शीतपित्त

शीतपित्त


          खून की गर्मी या पित्त के ज्यादा होने से कभी-कभी त्वचा पर लाल-लाल चकत्ते या ददोड़े से निकल आते है जिनमें खुजली होती है। इसे पित्ती उछलना कहते है। यह शीतपित्त, जुड़ पित्ती या छपाकी आदि नामों से जानी जाती है।परिचय :

विभिन्न भाषाओं में नाम :


हिन्दी    

पित्त उठना, पित्ती उछलना।

अग्रेंजी    

अरटीकेरिया।    

अरबी    

कैसले ऊठा, चाका उट्ठा, उदर्द।

बंगाली         

शीतपित्त, उदर्द, कोठ।

गुजरात   

शीतपित्त।

कन्नड़         

पित्तदगं ड्डे, सिरकोय खोराका।

मलयालम

चोरिंजु ततिप्पेउ, वात्तीनारू, वात्तपुरू।

मराठी         

शीतपित्त, पिताम्बी वा गन्धी उठणे।

उड़िया         

आग्यिवात।

पंजाबी         

पिउड़िया।

पंजाबी         

पित्ती।

तमिल         

थाड़िप्पु।

तेलगू    

दद्दुर्लू।

कारण :

लक्षण :

भोजन तथा परहेज :

1. गुड़ : गुड़ के साथ अदरक का रस 1 चम्मच से 2 चम्मच की मात्रा में रोज दो तीन मात्रायें सेवन करने से शीत-पित्त खत्म होती है।
2. कबीला : कबीला तेल को लगाने से शीत-पित्त या चकत्ते की खुजली दूर होती है।
3. प्याज :
4. त्रिफला :
5. नागकेसर : नागकेसर 5 ग्राम पीसकर शहद के साथ सुबह शाम खायें। इससे शीत-पित्त में लाभ होगा।
6. सिरका : सिरका और गुलाब का रस 100 मिलीलीटर मिलाकर पित्ती पर लगायें।
7. फिटकरी :
8. पोदीना :
9. जवारिस जालीनूस : जवारिस जालीनूस 6 ग्राम पानी से खाना खाने के बाद सुबह-शाम के समय लें। इससे शीत-पित्त में लाभ होगा।
10. अजवायन :
11. अलसी : अलसी के तेल में कपूर डालकर किसी शीशी में मिलाकर इस तेल से मालिश करने से पित्त में जल्दी ही आराम आता है।
12. निंबोली : 7 निंबोली वो भी हरी चबानी चाहिए। छोटे बच्चों को दो निबोली 12 ग्राम पानी में घिसकर देने से पित्ती में फायदा तुरन्त होता है।
13. चना : चने से बने मोतिया लड्डुओं पर कालीमिर्च डालकर खायें तो पित्ती ठीक हो जाती है।
14. घी :
16. हींग : हींग को घी में मिलाकर मालिश करने से पित्ती मिट जायेगी।
17. जीरा :
18. कड़वा जीरा : कड़वे जीरा का चूर्ण गुड़ के साथ खाने से पित्त जल्दी ही खत्म होता है।
19. कालीमिर्च :
20. शहद :
21. हल्दी :
22. सरसो : पित्ती होने पर दस्त कराने वाली औषधि सेवन करने से पेट साफ होता है, सरसों के तेल की मालिश करके गर्म पानी में नहाने से पित्ती खत्म होती है।
23. पान :
24. सिरस : शरीर में जहां-जहां पित्ती निकली हो वहां पर सिरस के फूलों को पानी में पीसकर लेप करें और एक चम्मच पिसे हुए सिरस के फूल एक चम्मच शहद में मिलाकर चाटने से पित्ती रोग ठीक हो जाता है।
25. मैनफल : मैनफल के पेड़ की छाल के काढ़े को लेने से लाभ होता है।
26. अनन्तमूल : अनन्तमूल का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग तक रोज खाने से पित्ती मिटती है।
27. एरण्ड :
28. कुसुम : कुसुम के बीजों के माण्ड को खाने से पित्ती उछलने में लाभ होता है।
29. भिलावां : पित्ती अगर पहली बार हुई हो तो शुद्ध किया हुआ भिलावा 10 ग्राम, काजू 60 ग्राम और शहद 10 ग्राम अच्छी तरह घोंटकर 2 ग्राम रोज 2 से 3 बार खाने से पूरा लाभ होता है।
30. कपूर :
31. सुगंधबाला : तेज पित्ती निकलने पर सुगंधवाला की फांट या घोल को सुबह-शाम खाने से लाभ होता है।
32. जायफल : पुरानी पित्ती में जायफल के तेल में जैतून का तेल मिलाकर मालिश करने से लाभ होता है।
33. गिलोय :
34. मण्डूकपर्णी : पुराने पित्ती में मण्डूकपर्णी का चूर्ण 0.24 ग्राम से 0.48 ग्राम या 8 से 12 ताजे पत्तों को पीसकर सुबह-शाम खाने से पुरानी पित्ती ठीक हो जाती है। छोटे बच्चों को सिर्फ 2 से 4 पत्ते ही दें।
35. पोय : पोय साग के पत्तों को मसलकर निकलने वाले रस को लगाने से शीतपित्त में लाभ होता है। पोय के साग को खाने से भी फायदा होता है।
36. करेला : करेले को सब्जी के रूप में खाने से लाभ होता है और उसके पत्तों को पीसकर लेप करने से भी फायदा होता है।
37. फालसा : पित्त-विकार में पके फालसे के रस में पानी, सौठ और शक्कर मिलाकर पीना चाहिए।
38. शहतूत : पित्त की बीमारी को दूर करने के लिये गर्मी के मौसम में दोपहर को शहतूत खाने से लाभ होता है।
39. लौंग : 4 लौंग को पीसकर पानी में घोलकर पिलाने से तेज बुखार और पित्त ज्वर कम होता है।
40. गेरू :
41. जलनिम्बु : जलनिम्बु के साथ बराबर मात्रा में कालीमिर्च को पीसकर पानी के साथ लेने से शीत पित्त में लाभ होता है। 
42. अदरक : अदरक का रस 5 मिलीलीटर को चाटने से शीतपित्त ठीक होती है।
43. चिरौंजी :
44. अंकोल :
45. बड़ी अरणी : बड़ी अरणी की जड़ को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर 1 ग्राम चूर्ण, जीरे के 1 ग्राम चूर्ण के साथ शहद को मिलाकर चाटने से पित्त में बहुत लाभ होता है।
46. अपामार्ग (चिरचिटा) : अपामार्ग (चिरचिटा) के पत्तों के रस में कपूर और चंदन का तेल मिलाकर शरीर पर मलने से शीत पित्त की खुजली और जलन खत्म होती है।
47. चक्रमर्द (पंवाल) : चक्रमर्द की जड़ के बारीक चूर्ण में घी मिलाकर खाने से शीतपित्त में बहुत ही लाभ होता है।
48. सर्पगंधा : सर्पगंधा का चूर्ण 1 ग्राम मात्रा में पानी के साथ खाने से शीतपित्त खत्म होती है।
49. अकरकरा : अकरकरा को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें 3 ग्राम मात्रा में पानी के साथ खाने से शीत पित्त समाप्त होती है।
50. दूब : दूब और हल्दी दोनों को एक साथ पीसकर लेप करने से शीतपित्त जल्दी ही खत्म हो जाती है।
51. नारियल : नारियल या तिल्ली के तेल में थोड़ा-सा कपूर मिलाकर शरीर पर मालिश करें। इससे हर प्रकार की पित्ती खत्म हो जाती है।
52. आंवला :
53. सौंठ : पिसी हुई सौंठ और गेरू, दोनों 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद के साथ 7-8 दिन तक खाने से पित्त का उछलना बन्द हो जाता है।
54. एरण्ड : पित्ती उछलने पर सबसे पहले 4 चम्मच एंरड का तेल पीकर पेट साफ कर लें। इसके बाद 5 ग्राम छोटी इलायची के दाने, 10 ग्राम दालचीनी, पीपर 10 ग्राम सबको पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण मक्खन के साथ खायें।
55. चंदन : शरीर पर चंदन का तेल मलने से पित्ती चली जाती है।
56. पटोल : पटोल, नीम की छाल, अडूसा, त्रिफला, गुग्गुल, पीपल। इन सबको 4-4 ग्राम की मात्रा में लेकर इनका काढ़ा बनाकर खाने से लाभ होता हैं।
57. चिरायता : चिरायता, अडूसा, कुटकी, पटोल, त्रिफला, लाल चंदन, नीम की छाल इन सबको 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर, 2 कप पानी में उबालकर काढ़ा बना लें और सेवन करने से पित्त में आराम मिलता है।
58. नागरबेल : नागरबेल के पत्तों के रस में फिटकरी पीसकर शरीर पर मलें।
59. मेथी के दाने : मेथी के दाने, कालीमिर्च और हल्दी। तीनों को 1-1 चम्मच की मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। फिर थोडे़-से अदरक के रस में मिलाकर चने के बराबर की गोलियां बनाकर 1-1 गोली सुबह-शाम पानी से खाने से लाभ होता है।
60. चीकू : चीकू को रात्रिभर मक्खन में भिगोकर सुबह के समय खाने से पित्त प्रकोप शान्त होता है तथा यह ज्वर में भी लाभकारी होता है।
61. मूली : मूली के जूस का प्रयोग शीतपित्त और प्रवाहिका में सेवन करें।
62. इलायची : पित्त विकृत होने पर 2 से 4 चम्मच अरण्डी के तेल का सेवन करें। इससे पेट साफ हो जाता है। फिर यह प्रयोग करें- 10 ग्राम छोटी इलायची, 10 ग्राम दालचीनी, 10 ग्राम पीपल तीनों को लेकर बारीक पीस लें। फिर इसमें 25 ग्राम मिश्री मिलाकर पीस लें। इसे आधा चम्मच मक्खन के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से पित्त विकृत में लाभ मिलता है।
63. इमली : रात के समय लगभग 1 किलो इमली लेकर एक कलई के बर्तन में 2 लीटर पानी डालकर भिगों दें। रात भर भीगी रहने दें। दूसरे दिन पानी सहित बर्तन को चूल्हे पर चढ़ा दें। इसके अच्छी तरह उबल जाने पर उसे छानकर उसमें 2 किलो चीनी डाले और एक तार छूटने तक पकाये। एक तारी हो जाने पर उतार कर ठंड़ा कर ले और हर बार 10-10 ग्राम के प्रमाण से पित्त शान्त होने तक दें। इससे उल्टी भी बन्द हो जाती है। इसे इमली का शर्बत कहा जाता है।
64. करंज :
65. गुलाब :
66. केला :
67. खैर : 10 ग्राम खैर के फूल और 3 ग्राम सोंठ को बारीक पीसकर गोली बनायें। गाय के ताजे दूध में मिलाकर उसका रोज सुबह के समय 3 दिन तक खाने से पित्त शान्त होती है।
68. नींबू : एक नींबू के रस में 5 ग्राम मिश्री मिलाकर सेवन करने से पित्त शान्त होती है।
69. नीम :
70. सीताफल : सुबह या रात में ओस में रखे हुए पके सीताफल के सेवन से पित्त की जलन समाप्त हो जाती है।
71. बेल : बेल का मुरब्बा खाने से पित्त का अतिसार मिटता है। पेट के सभी रोगों में बेल का मुरब्बा खाने से लाभ मिलता है।