पथरी
पथरी रोग मूत्र संस्थान से सम्बंधित रोग होता है। पेशाब के साथ निकलने वाले क्षारीय तत्व जब शरीर में किसी कमी के कारण पेशाब की नली, गुर्दे या मूत्राशय में रुक जाते हैं तो हवा के कारण यह छोटे-छोटे पत्थर आदि का रूप ले लेते हैं। पथरी छोटे-छोटे रेत के कणों से बढ़कर धीरे-धीरे बड़ी होती जाती है। यह खुरदरी, चिकनी, सख्त, गोल आदि आकारों में पाई जाती है।परिचय :
लक्षण :
कारण :
विभिन्न भाषाओं में नाम :
भोजन और परहेज :
पथरी रोग से ग्रस्त रोगी को रोजाना नारियल का पानी पिलाना चाहिए।
रोगी को भोजन में ऐसे पदार्थों का सेवन कराना चाहिए जो पचने में बहुत ही आसान हो।
पथरी से ग्रस्त रोगी को पुराने चावल, अदरक, दूध, नींबू का रस देते रहना चाहिए।
पथरी के रोगी को मीठे पदार्थ, घी, मक्खन, शराब, चीनी, मांस, चाय, कॉफी और उत्तेजक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
पथरी के रोगी को मौसम के अनुसार अगर गन्ने का रस या कुलथी का पानी मिल जाए तो वो पीना चाहिए क्योंकि यह गुर्दे की अच्छी तरह से सफाई कर देते हैं।
2-2 ग्राम जवाखार और चीनी को मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से पेट की गैस खत्म हो जाती है।
जवाखार, गोखरू तथा पथरचटा को 2-2 ग्राम की मात्रा में एकसाथ मिलाकर पानी के साथ लेने से पथरी में लाभ मिलता है और लगातार दो महीने तक इसका सेवन करने से पथरी घुलकर निकल जाती है।
5-5 ग्राम जवाखार, सुहागा तथा कलमीशोरा को एकसाथ मिलाकर कूटकर चूर्ण बना लें। इसमें से 1-1 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन सुबह-शाम मूली के रस या कुलथी के रस में मिलाकर पीयें। इससे गुर्दे व मूत्राशय की पथरी गलकर निकल जाती है।
जवाखार 2 ग्राम तथा सुहागा 2 ग्राम को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में गोखरू का 20 मिलीलीटर रस मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीयें। इससे पथरी गलकर निकल जाती है।
नीम का काढ़ा बनाकर पीने से पेट की पथरी गल जाती है तथा पेट दर्द में आराम मिलता है।
नीम के पत्तों की 20 ग्राम राख को थोड़े दिनों तक लगातार पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से पथरी में लाभ मिलता है।
120 ग्राम नीम के पत्तों को पीसकर, 2 लीटर पानी में डालकर उबाल लें, जब चौथाई पानी बच जाये, तब इसे नीचे उतारकर बफारा (भाप) देने से पथरी निकल जाती है।
नीम के 2 ग्राम पत्तों को 50 से 100 मिलीलीटर तक पानी में पीसकर छान लें, 45 दिनों तक सुबह, दोपहर और शाम को इस पानी को पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।
1 चम्मच नीम के पत्तों की राख को ठंड़े पानी से दिन में 3 बार रोजाना सेवन करने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी गलकर बाहर निकल जाती है।
सहजन की जड़ का काढ़ा बनाकर गुनगुना करके पीने से पथरी रोग ठीक हो जाता है।
सहजन तथा वरुण की छाल का काढ़ा बनाकर इसमें आधा ग्राम यवक्षार मिलाकर पीने से पथरी जल्द घुलकर नष्ट हो जाती है। लेकिन इसका सेवन कुछ दिनों तक लगातार करना चाहिए।
सहजन की सब्जी बनाकर खाने से गुर्दे व मूत्राशय की पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।
40 मिलीलीटर मूली के रस में 30 ग्राम अजमोद को मिलाकर पीने से पथरी गल जाती है तथा मल साफ होता है।
मूली के रस में आधा ग्राम जौखार का चूर्ण (पाउडर) मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से पेड़ू (नाभि के नीचे का हिस्सा) का दर्द, पेट में गैस बनना और पथरी रोग आदि ठीक हो जाते हैं।
एक गिलास पानी रात को सोते समय रखें। सुबह उस पानी में मूली का रस 2 ग्राम मिलाकर पीयें। इसको पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।
30 से 35 ग्राम मूली के बीजों को दो कप पानी में डालकर गर्म करें। जब एक कप पानी बच जाए तो इसे पी लें। इस तरह प्रतिदिन सुबह-शाम एक-एक कप पीने से मूत्राशय की पथरी गलकर निकल जाती है।
मूली के पत्तों के रस में कलमीशोरा डालकर सेवन करने से पथरी खत्म हो जाती है या मूली के 40 ग्राम बीजों को लगभग 500 मिलीलीटर पानी में मिलाकर गर्म करें, जब पानी आधा हो जाए तो इसका सेवन करने से पथरी रोग दूर होता है।
मूली का रस 30 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन 3 से 4 बार पीने से पथरी नष्ट होकर पेशाब के साथ बाहर निकल जाती है।
मूली के बीजों को पानी में डालकर उबाल लें। जब आधा पानी शेष रह जाए तो छानकर पीने से पथरी की विकृति नष्ट हो जाती है।
मूली का इस्तेमाल करने से पथरी के छोटे-छोटे कण मूत्र द्वारा बाहर निकल जाते हैं। इस रोग को ठीक करने के लिए मूली के क्षार का भी प्रयोग भी किया जा सकता है।
35 ग्राम मूली के बीजों को आधा लीटर पानी में डालकर उबाल लें। जब पानी आधा शेष रह जाए तब छानकर पी लें। यह प्रयोग कुछ दिनों तक करने से मूत्राशय (वह भाग जहां पेशाब एकत्रित होता है) की पथरी चूर-चूर होकर पेशाब के साथ बाहर आ जाती है। यह प्रयोग 2 से 3 महीने निरन्तर जारी रखें। मूली का रस पीने से पित्ताशय की पथरी बनना बन्द हो जाती है।
मूली की शाखाओं का रस 100 मिलीलीटर निकालकर दिन में 3 बार (सुबह, दोपहर और शाम) पीने से पथरी टुकड़े-टुकड़े होकर निकल जाती है।
मूली के पत्तों के 10 मिलीलीटर रस में 3 ग्राम अजमोद मिलाकर दिन में 3 बार पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।
मूली में गड्ढ़ा करके उसमें शलगम के बीज डालकर गुंथा आटा ऊपर लपेटकर अंगारों पर सेंक लें, इसके बाद आटे को अलग करके भरता बना लें और इसका सेवन करें। इसका कुछ दिनों तक सेवन करने से पथरी टुकड़े-टुकड़े होकर निकल जाती है।
कुलथी के बीजों का चूर्ण बनाकर प्रतिदिन सुबह-शाम 40 से 80 ग्राम की मात्रा में खाने से सभी प्रकार के पथरी रोग ठीक हो जाते हैं।
कुलथी, बरुणत्वाक, छोटे गोखरु के फल, कुश, शर, दर्भ तथा इक्षु को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ काढ़ा बना लें। इसमें से चौथाई ग्राम काढ़ा लेकर इसमें 25 ग्राम शर्करा तथा लगभग चौथाई ग्राम यवक्षार मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करें। इससे पथरी रोग ठीक हो जाता है।
6 ग्राम कुलथी को 125 मिलीलीटर पानी में अधिक देर तक उबालें। फिर पानी को छानकर इसमे चौथाई भाग के बराबर मूली का रस मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से पथरी गलकर नष्ट हो जाती है।
रात को सोते समय 250 ग्राम कुलथी को 3 लीटर पानी में भिगो दें। सुबह उस पानी को उबालकर और छानकर उसमें नमक, कालीमिर्च, जीरा, हल्दी तथा शुद्ध घी का छौंका दें। इसका काढ़ा प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से पेशाब की जलन, पेशाब का धीरे-धीरे आना तथा मूत्राशय की पथरी गलकर निकल जाती है।
10 ग्राम पथरचटा तथा 5 ग्राम कालीमिर्च को 50 मिलीलीटर पानी में मिलाकर पीसकर मिश्रण बना लें। इस मिश्रण को पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम 10 से 15 दिन तक खायें। इससे गुर्दे की पथरी गलकर निकल जाती है।
20 ग्राम पथरचटा की हरी पत्तियों को पानी के साथ बारीक पीस लें तथा उसमें चीनी मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीयें। यह पानी सभी प्रकार की पथरी को ठीक करता है।
10 ग्राम मेहंदी के हरे पत्तों को 500 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालें। जब पानी उबलकर 150 मिलीलीटर बच जाए तो उसे छानकर पी जाएं। लगातार 15 दिन तक सुबह-शाम यह पानी पीने से दोनों प्रकार की पथरी गलकर निकल जाती है।
500 मिलीलीटर पानी में 6 ग्राम मेहंदी के पतों को उबाल लें, जब पानी 150 मिलीलीटर शेष रह जाए तब इसे छानकर गर्म करके रोगी को पांच दिनों तक पिलाने से पथरी मल के रास्ते बाहर निकल जाती है तथा गुर्दे के रोगों में आराम मिलता है।
रात को 10 ग्राम मेहंदी की छाल को मिट्टी के बर्तन में उबालकर रखें। सुबह इसको छानकर पीने से गुर्दे की पथरी गलकर निकल जाती है।
प्याज के दो चम्मच रस में मिश्री मिलाकर पीने से 20 से 25 दिनों के अन्दर ही पथरी गलकर नष्ट हो जाती है।
प्याज के रस में चीनी डालकर शर्बत बनाकर पीने से पथरी कट-कटकर बाहर निकल जाती है।
50 मिलीलीटर प्याज के रस को सुबह खाली पेट रोजाना पीते रहने से गुर्दे व मूत्राशय (पेशाब के एकत्रित होने का स्थान) की पथरी टुकड़े-टुकड़े होकर निकल जाती है।
प्याज के 10-20 मिलीलीटर ताजा रस को दिन में 3 बार तक 3 महीने तक पीने से गुर्दे और मसाने की पथरी गलकर निकल जाती है और पेशाब साफ हो जाता है।
इलायची, शिलाजीत तथा पीपर को 3-3 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम खायें। इससे गुर्दे की पथरी गलकर निकल जाती है।
पथरी होने पर इलायची का सेवन करने से लाभ मिलता है।
इलायची, पीपल, महुआ, पाषाण भेद, गोखरु, अड़ूसा तथा एरण्ड की जड़ को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर जौकुट (मोटा कुटना) कर लें। इसका काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से लाभ मिलता है।
आम के पत्तों को सूखाकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें। प्रतिदिन सुबह-शाम इसका 2 चम्मच चूर्ण पानी के साथ लेने से कुछ दिनों में ही पथरी गलकर पेशाब के द्वारा निकल जाती है।
आम के ताजे पत्तों को छाया में सुखाकर बारीक पीस लें और 8 ग्राम बासी पानी के साथ सुबह के समय इसकी फंकी लें। इससे कुछ ही दिनों में पथरी गलकर नष्ट हो जाती है।
आम के मुलायम व ताजा पत्तों को छाया में सुखाकर बारीक पीस लें। इस चूर्ण को एक चम्मच प्रतिदिन सुबह बासी मुंह पानी के साथ लें। इससे पथरी रोग में लाभ मिलता है।
अंगूर के रस में थोड़ी सी केसर मिलाकर पीने से पथरी गलकर ठीक हो जाती है।
कालीदाख (काला अंगूर) की लकड़ी की राख 10 ग्राम को पानी में घोलकर दिन में दो बार पीने से मूत्राशय की पथरी नष्ट हो जाती है।
अंगूर की 6 ग्राम भस्म को गोखरू के 40-50 मिलीलीटर काढ़े या 10-20 मिलीलीटर रस के साथ पीने से पथरी नष्ट हो जाती है।
8-10 मुनक्कों को कालीमिर्च के साथ घोटकर सेवन करने से पथरी में लाभ मिलता है।
अखरोट को छिलके समेत पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 1-1 चम्मच चूर्ण ठंड़े पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से पथरी रोग ठीक हो जाता है।
अखरोट को कूटकर और छानकर चूर्ण बना लें। इसमें से एक-एक चम्मच चूर्ण सुबह-शाम ठंड़े पानी के साथ कुछ दिनों तक नियमित रूप से सेवन करने से पथरी मूत्र-मार्ग से निकल जाती है।
गोखरू, किरमाला, डाभ की जड़, कास की जड़, आंवला तथा हरड़ की छाल को 25-25 ग्राम की मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 2 लीटर पानी में डालकर काढ़ा बना लें। इसमें से 25 ग्राम काढ़ा शहद के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम लेने से सभी प्रकार की पथरी नष्ट हो जाती है।
1 चम्मच की मात्रा में गोखरू के बीजों का बारीक चूर्ण बनाकर शहद के साथ मिलाकर 1 कप बकरी के दूध के साथ दिन में 3 बार 1 सप्ताह तक रोजाना पीने से पथरी गलकर पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाती है।
गोखरू के पंचांग का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार गाय के दूध के साथ रोजाना सेवन करने से भी पथरी गलकर पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाती है।
5 ग्राम गोखरू के फलों का चूर्ण शहद के साथ दिन में 2 बार लेने के बाद गाय या भेड़ का दूध पीना चाहिए। इससे पथरी गलकर निकल जाती है।
पाषाण भेद 3 ग्राम, वरना की छाल 3 ग्राम, गोखरु की छाल 3 ग्राम, एरण्ड की जड़ 3 ग्राम, भटकटैया 3 ग्राम तथा लाल मखान को मिलाकर महीन पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 2-2 चूटकी चूर्ण प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से पथरी जल्दी गलकर निकल जाती है।
10 से 20 ग्राम की मात्रा में पाषाण भेद को प्रतिदिन सुबह-शाम लेने से पथरी रोग ठीक हो जाता है।
मजीठ, तिवर्सी के बीज, सफेद जीरा, सौंफ, आंवला, बेर की मींगी, गंधक तथा मैनासिल को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर महीन चूर्ण बना लें। यह 2 चुटकी चूर्ण प्रतिदिन सुबह-शाम शहद के साथ खाने से पथरी रोग में आराम मिलता है।
मजीठ की जड़ का चूर्ण दो ग्राम की मात्रा में चार चम्मच पानी के साथ दिन में 3 बार कुछ सप्ताह तक सेवन करने से पथरी गलकर निकल जाती है।
50 ग्राम सूखा धनिया, 50 ग्राम सौंफ तथा 50 ग्राम मिश्री को 1.5 लीटर पानी में सुबह के समय भिगो दें तथा शाम को छानकर पीस लें। फिर इसी पानी में इसे घोलकर और छानकर पीयें। इस प्रकार से सुबह-शाम इसका सेवन करने से पथरी में लाभ मिलता है।
20 ग्राम धनिये को एक लीटर पानी में डालकर उबालें, फिर इसे छानकर मूली को पीसकर उसका रस इसमें मिला दें। फिर इसमें सेंधानमक मिलाकर एक बोतल में भर दें। इस बोतल को 8 दिन तक धूप में रखें। इसमें से 4 चम्मच रस सुबह-शाम पानी के साथ लेने से पथरी गलकर मूत्र के साथ निकल जाती है।
50 ग्राम चुकन्दर, 50 ग्राम गाजर और 50 ग्राम ककड़ी या खीरा को मिलाकर जूस बनाकर पीने से सभी प्रकार की पथरी नष्ट हो जाती है।
चुकन्दर का रस या चुकन्दर को पानी में उबालकर इसका सूप बनाकर सेवन करने से पथरी गलकर निकल जाती है। इसको 3 ग्राम की मात्रा में दिन में 4 बार लेना चाहिए। इस प्रयोग से गुर्दे की सूजन भी दूर हो जाती है अत: यह गुर्दे के रोगों में लाभदायक होता है। इससे पेशाब अधिक मात्रा में आता है।
30 मिलीलीटर चुकन्दर के सूप को दिन में 4 बार 2 से 3 सप्ताह तक पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।
गोक्षुरफल पेशाब में जलन, पेशाब का धीरे-धीरे आना तथा मूत्राशय की पथरी को ठीक करता है। गोक्षुरफल, शुंठी, पाषाण तथा वरुणत्वक को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाएं। इसमें से लगभग चौथाई ग्राम काढ़े में चौथाई ग्राम यवक्षार मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीना पथरी में लाभकारी रहता है।
गोक्षुर के फल का चूर्ण बना लें। इसमें से 4 ग्राम चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करने से पथरी का रोग ठीक हो जाता है।
दूब को जड़ सहित उखाड़कर उसकी पत्तियों को तोड़कर अलग कर लेते हैं फिर इसे पानी के साथ पीसकर इसमें स्वादानुसार मिश्री डालकर छान लें। इसे एक गिलास की मात्रा में प्रतिदिन पीने से पथरी गल जाती है और पेशाब खुलकर आता है।
दूब की जड़ तथा तना को पानी में अच्छी तरह से धोकर बारीक चटनी बना लें। इस 5 ग्राम चटनी को एक गिलास पानी में मिलाकर 15 से 20 दिन सेवन करने से पथरी रोग ठीक हो जाता है।
जौ का पानी पीने से पथरी निकल जाती है। पथरी के रोगियों को जौ से बनी चीजें, जैसे-रोटी, जौ का सत्तू लेना चाहिए। इससे पथरी निकलने में लाभ मिलता है तथा पथरी बनती भी नहीं है। आंतरिक बीमारियों और आंतरिक अवयवों की सूजन में जौ की रोटी खाना लाभकारी होता है।
1 ग्राम जवाखार को घी के साथ चाटने के 5-6 मिनट के बाद ठंड़ा पानी या लस्सी पीने से पेशाब की जलन और पथरी रोग ठीक हो जाता है।
मूत्राशय की सूजन दूर करने और गुर्दो की सफाई के लिए 150 मिलीलीटर गाजर, चुकन्दर, ककड़ी या खीरे का रस एक साथ मिलाकर पीने से लाभ मिलता है। गुर्दे और मूत्राशय की पथरी को गाजर का रस तोड़कर बाहर निकाल देता है।
गाजर का रस रोजाना 3-4 बार पीने से पथरी निकल जाती है। गाजर के बीजों को पीसकर फंकी लेने से पथरी में आराम मिलता है।
गाजर का रस निकालकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीयें। यह पित्ताशय (पित्त से होने वाली) पथरी को गला देती है।
गाजर और शलगम के 1-1 चम्मच बीजों को मोटी मूली को खोखला करके उसमें भर दें। मूली के मुंह को बन्द करके आग में भून लें। मूली के अन्दर से बीजों को निकालकर प्रतिदिन सुबह-शाम पानी के साथ 1 महीने तक सेवन करने से पथरी रोग ठीक हो जाता है।
गाजर, मूली तथा शलगम के बीजों को 5-5 ग्राम की मात्रा में पीसकर चटनी बना लें। प्रतिदिन सुबह-शाम 3-3 ग्राम की मात्रा में यह चटनी पानी के साथ 15 दिन तक लेने से पथरी गलकर निकल जाती है।
250 मिलीलीटर गाजर का रस और सलाद के पत्तों का रस मिलाकर पीने से पथरी गलकर पेशाब के साथ बाहर निकल जाती है।
गेहूं की घास के रस को सेवन करने से मूत्राशय एवं गुर्दे सम्बंधी रोग और पथरी भी दूर हो जाती है। इसका नियमित रूप से सेवन करने से दांत मजबूत होते हैं, बालों को लाभ होता है, आंखों की रोशनी बढ़ती है और चर्म रोग (चमड़ी का रोग) भी नहीं होते हैं।
गेहूं और चने को पानी में उबालकर कपड़े से छान लें। इस पानी को प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी गलकर निकल जाती है।
250 ग्राम कलौंजी को पीसकर, 125 ग्राम शहद में मिला लें। इस मिश्रण के दो चम्मच, आधा कप पानी और आधा चम्मच कलौंजी के तेल में मिलाकर रोजाना एक बार खाली पेट सेवन करने से पथरी में लाभ मिलता है और पथरी 21 दिनों में ही ठीक हो जाता है।
एक चम्मच कलौंजी को सुबह खाली पेट और रात को सोते समय खाकर उसके ऊपर आधा कप खीरे का रस पी लें। यदि खीरा उपलब्ध नहीं हो तो पेठे का 200 मिलीलीटर रस पीने से पथरी गलकर नष्ट हो जाती है।
छाया में सूखी तिल की कोमल कोपलों की राख को 7 से 10 ग्राम की मात्रा में रोजाना खाने से पथरी गलकर निकल जाती है।
तिल के फूलों के 4 मिलीलीटर क्षार को 2 चम्मच शहद और 250 मिलीलीटर दूध में मिलाकर पीने से पथरी गलकर साफ हो जाती है।
तिल के पौधे की लकड़ी की भस्म लगभग 10 ग्राम तक सिरके के साथ सुबह और शाम भोजन से पहले खाना चाहिए। इससे पथरी गलकर मल के द्वारा बाहर निकल जाती है।
1 से 2 मिलीलीटर तिल के तने का क्षार दही के पानी के साथ दिन में 2 बार लेने से पथरी गलकर निकल जाती है।