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आर्थराइटिस Arthritis
आर्थराइटिस
Arthritis
आर्थराइटिस एक प्रकार का रोग है जोकि हडि्डयों में होता है। यह बीमारी इस समय ज्यादा फैल रही है और ज्यादा पाई जाती है। खानपान की गलत आदतों, जीवनशैली,
दबाव व तनाव
का जोड़ों पर प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण व्यक्ति कई तरह की आर्थराइटिस का शिकार हो बैठता है।
परिचय
:
इस रोग के उपचार में
आहार
नियंत्रण की बहुत फायदेमंद भूमिका है। सभी जोड़ों को सक्रिय रखने वाला तरल पदार्थ,
खनिज
तत्त्व और माइक्रोप्रोटीन हमें उस भोजन से प्राप्त होता है, जिसे हम खाते हैं।
जरूरत से ज्यादा मात्रा में प्रोटीन का सेवन करना अच्छा नहीं है, क्योंकि इससे शरीर में अधिक मात्रा नाइट्रोजन तत्व एकत्रित हो जाता है जिसकी वजह से
मांसपेशियों
में थकावट आ जाती है और
रक्त
में
यूरिया
की मात्रा और यूरिक अम्ल का स्तर बढ़ जाता हैं। साथ ही रक्त में अतिरिक्त प्रोटीन से
लाल रक्त कोशिकायें
चिपचिपी हो जाती हैं जिसके कारण
जोड़ों में सूजन
होने लगती है और रक्त में इ.एस.आर. का स्तर बढ़ जाता है।
जब किसी को आर्थराइटिस का पता चलता है तो उसे जल्द ही अपना इलाज शुरू करा देना चाहिए क्योंकि इस बीमारी का डर इतना होता है कि व्यक्ति अपने आप को अपंग समझने लगता है निराशा से वह अपना आत्मविश्वास खो देता है जिसके कारण यह बीमारी बढ़ने लगती है।
आर्थराइटिस के संग कुछ और बीमारी भी है जो यही काम करती है। जैंसे:आस्टियोआर्थराइटिस, रूमेटाइड आर्थराइटिस, गाउटी आर्थराइटिस, एकिलोजिंग स्पोण्डिलाइटिस, सर्वाइकल और लंबर स्पोण्डिलाइटिस।
1. आस्टियोआर्थराइटिस
:
यह रोग
जोड़ों का रोग
है। यह खासतौर पर घुटने,
जांघ
, टखने और मेरुरज्जु को प्रभावित करते हैं। कंधों के जोड़ में कभी-कभी इसका प्रभाव होता है।
आंस्टियोआर्थराइटिस के रोगी मध्य आयु के होते हैं और उसका वजन भी ज्यादा होता है। इसलिए अगर व्यक्ति मोटा है तो उसके लिए अपना वज़न घटाना जरूरी होता है।
2. रूमेटाइड आर्थराइटिस:
यह रोग
शरीर
को बेकार कर देने वाला और तेजी से बढ़ने वाला रोग है तथा जोड़ों को नुकसान पहुंचाने वाला होता है। रूमेटाइड के ज्यादा मरीज 20 से 40 साल के होते हैं। इस रोग के होने पर विशेष रूप से छोटे जोड़ों यानी उंगलियों, कलाइयों, कुहनियों, घुटनों और टखनों में दर्द होने लगता है और यह
अकड़
जाते हैं। अर्थराइटिस से काफी समय तक प्रभावित रहने वाले रोगियों के हाथ-पैरों में विकृतियां पैदा हो जाती हैं और इसके कारण उनके कामकाज और चलने-फिरने पर असर पड़ता है।
3. गाउटी आर्थराइटिस:
गाउटी आर्थराइटिस के रोगियों का स्वास्थ्य अच्छा होता है लेकिन समय-समय पर इस रोग की वजह से पंजों में काफी दर्द में हो जाती है और यह इतना ज्यादा होता है कि हलके से छू देने भर से रोगी अपना पंजा एक ओर को हटाने लगता है। गाउटी आर्थराइटिस के ज्यादा रोगियों को इस दर्द के दौरे पहले वर्ष में बीच में कई बार और उसके बाद कभी-कभार पड़ते हैं।
4. एंकिलोजिंग स्पोण्डिलाइटिस
: यह रोग व्यक्ति को 40 वर्ष से ऊपर की आयु के लोगों को प्रभावित करता है, जिसके कारण गर्दन के सिरे पर या कमर के निचले हिस्से में दर्द होने लगता है और चलना फिरना मुश्किल हो जाता है।
5. सर्वाइकल और लंबर स्पोण्डिलाइटिस
: यह आर्थराइटिस की एक अन्य किस्म है जो आमतौर पर पायी जाती है। इसमें गर्दन की हडि्डयां और कमर का निचला भाग प्रभावित होता है। लगभग सभी प्रकार की आर्थराइटिस का आहार नियंत्रण,
व्यायाम
,
जलीय चिकित्सा
और फिजियोथेरेपी से उपचार किया जा सकता है।
भोजन एवं परहेज
:
पथ्य:
1
. सबसे पहले किसी संस्थान में चिकित्सक की देख-रेख में 2-3 दिनों तक
उपवास
करना चाहिए।
2
. आर्थराइटिस के रोगी के भोजन में
वसा
, प्रोटीन और नमक कम होना चाहिए।
3
. कभी-कभार क्रीम निकला दूध, अन्न,
फल
, सब्जियों का सलाद का सेवन करना चाहिए।
4
. रसदार फलों का और उन फलों का रस ज्यादा मात्रा में लें, जिनमें
विटामिन `सी´
शामिल है। ऐसा करने से रोगी की प्रतिरोधक क्षमता में ही सुधार नहीं होता बल्कि जोड़ों और ऊतकों की रक्षा करने वाली प्रणाली भी मजबूत होती है।
5.
आर्थराइटिस के रोगी को ज्यादा से ज्यादा फलों, सब्जियों और सलाद का सेवन करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे रक्त की क्षारिता में ही वृद्धि नहीं होती बल्कि इन चीजों में पोटैशियम भी काफी होता है, जो एक ऐसा खनिज पदार्थ है जिससे ज्यादा मात्रा में नमक सेवन करने के कारण शरीर में जमा हो जाने वाले द्रवों को बाहर निकालने में भी मदद मिलती है।
अपथ्य
:
1
. आर्थराइटिस से पीड़ित रोगी को दूध, दही और छाछ का सेवन नहीं करना चाहिए।
2.
तली हुई चीजों,
मक्खन
, डिब्बा बंद पनीर, मलाई वाला दूध, मांसाहारी भोजन, अधिकांश मेवे, केक, पेस्ट्रियों और
चीनी
को सेवन नहीं करना चाहिए।
3.
ऐल्कोहल
, काफी,
चाय
और धूम्रपान से परहेज करना चाहिए।
4.
मोटापे
का शिकार रोगियों के लिए अपना वजन घटाना जरूरी है। भार वहन करने वाले जोड़ों, विशेष रूप से कमर के निचले हिस्से, नितंब, घुटने और टखने के जोड़ों को अधिक भार पड़ने से बचाना चाहिए।
5
. विशेष गाउटी आर्थराइटिस के रोगियों के उच्च प्रोटीनयुक्त भोजन, विशेषकर मांसाहारी भोजन,
पालक
, खूब, फूलगोभी, दाल और
मटर
आदि का सेवन ज्यादा नहीं करना चाहिए
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