अण्डकोष के रोग (Testicles problems)

अण्डकोष के रोग


1. रेहान :
10 ग्राम रेहान के बीजों को पानी में पीसकर थोड़ा गर्म करके अण्डकोष पर लेप करने से अण्डकोष का बढ़ना रुक जाता है।चिकित्सा :

4. शराब : 60 मिलीलीटर शराब में पीसा हुआ नौसादर मिलाकर रूई में भिगोकर दिन में अण्डकोष पर 3-4 बार लगाने से सूजन सही हो जाती है।
10. तंबाकू : तंबाकू के ताजे पत्ते हल्का गर्म करके अण्डकोषों पर बांधकर ऊपर से लंगोट पहन लें, ताकि पत्ता अपनी जगह चिपका रहे। कुछ देर बाद जब लंगोट भीग जायें, ऐसा होने पर लंगोट बदल दें, और दूसरा लंगोट पहन लें। सुबह अण्डकोष में हल्के-हल्के दाने छेद से हो जाते है। यदि ऐसा हो जाए तो उन पर मक्खन लगा दें। कुछ दिन तक सोने से पहले यह प्रयोग करें तथा उठने पर पत्ता खोल दें इससे आराम मिलता है।
11. बकायन : 100 ग्राम बकायन के पत्ते को 500 मिलीलीटर पानी में उबालें, फिर उसमें कपड़ा भिगोकर अण्डकोषों को सेंकने और कम गर्म पत्ते को बांधे से अण्डकोषों की सूजन में राहत मिलती है।
12. दालचीनी : आधा चम्मच दालचीनी पाउडर सुबह-शाम पानी से लेने से अण्डकोष मे पानी भर जाने की शिकायत दूर हो जाती है।
13. हरड़ : त्रिफला के काढ़े में गोमूत्र यानी गाय का पेशाब मिलाकर पिलाना चाहिए।
14. कद्दू या घिया : कद्दू के बीजों का रस पौरुष ग्रंथि के विकारों के लिए बहुत उपयोगी रहता है। पौरुष ग्रंथि को बढ़ने से रोकने के लिए 40 साल से ऊपर के लोगो को इसका प्रयोग रोज खानें में करना चाहिए।
15. मूली : मूली के 5 ग्राम बीज मक्खन के साथ सुबह के समय 30 दिनों तक नियमित रूप से लेंने से पौरुष परिपुष्ट (मर्दानगी) होती हैं।

उल्टी कराना

उल्टी कराना


          कभी-कभी गलती से खाने-पीने की चीजों के साथ जहरीले पदार्थ पेट में चले जाते हैं। ऐसी स्थिति में रोगी को विभिन्न औषधियों का सेवन कराकर उल्टी के द्वारा पेट का जहर बाहर निकल जाता है।परिचय :

विभिन्न औषधियों से उपचार :

16. मुलहठी : पेट में अम्लता और पित्त बढ़ने पर जी मिचलना, बेचैनी और घबराहट, सिर दर्द होता है। ऐसी स्थिति में उल्टी होने से रोगी को आराम मिलता है। ऐसी स्थिति में उल्टी कराने के लिए 2 कप पानी में 2 चम्मच मुलहठी का चूर्ण डालकर उबाल लें और जब पानी आधा कप बच जाए तो इसमें राई का 3 ग्राम चूर्ण डालकर रोगी को पिलाएं। इससे उल्टी होकर पेट में जमा पित्त व कफ निकल जाता है।