कुष्ठ (कोढ) kodh

कुष्ठ (कोढ)


             कोढ़ का रोग बेसिलस लेप्रो नाम के कीटाणु के कारण फैलता है। यह रोग 3 तरह का होता है।परिचय :

ग्रंधिक कुष्ठ :

 कारण :

            कोढ़ का रोग ज्यादातर उन लोगों को होता है जो हमेंशा प्रकृति के विरूद्ध भोजन खाते हैं जैसे कि मांस का सेवन करने के बाद दूध पी लेना। इससे खून के अन्दर जीवाणु पहुंचकर खून को खराब कर देते हैं जिसकी वजह से कोढ़ का रोग पैदा हो जाता है। इसकी समय पर चिकित्सा नहीं कराने पर कोढ़ के जीवाणु खून में बड़ी तेज रफ्तार से फैलकर त्वचा को गला देते हैं। शरीर में अलग-अलग अंगों में इसके जख्म दिखाई पड़ने लगते हैं। कोढ़ के जख्मों में मवाद बहने लगता है। इस मवाद में भी कुष्ठ (कोढ़) के जीवाणु मौजूद होते हैं। इस मवाद के संपर्क में आने वाले लोग भी कोढ़ के शिकार हो जाते हैं।

लक्षण :

           कुष्ठ (कोढ़) के रोग की शुरुआत में रोगी को खुजली होती है और फिर उसके शरीर में जख्म बन जाते हैं। जख्मों में सूजन होने पर मवाद निकलने लगती है। धीरे-धीरे जख्म फैलने लगते हैं और जहां पर जख्म होता है वहां की त्वचा भी सड़ जाती है। हाथों और पैरों की उंगलियों में कोढ़ होने पर उंगलियां गलने लगती है। कोढ़ का रोगी धूप में चल फिर भी नहीं सकता क्योंकि धूप में चलने फिरने में उसे बहुत जलन और दर्द होता है।
1. नीम :
2. अमलतास :
3. गोरखमुण्डी- गोरखमुण्डी के फूल, कच्ची हल्दी और गुड़ को बराबर मात्रा में पीसकर मिट्टी के मटके में भरकर उसमें 10 गुना पानी डालकर अच्छी तरह मुंह बन्द करके 15 दिन तक घोड़े की लीद में दबाकर रख दें, फिर इसका अर्क (रस) खींच लें, इसे सुबह और शाम 3 से 4 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से सभी शरीर के श्वेत कुष्ठ (सफेद कोढ़) समाप्त हो जाते हैं। ध्यान रहे की सेवन काल के दौरान दूध, दही तथा छाछ से परहेज रखें।
4. चम्पा की छाल : 3 ग्राम चम्पा की छाल के चूर्ण को दिन में 2 बार पानी के साथ खाने से दूषित रक्त (खून की खराबी) दूर होकर कुष्ठ (कोढ़) का रोग दूर हो जाता है।
5. विरेचक : जिस औरत या आदमी को कुष्ठ (कोढ़) रोग हो उसे समय-समय पर कब्ज (पेट में गैस) को समाप्त करने के लिये विरेचक (दस्त लाने वाली दवा ) औषधि देने से लाभ होता है।
6. कनेर :
7. कूठ : 20 ग्राम कूठ को 20 ग्राम धनिए के साथ पीसकर कुष्ठ (कोढ़) के जख्मों पर लगाने से जख्म कुछ ही समय में मिटने लगते हैं।
8. सत्यानाशी :
9. आक :
10. अड़ूसा :
11. बावची :
12. काली जीरी :
13. निर्गुण्डी : 10 ग्राम निर्गुण्डी के ताजे कोमल पत्तों को पीसकर 200 मिलीलीटर पानी में मिलाकर पीने से कुष्ठ (कोढ़) रोग में बहुत जल्दी आराम आता है।
14. शीशम :
15. सलई : 20 से 40 मिलीलीटर सालई (सलई) के फल और फूलों का काढ़ा सुबह और शाम पीने से और उस काढ़े से जख्मों को धोने से कुष्ठ रोग में आराम आता है।
16. कटसरैया : 5 से 10 मिलीलीटर कटसरैया का रस या काढ़ा सुबह और शाम पीने से और इसके पत्तों को पीसकर जख्मों पर लेप करने से कुष्ठ (कोढ़) रोग ठीक हो जाता है।
17. कचनार : कचनार की छाल का काढ़ा सुबह और शाम पीने से कुष्ठरोग (कोढ़ का रोग) और त्वचा के दूसरे रोगों में आराम आता है।
18. तुलसी : तुलसी के 20 पत्तों को पीसकर दही में मिलाकर 4 से 5 सप्ताह तक खाने से कुष्ठ (कोढ़) रोग ठीक हो जाता है।
19. अंकोल :
20. आंवला :
21. सरसों का तेल :
22. सिंघाड़ा : सिंघाड़ा, काकड़सिंगी की जड़, हाऊबेर और भारंगी की जड़ को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर और छानकर इसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 3 से 4 ग्राम रोजाना खाने से `दाद´ ठीक हो जाता है।
23. हल्दी :
24. एरण्ड : एरण्ड के पत्तों को मट्ठे (लस्सी) में पीसकर मालिश करने से हर प्रकार का `कोढ़´ दूर हो जाता है।
25. तोरई :
26. रीठा : रीठा को पीसकर कुष्ठ रोगी (कोढ़ के रोगी) के जख्मों पर लेप करने से जख्म जल्दी भर जाते हैं।
27. चौपतिया शाक : कुष्ठरोगी (कोढ़ के रोगी) को चौपतिया शाक की सब्जी खिलाने से कोढ़ का रोग ठीक हो जाता है।
28. कालीमिर्च :
29. कपूर : लगभग 58 मिलीलीटर चमेली के तेल में 10 ग्राम कपूर को मिलाकर मालिश करने से `सूखी खुजली´ दूर हो जाती है।
30. हारसिंगार : हारसिंगार की पत्तियों को पीसकर लगाने से `दाद´ ठीक हो जाता है।
31. पित्तपापड़ा : कुष्ठ (कोढ़) रोग में 25 से 50 मिलीलीटर पित्तपापड़ा के पंचांग का काढ़ा सुबह और शाम पीने से लाभ होता है।
32. देवदारू : 10 से 40 बूंद देवदारू का तेल (केलोन का तेल) सुबह और शाम दूध में डालकर पीने से और इसी तेल को लगाने से कोढ़ के रोग में पूरा आराम हो जाता है।
33. अर्जुन :
34. विजयसार : विजयसार की लकड़ी को पीसकर पानी में भिगोकर 40 दिन तक इस पानी को पीने से कोढ़ का रोग समाप्त हो जाता है।
35. चित्रक :
36. इमली : इमली के बीज या सूखे सिंघाड़े को पीसकर नींबू के रस में मिलाकर लगाने से `दाद´ ठीक हो जाता है।
37. अनार :
38. हरड़ : छोटी हरड़ और समुद्रफेन खाने से कोढ़ का रोग समाप्त हो जाता है।
39. कायफल : कायफल को पीसकर लेप करने से फटी हुई `बिवाई´ (फटी एड़िया) ठीक हो जाती है।
40. बबूल : 30 ग्राम बबूल की छाल का शर्बत बनाकर पीने से कोढ़ का रोग समाप्त हो जाता है।
41. शहद :
42. बच : सफेद बच को पानी में पीसकर लेप करने से `चर्मदल´ कुष्ठ (चमड़ी का कोढ़) ठीक हो जाता है।
43. तिल : 6 ग्राम निर्गुण्डी की जड़ के चूर्ण को तिल के तेल में मिलाकर खाने से एक ही महीने में 18 तरह के कुष्ठ रोग समाप्त हो जाते हैं।
44. भांगरा : भांगरा का रस और नागदोन का सेवन करने से कोढ़ मिट जाता है।
45. कुड़े : कुडे़ की छाल को पीसकर मिश्री के शर्बत के साथ पीने से `कुष्ठ´ (कोढ़) रोग दूर हो जाता है।
46. गिलोय : 100 मिलीलीटर बिल्कुल साफ गिलोय का रस और 10 ग्राम अनन्तमूल का चूर्ण 1 किलो उबलते हुये पानी में मिलाकर किसी बन्द बर्तन में 2 घंटे के लिये रख कर छोड़ दें। 2 घंटे के बाद इसे बर्तन में से निकाल कर मसल कर छान लें। यह चूर्ण रोजाना 50 से 100 ग्राम की मात्रा में दिन में 3 बार खाने से खून साफ होकर कुष्ठ (कोढ़) रोग ठीक हो जाता है।
47. दूब : दूब की ओस (पानी की बूंदे) को कुछ समय तक लगाते रहने से सफेद कोढ़ समाप्त हो जाता है।
48. सुपारी : इन्द्रायण की जड़ और सुपारी को खाने से सफेद कोढ़ मिट जाता है।
49. नींबू : चित्रक की जड़ और सफेद कनेर की जड़ को बराबर मात्रा में लेकर नींबू के रस में मिलाकर लगाने से सिर्फ 21 दिन में ही सफेद कोढ़ मिट जाता है।
50. मेंहंदी : मेंहंदी की छाल का काढ़ा पीने से कोढ़ का रोग समाप्त हो जाता है।
51. इन्द्रजौ : इन्द्रजौ को पीसकर गाय के पेशाब में मिलाकर लेप करने से चर्म-दल कोढ़ (चमड़ी का कोढ़) मिट जाता है।
52. जवाखार : गंधक और जवाखार का चूर्ण सरसों के तेल में मिलाकर लगाने से `सिध्म कुष्ठ´ समाप्त हो जाता है।
53. दूध : अंगूठे के पर्व (नाखून) के बराबर ब्रजवल्ली को लेकर दूध के साथ खाने से सिर्फ 21 दिन में ही हर तरह का कोढ़ समाप्त हो जाता है।
54. अरण्डी : सफेद फूलों वाली अरण्डी की जड़ को इतवार के दिन लाकर पीसकर रोजाना 10 ग्राम की मात्रा में पीने से सफेद कोढ़ ठीक हो जाता है।
55. चालमोंगरा : चाल-मोंगरे का तेल लगाने से सफेद कोढ़ के दाग मिट जाते हैं।
56. अरन-ककड़ी : अरन-ककड़ी का दूधिया-रस लगाने से सफेद दाग मिट जाते हैं।
57. लौंग : लगभग 1.20 ग्राम अंकोल की जड़ की छाल, जायफल, जावित्री और लौंग को पीसकर पानी के साथ खाने से कोढ़ का फैलना रुक जाता है।
58. सिरस : सिरस के बीजों का तेल बनाकर कोढ़ में लगाने से सफेद कोढ़ मिट जाता है।
59. राई-
60. मेंहदी :
61. मकोय : काली मकोय की 20-30 ग्राम पत्तियों को पीसकर लेप लगाने से कोढ़ का रोग नष्ट हो जाता है।
62. जमीकन्द : कोढ़ के रोग में जमीकन्द और ज्वार की सब्जी लम्बे समय तक खाने से फायदा पहुंचता हैं एवं इससे दाद खाज व खुजली में भी लाभ होता है।
63. मूली :
64. चिरचिटा : चिरचिटा के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ती) का काढ़ा लगभग 14 से 28 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करना चाहिए। इससे कुष्ठ (कोढ़) का रोग ठीक हो जाता है।
65. चीता : लगभग 1 से 3 ग्राम चीता की जड़ का चूर्ण गोमूत्र (गाय के पेशाब) के साथ दिन में 3 बार लेने से कोढ़ कुछ ही दिनों में मिट जाता है।
66. अदरक :
67. अजमोद : शीतपित्त और कुष्ठ (कोढ़) में अजमोद के 2 से 5 ग्राम चूर्ण को गुड़ के साथ मिलाकर 7 दिन तक दिन में 2-3 बार सेवन करना चाहिए।
68. अकरकरा : अकरकरा के पत्तों का रस निकालकर श्वेत कुष्ठ (सफेद कोढ़) पर लगाने से यह रोग कुछ ही समय में ही अच्छा हो जाता है।
69. वत्सनाभ: वत्सनाभ का प्रयोग 3 महीने तक करने से कुष्ठ रोग पूरी तरह से खत्म हो जाता है।
70. पुनर्नवा : पुनर्नवा को सुपारी के साथ खाने से कुष्ठ (कोढ़) के रोग में आराम आता है।
71. खैर :
72. करंज :
73. अंजीर : अंजीर के पेड़ की छाल को पानी के साथ पीसकर, चूर्ण बनाकर उस चूर्ण से 4 गुना घी गर्म करके हरताल की भस्म के साथ देने से श्वेत कुष्ठ (सफेद कोढ़) मिट जाता है।
74. अपराजिता : श्वेत कुष्ठ (सफेद कोढ़) तथा मुंह की झाईयों पर 2 ग्राम अपराजिता की जड़ और 1 ग्राम चक्रमर्द की जड़ को पानी के साथ पीसकर लेप करने से लाभ होता है। इसके साथ ही इसके बीजों को घी में भूनकर सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से डेढ़ से दो महीने में ही श्वेत कुष्ठ (सफेद कोढ़) में लाभ हो जाता है। इसकी जड़ की राख या भस्म को मक्खन में घिसकर लेप करने से मुंह की झाईयां दूर हो जाती है।
75. बकायन : बकायन के पके हुए पीले बीजों को लेकर उनमें से 3 ग्राम बीजों को 50 मिलीलीटर पानी में रात को भिगोकर रखते हैं। सुबह के समय इसका बारीक चूर्ण बनाकर फंकी लेते हैं। 20 दिनों तक इसे लगातार सेवन करते रहने से कुष्ठ रोग में लाभ मिलता है। पथ्य में बेसन की रोटी और गाय के घी का सेवन करना चाहिए।
76. बरगद : रात के समय बरगद के दूध का लेप करने तथा उस पर इसकी छाल का कल्क (चूर्ण) बांधने से 7 दिन में कुष्ठ (कोढ़) एंव रोमक शान्त हो जाता है।
77. चकबड़ : चकबड़ के बीजों को थूहर के दूध में उबालकर गाय के पेशाब में डालकर कुछ देर के लिये धूप में रख दें। फिर उसका लेप जहां पर जख्म हो वहां पर करने से `किटिभ´ नाम का कुष्ठ रोग समाप्त हो जाता है।
78. पवांड़ (चक्रमर्द) :
79. शरपुंखा : 10 से 20 मिलीलीटर शरपुंखा के पत्तों का रस रोजाना 2-3 बार पीने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
80. परवल : कोढ़ के रोगी को मीठे परवल के फल खिलाने से कोढ़ मिट जाता है।

खाज-खुजली khaaj khujli



खाज-खुजली

अगर हमारे शरीर में कहीं भी कुछ हलचल हो रही है या ऐसा लग रहा हो कि कुछ काट रहा है तो हम शरीर के उस हिस्सें को हाथों से रगड़ देते हैं तो हमें थोड़ी शान्ति मिलती है इसे ही खाज-खुजली कहते हैं। यह ``सारकोप्टीस स्केवी´´ नाम के रोगाणु से फैलती है और यह मुख्यत: दो तरह की होती है- तर (गीली) और सूखी।परिचय :

कारण :

         गर्मी के मौसम में शरीर में बहुत ज्यादा पसीना आता है और जब यह पसीना त्वचा पर सूख जाता है तो खुजली पैदा हो जाती है। बाहर निकलने पर जब धूल-मिट्टी शरीर पर लगती है तो भी खुजली पैदा हो जाती है। रोजाना न नहाना भी खुजली होने का बहुत बड़ा कारण है। सर्दी के मौसम में ठंड़ी हवा जब शरीर में लगती है तो शरीर की त्वचा सूखकर खुरदरी सी हो जाती है और उसमें तेज खुजली होने लगती है ज्यादा जोर से खुजालने पर त्वचा में निशान से पड़ जाते हैं और उनमें तेज जलन होती है। खुजली एक फैलने वाला रोग है। घर के अन्दर अगर किसी एक व्यक्ति को खुजली हो जाती है तो उसके साथ वाले सारे लोग भी खुजली के शिकार हो जाते हैं।

लक्षण :

         खुजली बहुत तेजी से फैलने वाला त्वचा का रोग है। इस रोग में सबसे पहले शरीर में छोटी-छोटी फुंसिया निकल जाती है। यह फुंसिया हाथ-पैरो में, उंगलियों में, कलाई के पीछे के भाग में और बगल में ज्यादा निकलती है और धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाती है। यह अक्सर लाल रंग के निशान के रूप में दिखाई देती है। यह खराब चीजों को छूने से, गलत इंजैक्शन के लग जाने के कारण या संक्रमण होने के कारण हो जाती है।
1. संतरा : संतरे के छिलकों को चटनी की तरह पीसकर शरीर में जहां पर खुजली हो वहां पर लगाने से आराम आता है।
2. तिल्ली :
3. हरड़ :
4. सिंघाड़ा : 10-10 ग्राम सिंघाड़ा, भिंगी की जड़, झाऊबेर और भारंगी की जड़ को एकसाथ मिलाकर पीस लें। फिर इसमें से 10 ग्राम मिश्रण को 1 कप पानी में डालकर उबाल लें। जब पानी उबलते हुए आधा बाकी रह जाये तो इसे पी लें। 7-8 दिन तक लगातार यह पानी पीने से खुजली की फुंसिया दूर हो जाती है।
5. आंवला : आंवले की गुठली को जलाकर राख बना लें फिर उसमें नारियल का तेल मिलाकर, गीली या सूखी किसी भी प्रकार की खुजली पर लगाने से लाभ होता है।
6. सरसों का तेल :
7. गोरखमुण्डी : गोरखमुण्डी के पत्तों को पानी के साथ पीसकर लेप करने से खुजली दूर हो जाती है।
8. अजवायन :
9. तुलसी : तिल्ली के तेल में तुलसी का रस मिलाकर लगाने से कुछ ही दिनों में खुजली दूर हो जाती है।
10. आंवले : 100 मिलीलीटर चमेली के तेल में 25 मिलीलीटर आंवले का रस मिलाकर शीशी में भरकर रख लें। इसे दिन में 4-5 बार खुजली वाले स्थान पर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।
11. दही : शरीर में जहां पर खुजली हो वहां पर दही को लगाने से खुजली दूर हो जाती है।
12. सिरस :
13. पित्तपापड़ा : 50 से 100 मिलीलीटर पित्तपापड़ा (शहतरा) के रस को सुबह और शाम पीने से हर प्रकार का रक्तदोष (खून की खराबी) दूर हो जाता है और खाज-खुजली, फोड़े-फुंसी आदि समाप्त हो जाते हैं। यह त्वचा के रंग में भी चमक लाता है।
14. काकड़ासिंगी : काकड़ासिंगी को पीसकर लेप करने से खाज-खुजली दूर हो जाती है।
15. शहद : 6 ग्राम से 10 ग्राम गर्म पानी में शहद मिलाकर 45 से 60 दिन तक लगातार पीने से हर प्रकार के चमड़ी के रोग, लाल चकते (निशान) और खाज-खुजली ठीक हो जाते हैं। यहां तक की यह कोढ़ (कुष्ठ) के रोग में भी आराम पहुंचाता है।
16. त्रिफला : 20 से 90 मिलीलीटर त्रिफला के रस को रोजाना 4 बार पीने से खून साफ हो जाता है और खाज-खुजली के साथ त्वचा के दूसरे रोग भी दूर हो जाते हैं।
17. पीपल :
18. कूठ : 20 ग्राम कूठ के चूर्ण को मक्खन में मिलाकर लेप करने से खुजली दूर हो जाती है।
19. कलौंजी : 50 ग्राम कलौंजी के बीजों को पीसकर उसमें 10 ग्राम बिल्व के पत्तों का रस मिला लें। इसमें 10 ग्राम हल्दी मिलाकर लेप करने से खुजली मिट जाती है।
20. सुहागा : सुहागे को तवे पर भूनकर उसका पानी शरीर पर मलने से खुजली में लाभ होता है।
21. टमाटर :
22. नींबू :
23. नारियल :
24. आक :
25. कपूर :
26. गेहूं : गेहूं के आटे का लेप करने से चर्मरोग (त्वचा के रोग), चर्मदाह (त्वचा में जलन), मवाद वाले फोड़े-फुन्सी और आग से जले हुए जख्म ठीक हो जाते हैं।
27. लहसुन :
28. चना : बिना नमक के चने के आटे की रोटी को 64 दिन तक लगातार खाने से दाद, खुजली आदि त्वचा के रोग मिट जाते हैं।
29. अरहर :
30. दूध :
31. तिल : 250 मिलीलीटर तिल के तेल में लगभग 63 मिलीलीटर दूब का रस डालकर आग पर पकाने के लिये रख दें। पकने के बाद इसे उतारकर ठंडा कर लें और छानकर 7 दिन तक इसकी मालिश करने से शरीर का कोई भी त्वचा से सम्बंधित रोग ठीक हो जाता है।
32. लालमिर्च : शोथ (सूजन), खुजली और त्वचा के रोगों में लाल मिर्च में पकाया हुआ तेल लगाने से लाभ होता है। बारिश के मौसम में होने वाली फुन्सियों के लिये यह बहुत ही लाभदायक है।
33. जमीकन्द : जमीकन्द की सब्जी खाने से खुजली पूरी तरह से ठीक हो जाती है।
34. सौंफ : सौंफ और धनिये को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। फिर इसमें डेढ़ गुना घी और 2 गुना चीनी मिलाकर रख लें। इसको सुबह और शाम 30-30 ग्राम की मात्रा में खाने से हर तरह की खुजली दूर होती है।
35. फिटकरी :
36. परवल : खुजली होने पर परवल की सब्जी खाने से लाभ होता है।
37. गुड़ : जिन व्यक्तियों को रक्तविकार (खून में खराबी) हो उन्हें चाय, दूध, लस्सी आदि में चीनी की जगह गुड़ का सेवन करना चाहिये। ऐसा करने से खून साफ होकर खुजली दूर होती है।
38. मूंग : मूंग की दाल को छिलके के साथ इतने पानी में भिगो लें कि दाल उस पानी को अपने अन्दर सोख लें। 2 घंटे तक दाल को भीगने के बाद उसे पीसकर खुजली वाले स्थान पर लगाने से आराम आता है।
39. बथुआ :
40. मीठे फल : जिन लोगों को खुजली का रोग हो उन लोगों को टॉफी, मिठाई जैसी चीनी से बनी हुई चीजों के स्थान पर मीठे फल खाने से खुजली ठीक हो जाती है।
41. हारसिंगार : हारसिंगार के पत्ते और नाचकी का आटा मिलाकर पीसकर लगाने और दही में सोनागेरू घिसकर रोगी को पिलाने से खुजली कुछ ही समय में समाप्त हो जाती है। इसके अलावा हारसिंगार के पत्तों को दूध में पीसकर लेप करने से भी खुजली में लाभ मिलता है।
42. मालकांगनी : मालकांगनी के बीजो को गोमूत्र (गाय के पेशाब) में पीसकर रोजाना शरीर के खुजली वाले भाग पर लगाने से खुजली में लाभ मिलता है।
43. आम :
44. धनिया : खुजली अक्सर सफाई न रखने पर, शरीर में पसीने के मरने पर या फिर छूत के कारण होती है। इसमें पहले छोटे-2 दाने निकलते हैं फिर उन दानों में खुजली मचने लगती है। इन दानों को खुजलाने से त्वचा छिल जाती है और कभी-कभी बड़ा दर्द होता है। इस दशा से बचने के लिए वैसलीन में, गंधक और धनिया पीसकर तथा कपडे में छान करके मिला लें। इस मलहम को खुजली वाले स्थान पर दिन में 3-4 बार लगाने से काफी आराम मिलता है।
45. मिर्ची : मिर्च के बीज के चूर्ण को सरसों के तेल में मिलाकर लेप करने से खुजली में लाभ मिलता है।
46. जीरा : जीरे को पानी में उबालकर, उस पानी से नहाने से शरीर की खुजली और पित्ती मिट जाती है।
47. चीनी : चीनी व चीनी से बनी चीजों जैसे टाफियां, मिठाइयों आदि का सेवन बन्द कर देने से भी खुजली ठीक हो जाती है।
48. दूधी : 20 ग्राम ताजी या सूखी हुई दूधी को बारीक पीसकर इसमें 10 ग्राम मक्खन घोल लें। इसका लेप जहां पर शरीर में खुजली हो वहां पर करें और 4 घंटे बाद साबुन से धो डाले। इसके कुछ दिनों के सेवन से ही सभी प्रकार की खुजली दूर हो जाती है।
49. कागजी नीबू : 10 ग्राम बादाम की गिरी के तेल में 6 ग्राम कागजी नींबू का रस डालकर शरीर पर मलने और गर्म पानी से स्नान करने से खुजली दूर हो जाती है।
50. मूली : मूली के बीजों को पीसकर, उसमें नींबू का रस मिलाकर लगाने से दाद और खुजली नष्ट हो जाती है।
51. चित्रक : लाल चित्रक के दूध का लेप करने से खुजली मिट जाती है।
52. कालीमिर्च :
53. अड़ूसा : अड़ूसा के नर्म पत्ते और आम्बा हल्दी को गाय के पेशाब में पीसें और उसका लेप करने से खुजली दूर हो जाती है। इसके अलावा अड़ूसे के पत्तों को पानी में उबालकर उस पानी से स्नान करने से खुजली मिट जाती है।
54. गिलोय :
55. गोमा : गोमा के ताजे रस को खुजली वाली जगह पर मलने से खुजली में आराम आता है।
56. करंज : करंज के तेल में कपूर या नीबू का रस मिलाकर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।
57. अजवाइन :
58. करौदा : कड़वे करौदे की जड़ को पानी या तिल के तेल में घिसकर लगाने से खुजली ठीक हो जाती है।
59. चमेली : चमेली के तेल, नींबू के रस और गुलाब के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर शरीर में जहां पर खुजली हो वहां पर लगाने से आराम मिलता है।
60. अमरबेल :
61. खजूर : खजूर या छुहारे की गुठली को जलाकर उसकी राख में कपूर और घी मिलाकर लगाने से खुजली मिट जाती है।
62. शंखपुष्पी : शंखपुष्पी के फूलों को पीसकर लेप करने से खुजली में लाभ होता है।
63. नींबू :
64. बिजौरा नींबू : गंधक को बिजौरा नींबू के रस में मिलाकर लगाने से खुजली मिट जाती है।
65. नींबू जम्भीरी : नींबू जम्भीरी के रस में गंधक मिलाकर गीली खुजली वाले भाग पर लगाने से आराम मिलता है।
66. भांगरा : 10 ग्राम भांगरा के पत्ते, 10 ग्राम जवासा, 60 ग्राम चिरायता और 60 ग्राम शरपुंखा को पानी में पीसकर और छानकर इसमें 20 ग्राम शहद मिलाकर रोजाना 3 बार सेवन करने से शरीर की खुजली नष्ट हो जाती है तथा शरीर निरोगी हो जाता है।
67. सौंफ : सौंफ और धनिये को एकसाथ मिलाकर थोड़ी सी मात्रा में पीस लें। फिर इसमें डेढ़ गुना घी और दोगुना शक्कर मिलाकर रखें। इसे सुबह-शाम 30-30 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से हर तरह की खुजली दूर हो जाती है।
68. पवांड़ (चक्रमर्द) :
69. परवल : परवल की सब्जी खाने से खुजली, कोढ़, खून की खराबी, आंखों की बीमारियां और पेट के कीड़े दूर होते हैं। पुराने बुखार में भी परवल अधिक लाभदायक साबित होता है।
70. अपामार्ग :
71. पपीता : पपीते का दूध और सुहागा को उबलते पानी में डालकर शरीर पर लेप करने से दाद और खुजली आदि मिट जाते हैं।
72. अफीम : अफीम को तिल के तेल में मिलाकर मालिश करने से खुजली मिट जाती है।
73. टमाटर : 2 चम्मच नारियल का तेल और 1 चम्मच टमाटर का रस मिलाकर मालिश करें। उसके बाद गर्म पानी से स्नान करने से खुजली में लाभ होता है।
74. बरगद : बरगद के आधा किलो पत्तों को पीसकर 4 लीटर पानी में रात के समय भिगोकर सुबह ही पका लें। पकने पर 1 किलों पानी बचने पर इसमें आधा किलो सरसों का तेल डालकर दोबारा पकायें, तेल बचने पर छान कर रख लें। इस तेल की मालिश से गीली और सूखी दोनों प्रकार की खुजली दूर हो जाती है।
75. अनार : मीठे अनार के 8-10 ताजे पत्तों को पीसकर उसमें थोड़ा सा सरसों का तेल मिलाकर मालिश करने से खुजली रोग में आराम हो जाता है।
76. हल्दी :
77. आमाहल्दी : शरीर में जहां पर खाज-खुजली हो वहां पर आमाहल्दी को पीसकर लगाने से आराम आता है।
78. वनहल्दी : वनहल्दी का लेप करने से खाज-खुजली कुछ ही समय में दूर हो जाती है।
79. कुसुम : असली कुसुम का तेल लगाने से खाज-खुजली जल्दी ठीक हो जाती है।
80. यवक्षार : शरीर में जहां पर खुजली हो उस स्थान को यवक्षार के घोल से साफ करने से लाभ होता है।
81. कनेर :
82. चकबड़ : चकबड़ (पवांड़) के बीज को मूली के पत्तों के साथ या नींबू के रस के साथ पीसकर लगाने से खाज-खुजली बिल्कुल ठीक हो जाती है।
83. राल : 40 ग्राम राल, 40 ग्राम मोम, 40 मिलीलीटर तिल का तेल और 30 ग्राम घी को एकसाथ मिलाकर गर्म कर लें और लेप बना लें। इस लेप को शरीर में खाज और खुजली वाले भाग पर लगाने से लाभ होता है।
84. नागकेसर : पीला नागकेसर के तेल को लगाने से खाज और खुजली जल्द ही दूर हो जाती है।
85. नीम :
86. सरफोंका : सरफोंका के बीजों का लेप करने से या उसके बीजों का तेल लगाने से खाज-खुजली ठीक हो जाती है।
87. मरोड़फली : मरोड़फली के फल को पीसकर लगाने से खाज-खुजली दूर हो जाती है।
88. छोटी दूद्धी : छोटी दूद्धी के रस को खाज और खुजली में लगाने से आराम आता है।
89. बिछुआ : बिछुआ के फल से भाप के द्वारा निकाले हुए तेल को खाज और खुजली पर लगाने से लाभ होता है।
90. द्रोणपुष्पी :
91. जलकुम्भी : जलकुम्भी (कुम्भी) के रस को नारियल के तेल में मिलाकर लगाने से खाज-खुजली और त्वचा के दूसरे रोग ठीक हो जाते हैं।
92. रीठा : कण्डू और खाज-खुजली होने पर रीठा का लेप करने से ये रोग ठीक हो जाते है।
93. दूब :
94. माधवी लता : खाज-खुजली होने पर माधवी लता के पत्तों को पीसकर लगाने से खाज-खुजली ठीक हो जाती है।
95. केवड़ा : खाज-खुजली होने पर या त्वचा के दूसरे रोगो में केवड़ा के पत्तों को पीसकर लगाने से लाभ होता है।
96. चूरनहार : 40 मिलीलीटर चूरनहार की फांट को सुबह और शाम खुजली से पीड़ित रोगी को खिलाने से खाज-खुजली दूर हो जाती है।
97. शिलारस : शिलारस को 4 गुना तिल के तेल में मिलाकर लगाने से खाज और खुजली दूर हो जाती है।
98. विजयसार : खाज-खुजली होने पर विजयसार के पत्तों को पीसकर लगाने से आराम आता है।
99. महुआ : 20 से 40 मिलीलीटर महुआ की छाल का काढ़ा सुबह और शाम पीने से और इसी काढ़े से खाज-खुजली की वजह से हुये जख्म को धोने से बहुत जल्दी आराम आ जाता है।
100. चंदन :
101. अगर : अगर को पानी के साथ पीसकर शरीर में लगाने से खाज-खुजली दूर हो जाती है।
102. लता कस्तूरी : सूखी खुजली होने पर लता कस्तूरी के बीजों को दूध में पीसकर लेप की तरह लगाने से लाभ होता है।
103. भांट के पत्ते : 10 से 20 मिलीलीटर भांट के पत्तों का रस सुबह और शाम पीने से या 20 से 40 मिलीलीटर पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का काढ़ा सुबह और शाम पीने से खुजली ठीक हो जाती है। भांट के पत्तों के रस को लगाने से खुजली में आराम आता है। इसके पंचांग से बने तेल को शरीर में जहां पर खुजली हो वहां पर लगाने से भी लाभ होता है।
104. भंगरैया :
105. चालमोंगरा :
106. अड़ूसा : अड़ूसे के 10-12 कोमल पत्ते तथा 2 से 5 ग्राम हल्दी को एक साथ गोमूत्र में पीसकर लेप करने से खुजली व कण्डु रोग शीघ्र ही नष्ट हो जाता है। इससे दाद और उकवत रोग में भी लाभ होता है।
107. गोभी : फूलगोभी में क्षारीय तत्व होते हैं। गोभी में गंधक अधिक मात्रा में पाये जाने के कारण खुजली, सफेद दाग और चर्मरोगों (त्वचा के रोग) में लाभ होता है। गोभी में पाये जाने वाले सल्फर और क्लोरीन का मिश्रण म्यूकस, मेंमरिन तथा आंतों की सफाई करता है। ये सभी क्षार शरीर व खून को साफ करते हैं। इससे चर्मरोग (त्वचा के रोग), गैस, नाखून और बालों के रोग दूर होते हैं। फूलगोभी को भाप में ही उबालकर ही खाना चाहिए। इसे पानी में उबालने से पेट में गैस पैदा होती है।
108. पारीष पीपल : पारीष पीपल के फलों की राख को तेल के अन्दर मिलाकर त्वचा पर लगाने से खुजली वाली त्वचा के सारे रोग ठीक हो जाते हैं