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अंग-प्रत्यंग ang pratyang

अंग-प्रत्यंग


          कोई रोग यदि किसी खास अंग तक ही सीमित रहे तो उन्हें अंग-प्रत्यंग का रोग कहा जाता है।परिचय
:

लक्षण :

          नाड़ियों की कार्य क्षमता कम हो जाने से, हाथ-पैरों में आक्षेप (सुन्नता) आने लगता है। रोगी किसी वस्तु को हाथ से नहीं उठा सकता है अगर रोगी किसी वस्तु को उठाता है तो रोगी के हाथ में झिनझिनी भरने लगती है। हाथ भारी और उसकी नसें सिकुड़ी हुई मालूम पड़ने लगती हैं। शरीर की त्वचा के किसी भाग पर स्पर्श (छूने से) करने से रोगी को पता नहीं चलता और जलने पर भी किसी प्रकार का दर्द अनुभव नहीं होता है।

चिकित्सा :