आमाशय का घाव

आमाशय का घाव


          काफी लम्बे समय तक पेट में दर्द, पाचनतंत्र से सम्बंधी बीमारी, अम्लरोग, गैस्ट्रिक आदि कारणों से आमाशय में जख्म या घाव हो जाता है। आमाशय का जख्म 2 प्रकार का होता है- द्रव शूल, परिणाम शूल।परिचय :

विभिन्न भाषाओं में नाम :


हिंदी          

पेट का घाव।

अंग्रेजी               

पेप्टिक अल्सर या गेस्ट्रिक अल्सर।

बंगाली               

आमाशय व्रण।

अरबी        

पाकस्थलिघा।

डोगरी        

कलेजा दर्द।

कन्नड़ी      

होटे हुत्रु।

मलयालम  

कुटाल पुत्रु।

मराठी               

आमाशयतिल व्रणे।

तमिल               

वलि गुनमम्।

तेलगू        

जीर्णपुण्डेयु।

थूक अधिक आना

थूक अधिक आना


          मुंह के अंदर निचले जबड़े में दोनों ओर लार ग्रंथियां (सलीवरी ग्लांड) होती है जिनमें से एक तरह का रस निकलता रहता है और जिसे हम स्वाभाविक रूप से चूसते रहते हैं। आमतौर पर इस रस को लार कहा जाता है। कभी-कभी मुंह में यह लार अधिक बन जाने पर थूक के रूप में बाहर निकल जाती है। कभी-कभी मुंह में छाले होने के कारण या पेट में कीड़े के कारण भी लार अधिक बनती है जिसके कारण बार-बार थूकना पड़ता है।परिचय :

1. सुहागा :
2. खैर (कत्था, खदिर) : खैर (कत्था, खदिर) के फल, दाड़िमपुष्प एवं कचनार की छाल का काढ़ा बनाकर कुल्ला एवं गरारे करें। इससे गले के रोग और अधिक लार आना बंद हो जाता है।
3. शणपुष्पी (सनई, पटसन) : शणपुष्पी के पत्तों का रस आधा से 1 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम पीने से अधिक लार का आना कम हो जाता है।
4. मौलसिरी :
5. नागरमोथा (मोथाघास) : नागरमोथा के फल का काढ़ा बनाकर 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से मुंह के छाले कुछ ही समय में दूर हो जाते हैं।
6. इलायची :  इलायची और सुपारी को बराबर मात्रा में पीसकर 1-2 ग्राम की मात्रा में बार-बार चूसते रहने से ज्यादा लार का आना दूर हो जाता है।