आंखों का फूला, जाला



आंखों का फूला, जाला



          इस रोग में रोगी को ऐसा महसूस होता है जैसे कि मानो आंखों के आगे छोटी-छोटी फिटिंगियां या छोटा सूत जैसा कुछ धूल कण उड़ रहा है।परिचय :

जाला पड़ने का कारण :

                पुराना बुखार, अधिक सेक्स क्रिया, खून की कमी आदि कई कारणों से यह रोग होता है। यह रोग शरीर में अधिक कमजोरी आने के कारण से भी हो सकता है।
विभिन्न औषधियों से उपचार:
1. अरण्डी का तेल : 30 मिलीलीटर अरण्डी के तेल में 25 बूंद कारबोलिक एसिड को मिलाकर सुबह-शाम दो-दो बूंद आंखों में डालें। इससे आंखों के फूला, जाला आदि में लाभ मिलता है।
2. हल्दी :
  • 5-5 ग्राम शुद्ध शोराकलमी और अम्बा हल्दी को पीसकर कपडे़ में छानकर आंखों में 7 दिनों तक लगातार सलाई से लगाएं।
  • हल्दी के एक टुकड़े को नींबू में सुराख करके अंदर रख दें। नींबू को धागे से बांधकर लटका दें। नींबू जब सूख जाये तो उसमें से हल्दी को निकालकर और पीसकर पानी में मिलाकर आंखों में सुबह-शाम लगाने से आंख के जाले में रोगी को लाभ होगा।
3. आलू : कच्चे आलू को पत्थर पर पीसकर उसका रस निकाल लें। इस रस को सुबह-शाम काजल की तरह आंखों में लगाने से 5-6 साल पुराना जाला और 4 साल तक का फूला 3 महीने में साफ हो जाता है।
4. प्याज :
  • रूई की बत्ती को प्याज के रस में भिगोकर सुखा लें। इसे तिल के तेल में जलाकर लगाने से आंखों का जाला (आंखों की पुतली पर पैदा हुआ सफेद जाला) दूर होता है।
  • प्याज का रस गुलाब जल में मिलाकर आंखों में डालने से जाला दूर हो जाता है।
5. मूली : मूली का पानी आंख का जाला व धुंध को दूर करने में सहायक है।
6. कांकड़ : कांकड़ के पेड़ की एक हाथ लम्बी पतली टहनी को मुंह में रखकर जोर से सांस छोड़ना चाहिए इस तरह करने से जो रस बाहर निकले, उसे 3 दिन तक आंख में डालना चाहिए।
7. कपूर : बड़ के दूध में कपूर को पीसकर लगाने से 2 महीने की फूली भी बैठ जाती है।
8. कटेरी : कटेरी की जड़ को नींबू के रस में घिसकर आंखों में लगाने से धुन्ध और जाला मिटता है।
9. नीम : नीम के सूखे फूल, कलमीशोरा को बारीक पीसकर कपड़े में छानकर आंखों में काजल के रूप में लगाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है तथा रतौंधी (शाम को दिखाई बंद होना) में कच्चे फल का दूध आंखों में लगा सकते हैं।
10. धनिया : हरी धनिया के पत्तों का रस निकालकर प्रतिदिन 3-4 बार आंखों में डालते रहने से उनकी गर्मी शांत हो जाती है तथा जलन, धुंध, लाली, दर्द आदि में फायदा होता है।

रतौंधी ratondhi



रतौंधी   ratondhi



         बचपन में बच्चों को अच्छा और पौष्टिक भोजन न मिल पाने के कारण उनमें शारीरिक कमजोरी आ जाती है जिससे आंखों की रोशनी भी कम हो जाती है। बच्चों को स्कूल में ब्लैकबोर्ड पर लिखे अक्षर देखने में भी बहुत परेशानी होती है।परिचय :  

लक्षण :

विभिन्न औषधियों से उपचार:
1. अपामार्ग (चिरचिटा) :
2. आंवला :
3. मुलहठी : 3 ग्राम मुलहठी, 8 मिलीलीटर आंवले का रस और 3 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को एक साथ मिलाकर रोजाना सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है।
4. घास : रोजाना सुबह सूरज निकलने से पहले गीली घास पर नंगे पैर चलने से आंखों की रोशनी तेज होती है।
5. कालीमिर्च :
6. नौसादर : 1 ग्राम नौसादर को 3 ग्राम असली सिंदूर में अच्छी तरह मिलाकर शीशी में भरकर शहद में मिलाकर सलाई से आंखों पर लगाने से रतौंधी की बीमारी समाप्त हो जाती है।
7. तुलसी :
8. अनार : अनार के रस को निकालकर किसी साफ कपड़े से छानकर 2-2 बूंद आंखों में डालने से 2 से 3 हफ्तों में ही रतौंधी रोग कम होने लगता है।
9. असली शहद : असली शहद को सलाई से आंखों में लगाने पर रतौंधी की बीमारी में आराम आता है।
10. सिरस :
11. पान :
12. आबनूस : आबनूस की लकड़ी को सिल पर पीसकर सौंफ के रस में मिलाकर (चंदन की तरह) आंखों में लगाने से रतौंधी रोग दूर हो जाता है। यह परवाल (पलकों के बाल आंखों के अंदर की होना) में भी उपयोगी होता है।
13. जीवन्ती : जीवन्ती (डोडी) का साग (सब्जी) घृत (घी) के साथ पकाकर खाने से रतौंधी रोग में आराम आता है।
14. सौंठ : सौंठ, कालीमिर्च या छोटी पीपर में से किसी भी एक को लेकर पीसकर और शहद में मिलाकर आंखों में लगाने से रतौंधी रोग समाप्त हो जाता है।
15. अरीठा : अरीठे को पानी के साथ पीसकर रोजाना 2 से 3 बार आंखों में लगाने से रतौंधी रोग दूर हो जाता है।
16. रीठा :
17. इतरीफल : 10 ग्राम इतरीफल जमानी को रात को सोते समय पानी से लें।
18. बर्शाशा : दर्द होने पर 2 ग्राम बर्शाशा पानी के साथ लेने से आराम आता है।
19. मक्खन : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में जस्ता की भस्म (राख) मक्खन, मलाई या शहद के साथ सुबह और शाम को दें। इसे आंखों में लगाने से पैत्तिक, गर्मी के कारण उत्पन्न हुआ रतौंधी रोग दूर होता है।
20. खमीरा : लगभग 3 से 6 ग्राम खमीरे गावजवार (अम्बरी) को रोजाना 2 से 3 बार गाय के दूध के साथ अथवा 10 ग्राम खमीरे गावजवान और चंदी के वर्क को मिलाकर, 120-120 मिलीलीटर गावजवान रस के साथ या ताजे पानी के साथ सुबह और शाम दिया जाए तो हृदय (दिल) से पैदा हुई बीमारी दूर होती है और दिमागी बीमारी दूर होने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है।
21. करेला : करेले के पत्तों के रस में कालीमिर्च को पीसकर आंखों में लगाने से 3 से 4 दिनों में ही रतौंधी रोग दूर होता है।
22. त्रिफला : त्रिफला के पानी से रोजाना सुबह-शाम आंखों और सिर को अच्छी तरह से धोना चाहिए।
23. केला : केले के पत्तों के रस को आंखों में लगाने से रतौंधी रोग समाप्त हो जाता है।
24. लौंग : लौंग को बकरी के मूत्र में घिसकर आंखों पर लगाने से रतौंधी में लाभ होता है।
25. शहद :
26. दही : दही के पानी में कालीमिर्च को पीसकर आंखों में काजल की तरह लगाने से इस रोग में आराम आता है।
27. अदरक : अदरक और प्याज के रस को मिलाकर सलाई से दिन में 3 बार आंखों में डालने से रतौंधी का रोग दूर हो जाता है।
28. कसौंदी : कसौंदी के फूल को पानी के साथ पीसकर रोजाना दिन में 3 बार आंखों में काजल की तरह लगाएं।
29. तम्बाकू : देशी तम्बाकू के सूखे पत्तों को पीसकर कपड़े में छानकर सलाई से सुबह और शाम को आंखों में लगाने से रतौंधी में आराम मिलता है।
30. आम : रोजाना सुबह-शाम पके हुए आमों को खाने से या उसका रस पीने से शरीर में विटामिन `ए´ की कमी पूरी हो जाती है और रतौंधी में आराम मिलता है।
31. टमाटर :
32. ग्वारफली :
33. धनिया :
34. गाजर :
35. पानी : ठंडे पानी के अंदर डुबकी लगाकर पानी में देखने से दिन में साफ दिखने लगता है। 
36. जीरा :
37. दूधी : छोटी दूधी में सलाई को भिगोकर रतौंधी के रोगी की आंखों में सलाई को अच्छी प्रकार से फिरायें। इससे कुछ देर बाद आंखों में बहुत दर्द होगा जो 3 घण्टे के बाद समाप्त हो जाएगा। एक बार में ही रतौंधी (रात को दिखाई न देना) का रोग जड़ से चला जाएगा।
38. प्याज :
39. शतावर : शतावर के मुलायम पत्तों की सब्जी घी में बनाकर कुछ सप्ताह सुबह-शाम सेवन करते रहने से यह रोग खत्म हो जाता है।
40. सौंफ : गाजर के रस में हरी सौंफ का रस मिलाकर सेवन करने से रात में दिखाई नहीं देना (रतौंधी) समाप्त होता है। इससे आंखों की ज्योति (रोशनी) भी तेज होती है।
41. बेल : बेल के पत्ते 10 ग्राम, गाय का घी 6 ग्राम और कपूर 1 ग्राम तांबे की कटोरी में इतना रगड़ें की काला सुरमा बन जाये। इसे आंखों में लगायें और सुबह गाय के पेशाब से आंखों को धो लें। इससे रतौंधी से पीड़ित रोगी को आराम मिलता है।