आगन्तुक ज्वर





आगन्तुक ज्वर



           आगन्तुक ज्वर (बुखार) विभिन्न प्रकार के होते हैं-परिचय :

पहला- विषज्वर (यह स्थावर या जंगम विष के कारण पैदा होता है)।
दूसरा- औषध गन्ध ज्वर (किसी तेज दवा को सूंघने के कारण होता है)। तीसरा- कामज्वर (सेक्स में बाधा के कारण पैदा होने वाला बुखार)।
चौथा- भयज्वर (किसी भी कारण भय से उत्पन्न होने वाला बुखार)।
पांचवा- क्रोधज्वर (अधिक गुस्सा करने से होने वाला बुखार)।
छठा- भूतज्वर (भूत-प्रेत आदि के कारण उत्पन्न होने वाला बुखार)।
सातवां- अभिचारज्वर (किसी तान्त्रिक-प्रयोग के कारण उत्पन्न होने वाला ज्वर)।
विभिन्न औषधियों से उपचार :
2. औषधगन्ध ज्वर : यह बुखार किसी तेज दवा या अन्य वायु की तेज गन्ध या दुर्गन्ध को सूंघने के कारण उत्पन्न होता हैं। इस बुखार में रोगी के सिर में दर्द, उल्टी, छींक तथा हिचकी आती है। रोगी का चेहरा फीका (मुरझाया हुआ चेहरा) सिकुड़ा हुआ-सा हो जाता है। रात के समय घबराहट, प्यास तथा गर्मी बढ़ जाती हैं। रोगी की नाड़ी की गति 90 से 120 तक हो जाती है। खूनी दस्त, प्रलाप, तिल्ली (प्लीहा), जिगर (लीवर) और शरीर पर लाल रंग के चकत्ते हो जाते हैं। 20 से 30 दिन तक इस बुखार में `टाइफाइड बुखार´ के लक्षण होने का डर लग रहता है। औषधगन्ध बुखार में उपचार करने के लिए एरण्ड के तेल का जुलाब दे सकते हैं और ``सर्वगन्ध काढ़ा´´ और अष्टगन्ध की धूनी का प्रयोग कर सकते हैं।
विशेष :

कुकूणक (Kukoonak)


कुकूणक


हिंदीकिथैवा
अंग्रेजीकंजक्टिवाइटिस
कन्नड़मवकल अरेगन्नु
मलयालमकुटि्टकलकुल्लकन्नुनोवु
असमकुकुणक
मराठीकुकुणव
तमिलयोगिनिसवी थविथम्
तमिलयोगिनिसवी थविथम्
तेलगूआविरी
विभिन्न भाषाओं में नाम :

लक्षण :

1. आमलकी फल : आमलकी फल त्वक (चूर्ण), लकुच फल और जम्बू के पत्तों के काढ़े से आंखों को धोना चाहिए।
2. पिप्पली : बराबर मात्रा में लिए गए 7 से 14 मिलीलीटर हरीतकी फल त्वक् द्राक्षा और पिप्पली फल के काढ़े को बच्चे को दूध पिलाने वाली मां को दिन में 2 बार देना चाहिए।
3. पटोलफल : बराबर मात्रा में 7 से 14 मिलीलीटर पटोलफल, मुस्तकमूल, द्राक्षा, गुडूची का तना और त्रिफला का काढ़ा बच्चे को दूध पिलाने वाली मां को दिन में 2 बार देना चाहिए।  
4. मुस्तकमूल : मुस्तकमूल, हरिद्रा प्रकन्द (हल्दी), दारूहल्दी की छाल और पिप्पली फल को पानी में पीसकर उसका लेप बनाकर बच्चे को दूध पिलाने वाली मां के स्तनों पर लेप करना चाहिए।