पेट का कैंसर

पेट का कैंसर


           कैंसर का अर्थ होता है, बिना किसी उद्देश्य के आकारहीन गांठ का हो जाना, जिसके बढ़ने को रोका न जा सके। इस रोग में पेट में गांठ होकर तेजी से बढ़ता रहता है जिसे एक जगह से काट देने पर दूसरी जगह फिर से हो जाता है, यही पेट का कैंसर कहलाता है। इसमें गांठों का बढ़ना जारी रहता है। शुरुआत में इसका पता ही नहीं लगता है, जब रोग का पता लगता है तो रोग ऐसी अवस्था में पहुंच चुका होता है कि रोगी के प्राणों को बचाना कठिन होता है। यदि कैंसर होने का पता शुरुआत में ही लग जाये तो रोगी को बचाया जा सकता है।परिचय :

विभिन्न औषधियों से उपचार :

1. लहसुन :
2. बरगद : कूठ व सेंधानमक को बरगद के दूध में मिलाकर लेप करें, तथा ऊपर छाल का पतला टुकड़ा बांध दें। इसे 7 दिन तक 2 बार प्रयोग करने से पेट की कैंसर की गांठें दूर हो जाती है। गठिया, चोट व मोच पर बरगद का दूध लगाने से दर्द जल्दी कम होता है।
3. डबल रोटी : डबलरोटी को खाने से व्यक्ति कैंसर के रोग से दूर रह सकता हैं क्योंकि डबलरोटी आसानी से पच जाती है जिससे आंतों के कैंसर का खतरा नहीं रहता हैं।

भोजन एवं परहेज :

जानकारी :

          पेट का कैंसर होने पर रोगी को सबसे पहले अपने त्वचा, फेफड़ों, गुर्दों और आंतों को साफ करना चाहिए। गुर्दो की सफाई के लिए एनिमा क्रिया लाभकारी रहती है। इसके बाद रोगी को 4 दिन तक सिर्फ रसदार फलों का ही सेवन करना चाहिए जैसे- संतरा, अंगूर, नाशपाती, नींबू और टमाटर आदि। इसके अलावा गाजर आदि कच्ची सब्जियों का भी सेवन किया जा सकता है।
सावधानी : व्यक्ति को कैंसर की बीमारी से अपने आप को बचाने के लिए धूम्रपान और कार्सिजोनिक, रसायन, पानी और भोजन में पाये जाने वाले कार्बन से दूर रहना चाहिए।