रोशनी से डरना

रोशनी से डरना


             आंखों के लिए जब रोशनी सहना काफी मुश्किल हो जाता है अर्थात रोशनी में आते ही व्यक्ति की आंखें चौंधिया जाती हैं तो इस रोग को रोशनी से डरना कहते हैं। परिचय :

 चिकित्सा :

4. सत्यानाशी : सत्यानाशी के दूध में रूई को भिगोकर छाया में सुखा लें और फिर इस रूई को सत्यानाशी के दूध में भिगोकर सुखा लें। इस तरह रूई को 16 बार सत्यानाशी के दूध में भिगोकर सुखा लें। फिर इस रूई की बत्ती बनाकर एरण्ड (एरण्ड) के तेल में भिगोकर जलाकर उससे निकले वाले धुंए को किसी बर्तन में एकत्रित करके काजल बना लें। यह प्रतिदिन  काजल की तरह आंखों में लगाने से आंख की रोशनी बढ़ जाती है और कभी भी चश्मा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती और रोशनी से डरने की शिकायत भी दूर होती है।

पुरुषों में स्त्री का भाव

पुरुषों में स्त्री का भाव


            कुछ-कुछ पुरुषों में ग्रंथि का ज्यादा क्रियाशील हो जाने से स्त्री का भाव आ जाता है जिसे जनखापन कहते हैं। परिचय :

चिकित्सा :