आधासीसी (माइग्रेन, अधकपारी)

आधासीसी (माइग्रेन, अधकपारी)


          जब मनुष्य के सिर के आधे भाग में दर्द हो और आधे भाग में दर्द न हो तो उसे आधासीसी या माईग्रेन कहते हैं।परिचय :

विभिन्न भाषाओं में नाम :


हिन्दी

आधा कपाल, आधासीसी

अंग्रेज़ी

हेमिक्रेनिया

अरबी

आधा कपालि नूरार विश

बंगाली

आधा कपाली

गुजराती

आधा शीशी

कन्नड

अरेतले नोवु

मलयालम

ओरचेनी कुटटु

मराठी

अरधशीशी

उड़ीया

अधा कपाली

तमिल

ओत्रयथथलइवली

तेलगु

अरतला नोप्पि
कारण :

कान में कुछ पड़ जाना

कान में कुछ पड़ जाना


           कभी-कभी खेलते हुए या अंजाने में बच्चे अपने कानों के अन्दर पेंसिल, तीली या ऐसी ही कुछ दूसरी चीज डाल देते हैं जिससे उन्हें बहुत अधिक परेशानी होती है। बड़ों के कानों में भी सोते समय कोई कीड़ा या दूसरी कोई चीजें चली जाती हैं। जब तक ऐसी चीजें कान में से निकल नहीं जाती तब तक कान में दर्द होता रहता है।परिचय :

1. नीम : नीम के पत्तों के रस को तिल के तेल में मिलाकर कान में डालने से कान के अन्दर जितने भी कीड़े-मकोड़े होगें वो अन्दर ही मर जायेंगे। इसके बाद कान को किसी रूई से अच्छी तरह साफ कर लें।
2. ग्लिसरीन : रूई की एक लम्बी सी बत्ती बनाकर ग्लिसरीन में भिगोकर बत्ती को कान के अन्दर डालकर धीरे-धीरे से घुमा लें और धीरे से ही निकाल लें। कान के अन्दर अगर छोटे-मोटे कीड़े मकोड़े होंगे तो वे बाहर आ जायेंगे।
3. नमक : पानी में नमक मिलाकर कान में डालने से कान के अन्दर से ज़िन्दा या मरे हुए कीड़े-मकोड़े बाहर आ जाते हैं। इसके बाद कान को रूई से साफ करके पंचगुण तेल की 2-3 बूंदें डालें। इससे लाभ मिलता है।
4. कसौंदी : कसौंदी के पत्तों के रस को कान में डालने से भी कान में घुसा हुआ कीड़ा निकल जाता है।
5. मकोय : मकोय के पत्तों के रस को कान में डालने से कान में घुसा हुआ कीड़ा बाहर निकल आता है।
6. शहद : रूई की एक बत्ती बनाकर शहद में भिगो लें और कान में डालकर धीरे-धीरे से घुमायें। ऐसा करने से कान में जितने भी छोटे-मोटे कीड़े-मकोड़े होंगे वे बत्ती के साथ चिपककर बाहर आ जायेंगे।
7. तिल : अगर नहाते समय कान में पानी चला जाये तो तिल के तेल को कान में डालने से लाभ होता है।
8. अजवायन : अजवायन के पत्तों के रस को कान में डालने से कान में घुसे हुए कीड़े-मकोड़े समाप्त हो जाते हैं।
9. काकजंघा : काकजंघा का रस कान में डालने से कान में घुसे हुए कीड़े बाहर आ जाते हैं।
10. वनतुलसी : वनतुलसी के पत्तों के रस को गुनगुना करके कान में डालने से मवाद की वजह से कान में पैदा हुए कीड़े बाहर आ जाते हैं। इस रस को डालने के साथ-साथ कभी-कभी महामरिच्यादि तेल की 2-3 बूंदें भी रोजाना 3-4 बार कान में डालने से कान का घाव भी भर जाता है।