टीके से उत्पन्न दोष (Vaccination Infection)

टीके से उत्पन्न दोष


          बहुत से रोगों से बचाव के लिए अनेक टीके बनाये गये हैं। कभी-कभी इन टीकों को लगाने से कई रोग उत्पन्न हो जाते हैं और रोगी को चिकित्सा की आवश्यकता पड़ जाती है।परिचय
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लक्षण :

1. चूना : चूने को हल्दी में मिलाकर लेप करने से टीके का घाव ठीक हो जाता है।
2. सज्जीखार : टीके के घाव को ठीक करने के लिये सज्जीखार में हल्दी मिलाकर रोजाना सेवन करने से घाव ठीक हो जाता है।
3. लहसुन : 30 मिलीलीटर लहसुन के रस को 40 मिलीलीटर पानी में मिलाकर टीके के घाव को धोने से घाव सही हो जाता है। इससे घाव का दर्द भी दूर हो जाता है।
4. बांस : बांस की नई पत्तियों (कोपल) को पीसकर टीके के कारण हुए घाव पर लेप करने से घाव जल्दी सही हो जाता है।
5. मुलहठी : मुलहठी को पीसकर घी में मिलकर जहां टीका पक गया हो वहां लेप करें। इससे पका हुआ टीका सही हो जाता है।
6. कबीला : कबीला को तिल के तेल में मिलाकर टीके से बने घाव पर लगाने से घाव सही हो जाता है।
7. तुम्बरू : लगभग आधा ग्राम से एक ग्राम तुम्बरू (तेजफल) के चूर्ण का सेवन करने से पका हुआ टीका सही हो जाता है।
8. धनिया : धनिये के चूर्ण को जौ के आटे के साथ मिलाकर टीके के स्थान पर बांधने पर टीके के कारण उत्पन्न सूजन मिट जाती है।
9. हरीतकी : टीका लगे हुए स्थान पर हरीतकी को पानी में पीसकर शहद को मिलाकर प्रतिदिन लेप करने से पके हुए टीके के जख्म में लाभ होता है।
10. लोध्र : लगभग आधा ग्राम से एक ग्राम लोध्र का सेवन करने या धोने से टीका लगने के कारण हुआ घाव दूर हो जाता है।
11. कायफल :
12. तिल : लगभग आधा ग्राम से एक ग्राम तिल के रस को छाछ (लस्सी) के साथ सुबह-शाम सेवन करने से टीका पकने के कारण बना घाव भर जाता है।
13. सोंठ : भोजन करने के बाद सोंठ, राई और हरड़ की चटनी बनाकर खाने से टीके के कारण पका हुआ जख्म ठीक हो जाता है

अधिक गर्मी लगना Feeling over heat

अधिक गर्मी लगना


          गर्मी के मौसम में बेचैनी का अनुभव होने पर मानसिक और शारीरिक रूप से मनुष्य कमजोर हो जाता है। ऐसी स्थिति में रोगी को शान्ति नहीं मिलती है। इस तरह के रोग अधिक गर्मी के कारण या लू लगने के कारण से होते हैं।परिचय
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1. सौंफ :
2. चंदन : गर्मी के दिनों में शरीर की गर्मी दूर करने के लिए 20 ग्राम चंदन घिसकर, मिश्री मिलाकर, शर्बत बनाकर पीने से मानसिक शान्ति मिलती है।
3. गूलर :
4. शर्करा : गर्मी के दिनों में शरीर की गर्मी व जलन दूर करने के लिए गम्भारी के फल का गूदे का ठंड़ा शर्बत बनाकर उसमें शर्करा मिलाकर पीने से लाभ होता है।
5. रतनपुरुष : गर्मी के मौसम में गर्मी से बचने के लिए 5 से 10 ग्राम रतनपुरुष की जड़ और मिश्री को मिलाकर रोजाना सुबह-शाम पानी के साथ लेने से मन में शान्ति और शरीर में शीतलता का अनुभव होता है।
6. गुलकन्द :
7. नींबू : गर्मी के मौसम में अधिक प्यास लगने पर जंभारी या कागजी नींबू के रस को मिलाकर बना शर्बत बहुत ही उपयोगी होता है। इससे शरीर की गर्मी भी दूर होती है।
8. इमली : अगर किसी को गर्मी के कारण या किसी बीमारी के कारण प्यास अधिक लगे तो उसको इमली के बीजों को पीसकर 1 से 3 ग्राम प्रतिदिन 2 से 3 बार पानी के साथ पिलायें। इससे प्यास कम लगेगी और शरीर को नमी के कारण गर्मी कम लगती है।
9. कतीरा : अगर शरीर को अधिक गर्मी महसूस हो तो उसके लिए कतीरा को पानी में भिगोकर मिश्री मिले शर्बत के साथ घोटकर सुबह-शाम सेवन करने से कम गर्मी लगती है।
10. संतरा : संतरे का रस 20 से 40 मिलीलीटर पानी में सही मात्रा मिलाकर पीने से शरीर को कम गर्मी लगती है। इससे शरीर को कम गर्मी लगने के अलावा सिर का दर्द भी बन्द हो जाता है।
11. आंवला : गर्मी में ऑवले का शर्बत पीने से बार-बार प्यास नहीं लगती तथा गर्मी के रोगों से बचाव होता है।
12. केवड़ा : गर्मी से पैदा रोगों पर केवडे़ के पत्तों के रस में जीरा पीसकर चीनी मिलायें और सात दिनों तक पीते रहें।
13. अनार : शक्कर की चाशनी में अनारदानों का रस डालकर कपडे़ से छान लें। आवश्यकता होने पर 20 मिलीलीटर शर्बत, 20 मिलीलीटर पानी के साथ पी लें। इससे उष्णपित्त नष्ट हो जाता है।
14. नारियल : नारियल के तेल में पानी को अच्छी तरह मिलाकर सिर व पैरों के तलुवों पर मालिश करने से शरीर की गर्मी धीरे-धीरे शान्त होती है।
15. टमाटर : जिन सब्जियों का स्वभाव गर्म होता है, उनमें टमाटर मिलाकर खाने से उनका स्वभाव ठंड़ा हो जाता है। टमाटर को गर्मी में भी खाएं। कच्चा टमाटर सेवन करने से त्वचा की खुश्की समाप्त होती है। यह गर्मी को दूर करता है।
16. अरीठे : अरीठे का फेन दिन में दो-चार बार लगाकर मलना चाहिए। इसके बाद गरम पानी से धो लेना चाहिए।