है। इन दिनों कॉर्पोरेट घराने भी आर्कियोलॉजिस्ट कि नियुक्ति कर रहे हैं। कई क्षेत्रों में रिसर्च के लिए भी इनकी मांग होती है। आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया (Archaeology Survey of India) में आर्कियोलॉजिस्ट पदों के लिए संघ लोक सेवा आयोग हर वर्ष परीक्षा आयोजित करता है।