कान का बहना kaan ka bahna

कान का बहना

          कई कारणों से कानों में अक्सर फुंसियां हो जाती है और यही फुंसियां जब पककर फूट जाती हैं तो उनमें से मवाद निकलने लगता है। कभी-कभी फुंसियों का जख्म जल्दी न भरने के कारण उनमें से काफी समय तक मवाद बहता रहता है।परिचय :

 

विभिन्न भाषाओं में नाम :

हिन्दी

कान बहना।

अंग्रेजी

आटोरिहया।

पंजाबी

कन्नवगणा, कान्न बहणा।

गुजराती

कानमाथी पायु मदवो।

उड़िया

कामारु पानी बोनिबा।

मलयालम

चेवि ओलिप्पु।

तेलगु

चेविलोचुमु।

अरबी

कानबया।

मराठी

कानातुपानी वाणे।

कन्नड़

किसिवसौरुवुदु।

तमिल

कादुक्कसिवु।

कारण : 

          कान में खुजली होने या कान में से मैल निकालने के लिये कान में तीली या कोई और चीज से कान को खुजलाने के कारण कान में जख्म बन जाता है। जख्म की वजह से कान में सूजन आ जाती है और उसके फूटने पर उसमें से मवाद बहने लगता है। कभी-कभी कान में चोट लग जाने की वजह से भी कान में से मवाद बहने लगता है। कई अनुभवियों और चिकित्सकों के मुताबिक वात (गैस) रोग के कारण भी कान में से मवाद बहने लगता है। जब पित्त के रोग के कारण कान में से मवाद बहता है तो उसका रंग पीला होता है। कफ (बलगम) के कारण कान में बहुत तेज खुजली होती है और उसके अन्दर से सफेद रंग का गाढ़ा मवाद बहता है।

लक्षण :

2. मानकन्द : मानकन्द (मानकचू) के फल को भूनकर उसका रस निकाल लें। इस रस की 2-3 बूंदें रोजाना कान में डालने से लाभ मिलता है।
3. सरसो :
4. तिल : 10 मिलीलीटर तिल के तेल और 40 मिलीलीटर हुलहुल के रस को एक साथ मिलाकर आग पर पकाने के लिये रख दें। पकने के बाद जब बस तेल ही बाकी रह जाये तो इसे आग पर से उतारकर छान लें। इस तेल को कान में डालने से कान में से मवाद बहना बन्द हो जाता है।
5. कली का चूना : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग कली के चूने को गाय के पेशाब में मिलाकर कान में डालें और दवाई डालें कान को ऊपर की ओर करके लेट जाएं ताकि दवा बाहर ना निकल पाये। लगातार 3 दिन तक ऐसा करने से कान में से मवाद बहना बन्द हो जाता है।
6. हुरहुर : कान को अच्छी तरह से साफ करके उसके अन्दर सफेद हुरहुर के पत्तों का रस डालने से कान से मवाद बहना ठीक हो जाता है। ध्यान रहे कि कभी-कभी इसको कान में डालने से जलन भी होती है।
7. जूही : जूही के पत्तों को पकाकर बनाये हुए तेल की 2 से 4 बूंदें कान मे डालने से लाभ मिलता है।
8. माजूफल :
9. हल्दी :
10. प्याज :
11. बछिया : कान में से अगर मवाद बहता हो तो कान के अन्दर बछिया का ताजा पेशाब डालने से कान में से मवाद बहना बन्द हो जाता है।
12. फिटकरी :
13. सिंदूर : 10 ग्राम सिंदूर और 1 कली लहसुन की लेकर लगभग 60 मिलीलीटर तिल्ली के तेल में डालकर आग पर पकाने के लिये रख दें। जब पकने पर लहसुन जल जाये तो इस तेल को आग पर से उतारकर छान लें और एक शीशी में भर दें। इस तेल की 2 बूंदें रोजाना कान में डालने से कान से मवाद बहना, खुजली होना और कान में दर्द होना आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
14. दूब : हरी दूब (घास) के रस को छानकर 2 से 3 बूंद रोजाना 3 से 4 बार कान में डालने से मवाद बहना और बहरापन ठीक हो जाता है।
15. केला : केले के पत्तों के रस में समुद्री फेन मिलाकर कान में डालने से कान में से मवाद बहना बन्द हो जाता है।
16. कायफल : कायफल को पकाकर तेल बना लें। इस तेल को 3 से 4 बार कान में डालने से कान के रोग में लाभ होता है। यह दवाई कान में डालने से पहले कान को अच्छी तरह से साफ कर लें।
17. चमेली : 500 मिलीलीटर चमेली के पत्तों के रस को 100 मिलीलीटर तिल के तेल में मिलाकर पकाने के लिए आग पर रख दें। जब पकने पर रस बिल्कुल जल जाये तो बचे हुये तेल को छानकर शीशी में भरकर रख लें। इस तेल को बूंद-बूंद करके कान में डालने से कान में से मवाद बहना बन्द हो जाता है।
18. निर्गुण्डी : निर्गुण्डी के तेल की 2-2 बूंदे कान में डालने से कान में से मवाद बहने के रोग से छुटकारा मिलता है।
19. जामुन : जामुन और आम के मुलायम हरे पत्तों के रस में शहद मिलाकर बूंद-बूंद करके कान में डालने से कान में से मवाद बहना बन्द हो जाता है।
20. आम : 15-15 ग्राम आम और जामुन के पत्ते, मुलहठी और वटवृक्ष के पेड़ के पत्तों को लेकर 400 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। उबलने के बाद जब करीब 45 मिलीलीटर काढ़ा बाकी रह जाये तो उसे 100 मिलीलीटर सरसो के तेल में मिलाकर पका लें। इस तेल को छानकर बूंद-बूंद करके कान में डालने से कान में से मवाद बहना ठीक हो जाता है।
21. रसौत : रसौत को स्त्री के दूध के साथ पीसकर उसके अन्दर शहद और घी मिलाकर कान में डालने से बदबू के साथ मवाद आना बन्द हो जाता है।
22. कत्था : कान को अच्छी तरह से साफ कर लें। फिर कत्थे को पानी में मिलाकर गुनगुना करके बूंद-बूंद करके कान में डालने या कत्थे का चूर्ण कान में डालने से कान में से मवाद का बहना ठीक हो जाता है।
23. बच : 10 ग्राम बच के चूर्ण को 50 मिलीलीटर तिल के तेल में डालकर पका लें। फिर उसमें 3 ग्राम कपूर मिलाकर छानकर रख लें। इस तेल को बूंद-बूंद करके कान में डालने से कान का दर्द तथा मवाद आना बन्द हो जाता है।
24. दारूहल्दी : दारूहल्दी के बारीक चूर्ण को कान में रोजाना थोड़ा-थोड़ा डालने से कान में से मवाद बहना बन्द हो जाता है।
25. शहद :
26. समुद्रफेन : समुद्रफेन को बिल्कुल बारीक पीसकर उसका चूर्ण बनाकर कान में छिड़कने से कान में से मवाद बहना बन्द हो जाता है।
27. अमलतास :
28. चूना : चूने के पानी में बराबर मात्रा में दूध मिलाकर कान में डालने से कान में से मवाद बहना बन्द हो जाता है।
29. मेथी : मेथी के दानों को दूध में भिगो लें। फिर इनको दूध में से निकालकर पीस लें और गुनगुना करके कान में डालने से कान में से मवाद बहना बन्द हो जाता है।
30. सहजना : सहजने के गोंद को पीसकर जरा-सी मात्रा में कान में डालने से कान में से मवाद बहना बन्द हो जाता है।
31. सूरजमुखी : तेल में सूरजमुखी के पत्तों का रस मिलाकर कान में डालने से कान में से मवाद बहना बन्द हो जाता है।
32. शाल : शाल के पेड़ की छाल को लेकर पीस लें। फिर उसे सरसों के तेल में डालकर अच्छी तरह से पका लें। इस तेल को कान में डालने से कान में से मवाद बहना बन्द हो जाता है।
33. सिनुआर : सिनुआर (निर्गुण्डी) के पत्तों और जड़ को मिलाकर पकाए हुए तेल को रोजाना कान में डालने से मवाद बहना बन्द हो जाता है।
34. सोनपत्ता : सोनपत्ता (सोनापाढ़ा) के पेड़ की छाल को पकाकर बने हुए तेल को साफ करके बूंद-बूंद करके कान में डालने से कान से मवाद बहना ठीक हो जाता है।
35. राई :
36. इन्द्रजौ : इन्द्रजौ के पेड़ की छाल का चूर्ण कपड़े से छानकर कान में डालें और इसके बाद मखमली के पत्तों के रस की कुछ बूंदें कान में डालें। इससे लाभ मिलेगा।
37. नींबू :
38. खैर : सफेद कत्थे का बारीक पाउडर गरम पानी में मिलाकर और उसकी पिचकारी के द्वारा धारा बनाकर कान में डालने के बाद कान साफकर लें और धो लें। इससे कान बहना बन्द हो जाता है।
39. लहसुन :
40. लोध्र : कान में लोध्र की छाल का बारीक चूर्ण बनाकर छिड़कने से कान का दर्द दूर होता है।
41. बबूल : बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर कान में डालने से लाभ मिलता है इसके बाद एक सलाई लेकर उसमें बारीक कपड़ा या रूई लपेटकर धीरे-धीरे कान में इधर-उधर घुमाना चाहिए और फूली हुई फिटकरी को थोड़ा सा पानी मिलाकर कान में डालना चाहिए। इससे कान से मवाद बहना बन्द हो जाता है।

कान का जख्म kaan ke jakham