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यदि गर्भधारण में समस्या आ रही है तो ये जाँच अवश्य कराएं

जीवन शैली में परिवर्तन के साथ आज महिलाओं में बांझपन (Infertility)  की समस्या भी काफी बढ़ रही है। लगभग 20-25 प्रतिशत दंपति इस समस्या से ग्रसित है। समय के साथ यह समस्या बढ़ती ही जा रही है जिसका एक कारण यह भी है की समय रहते ये दंपति डॉक्टर से संपर्क नहीं करते हैं और न ही इससे संबन्धित जाँच ही समय रहते कराते हैं, इसके कारण उनके रिश्ते और मानसिक स्वास्थ्य दोनों प्रभावित होते हैं।। यदि समय पर दंपति का शारीरक जाँच हो तो इस समस्या से बचा जा सकता है। 

एक तिहाई मामलों में बांझपन (Infertility) के लिए महिलाओं के शरीर के कई रोग ज़िम्मेवार होते हैं। अतः इसके लिए महिलाओं को शारीरक जाँच भी कई करवाने पड़ सकते हैं। शादी के एक साल तक दंपति को गर्भधारण (Pregnancy) की कोशिश करनी चाहिए। यदि एक साल के बाद भी गर्भधारण में किसी भी प्रकार की समस्या आ रही हो अथवा गर्भधरण (Pregnancy) नहीं कर पा रही है तो दंपति को तुरंत किसी अच्छे स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लेनी चाहिए। 

कब कराएं बांझपन (Infertility) से संबन्धित जाँच (Test)

अधिकतर देखा गया है कि बहुत से दंपति इंतजार में ही समय बर्बाद करते हैं। यह भी देखा गया है की कई दंपति वैवाहिक जीवन के शुरुआती कुछ सालों में गर्भधारण नहीं करना चाहते हैं। ऐसे स्थिति में यदि उस दंपति में किसी भी प्रकार के गर्भधारण (Pregnancy) संबन्धित समस्या मौजूद होती है तो या तो वह बढ़ जाती है या फिर उसका समय रहते जाँच एवं इलाज नहीं हो पता है। 

बांझपन के जांच की शुरुआत डॉक्टर एचएसएफ यानि हसबैंड सिमेन फ्लूड की जांच से शुरू कराते हैं क्योंकि यह बहुत ही मामूली जांच है, जिसमें मामूली सा खर्च आता है और एक तिहाई जोड़े में इसी में खराबी पायी जाती है। इसके बाद ही स्त्री की जांच होती है। महिलाओं से संबन्धित कुछ प्रमुख जांच इस प्रकार हैं 

कंप्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी): इस जांच से शरीर में रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स का पता चलता है। इससे कई प्रकार के इन्फेक्शन, एनीमिया और रक्त से जुड़ी अन्य समस्याओं की पहचान में मददगार है। इस जांच से आइवीएफ में भी सहायता मिलती है।

ब्लड शूगर: रेंडम ब्लड शूगर पहले किया जाता है। इसमें गड़बड़ी पाये जाने पर, खाली पेट और खाने के 2 घंटे बाद टेस्ट करते हैं । यह भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि ब्लड शूगर लेवल न सिर्फ प्रेग्नेंसी के चांस को प्रभावित करता है बल्कि बार-बार गर्भपात (miscarriage) का कारण भी बनता है।

इएसआर: ये पुराने इन्फेक्शन, टीबी और एनिमिया की जांच में सहायक होता है। टीबी भारत में इन्फर्टिलिटी का बहुत बड़ा कारण है।

हॉर्मोनल टेस्टिंग: बांझपन (Banjhpan) में हॉर्मोन में गड़बड़ी भी जिम्मेवार होती है। इससे सारी बीमारियों का पता चलता है। टीएसएच, एफएसएच, एलएच, प्रोलेक्टिन, खास हॉर्मोन है। इससे पीसीओडी यानि पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम नाम की बीमारी का पता चलता है। इससे बीमारी में स्त्रियों का वजन अधिक होता है और वे गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। थायरॉयड रोग में भी गर्भधारण की समस्या (Pregnancy problem) होती है। प्रोलेक्टिन की अधिक मात्रा रहने से ये अंडे बनानेवाले हॉर्मोन में गड़बड़ी होने से अंडे नही बन पाते हैं। इसी कारण इसके लिए हॉर्मोन की जांच भी जरूरी है।

अल्ट्रासाउंड: इससे गर्भाशय में गड़बड़ी या अंडाशय में गड़बड़ी का पता चलता है। इसके अलावा इससे फोलिक्यूलोमेट्री भी की जाती है जो मासिक के 9वें दिन से शुरू की जाती है और एक-एक दिन छोड़ कर होती है। तब तक अंडे फटते हैं। यदि यह नही फटता है, तो उस स्त्री में अनओव्यूलेशन है. यानी अंडे नहीं बनते हैं।

एचएसजी: जो मासिक के 7वें से 10वें दिन के बीच किया जाता है। इससे गर्भाशय और उसके रास्ते के सही होने का पता चलता है।

यदि टीबी की आशंका हो, तो टीबी पीसीआर नाम की जांच मासिक के रक्त से करनी चाहिए।

एएमएच (एंटी मुलेरियन हॉर्मोन): यह हॉर्मोन ओवेरियन फॉलिकिल से निकलता है। यह उम्र के साथ घटता है। इसकी कम मात्रा के होने से भी बांझपन की पुष्टि होती है।

आपके अनमोल आँखों के लिए ये व्यायाम है लाभकारी

उम्र बढ्ने के साथ-साथ आज हर व्यक्ति को आँखों की समस्याएँ (Eye problems) होने लगी है जिसका मुख्य कारण है प्रदूषण। वायु में स्थित धूलकण एवं धुआँ हमारे आँखों को बहुत नुकसान पहुँचते हैं। इसके कारण आँखों से पानी आना, आँखों का जलन, आँखें लाल होना तथा कम अथवा धुंधला दिखाई देने जैसी समस्या उत्पन्न होने लगती है। इन सभी समस्याओं से निजात पाने के लिए कई तरह के योगासन (Yogasan) है जिनके नियमित अभ्यास करके हम अपनी आँखों को स्वस्थ बना सकते है तथा नेत्र संबन्धित रोगों (Eye related disease) जैसे  मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया से छुटकारा पाया जा सकता है। 

प्रस्तुत है नेत्र के लिए कुछ आसान तथा प्रभावी व्यायाम जिसे कर के आप अपने आँखों को निरोग रख सकते हैं। 

अभ्यास - 1

  • अपने आंखों को बंद करके कुछ देर बैठें।
  • अपने हथेलियों को आपस में रगड़ कर गरम कर लें, फिर उन्हें धीरे-से आंखों पर रखें। अब महसूस करें कि हाथों की गरमाहट आंखों की पेशियों को विश्राम दे रही हैं। इस अवस्था में तब तक रहें, जब तक हाथों की संपूर्ण गरमाहट आंखों में स्थानांतरित होकर आंखों की पेशियों को विश्राम प्रदान करें। आंखें बंद रखते हुए हाथों को नीचे लाएं। एक बार फिर हथेलियों को रगड़ते हुए विधि को तीन बार दोहराएं।

अभ्यास - 2


  • अपने आंखें खोल कर बैठें।
  • पलकों को जल्दी-जल्दी दस बार झपकाएं। अब आंखें बंद करके 20 सेकेंड के लिए विश्राम करें। इस विधि को पांच बार दोहराएं।

अभ्यास - 3

  • पैरों को सीधा फैला कर बैठें। दोनों हाथों को सीधा रखते हुए कंधों के बराबर लाएं तथा अंगूठे को आकाश की ओर रखें।
  • आपकी दृश्य परिधि में अंगूठे को रखते हुए मुंह सामने रखें। दृष्टि को आंखों की सीध में केंद्रित करें। सिर को स्थिर रखते हुए बायें हाथ का अंगूठा भौहों के बीच लाएं। इस क्रम को 10-20 बार दोहराएं।
  • सांस लेने की प्रक्रिया : मध्य अवस्था में रहते हुए सांस अंदर लें, बाजू की ओर देखते हुए सांस छोड़ें।

अभ्यास - 4

  • पैरों को फिर सीधा फैला करके बैठें। बायें अंगूठे को बायें घुटने पर रखें (ध्यान रखें अंगूठा आकाश की ओर हो) सिर को स्थिर रखते हुए अपनी दृष्टि को बायें अंगूठे पर केंद्रित करें। इसी प्रक्रिया को बायें ओर से भी करें। इस अभ्यास के दौरान सिर और रीढ़ की हड्डी को सीधा अवश्य रखें। उसके बाद आंखों को बंद करके विश्राम दें।
  • सांस लेने की प्रक्रिया : मध्यावस्था में सांस अंदर लें और नीचे देखते हुए सांस छोड़ें। ऊपर देखते हुए सांस अंदर लें।

अभ्यास - 5

  • दोनों पैरों को सीधा फैला कर बैठें। बायें हाथ को बायें घुटने पर रखें। दाहिने पैर के ऊपर दायें हाथ की मुट्ठी, कोहनी सीधी रखते हुए बांधे, अंगूठे को आकाश की ओर खोले, दृष्टि को अंगूठे के ऊपर स्थिर रखते हुए अंगूठे से गोला बनाते हुए हाथ को घुमाए। ऐसा 5 बार एंटीकलॉकवाइज करें। अब इसे बायें अंगूठे से दोहराएं।
  • सांस लेने की प्रक्रिया : अंगूठे को चक्राकार घुमाते हुए सांस चक्र के ऊपरी भाग में लें तथा चक्र के निचले भाग में छोड़ें।

अभ्यास - 6


  • दोनों अंगूठों को आकाश की ओर रखते हुए दोनों मुट्ठियों को घुटनों पर रखें। धीरे-धीरे सीधे हाथ के अंगूठे को ऊपर आकाश की ओर रखते हुए, हाथ उठाएं। अंगूठे की गति को देखते रहें। हाथ को पूरी तरह उठाने के बाद धीरे-धीरे पुनः घुटनों पर लाएं। पूरी प्रक्रिया में अंगूठे के छोर को देखते रहें। इसे बायें अंगूठे से दोहराएं। इसका अभ्यास 5 - 5 बार करें।
  • सांस लेने की प्रक्रिया : ऊपर देखते हुए सांस अंदर लें। नीचे देखते हुए सांस छोड़ें।