नाड़ी का दर्द
शरीर के विशेष अंग (भाग) में स्नायविक दर्द से स्नायुशूल यानी नाड़ी का दर्द उत्पन्न होता है। यह अंगों के अनुसार कई तरह के होते हैं जैसे चेहरे का स्नायुशूल, अधकपारी, पार्श्वशूल (कमर का दर्द), गृध्रसी (घुटनों का दर्द), सायटिका, पेट, हृदय और यकृत आदि अंगों में दर्द होता है।परिचय :
लक्षण :
1. सोंठ : सोंठ को गर्म पानी से पीसकर दर्द वाले अंगों पर लेप करने से सभी प्रकार के वातनाड़ी दर्द नष्ट होते हैं जैसे सिर, दांत व गृध्रसी दर्द आदि में लाभकारी होता है।2. अजवायन : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में खुरासानी अजवायन को पीसकर सुबह-शाम लेने से नाड़ी दर्द में आराम मिलता है।
3. धनिया :
नाड़ी के दर्द में धनिया के तेल से दर्द वाले अंगों पर मालिश करना नाड़ी और जोड़ों के दर्द में भी लाभकारी होता है।
10 दाने धनिया, 4 पत्तियां तुलसी और 2 कालीमिर्च, 2 कप पानी में औटाकर चाय बनाकर उसमें थोड़ी-सी शक्कर डालकर रोगी को पिलानी चाहिए। इससे रोगी की घबराहट दूर हो जाती है और उसकी दशा प्राकृतिक हो जाती है। इसमें हल्का भोजन और आराम आवश्यक होता है। कभी-कभी लेते रहने से यह रोग नहीं होते हैं। तुलसी और धनिये का रस पानी की तरह नाक में टपकाना चाहिए।
5. लहसुन : वायविडंग एवं लहसुन का क्षीरपाक सेवन करें तथा लहसुन से प्राप्त तेल की मालिश करें। इससे नाड़ी का दर्द खत्म होता है।
6. कपूर : कपूर की मात्रा से चौगुने सरसों का तेल लेकर मिलाकर मालिश करने से नाड़ी का दर्द ठीक हो जाता है।
7. जबाद कस्तूरी : नाड़ी के दर्द को कम करने के लिए जबादकस्तूरी को किसी भी तेल में मिलाकर मालिश करने से लाभ होता है।
8. कैशोर गुग्गुल : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम कैशोर गुग्गुल को रास्ना और घी में मिलाकर खाने से नाड़ी रोग दूर होता है।
9. तारपीन : एरण्ड तेल में तारपीन का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर मालिश करने से नाड़ी का दर्द कम होता है।
10. जायफल : नाड़ियों में अगर दर्द हो तो उसके लिए जायफल घिसकर दर्द वाली जगह पर लेप करने से दर्द में आराम मिलता है।
11. लौंग : नाड़ी के दर्द में लौंग के तेल से मालिश करने से कमर, जांघ, और घुटने आदि सभी दर्द में लाभकारी होता है।
12. क्वीनीन : लगभग 1 ग्राम का चौथाई भाग बड़ी इलायची का चूर्ण बनाकर क्वीनीन के साथ सुबह-शाम खाने से नाड़ी का दर्द बंद हो जाता है।
13. दालचीनी : 1 से 3 बूंद दालचीनी का तेल सुबह-शाम मिश्री के साथ मिलाकर लेने और दालचीनी के तेल से नाड़ी के दर्द में मालिश करने से नाड़ी का दर्द तथा सभी प्रकार के दर्दों में आराम मिलता है।
14. धतूरा : नाड़ी के दर्द में धतूरे के पत्तों का लेप बनाकर लेप या पत्तों का काढ़ा बनाकर सेंकने या पत्तों से प्राप्त तेल की मालिश करने से लाभ होता है।
15. जटामांसी : नाड़ी के दर्द में कुछ सुशिक्षित व नाजुक मिजाज स्त्रियां मंद-मंद दर्द का अनुभव करती रहती हैं। इसके लिए लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग नौसादर एवं दालचीनी को मिलाकर रोजाना सुबह-शाम देने से रोग में लाभ होता है।
16. दूध : थूहर के दूध में तिल का तेल मिलाकर नाड़ी के दर्द वाले अंगुलियों पर मालिश करने से रोग ठीक होता है।
17. बाकस : नाड़ी के दर्द में बाकस (अडूसे) के पत्तों की पट्टी बांधने से लाभ होता है।
18. कुचले : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शुद्ध कुचले का चूर्ण बनाकर या 20 से 40 मिलीलीटर काढ़ा बनाकर रोजाना सुबह-शाम खाने से नाड़ी का दर्द कम होता है।
19. पिपरमिण्ट : पिपरमिण्ट, तारपीन का तेल और कपूर तीसी (अलसी) का तेल मिलाकर नाड़ी दर्द में मालिश करने से दर्द में आराम मिलता है।
20. हरमल : 2 से 4 ग्राम हरमल के बीजों का चूर्ण रोजाना सुबह-शाम प्रयोग करने से नाड़ी का दर्द दूर होता है।
21. नागरमोथा : नागरमोथा, अतीस, भारंगी, सौंठ, पीपल और बहेड़ा 25-25 ग्राम की मात्रा में लेकर बारीक पीस-छानकर रखें। 5-5 ग्राम चूर्ण रोजाना सुबह-शाम पानी के साथ लेने से नाड़ी का रोग ठीक होता है।
22. मुलेठी (मुलहठी) : 100 ग्राम मुलेठी को पीसकर गर्म दूध के साथ रात को सोते समय स्नायु के रोग में लाभ होता है।
23. बालछड़ : 10 ग्राम बालछड़ मोटा-मोटा कूटकर 500 मिलीलीटर पानी में रात को भिगो दें। सुबह उसी पानी में बालछड़ को मसलकर छान लें और 50-50 मिलीलीटर पानी में दिन में तीन बार पीयें। इससे स्नायु रोग दूर हो जाते हैं।
24. ऊंटकटेरी : स्नायु के रोगी को ऊंटकटेरी की जड़ का छिलका छाया में सुखाकर व कूट छानकर चूर्ण बना लें। 3-3 ग्राम चूर्ण शहद में मिलाकर रोजाना सुबह-शाम खाने से रोगी को आराम मिलता है तथा इससे कंपन, बाय आदि रोग भी दूर होते हैं।
25. काला दाना : स्नायु के रोग को दूर करने के लिये 3 ग्राम काला दाना को 50 मिलीलीटर पानी के साथ लेने से रोगी का रोग ठीक होता है।
26. निर्गुण्डी :
28. बिल्व : 10 बिल्व के पत्ते, आधा धतूरे का पत्ता और 4 ग्राम स्फाटिका मिलाकर मिश्रण तैयार करें। यह मिश्रण 3 से 4 ग्राम की मात्रा में गाय के घी के साथ दिन में 2 बार खाने से नाड़ी रोग में जल्द आराम मिलता है।
29. मुलहठी :
31. चीता : यदि किसी मरणासन्न की स्थिति में व्यक्ति की नब्ज बंद हो गई हो और वह जीवित हो तो नब्ज की गति जानने के लिए नाड़ी पर चित्रक पीसकर लेप करें जिससे उस पर छाला पड़ जाएगा और नब्ज गति प्रतीत होने लगेगी।
32. मेथी :
दाना मेथी 20 ग्राम, हल्दी, सौंठ 10-10 मिलाकर रख लें, फिर 1 चम्मच पानी के साथ दिन में सुबह और शाम लेने से स्नायुविक दर्द (नरवस सिस्टम) में लाभ होता है।
2 चम्मच दाना मेथी की फंकी पानी के साथ लेने से शरीर का दर्द दूर होता है।
हरी पत्ती वाली मेथी की सब्जी, मेथी के लड्डू खाने से शरीर का दर्द, वायु के दर्द और साइटिका में लाभ मिलता है।
रोजाना दाना मेथी या हरी पत्ती वाली मेथी की सब्जी खाने से वायु का दर्द ठीक हो जाता है।
34. सफेद पेठा : रोगी को अचानक मिर्गी आने पर या स्नायु (नर्वस सिस्टम) हो जाने पर पेठा खाना लाभ करता है।
35. एलुआ :
एलुआ और कत्था दोनों को बराबर मात्रा में लेकर और पीसकर लेप करने से नाड़ी व्रण मिट जाता है।
एलुआ के पत्तों के दोनों ओर के कांटे अच्छी प्रकार साफ कर छोटे-छोटे टुकड़े में आधा किलो नमक आदि को शीशी में डालकर मुंह बंदकर 2-3 दिन धूप में रखते हैं। बीच-बीच में इसे हिलाते रहते हैं। 30 दिन बाद इसमें 100 ग्राम हल्दी, 100 ग्राम धनिया, 100 गाम सफेद जीरा, 50 ग्राम लालमिर्च, 60 ग्राम भुनी हींग, 300 ग्राम अजवायन, 100 ग्राम शुंठी, 60 ग्राम कालीमिर्च, 60 ग्राम पीपल, 50 ग्राम लौंग, 50 ग्राम दालचीनी, 50 ग्राम सुहागा, 50 ग्राम अकरकरा, 100 ग्राम कालाजीरा, 50 ग्राम बड़ी इलायची, 300 ग्राम राई को बारीक पीसकर डाले। रोगी के शरीर की ताकत के अनुसार 3 से 6 ग्राम तक की मात्रा में सुबह-शाम देने से पेट के वात कफ संबन्धी सभी रोग मिट जाते हैं इसके सूखने पर अचार, दाल, सब्जी आदि में डालकर प्रयोग करें।
37. पीपल : पीपल के पत्तों को गर्म करके बांधने से स्नायुक गल जाती है। पीपल के 21 कोमल पत्ते पीसकर, गुड़ में गोलियां बनाकर 7 दिनों तक सुबह-शाम खिलाने से चोट की पीड़ा मिट जाती है।
38. तगर : थोड़ी-सी मात्रा में तगर की जड़ (मूल) को कूटकर उसमें 40 मिलीलीटर पानी व 40 मिलीलीटर की मात्रा में तिल का तेल मिलाकर मंदाग्नि पर पकाकर काढ़ा बना लें। इस काढे़ के सेवन से सभी प्रकार के स्नायु शूल व नसों की कमजोरी में लाभ मिलता है।
39. इलायची : इलायची के दाने का ताजा चूर्ण 2 ग्राम और 2-3 ग्रेन क्विनाइन मिलाकर वातनाड़ी शूल में देने से वातनाड़ी शूल में शीघ्र लाभ मिलता है।