अण्डकोष की सूजन






अण्डकोष की सूजन


          यह रोग ताकत से ज्यादा व्यायाम करने, अधिक उछलने, साइकिल चलाने, तेज दौड़ने, घुड़सवारी करने और अण्डकोषों पर किसी कारण चोट लग जाने पर सूजन उत्पन्न हो जाती है। अधिक तैरने तथा पानी में कमर तक खड़े होकर काम करने से भी अण्डकोषों में सूजन हो जाती है। अण्डकोष में पानी भर जाने की बीमारी को हाइड्रोसील कहा जाता है। अण्डकोष की श्लैष्मिक कला में रक्त का पानी एकत्र हो जाने से बीमारी होती है। कई बार
शिशु के अण्डकोषों में पानी भर जाता है। अण्डकोष की प्रारंभिक अवस्था में पानी संचय नही होता, लेकिन अण्डकोष में सूजन होने से तेज दर्द होता है। आंत्रों में मल के शुष्क और कठोर होने पर दूषित वायु आवेग के कारण अण्डकोष में सूजन उत्पन्न हो जाती है।परिचय :

1. तिल : 25 ग्राम काले तिल में 25 ग्राम एरण्ड के बीजों की गिरी को एक साथ पीसकर अण्डाकोष पर एरण्ड के पत्तों के साथ बांधने से सूजन जल्दी मिट जाती है।
2. तंबाकू :
3. इन्द्रायण :
4. बच : 10 ग्राम बच और 10 ग्राम सरसों को पानी के साथ पीसकर रोजाना अण्डकोष पर लेप करने से सूजन मिट जाती है।
5. करंज : करंज की मींगी को एंरड के तेल में घोटकर उसे तंबाकू के पत्ते पर लपेटकर अण्डकोषों पर लेप करने से अण्डकोष की सूजन समाप्त हो जाती है।
6. त्रिफला (हरड़, बहेड़ा आंवला) :
7. बैंगन : बैंगन की जड़ को पानी में मिलाकर अण्डकोषों पर कुछ दिनों तक लेप करने से अण्डकोषों की सूजन और वृद्धि में लाभ होता है।
8. पलाश : पलाश की छाल का चूर्ण बनाकर 5 ग्राम पानी के साथ सेवन करने से अण्डकोषों की वृद्धि में लाभ होता है।
9. गुड़मार : 2 ग्राम की मात्रा में गुड़मार के पत्तों का रस शहद में मिलाकर कुछ दिनों तक पीने से अण्डवृद्धि यानी अण्डकोष का बढ़ना समाप्त हो जाता है।
10. बिनौले : 10-10 बिनौले और सोंठ को लेकर कूट-पीसकर पानी के साथ लेप बनाकर हल्का-सा सेंकने अण्डकोषों पर बांधने से लाभ होता है।
11. जीरा : 10-10 ग्राम जीरा और कालीमिर्च पीसकर पानी में उबालकर उस पानी से अण्डकोषों को धोने से सूजन मिट जाती है।
12. छोटी अरनी : छोटी अरनी के पत्तों को पीसकर हल्का-सा गर्म करके बांधने से अण्डकोष का बढ़ना मिट जाता है।
13. कटेरी : कटेरी की जड़ की छाल का 10 ग्राम चूर्ण, 5 ग्राम कालीमिर्च के चूर्ण के साथ पानी में पीसकर फिर पानी में मिला दें। इस मिश्रण को छानकर कुछ दिनों तक वह पानी पीने से अण्डवृद्धि मिट जाती है।
14. भिलावे : 10 ग्राम भिलावे के पत्ते, 5 ग्राम हल्दी पानी के साथ पीसकर हल्का-सा सेंककर अण्डकोषों पर लेप करने से उसकी सूजन को कम करने में लाभ होता है।
15. धतूरा : धतूरे के पत्ते पर तेल लगाकर अण्डकोषों पर बांधने से अण्डवृद्धि जल्द मिट जाती है।
16. कनेर : सफेद कनेर के पत्ते कांजी के साथ पीसकर हल्का-सा गर्म करके बांधने से अण्डकोष की वृद्धि से लाभ होता है।
17. माजूफल : 10-10 ग्राम माजूफल और असगंध लेकर पानी के साथ पीसकर थोड़ा-सा गर्म करके बांधने से अण्डकोष की सूजन मिट जाती है।
18. अमलतास : 20 ग्राम अमलतास के गूदे को 100 मिलीलीटर पानी में उबाल लें, 50 मिलीलीटर पानी शेष रह जाने पर 25 ग्राम घी में मिलाकर पीने से अण्डकोष की सूजन कम हो जाती है।
19. आम :
20. कचूर : 20 ग्राम कचूर के चूर्ण में पानी मिलाकर लेप बनायें। इस लेप को हल्का सा गर्म करके अण्डकोष पर लेप करने से शीत ऋतु के कारण उत्पन्न अण्डकोष की सूजन से आराम मिलता है।
21. गुग्गल : 2-4 ग्राम शुद्ध गुग्गल, 7-14 मिलीलीटर गाय के मूत्र के साथ सुबह-शाम सेवन करने से अण्डकोष की सूजन कम हो जाती है।
22. दशमूल : 14-28 मिलीलीटर दशमूल के काढ़े में 7-14 मिलीलीटर एरण्ड के तेल को मिलाकर सुबह सेवन करने से अण्डकोष की सूजन कम हो जाती है।
23. सेंधानमक : 1 ग्राम सेंधा नमक को 7-14 मिलीलीटर एरण्ड के तेल के साथ 1-3 ग्राम गाय के मूत्र में उबली हुई, हरीतकी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से अण्डकोष की सूजन मिट जाती है।
24. हरीतकी : 6-12 ग्राम की मात्रा में हरीतकी फल मज्जा का मिश्रण, 7-14 मिलीलीटर एरण्ड के तेल में तलकर पिप्पली और सेंधा की 1-1 ग्राम की मात्रा के साथ सुबह-शाम सेवन करने से अण्डकोष की सूजन से राहत मिलती है।
25. मकोय : मकोय के पत्ते गर्म करके दर्द वाले स्थान पर शोथयुक्त अण्डकोषों और हाथ-पैरों की सूजन पर लगाने से लाभ होता है।
26. आक :
27. अदरक : अदरक के पांच ग्राम रस में मधु मिलाकर तीन-चार सप्ताह प्रतिदिन सेवन करने से बहुत लाभ होता है।
28. भांग :
29. सिरस : सिरस की छाल को पीसकर लेप करने से अण्डकोषों की सूजन समाप्त हो जाती है।
30. टमाटर : 100 ग्राम लाल टमाटर पर सेंधानमक और अदरक मिलाकर भोजन से पहले सेवन करने से लाभ होता है।





अण्डकोष की खुजली





अण्डकोष की खुजली


 परिचय :

          मनुष्य जननांगों को अपने शरीर का सबसे गन्दा हिस्सा समझता है। इस वजह से वह जननांगों की साफ सफाई की ओर खासतौर पर ध्यान नहीं रखता है जिसके कारण वह कई यौन रोगों से पीड़ित हो जाता है। जननांगों के रोग में एक रोग है अण्डकोष की खुजली। यह अण्डकोष में साफ सफाई न रखने के कारण उत्पन्न होता है। इसमें अण्डकोषों पर मैल की एक मोटी परत जम जाती है जो खुजली और खुश्की का रूप ले लेती है।
विभिन्न भाषाओं में नाम :

अरबी           

जुली खजुयाती

बंगाली

बृषण कच्छू

कन्नड

बन्दातुरीके

मराठी

वृषनकच्छु

उड़िया

घउमदाता

तमिल

विराइल पदाइ

अंग्रेजी

एक्जिमा आफ दि स्त्रोटम




कारण :
2. कालीमिर्च : अण्डकोष में काण्ड जैसी मैल जम जाने पर कालीमिर्च को दही के साथ घिसकर या अच्छी तरह पीसकर लगाने से मैल छूट जाती है।
3. प्याज : प्याज का रस सरसों के तेल में मिलाकर लगाने से खुजली और अन्य प्रकार की खुजली मिट जाती है।
4. सुहागा : 100 मिलीलीटर पानी में 4 ग्राम सुहागा घोलकर रोजाना 2-3 बार अण्डकोष को धोने से कण्डू नहीं जमते और खुजली मिट जाती है।
5. छरीला : छरीला से निर्मित तेल से अण्डकोष की खुजली से आराम मिलता है।
6. नागरमोथा : नागरमोथा को पीसकर अण्डकोष पर लेप करने से अण्डकोष की खुजली में लाभ होता है।
7. गिलोय : गिलोय के रस को गुग्गल के साथ या कड़वी नीम के साथ या हरिद्रा, खदिर और आंवले के काढ़े के साथ रोजाना 3 मात्रा में सेवन करने से अण्डकोष की खुजली मिट जाती है।
8. कनेर : सफेद या लाल फूल वाली कनेर की जड़ को तेल में सिद्ध कर तेल लगाने से कण्डु, खुजली फोडे़, फुंसी, सभी मिट जाते है।
9. पानी : अण्डकोष की सूजन पर गर्म पानी से सिंकाई करने से सूजन दूर हो जाती है।