प्लेग
प्लेग एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है। इसको अग्निरोहिणी तथा संस्कृत में औपसर्गिक सन्निपात के नाम से भी जाना जाता है।परिचय :
कारण :
लक्षण :
1. सरसो : पीली सरसो, नीम के पत्ते, कपूरकचरी, जौ, तिल, खांड़ और घी आदि को लेकर आग में जलाकर धुआं करने से हमारे आस-पास का वातावरण शुद्ध हो जाता है। यह धुआं प्लेग को फैलने से रोकता है।2. गुग्गुल : धूप और गुग्गुल को हवन सामग्री के जले हुए उपले पर जलाकर धुआं करने से दूषित वातावरण शुद्ध हो जाता है और प्लेग जैसी बीमारी नहीं फैलती है।345821
3. कपूर : प्लेग से बचने के लिये और अपने आस-पास के वातावरण को शुद्ध करने के लिये कपूर को जलाकर घर में उसका धुआं करना चाहिए।
4. आंवला : प्लेग के रोग को दूर करने के लिये सोनागेरू, खटाई, देशी कपूर, जहर मोहरा और आंवला को 25-25 ग्राम की मात्रा में लेकर तथा पपीते के बीज 10 ग्राम लेकर एक साथ मिलाकर कूटकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को कागजी नींबू के रस मे 3 घंटों तक घोटने के बाद मटर के बराबर गोलियां बना लें। उन गोलियों में से एक गोली 7 दिनों में एक बार खाने से प्लेग की बीमारी में लाभ होता है।
5. पीपल : छोटी पीपल, कालीमिर्च, लोंग, आक के फूल, अदरक इन पांचों को एक ही मात्रा में लेकर और पीसकर मटर के बराबर गोलियां बनाकर 1-1 गोली प्रतिदिन पानी के साथ लेने से प्लेग के रोग में लाभ मिलता है और सिर का दर्द, उल्टियां व पसलियों का दर्द ठीक हो जाता है।
6. नौसादर : नौसादर, आक के फूल, शुद्ध वत्सनाग और पांचों नमक को बराबर मात्रा में मिलाकर और बारीक पीसकर प्याज के रस में 3 घंटों तक घोटकर लगभग आधा ग्राम की गोलियां बना लें। यह 1-1 गोली ताजे पानी से प्रतिदिन सुबह-शाम और रात को खाने से प्लेग के रोगी को लाभ होता है।
7. मुनक्का : मुन्नका, सौंफ, पीपल, अनन्तमूल और रेणुका को बराबर मात्रा में लेकर इससे 8 गुना पानी में डालकर गर्म करें। चौथाई पानी शेष रहने पर इसे उतारकर और छानकर गुड़ व शहद के साथ मिलाकर रोजाना सेवन करें। इससे प्लेग के रोगी का रोग दूर हो जाता हैलाल चंदन : गिलोय, इन्द्रजौ, नीम की छाल, परवल के पत्ते, कुटकी, सोंठ और नागरमोथा को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाक उसमें 3 ग्राम पीपल का चूर्ण डालकर पीने से प्लेग का रोग दूर हो जाता है।
8. सोंठ : सोंठ, चित्रक, चव्य, पीपल और छोटी पीपल को बराबर मात्रा में लेकर उसको दरदरा यानी मोटा-मोटा कूटकर उसके 8 गुना पानी के साथ गर्म कर लें। चौथाई पानी बच जाने पर इसे छानकर सेवन करें। इससे प्लेग के रोग के कारण आने वाला बुखार मिट जाता है।
9. प्याज : कच्चे प्याज को सिरके के साथ प्रतिदिन खाने से प्लेग की बीमारी दूर हो जाती है।
10. जलधनिया : जलधनिया को पीसकर प्लेग की गांठो पर लगाने से लाभ मिलता है।
11. पपीता : पपीते को रोजाना सुबह-शाम खाने से प्लेग का रोग दूर हो जाता है और पेशाब एवं कफ में खून का आना बन्द हो जाता है।
12. सिरका : सिरके का सेवन करने से प्लेग की बीमारी दूर हो जाती है और सिर व पसलियों का दर्द दूर होता है।
13. लाजवन्ती : प्लेग के रोगी को 80 मिलीलीटर की मात्रा में लाजवन्ती के पत्तों का रस सेवन कराने से प्लेग रोग ठीक हो जाता है।
14. फिटकरी:
लगभग 1 ग्राम फिटकरी की भस्म और 1 ग्राम मिश्री को एकसाथ मिलाकर प्रतिदिन 2 बार लेने से प्लेग की बीमारी दूर हो जाती हैं।
प्लेग की बीमारी को दूर करने के लिये 2 ग्राम फिटकरी को भून कर चूर्ण बना लें। 2-2 ग्राम फिटकरी का यह चूर्ण गर्म पानी से दिन में 4 बार लेने से प्लेग की बीमारी के कारण आने वाली खून की उल्टी बन्द हो जाती हैं।
16. इन्द्रायण : इन्द्रायण की जड़ की गांठ को (इसकी जड़ में गांठे होती है) यथा सम्भव सबसे निचली या 7 वें नम्बर की लें। इसे ठंड़े पानी में घिसकर प्लेग की गांठों पर दिन में 2 बार लगायें। डेढ़ से 3 ग्राम तक की खुराक में इसे पीने से गांठे एकदम बैठने लगती है और दस्त के रास्ते से प्लेग का जहर निकल जाता है और रोगी की मूर्च्छा (बेहोशी) दूर हो जाती है।
17. अमलतास : अमलतास की पकी ताजी फली का गूदा बीजों सहित पीसकर प्लेग की गांठों पर लेप करने से आराम मिलता है।
18. नीम :
20 ग्राम नीम की अन्तर की छाल को 50 मिलीलीटर पानी के साथ पीसकर छान लें। इसे सुबह और शाम पीने से तथा पत्तों को बारीक पीसकर पुल्टिश (पोटली) बांधने से प्लेग की गांठें टूटकर बिखर जाती है।
नीम के पेड़ की जड़ को पानी में कूटकर और छानकर 10-10 ग्राम की मात्रा में 15-15 मिनट के अन्तर से पीने से और प्लेग की गांठों पर इसके पत्तों की पोटली को बांधने से तथा आसपास इसकी धूनी (धुनी) करते रहने से प्लेग रोग में लाभ मिलता है।
नीम का सेवन करने से प्लेग के जीवाणु जो शरीर में प्रवेश कर गए हैं, नष्ट हो जाते हैं।
नीम की ताड़ी मे कपास या कपडे़ को खूब तर करके प्लेग की गांठों पर बांधते रहने से लाभ होता है।