आपके शरीर को कितना कैल्सियम चाहिए

कमजोर हड्डी और जोड़ों का दर्द कई बार सही डायट नही मिलने से भी होता है, ये समस्याएं अगर आपके साथ हैं, तो सतर्क हो जाएं।  यह कैल्शियम की कमी से भी हो सकता है।

कैल्शियम प्रमुख पोषक तत्व है, इसकी कमी से अनेक रोग होते हैं, कार्बन, हाइड्रोजन और नाईट्रोजन के बाद शरीर में कैल्शियम की मात्रा सबसे अधिक होती है। 90% कैल्शियम हड्डियों व दांतों में पाया जाता है। कुछ मात्रा रक्त में भी होती है।

क्या है इसका कार्य: इससे सिर्फ हड्डियां ही नहीं मजबूत होती हैं, बल्कि यह हाइ बीपी, डायबिटीज़ और कैंसर से बचने के लिए भी जरूरी है। इसकी सहायता से नर्वस सिस्टम की मांसपेशियां गतिशील होती हैं। रक्त में घुला कैल्शियम कोशिकाओं को सक्रिय रखता है, गर्भस्थ शिशु की हड्डियों के विकास के लिए गर्भवती को कैल्शियमयुक्त पदार्थो का सेवन करना चाहिए। डॉक्टर की सलाह से कैल्शियम की गोलियों का भी सेवन करना चाहिए। बच्चों के दांत निकलते समय उन्हें प्रयाप्त दूध और उससे बनी चीजें देनी चाहिए। टीनएजर्स के शारीरिक विकास के लिए भी अधिक कैल्शियम जरूरी है।

हर किसी की जरूरत अलग: 30 वर्ष तक हड्डियां विकसित हो जाती हैं, 40 वर्ष के बाद स्त्रियों में मेनोपोज की अवस्था आती है। इस समय उन्हें प्रतिदिन 1300 मिग्रा कैल्शियम की जरूरत होती है। ऐसे में इसकी कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।

विटामिन डी भी जरूरी: ग्रहण किये गये कुल कैल्शियम का 30% ही मेटाबोंल्जिम के जरिये हम तक पहुंचता है। बाकी कैल्शियम शरीर से बाहर निकल जाता है।  कैल्शियम के अवशोषण और पाचन के लिए फॉस्फोरस और विटामिन डी की भी होता है। इसलिए इसे अलग से नहीं लेना पड़ता। विटामिन डी के लिए रोजाना सुबह हल्की धूप में बैठना चाहिए।

इनसे मिलेगा भरपूर कैल्शियम : दूध और उससे बनी चीजों में इसकी भरपूर मात्रा होती है। एक गिलास दूध में 300 मिग्रा कैल्शियम होता है। सफेद रंग के सभी फलों और सब्जियों जैसे-केला, नारियल, शरीफा, अमरूद, गोभी और मुली आदि में काफी कैल्शियम होता है। जिन्हें दूध और डेयरी प्रोडक्ट पसंद नहीं, वे भोजन में रागी और गुड़ शामिल करें। ब्रोकली, पालक और सी फूड भी इसके अच्छे स्त्रोत हैं। तिल और हिलसा मछली में कैल्शियम और विटामिन डी दोनों होते हैं। सोया मिल्क और संतरे में भी यह होता है।

उम्र के अनुसार डोज : कैल्शियम की जरूरत उम्र और अवस्था के आधार पर होती है। खास कर गर्भावस्था और बीमारी में इसपर ज्यादा ध्यान रखना चाहिए।

नवजात के लिए
0-6 महीने   200 मिग्रा
7-12 महीने  260 मिग्रा

बच्चों और किशोर के लिए
1-3 साल   700 मिग्रा
4-8 साल   1000 मिग्रा
9-18 साल   1,300 मिग्रा

वयस्क के लिए
19-50 साल   1000 मिग्रा
50-70 साल के पुरुष  1000 मिग्रा
50-70 औरत   1,200 मिग्रा

गर्भवती और स्तनपान करानेवाली महिलाओं के लिए
14-18 साल   1300 मिग्रा
19-50 साल    1000 मिग्रा

अधिक कैल्शियम है खतरनाक :  कई बार लोग कैल्शियम सप्लिमेंट ले लेते हैं, जो घातक हो सकता है। इसमें मांसपेशियां जकड़ जाती हैं और तेज दर्द होता है। अतः बिना डॉक्टर की सलाह के इसे न लें। कैल्शियम की जांच के लिए हर छह महीने में बिएमडी टेस्ट कराएं।