मातृदुग्धवर्धक, दूध का बढ़ाना

मातृदुग्धवर्धक, दूध का बढ़ाना


          शिशुओं का सर्वोत्तम भोजन मां का दूध है। बच्चे को दूध प्रसन्न मुद्रा में पिलाना चाहिए। क्रोध में दूध पिलाने से बच्चे के पेट में दर्द और ऐंठन होने लगती है। शिशु जन्म के प्रथम तीन दिन तक मां का दूध बच्चों को नहीं पिलाना चाहिए।परिचय:

विभिन्न औषधियों से उपचार:
1. विदारीकन्द : विदारीकन्द 100 ग्राम, मुलेठी 100 ग्राम तथा शतावर 100 ग्राम लेकर इसे कूट-पीस और छानकर चूर्ण बना लें। इसका 10 ग्राम चूर्ण और 10 ग्राम पिसी हुई मिश्री एक गिलास दूध में डालकर आधे घंटे तक उबाले इसे थोड़ा ठण्डा करके सोने से पहले घूंट-घूंट कर पीयें। इसे 40 दिन तक अवश्य पीना चाहिए। इस प्रयोग से स्तनों में दूध की बहुत अधिक वृद्धि होती है।
2. जीरा:
3. पपीता: यदि महिलाओं के शरीर में खून की कमी के कारण स्तनों में दूध की कमी हो जाए तो डाल का पका हुआ एक पपीता प्रतिदिन खाली पेट खाने लगातार बीस दिनों तक खिलाना चाहिए। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
4. अंगूर: अंगूर दुग्धवर्द्धक होता है। प्रसवकाल में यदि उचित मात्रा से अधिक रक्तस्राव हो तो अंगूर के रस का सेवन बहुत अधिक प्रभावशाली होता है। खून की कमी की शिकायत में अंगूर के ताजे रस का सेवन बहुत उपयोगी होता है क्योंकि यह शरीर के रक्त में रक्तकणों की वृद्धि करता है।
5. मुनक्का: 10-12 मुनक्के लेकर दूध में उबालकर प्रसूता स्त्री को प्रसव के बाद दिन में दो बार सेवन कराने से पर्याप्त लाभ मिलता है।
6. गाजर: गाजर का रस और भोजन के साथ कच्चे प्याज का सेवन भी मां का दूध बढ़ाने में सहायक होता है।
7. एरण्ड: मां के स्तनों पर एरण्ड के तेल की मालिश दिन में दो-तीन बार करने से स्तनों में पर्याप्त मात्रा में दूध की वृद्धि होती है।
8. प्याज: भोजन के साथ कच्चे प्याज का सेवन अधिक मात्रा में करने से माताओं के स्तनों में दूध में वृद्धि होती है। जब भी माताएं भोजन करें तो कच्चे प्याज का सेवन भोजन के साथ अवश्य करें।
9. मटर: मटर की फली खाने से स्त्रियों के दूध में वृद्धि होती है। मटर की कच्ची फलियां खाएं तथा मटर की सब्जी बनाकर खानी चाहिए।
10. उड़द: उड़द की दाल में घी मिलाकर खाने से स्त्रियों के स्तनों में पर्याप्त मात्रा में दूध की वृद्धि होती है।
11. चना: लगभग 50-60 ग्राम काबुली चने रात को दूध में भिगो दें। सुबह के समय दूध को छानकर अलग कर लें। इसके बाद इन चनों को खूब चबा-चबाकर खायें। ऊपर से इसी दूध को गर्म करके पीने से स्त्रियों के दूध में पर्याप्त मात्रा में वृद्धि होती है।
12. मेहन्दी: स्तनों में दूध की कमी को दूर करने के लिए महुए के फूल का रस 4 चम्मच सुबह-शाम कुछ दिनों तक नियमित सेवन करने से लाभ मिलेगा।
13. मुलहठी: प्रसूता (शिशु को जन्म देने वाली महिला) के स्तनों में दूध नहीं आ पाता हो, तो मुलहठी बहुत ही गुणकारी है। गर्म दूध के साथ जीरा और मुलहठी का पाउडर बराबर मात्रा 1-1 चम्मच मिलाकर सुबह-शाम दूध से फंकी लेने से लाभ होता है।
14. केसर: पानी में केसर को घिसकर स्तनों पर लेप करने से स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
15. सेहुण्ड:
16. शतावर: शतावर की जड़ का चूर्ण समभाग (बराबर) मात्रा में मिश्री मिलाकर पीस लें। 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार एक कप दूध के साथ पिलाते रहने से न केवल मां के दूध में बढ़ोतरी होगी, बल्कि मासिकस्राव के पश्चात आई कमजोरी भी दूर होगी।
17. शहतूत: शहतूत प्रतिदिन खाने से दूध पिलाने वाली माताओं का दूध बढ़ता है। प्रोटीन और ग्लूकोज शहतूत में अच्छी मात्रा में मिलते हैं।
18. सोयाबीन: दूध पिलाने वाली स्त्री यदि सोया दूध (सोयाबीन का दूध) पीये तो शिशु को पिलाने के लिए दूध बढ़ जाती है।
19. अरबी:
20 अरनी: छोटी अरनी का शाक बनाकर प्रसूता महिलाओं को खिलाने से उनके स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
सावधानी: दूध पिलाने वाली स्त्री को भूखा रहना, व्रत रहना उचित नहीं होता है। आहार में गेहूं, जौ, चावल, दूध, दलिया, तिल, लहसुन, मौसमी फल आदि का सेवन करने से स्तनों में दूध पर्याप्त मात्रा में होता है।

महिलाओं की छाती का जमा दूध निकालना

महिलाओं की छाती का जमा दूध निकालना


1 .खड़िया मिट्टी-
खड़िया मिट्टी 10 ग्राम, कपूर 1.5 ग्राम को पानी में पीसकर सीने पर मालिश करने से महिलाओं की छाती में जमा हुआ दूध निकल जाता है।चिकित्सा-

2. मोम- देशी मोम को गर्म करके महिला की छाती पर मालिश करने से छाती का जमा दूध निकल जाता है।
3. तिल- काले तिलों को दूध या पानी में पीसकर हल्का गर्म करें इसे महिलाओं की छाती पर लेप करने से छाती (सीने) का जमा हुआ दूध निकल जाता है।
4. काहू- काहू के बीज सिरके में पीसकर स्त्रियों के सीने पर लेप करने से सीने का जमा हुआ दूध निकल जाता है।
5. जवारिस- जवारिस कमूनी 6 ग्राम की मात्रा में सोते समय पानी के साथ सेवन करने से छाती का जमा हुआ दूध निकल जाता है।
6. अनार- अनार का छिलका और माजूफल 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर उसे बारीक पीसकर लेप बना लें। इसे महिलाओं की छाती में लेप करने से छाती सख्त हो जाती है।
7. सतावर- सतावर, सौंफ, बिदारीकन्द 50-50 ग्राम लेकर बारीक पीसकर रख लें, फिर 5 ग्राम चूर्ण को दूध या पानी से स्त्रियों को सेवन करायें। इससे स्त्रियों की छाती का जमा हुआ दूध उतर जाता है।
8. मेथी- मेथी, अलसी 10-10 ग्राम की मात्रा में सिरके में पीसकर छाती पर लेप करने से दूध उतर जाता है।
9. जैतून- जच्चा (महिला) की छाती पर जैतून का तेलमालिश करने से सीने में जमा हुआ दूध उतर जाता है।
10. बिदारीकंद- बिदारीकंद 100 ग्राम की मात्रा में कूट-पीसकर इसमें खांड 100 ग्राम की मात्रा में मिला दें। इसे 5-5 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सुबह.शाम सेवन करना चाहिए।