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आक्षेप (पेशी-स्फुरण के साथ बेहोशी और ऐंठन) ainthan
आक्षेप (पेशी-स्फुरण के साथ बेहोशी और ऐंठन)
2. लहसुन : दूध में लहसुन और वायविडंग को उबालकर सुबह-शाम रोगी को पिलाने से आक्षेप में बहुत लाभ प्राप्त होता है।
3. शहद :
4. सौंफ : 1 भाग सौंफ, 4 भाग जटामांसी, 1 भाग दालचीनी, 1 भाग शीतलचीनी और 8 भाग मिश्री को लेकर इसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को रोजाना 3 से 9 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम रोगी को देने से उसके शरीर का कंपन खत्म हो जाता है जोकि आक्षेप की स्थिति में होता है।
5. सहजना (मुनगा) : नाक में सहजना के बीजों से बने चूर्ण को डालने से आक्षेप से बेहोश व्यक्ति जल्दी होश में आ जाता है।
6. अगियारवर : अगियारवर को फेंटकर लगभग 40 ग्राम सुबह-शाम को आक्षेप के रोगी को देने से यह रोग दूर हो जाता है।
7. उस्तखुदूस : उस्तखुदूस के पचांग (छाल, जड़, रस, पत्ते, फल या फूल) का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाने से उसके आक्षेप के कारण पड़ने वाले दौरे बन्द हो जाते हैं।
8. ऊदसलीब : ऊदसलीब की जड़ का चूर्ण सुबह-शाम 1 से 3 ग्राम की मात्रा में लेने से आक्षेप में बहुत लाभ मिलता है।
जब मनुष्य अपनी स्मरण या पहचानने की शक्ति खोकर अचानक गिर जाता है, मांसपेशियों में ऐंठन या अकड़न आ जाये और हाथ-पैरों को कड़ा कर दें यह समझ लेना चाहिए कि उस व्यक्ति को आक्षेप रोग हो गया है। मनुष्य चाहे जागने की स्थिति में हो या सोने की स्थिति में हो यह किसी भी समय हो सकता है। इस रोग में चेहरे पर विभिन्न प्रकार के भाव प्रकट होते हैं। यह वातनाड़ी संस्थान का रोग है।परिचय :
विभिन्न भाषाओं में नाम :
हिन्दी |
आक्षेप, कंपकंपाना। |
अरबी |
आक्षेप। |
बंगाली |
आक्षेप। |
गुजराती |
अचकी। |
कन्नड़ |
एलावु वायु। |
मराठी |
झटकायेणे। |
मलयालम |
वेट्टल वातम। |
उड़िया |
वातामारिबा। |
तमिल |
वलिप्पु नोय। |
अंग्रेजी |
कन्वल्जन्स। |
भोजन तथा परहेज :
1. अजवायन : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग खुरासानी अजवायन सुबह-शाम खाने से आक्षेप, मिर्गी और अनिद्रा में बहुत लाभ प्राप्त होता है।2. लहसुन : दूध में लहसुन और वायविडंग को उबालकर सुबह-शाम रोगी को पिलाने से आक्षेप में बहुत लाभ प्राप्त होता है।
3. शहद :
5. सहजना (मुनगा) : नाक में सहजना के बीजों से बने चूर्ण को डालने से आक्षेप से बेहोश व्यक्ति जल्दी होश में आ जाता है।
6. अगियारवर : अगियारवर को फेंटकर लगभग 40 ग्राम सुबह-शाम को आक्षेप के रोगी को देने से यह रोग दूर हो जाता है।
7. उस्तखुदूस : उस्तखुदूस के पचांग (छाल, जड़, रस, पत्ते, फल या फूल) का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाने से उसके आक्षेप के कारण पड़ने वाले दौरे बन्द हो जाते हैं।
8. ऊदसलीब : ऊदसलीब की जड़ का चूर्ण सुबह-शाम 1 से 3 ग्राम की मात्रा में लेने से आक्षेप में बहुत लाभ मिलता है।
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