शीतपित्त
खून की गर्मी या पित्त के ज्यादा होने से कभी-कभी त्वचा पर लाल-लाल चकत्ते या ददोड़े से निकल आते है जिनमें खुजली होती है। इसे पित्ती उछलना कहते है। यह शीतपित्त, जुड़ पित्ती या छपाकी आदि नामों से जानी जाती है।परिचय :
विभिन्न भाषाओं में नाम :
कारण :
लक्षण :
भोजन तथा परहेज :
1. गुड़ : गुड़ के साथ अदरक का रस 1 चम्मच से 2 चम्मच की मात्रा में रोज दो तीन मात्रायें सेवन करने से शीत-पित्त खत्म होती है।2. कबीला : कबीला तेल को लगाने से शीत-पित्त या चकत्ते की खुजली दूर होती है।
3. प्याज :
6. सिरका : सिरका और गुलाब का रस 100 मिलीलीटर मिलाकर पित्ती पर लगायें।
7. फिटकरी :
500 मिलीलीटर पानी में 12 ग्राम नमक को मिलाकर पियें। उल्टी करने के बाद फिटकरी गेरू 20 ग्राम पानी में पीसकर शरीर पर लगायें। इससे शीत-पित्त में लाभ होगा।
पिसी हुई फिटकरी आधा चम्मच, आधे कप गर्म पानी में घोलकर पित्ती निकलने वाली जगह इसे लगायें और धोयें।
फिटकरी को तवे पर भूनकर कूट लें और 0.48 ग्राम चूर्ण मक्खन मिलाकर खाने से जल्दी लाभ होता है।
10. अजवायन :
अजवायन 50 ग्राम अच्छी तरह कूटकर 50 ग्राम गुड़ के साथ 6-6 ग्राम की गोलियां बनाकर सुबह शाम 1-1 गोली ताजे पानी के साथ 7 दिनों में ही सारे शरीर पर फैली हुई पित्ती दूर हो जायेगी।
पित्ती होने पर 1 चम्मच अजवाइन और सेंधानमक मिलाकर सुबह खाली पेट पानी से फंकी लेने से फायदा होता है।
एक चम्मच अजवायन, 2 गुने गुड़ को दो कप पानी में उबालकर पीने से पित्ती में लाभ होता है।
अजवायन एक ग्राम और गुड़ 3 ग्राम मिलाकर खाने से पित्ती दूर हो जाती है।
अजवायन और गेरू मिलाकर गुड़ के साथ खाने से लाभ होता है।
अजवायन और शुद्ध गंधक को बराबर मात्रा में मिलाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर 1 ग्राम मात्रा में शहद के साथ खाने से शीतपित्त खत्म होता है।
अजवायन और गेरू को सिरके में पीसकर लगाने से पित्ती ठीक हो जाती है।
अजवायन 5 ग्राम, पिपरमेंट 10 दाने और गुड़ 10 ग्राम। तीनों को मिलाकर दो खुराक बनायें। सुबह-शाम इसका प्रयोग करने से खूनी पित्त समाप्त हो जाती है।
अजवायन, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, जवाखार। इन सब चीजों को आधा-आधा चम्मच की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें इसमें से 2 चुटकी चूर्ण रोज गर्म पानी के साथ खायें।
12. निंबोली : 7 निंबोली वो भी हरी चबानी चाहिए। छोटे बच्चों को दो निबोली 12 ग्राम पानी में घिसकर देने से पित्ती में फायदा तुरन्त होता है।
13. चना : चने से बने मोतिया लड्डुओं पर कालीमिर्च डालकर खायें तो पित्ती ठीक हो जाती है।
14. घी :
17. जीरा :
19. कालीमिर्च :
पिसी हुई हल्दी एक चम्मच, गेहूं का आटा 2 चम्मच, घी एक चम्मच, चीनी 2 चम्मच और आधा कप पानी डालकर हलुआ बनाकर रखें। इसे ठंड़ा होने पर सुबह रोज खायें, ऊपर से एक गिलास दूध पीने से लाभ और इससे शीत-पित्त में लाभ होगा।
आधा चम्मच हल्दी और एक चम्मच मिश्री या शहद मिलाकर दो बार रोज लें। इससे पित्ती निकलना बन्द हो जायेगी।
हल्दी, सरसो, पवांड़ के बीज और तिल। इन सबकी मात्रा बराबर 5-5 ग्राम लेकर कडुवे तेल में मिला लें। इस तेल की शरीर पर मालिश करने से लाभ होता है।
हल्दी का चूर्ण 1 से 2 ग्राम रोज गाय के मूत्र के साथ या हरिद्राखाण्ड 10 ग्राम रोज कुछ दिन तक खाने से शीतपित्त ठीक हो जाती है।
23. पान :
24. सिरस : शरीर में जहां-जहां पित्ती निकली हो वहां पर सिरस के फूलों को पानी में पीसकर लेप करें और एक चम्मच पिसे हुए सिरस के फूल एक चम्मच शहद में मिलाकर चाटने से पित्ती रोग ठीक हो जाता है।
25. मैनफल : मैनफल के पेड़ की छाल के काढ़े को लेने से लाभ होता है।
26. अनन्तमूल : अनन्तमूल का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग तक रोज खाने से पित्ती मिटती है।
27. एरण्ड :
29. भिलावां : पित्ती अगर पहली बार हुई हो तो शुद्ध किया हुआ भिलावा 10 ग्राम, काजू 60 ग्राम और शहद 10 ग्राम अच्छी तरह घोंटकर 2 ग्राम रोज 2 से 3 बार खाने से पूरा लाभ होता है।
30. कपूर :
32. जायफल : पुरानी पित्ती में जायफल के तेल में जैतून का तेल मिलाकर मालिश करने से लाभ होता है।
33. गिलोय :
गिलोय का मिश्रण 100 ग्राम और अनन्तमूल का चूर्ण 100 ग्राम दोनों को 1 लीटर खौलते पानी में मिलाकर बन्द बर्तन में 2 घंटे रख दें। बाद में मसलकर छानकर 50 से 100 मिलीलीटर सुबह-शाम पिलाने से पुरानी से पुरानी पित्ती ठीक हो जाती है।
गिलोय, हल्दी, नीम की अन्तरछाल और यवासा का काढ़ा बनाकर पीने से शीत पित्त की विकृति खत्म होती है।
35. पोय : पोय साग के पत्तों को मसलकर निकलने वाले रस को लगाने से शीतपित्त में लाभ होता है। पोय के साग को खाने से भी फायदा होता है।
36. करेला : करेले को सब्जी के रूप में खाने से लाभ होता है और उसके पत्तों को पीसकर लेप करने से भी फायदा होता है।
37. फालसा : पित्त-विकार में पके फालसे के रस में पानी, सौठ और शक्कर मिलाकर पीना चाहिए।
38. शहतूत : पित्त की बीमारी को दूर करने के लिये गर्मी के मौसम में दोपहर को शहतूत खाने से लाभ होता है।
39. लौंग : 4 लौंग को पीसकर पानी में घोलकर पिलाने से तेज बुखार और पित्त ज्वर कम होता है।
40. गेरू :
गेरू को पानी में मिलाकर शरीर पर लेप करके कंबल ओढ़कर सोने से शीत पित्त खत्म होता है।
गेरू को पीसकर तेल में मिलाकर शीतपित्त पर मलने से जल्दी लाभ होता है।
एक चम्मच गेरू पिसा हुआ, एक चम्मच हल्दी और एक चम्मच चीनी इन सबको सूजी में मिलाकर हलवा बना लें और खायें। इससे पित्ती खत्म हो जाती है।
गेरू के पुए खाने से रोग दूर हो जाता है।
42. अदरक : अदरक का रस 5 मिलीलीटर को चाटने से शीतपित्त ठीक होती है।
43. चिरौंजी :
46. अपामार्ग (चिरचिटा) : अपामार्ग (चिरचिटा) के पत्तों के रस में कपूर और चंदन का तेल मिलाकर शरीर पर मलने से शीत पित्त की खुजली और जलन खत्म होती है।
47. चक्रमर्द (पंवाल) : चक्रमर्द की जड़ के बारीक चूर्ण में घी मिलाकर खाने से शीतपित्त में बहुत ही लाभ होता है।
48. सर्पगंधा : सर्पगंधा का चूर्ण 1 ग्राम मात्रा में पानी के साथ खाने से शीतपित्त खत्म होती है।
49. अकरकरा : अकरकरा को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें 3 ग्राम मात्रा में पानी के साथ खाने से शीत पित्त समाप्त होती है।
50. दूब : दूब और हल्दी दोनों को एक साथ पीसकर लेप करने से शीतपित्त जल्दी ही खत्म हो जाती है।
51. नारियल : नारियल या तिल्ली के तेल में थोड़ा-सा कपूर मिलाकर शरीर पर मालिश करें। इससे हर प्रकार की पित्ती खत्म हो जाती है।
52. आंवला :
54. एरण्ड : पित्ती उछलने पर सबसे पहले 4 चम्मच एंरड का तेल पीकर पेट साफ कर लें। इसके बाद 5 ग्राम छोटी इलायची के दाने, 10 ग्राम दालचीनी, पीपर 10 ग्राम सबको पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण मक्खन के साथ खायें।
55. चंदन : शरीर पर चंदन का तेल मलने से पित्ती चली जाती है।
56. पटोल : पटोल, नीम की छाल, अडूसा, त्रिफला, गुग्गुल, पीपल। इन सबको 4-4 ग्राम की मात्रा में लेकर इनका काढ़ा बनाकर खाने से लाभ होता हैं।
57. चिरायता : चिरायता, अडूसा, कुटकी, पटोल, त्रिफला, लाल चंदन, नीम की छाल इन सबको 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर, 2 कप पानी में उबालकर काढ़ा बना लें और सेवन करने से पित्त में आराम मिलता है।
58. नागरबेल : नागरबेल के पत्तों के रस में फिटकरी पीसकर शरीर पर मलें।
59. मेथी के दाने : मेथी के दाने, कालीमिर्च और हल्दी। तीनों को 1-1 चम्मच की मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। फिर थोडे़-से अदरक के रस में मिलाकर चने के बराबर की गोलियां बनाकर 1-1 गोली सुबह-शाम पानी से खाने से लाभ होता है।
60. चीकू : चीकू को रात्रिभर मक्खन में भिगोकर सुबह के समय खाने से पित्त प्रकोप शान्त होता है तथा यह ज्वर में भी लाभकारी होता है।
61. मूली : मूली के जूस का प्रयोग शीतपित्त और प्रवाहिका में सेवन करें।
62. इलायची : पित्त विकृत होने पर 2 से 4 चम्मच अरण्डी के तेल का सेवन करें। इससे पेट साफ हो जाता है। फिर यह प्रयोग करें- 10 ग्राम छोटी इलायची, 10 ग्राम दालचीनी, 10 ग्राम पीपल तीनों को लेकर बारीक पीस लें। फिर इसमें 25 ग्राम मिश्री मिलाकर पीस लें। इसे आधा चम्मच मक्खन के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से पित्त विकृत में लाभ मिलता है।
63. इमली : रात के समय लगभग 1 किलो इमली लेकर एक कलई के बर्तन में 2 लीटर पानी डालकर भिगों दें। रात भर भीगी रहने दें। दूसरे दिन पानी सहित बर्तन को चूल्हे पर चढ़ा दें। इसके अच्छी तरह उबल जाने पर उसे छानकर उसमें 2 किलो चीनी डाले और एक तार छूटने तक पकाये। एक तारी हो जाने पर उतार कर ठंड़ा कर ले और हर बार 10-10 ग्राम के प्रमाण से पित्त शान्त होने तक दें। इससे उल्टी भी बन्द हो जाती है। इसे इमली का शर्बत कहा जाता है।
64. करंज :
करंज की छाल खिलाना या उसका रस पिलाने से पित्त रोग में लाभ होता है।
कंट करंज के बीजों से निकाला हुआ तेल या इसके बीजों से सिद्ध तेल पित्ती पर लगाने से लाभ होता है।
कंट करंज के पत्ते का रस 10 से 20 मिलीलीटर या जड़ 0.60 ग्राम से 1.20 ग्राम तक सुबह-शाम खाने से शीतपित्त में लाभ होता है। दवा खाली पेट न खायें।
शीतपित्त में करंज के पत्ते का रस, दही, नमक और कालीमिर्च के साथ सुबह शाम लेने से पूरा लाभ होता है।
गुलाब के रस में थोड़ा सा चंदन का तेल मिलाकर मालिश करने से शीतपित्त में बहुत लाभ होता है।
25 मिलीलीटर गुलाबजल में 25 मिलीलीटर सिरका मिलाकर शरीर पर लगाने से शीतपित्त में बहुत ही लाभ होता है।
चौथाई कप गुलाबजल में एक बूंद चंदन के तेल को मिलाकर बदन पर लगाने से पित्ती ठीक हो जाती है। पित्ती उछलने पर गुलाबजल में चंदन का पाउडर मिलाकर लेप करने से आराम मिलता है।
68. नींबू : एक नींबू के रस में 5 ग्राम मिश्री मिलाकर सेवन करने से पित्त शान्त होती है।
69. नीम :
नीम के पत्तों के रस को पानी में मिलाकर पीने से उल्टी होकर पित्त निकल जाती है।
नीम के बीजों की गिरी सरसों के तेल में जलाकर उस तेल की मालिश करें।
नीम की नई कोमल पत्तियों को आंवलों के साथ पीसकर घी के साथ खाने से शीतपित्त की बीमारी खत्म होती है।
नीम की छाल का काढ़ा पिलाने से शीतपित्त, क्षत कण्डू (घाव की खुजली), विस्फोट (चेचक) और रक्तपित्त (खूनी पित्त) समाप्त होती है।
71. बेल : बेल का मुरब्बा खाने से पित्त का अतिसार मिटता है। पेट के सभी रोगों में बेल का मुरब्बा खाने से लाभ मिलता है।