पित्त की पथरी

पित्त की पथरी


          पित्ताशय (वह स्थान जहां पेशाब एकत्रित होता हैं) में कोई पदार्थ जब जमकर पथरी का रूप धारण कर लेती है तो उसे ही पित्त की पथरी कहते हैं। ये पथरी जब एक पित्ताशय में होती है। तब तक तो यह कोई दर्द नहीं करती मगर जब यह पित्त नली से निकलने लगती है तब यह बहुत दर्द करता है।परिचय :

कारण :

          जब ज्यादा वसा से भरा पदार्थ यानी घी, मक्खन, तेल वगैरह से बने पदार्थ का सेवन करते हैं तो शरीर में कोलेस्ट्रोल, कैल्शियम कार्बोनेट और कैल्शियम फांस्फेट के अधिक बनने से पित्ताशय में पथरी का निर्माण होता है। रक्त विकृति के कारण छोटे बच्चों के शरीर में भी पथरी बन सकती है। पित्ताशय में पथरी की बीमारी से स्त्रियों को ज्यादा कष्ट होता है। 30 वर्ष से ज्यादा की स्त्रियां गर्भधारण के बाद पित्ताशय की पथरी से अधिक ग्रस्त होती हैं। कुछ स्त्रियों में पित्ताशय की पथरी का रोग वंशानुगत भी होता है। खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा ज्यादा होने पर कैल्शियम के मिलने से पथरी बनने लगती है।

लक्षण :

          पेट के ऊपरी भाग में दायीं ओर बहुत ही तेज दर्द होता है और बाद में पूरे पेट में फैल जाता है। लीवर स्थान बड़ा और कड़ा और दर्द से भरा होता है। नाड़ी की गति धीमी हो जाती है। शरीर ठंड़ा हो जाता है, मिचली और उल्टी के रोग, कमजोरी (दुर्बलता), भूख की कमी और पीलिया रोग के भी लक्षण होते हैं। इसका दर्द भोजन के 2 घण्टे बाद होता है इसमें रोगी बहुत छटपटाता है।

भोजन तथा परहेज :

1. अजमोदा : पित्त की पथरी में अजमोदा फल का चूर्ण 1 ग्राम से 4 ग्राम सुबह-शाम देने से फायदा होता है। मगर यह मिर्गी और गर्भवती महिला को नहीं देना चाहिए।
2. पथरचूर :
3. मजीठा : मजीठा को कपड़े से छानकर 1 ग्राम को रोज 3 बार खाने से सभी तरह की पथरियां गलकर मूत्र के द्वारा बाहर निकल जाती हैं। इससे फायदा न होने पर ऑपरेशन क्रिया की राय ले सकते हैं।
4. छोटा गोखरू : छोटा गोखरू का चूर्ण 3 ग्राम से 6 ग्राम सुबह-शाम शहद के साथ खाने से और ऊपर से बकरी का दूध सिर्फ 7 दिनों तक पीने से ही पथरी दूर हो जाती है।
5. गोखरू :
6. बड़ी इलायची : बड़ी इलायची लगभग आधा ग्राम को खरबूजे के बीज के साथ पीसकर खाने से पथरी रोग में फायदा होता है।
7. भटकटैया : भटकटैया, रेंगनीकांट की जड़ बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण करके 2 ग्राम सुबह-शाम मीठे दही के साथ मात्र 7 दिनों तक पीने से पथरी रोग में फायदा होता है।
8. धतूरे : धतूरे के बीज 0.06 से 0.12 ग्राम दही के साथ खाने से दर्द कम हो जाता है और उल्टी भी नहीं होती है। इसके प्रयोग से पहले धतूरे के बीज को 12 घंटे तक गाय के मूत्र में या दूध में उबालकर शोंधन कर लें। इससे पथरी में लाभ होगा।
9. सहजना : सहजना की जड़ की छाल का काढ़ा और हींग को सेंधानमक में मिलाकर सुबह-शाम खाने से पित्तपथरी में फायदा होता है।
10. अपामार्ग : पित्त की पथरी में अपामार्ग की जड़ 5 से 10 ग्राम कालीमिर्च के साथ या जड़ का काढ़ा कालीमिर्च के साथ 15 से 50 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम लेने से पथरी में लाभ होता है। काढ़ा अगर गरम-गरम ही लें तो लाभ होगा।
11. नारियल : नारियल के जड़ का काढ़ा 40 मिलीलीटर सुबह-शाम सेवन करने से पित्त की पथरी या किसी भी तरह की पथरी में लाभ होता है।
12. पालक : पालक के साग का रस 10 से 20 मिलीलीटर तक खाने से पित्त की पथरी या किसी भी तरह की पथरी खत्म हो जाती है।
13. मूली : पित्त की पथरी के रोगी को सुबह-शाम मूली के पत्तों का रस 20 से 40 मिलीलीटर सेवन करने से लाभ होता है।
14. गाजर : गाजर का रस पीने से पथरी टूटकर निकल जाती है।
15. नींबू : गर्म पानी में नींबू निचोड़कर पीने से पथरी में आराम मिलता है।
16. एल्कोहल : ऐल्कोहल के प्रयोग से पथरी बढ़ने का खतरा घट जाता है। थोड़ी मात्रा में एल्कोहल का सेवन कर सकते हैं।
17. सोंठ :
18. वरूण :
19. इन्द्रायण : इन्द्रायण की जड़ और कुलथी का काढ़ा बनाकर पीने से पथरी के रोग में बहुत लाभ होता है।
20. सोडा वाटर : एक कप सोडा वाटर के पानी में 2 चम्मच ग्लिसरीन डालकर रोज दोपहर और शाम को कुछ दिनों तक खाने से पथरी में लाभ होगा।
21. इमली : लगभग आधा से एक ग्राम इमली रस सुबह-शाम यवक्षार से घुले ताजे पानी के साथ लेने से पथरी खत्म हो जाती है। यह अजीर्ण और पेशाब की परेशानी को भी दूर करता है।
22. कदली (केला) : कदली क्षार और तिल क्षार प्रत्येक को 0.24 ग्राम से 1.08 ग्राम शहद में मिलाकर रोज 3 से 4 बार खाने से सब तरह की पथरी खत्म होती है।
23. केला :
24. कड़वी तुंबी : कड़वी तुंबी का रस और यवक्षार मिलाकर मिश्री डालकर पीने से पथरी खत्म होती है।
25. अंगूर का रस : रोज 200 मिलीलीटर अंगूर का रस पीने या अंगूर खाने से पित्ताशय की पथरी में बहुत ही फायदा होता है।
26. सीताफल : सीताफल के 25 ग्राम रस में सेंधानमक मिलाकर रोज पिलाने से पथरी खत्म होकर निकल जाती है।
27. अरहर : अरहर के पत्ते 6 ग्राम और संगेयहूद 0.48 ग्राम को बारीक पीसकर पानी में मिलाकर पीने से पथरी में बहुत ही फायदा होता है।
28. प्याज : प्याज, लहसुन, सरसों, महुआ और सहजन की छाल को पानी के साथ पीसकर, पित्ताशय के ऊपर लेप करने से सूजन और दर्द दूर होता है और इससे पथरी में लाभ होगा।

शीतपित्त

शीतपित्त


          खून की गर्मी या पित्त के ज्यादा होने से कभी-कभी त्वचा पर लाल-लाल चकत्ते या ददोड़े से निकल आते है जिनमें खुजली होती है। इसे पित्ती उछलना कहते है। यह शीतपित्त, जुड़ पित्ती या छपाकी आदि नामों से जानी जाती है।परिचय :

विभिन्न भाषाओं में नाम :


हिन्दी    

पित्त उठना, पित्ती उछलना।

अग्रेंजी    

अरटीकेरिया।    

अरबी    

कैसले ऊठा, चाका उट्ठा, उदर्द।

बंगाली         

शीतपित्त, उदर्द, कोठ।

गुजरात   

शीतपित्त।

कन्नड़         

पित्तदगं ड्डे, सिरकोय खोराका।

मलयालम

चोरिंजु ततिप्पेउ, वात्तीनारू, वात्तपुरू।

मराठी         

शीतपित्त, पिताम्बी वा गन्धी उठणे।

उड़िया         

आग्यिवात।

पंजाबी         

पिउड़िया।

पंजाबी         

पित्ती।

तमिल         

थाड़िप्पु।

तेलगू    

दद्दुर्लू।

कारण :

लक्षण :

भोजन तथा परहेज :

1. गुड़ : गुड़ के साथ अदरक का रस 1 चम्मच से 2 चम्मच की मात्रा में रोज दो तीन मात्रायें सेवन करने से शीत-पित्त खत्म होती है।
2. कबीला : कबीला तेल को लगाने से शीत-पित्त या चकत्ते की खुजली दूर होती है।
3. प्याज :
4. त्रिफला :
5. नागकेसर : नागकेसर 5 ग्राम पीसकर शहद के साथ सुबह शाम खायें। इससे शीत-पित्त में लाभ होगा।
6. सिरका : सिरका और गुलाब का रस 100 मिलीलीटर मिलाकर पित्ती पर लगायें।
7. फिटकरी :
8. पोदीना :
9. जवारिस जालीनूस : जवारिस जालीनूस 6 ग्राम पानी से खाना खाने के बाद सुबह-शाम के समय लें। इससे शीत-पित्त में लाभ होगा।
10. अजवायन :
11. अलसी : अलसी के तेल में कपूर डालकर किसी शीशी में मिलाकर इस तेल से मालिश करने से पित्त में जल्दी ही आराम आता है।
12. निंबोली : 7 निंबोली वो भी हरी चबानी चाहिए। छोटे बच्चों को दो निबोली 12 ग्राम पानी में घिसकर देने से पित्ती में फायदा तुरन्त होता है।
13. चना : चने से बने मोतिया लड्डुओं पर कालीमिर्च डालकर खायें तो पित्ती ठीक हो जाती है।
14. घी :
16. हींग : हींग को घी में मिलाकर मालिश करने से पित्ती मिट जायेगी।
17. जीरा :
18. कड़वा जीरा : कड़वे जीरा का चूर्ण गुड़ के साथ खाने से पित्त जल्दी ही खत्म होता है।
19. कालीमिर्च :
20. शहद :
21. हल्दी :
22. सरसो : पित्ती होने पर दस्त कराने वाली औषधि सेवन करने से पेट साफ होता है, सरसों के तेल की मालिश करके गर्म पानी में नहाने से पित्ती खत्म होती है।
23. पान :
24. सिरस : शरीर में जहां-जहां पित्ती निकली हो वहां पर सिरस के फूलों को पानी में पीसकर लेप करें और एक चम्मच पिसे हुए सिरस के फूल एक चम्मच शहद में मिलाकर चाटने से पित्ती रोग ठीक हो जाता है।
25. मैनफल : मैनफल के पेड़ की छाल के काढ़े को लेने से लाभ होता है।
26. अनन्तमूल : अनन्तमूल का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग तक रोज खाने से पित्ती मिटती है।
27. एरण्ड :
28. कुसुम : कुसुम के बीजों के माण्ड को खाने से पित्ती उछलने में लाभ होता है।
29. भिलावां : पित्ती अगर पहली बार हुई हो तो शुद्ध किया हुआ भिलावा 10 ग्राम, काजू 60 ग्राम और शहद 10 ग्राम अच्छी तरह घोंटकर 2 ग्राम रोज 2 से 3 बार खाने से पूरा लाभ होता है।
30. कपूर :
31. सुगंधबाला : तेज पित्ती निकलने पर सुगंधवाला की फांट या घोल को सुबह-शाम खाने से लाभ होता है।
32. जायफल : पुरानी पित्ती में जायफल के तेल में जैतून का तेल मिलाकर मालिश करने से लाभ होता है।
33. गिलोय :
34. मण्डूकपर्णी : पुराने पित्ती में मण्डूकपर्णी का चूर्ण 0.24 ग्राम से 0.48 ग्राम या 8 से 12 ताजे पत्तों को पीसकर सुबह-शाम खाने से पुरानी पित्ती ठीक हो जाती है। छोटे बच्चों को सिर्फ 2 से 4 पत्ते ही दें।
35. पोय : पोय साग के पत्तों को मसलकर निकलने वाले रस को लगाने से शीतपित्त में लाभ होता है। पोय के साग को खाने से भी फायदा होता है।
36. करेला : करेले को सब्जी के रूप में खाने से लाभ होता है और उसके पत्तों को पीसकर लेप करने से भी फायदा होता है।
37. फालसा : पित्त-विकार में पके फालसे के रस में पानी, सौठ और शक्कर मिलाकर पीना चाहिए।
38. शहतूत : पित्त की बीमारी को दूर करने के लिये गर्मी के मौसम में दोपहर को शहतूत खाने से लाभ होता है।
39. लौंग : 4 लौंग को पीसकर पानी में घोलकर पिलाने से तेज बुखार और पित्त ज्वर कम होता है।
40. गेरू :
41. जलनिम्बु : जलनिम्बु के साथ बराबर मात्रा में कालीमिर्च को पीसकर पानी के साथ लेने से शीत पित्त में लाभ होता है। 
42. अदरक : अदरक का रस 5 मिलीलीटर को चाटने से शीतपित्त ठीक होती है।
43. चिरौंजी :
44. अंकोल :
45. बड़ी अरणी : बड़ी अरणी की जड़ को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर 1 ग्राम चूर्ण, जीरे के 1 ग्राम चूर्ण के साथ शहद को मिलाकर चाटने से पित्त में बहुत लाभ होता है।
46. अपामार्ग (चिरचिटा) : अपामार्ग (चिरचिटा) के पत्तों के रस में कपूर और चंदन का तेल मिलाकर शरीर पर मलने से शीत पित्त की खुजली और जलन खत्म होती है।
47. चक्रमर्द (पंवाल) : चक्रमर्द की जड़ के बारीक चूर्ण में घी मिलाकर खाने से शीतपित्त में बहुत ही लाभ होता है।
48. सर्पगंधा : सर्पगंधा का चूर्ण 1 ग्राम मात्रा में पानी के साथ खाने से शीतपित्त खत्म होती है।
49. अकरकरा : अकरकरा को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें 3 ग्राम मात्रा में पानी के साथ खाने से शीत पित्त समाप्त होती है।
50. दूब : दूब और हल्दी दोनों को एक साथ पीसकर लेप करने से शीतपित्त जल्दी ही खत्म हो जाती है।
51. नारियल : नारियल या तिल्ली के तेल में थोड़ा-सा कपूर मिलाकर शरीर पर मालिश करें। इससे हर प्रकार की पित्ती खत्म हो जाती है।
52. आंवला :
53. सौंठ : पिसी हुई सौंठ और गेरू, दोनों 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद के साथ 7-8 दिन तक खाने से पित्त का उछलना बन्द हो जाता है।
54. एरण्ड : पित्ती उछलने पर सबसे पहले 4 चम्मच एंरड का तेल पीकर पेट साफ कर लें। इसके बाद 5 ग्राम छोटी इलायची के दाने, 10 ग्राम दालचीनी, पीपर 10 ग्राम सबको पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण मक्खन के साथ खायें।
55. चंदन : शरीर पर चंदन का तेल मलने से पित्ती चली जाती है।
56. पटोल : पटोल, नीम की छाल, अडूसा, त्रिफला, गुग्गुल, पीपल। इन सबको 4-4 ग्राम की मात्रा में लेकर इनका काढ़ा बनाकर खाने से लाभ होता हैं।
57. चिरायता : चिरायता, अडूसा, कुटकी, पटोल, त्रिफला, लाल चंदन, नीम की छाल इन सबको 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर, 2 कप पानी में उबालकर काढ़ा बना लें और सेवन करने से पित्त में आराम मिलता है।
58. नागरबेल : नागरबेल के पत्तों के रस में फिटकरी पीसकर शरीर पर मलें।
59. मेथी के दाने : मेथी के दाने, कालीमिर्च और हल्दी। तीनों को 1-1 चम्मच की मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। फिर थोडे़-से अदरक के रस में मिलाकर चने के बराबर की गोलियां बनाकर 1-1 गोली सुबह-शाम पानी से खाने से लाभ होता है।
60. चीकू : चीकू को रात्रिभर मक्खन में भिगोकर सुबह के समय खाने से पित्त प्रकोप शान्त होता है तथा यह ज्वर में भी लाभकारी होता है।
61. मूली : मूली के जूस का प्रयोग शीतपित्त और प्रवाहिका में सेवन करें।
62. इलायची : पित्त विकृत होने पर 2 से 4 चम्मच अरण्डी के तेल का सेवन करें। इससे पेट साफ हो जाता है। फिर यह प्रयोग करें- 10 ग्राम छोटी इलायची, 10 ग्राम दालचीनी, 10 ग्राम पीपल तीनों को लेकर बारीक पीस लें। फिर इसमें 25 ग्राम मिश्री मिलाकर पीस लें। इसे आधा चम्मच मक्खन के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से पित्त विकृत में लाभ मिलता है।
63. इमली : रात के समय लगभग 1 किलो इमली लेकर एक कलई के बर्तन में 2 लीटर पानी डालकर भिगों दें। रात भर भीगी रहने दें। दूसरे दिन पानी सहित बर्तन को चूल्हे पर चढ़ा दें। इसके अच्छी तरह उबल जाने पर उसे छानकर उसमें 2 किलो चीनी डाले और एक तार छूटने तक पकाये। एक तारी हो जाने पर उतार कर ठंड़ा कर ले और हर बार 10-10 ग्राम के प्रमाण से पित्त शान्त होने तक दें। इससे उल्टी भी बन्द हो जाती है। इसे इमली का शर्बत कहा जाता है।
64. करंज :
65. गुलाब :
66. केला :
67. खैर : 10 ग्राम खैर के फूल और 3 ग्राम सोंठ को बारीक पीसकर गोली बनायें। गाय के ताजे दूध में मिलाकर उसका रोज सुबह के समय 3 दिन तक खाने से पित्त शान्त होती है।
68. नींबू : एक नींबू के रस में 5 ग्राम मिश्री मिलाकर सेवन करने से पित्त शान्त होती है।
69. नीम :
70. सीताफल : सुबह या रात में ओस में रखे हुए पके सीताफल के सेवन से पित्त की जलन समाप्त हो जाती है।
71. बेल : बेल का मुरब्बा खाने से पित्त का अतिसार मिटता है। पेट के सभी रोगों में बेल का मुरब्बा खाने से लाभ मिलता है।