mata tara rani ki katha
पीलिया
रक्त में लाल कणों की आयु 120 दिन होती है। किसी कारण से यदि इनकी आयु कम हो जाये तथा जल्दी ही अधिक मात्रा में नष्ट होने लग जायें तो पीलिया होने लगता है। रक्त में बाइलीरविन नाम का एक पीला पदार्थ होता है। यह बाइलीरविन लाल कणों के नष्ट होने पर निकलता है तो इससे शरीर में पीलापन आने लगता है। जिगर के पूरी तरह से कार्य न करने से भी पीलिया होता है। पत्ति जिगर में पैदा होता है। जिगर से आंतों तक पत्ति पहुंचाने वाली नलियों में पथरी, अर्बुद (गुल्म), किसी विषाणु या रासायनिक पदार्थों से जिगर के सैल्स में दोष होने से पत्ति आंतों में पहुंचकर रक्त में मिलने लगता है। जब खून में पत्ति आ जाता है, तो त्वचा पीली हो जाती है। त्वचा का पीलापन ही पीलिया कहलाता है।परिचय :
कारण :
लक्षण :
भोजन तथा परहेज :
पूर्ण विश्राम, फलाहार, रसहार, तरल पदार्थों जैसे जूस का सेवन, चोकर समेट आटे की रोटी, पुराने चावल का भात, नींबू-पानी, ताजे एवं पके फल, अंजीर, किशमिश, गन्ने का रस, जौ-चना के सत्तू, छाछ, मसूर, मूंग की दाल, केला, परवल, बैगन की सब्जी, गद्पुरैना की सब्जी, क्रीम निकला दूध, छेने का पानी, मूली, खीरा आदि खाना चाहिए।
पीलिया के रोगी को जौ, गेहूं तथा चने की रोटी, खिचड़ी, पुराने चावल, हरी पत्तियों के शाक, मूंग की दाल, नमक मिलाकर मट्ठा या छाछ आदि देना चाहिए।
पेट भर कर खाना, ठंड़े पानी से स्नान, लालमिर्च, मसाले, तली हुई चीजें, मांस आदि से दूर रहना चाहिए।
रोगी को भोजन बिना हल्दी का देना चाहिए।
रोगी को पूर्ण विश्राम करने का निर्देश दें। इसके साथ ही रोगी को मानसिक कष्ट पहुंचाने वाली बातें नहीं करनी चाहिए।
घी, तेल, मछली, मांस, मिर्च, मसाला एवं चर्बीयुक्त चीजों से सदा सावधान रहें।
मैदे की बनी चीजें, खटाई, उड़द एवं खेसाड़ी की दाल, सेम, सरसों युक्त गरिष्ट भोजन न खायें।
यदि पीलिया रोग में नमक न खायें तो अच्छा रहता है।
नीम की जड़ का बारीक चूर्ण एक ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम 5 ग्राम घी और 10 ग्राम शहद के साथ मिलाकर खाने से पीलिया के रोग में आराम मिलता है। ध्यान रहें यदि घी और शहद अनुकूल न हो तो नीम की जड़ के एक ग्राम चूर्ण को गाय के पेशाब या पानी या दूध के साथ इसका सेवन कर सकते हैं।
6 ग्राम नीम की सींक और 6 ग्राम सफेद पुनर्नवा की जड़ को पीसकर पानी के साथ कुछ दिनों तक लेते रहने से पीलिया रोग में आराम मिलता हैं।
3 चम्मच नीम के पत्तों का रस, आधा चम्मच सोंठ का पाउडर और 4 चम्मच शहद को एकसाथ मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से 5 दिन में ही पीलिया ठीक हो जाता है।
नीम के पेड़ की छाल के रस में शहद और सोंठ का चूर्ण मिलाकर पीलिया के रोगी को देना चाहिए।
पानी में पिसे हुए नीम के पत्तों के 250 मिलीलीटर रस में शक्कर (चीनी) मिलाकर गर्म-गर्म पीने से पीलिया रोग में आराम मिलता है।
पित्तनलिका मे मार्गावरोध होने के कारण यदि पीलिया रोग हो तो 100 मिलीलीटर नीम के पत्तों के रस को 3 ग्राम सौंठ के चूर्ण और 6 ग्राम शहद के साथ मिलाकर 3 दिन तक सुबह के समय सेवन करने से लाभ पहुंचता है। ध्यान रहे- इसके सेवन के दौरान घी, तेल, शक्कर (चीनी) व गुड़ आदि का प्रयोग न करें।
10 मिलीलीटर नीम के पत्तों के रस में 10 मिलीलीटर अड़ूसा के पत्तों के रस व 10 ग्राम शहद को मिलाकर सुबह के समय पीलिया रोग में लेने से आराम पहुंचता है।
200 मिलीलीटर नीम के पत्ते का रस में थोड़ी शक्कर (चीनी) को मिलाकर गर्म करें। इसे 3 दिन तक दिन में एक बार खाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
नीम के 5-6 कोमल पत्तों को पीसकर, शहद में मिलाकर सेवन करने से मूत्रविकार (पेशाब के रोग) और पेट की बीमारियों में लाभ होता है।
10 मिलीलीटर नीम के पत्तों के रस में 10 ग्राम शहद को मिलाकर 5 से 6 दिन तक पीने से आराम मिलता है।
कड़वे नीम के पत्तों को पानी में पीसकर 250 मिलीलीटर रस को निकालकर फिर उसमें मिश्री को मिलाकर गर्म करें। इसे ठंड़ा होने पर पीने से पीलिया रोग दूर होता है।
नीम की छाल, त्रिकुटा (सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल), बांसा, चिरायता, कुटकी तथा गिलोय का काढ़ा बनाकर ठंड़ा कर लें। फिर उसमें शहद मिलाकर पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
नीम की छाल, त्रिफला, गिलोय, अड़ूसा, कुटकी और चिरायता को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। इसमें शहद मिलाकर पीने से पीलिया जैसे रोग मिट जाते हैं।
नीम के पत्तों का आधा चम्मच रस, सोंठ 2 चुटकी और शहद 2 चम्मच को एकसाथ मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से पीलिया रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
गिलोय, अड़ूसा, नीम की छाल, त्रिफला, चिरायता, कुटकी को बराबर मात्रा में लेकर जौकुट करके एक कप पानी में पकाकर काढ़ा बनाएं। फिर इसे छानकर थोड़ा-सा शहद मिलाकर पी जाएं। 20 दिन तक इसका सेवन पीलिया के रोगी को कराने से आराम मिलता है।
गिलोय का रस एक चम्मच की मात्रा में दिन में 2 बार इस्तेमाल करने से पीलिया रोग में आराम मिलता है।
लगभग 10 मिलीलीटर गिलोय के रस को शहद के साथ रोजाना सुबह और शाम सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
गिलोय के 10-20 पत्तों को पीसकर एक गिलास छाछ में मिलाकर तथा छानकर सुबह के समय पीने से पीलिया रोग मिट जाता है।
गिलोय के छोटे-छोटे टुकड़ों की माला बनाकर गले में पहनने से पीलिया के रोग में लाभ मिलता है।
गिलोय के रस का सेवन करने से पीलिया, पेचिश, आमाशय की अमलता, दिमाग के अनेक रोग, मूत्रविकार (पेशाब के रोगों में तथा नेत्र विकार (आंखों के रोगों में) आदि सभी रोगों से छुटकारा मिलता है।
गिलोय के पत्तें, नीम के पत्ते, गूमा के पत्ते और छोटी हरड़ को 6-6 ग्राम की मात्रा में कूटकर 200 मिलीलीटर पानी में पका लें। पकने पर 50 मिलीलीटर बचे पानी को छानकर 10 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें। ध्यान रहें कि सेवन से पहले एक चौथाई से कम मात्रा में शिलाजीत को 6 ग्राम शहद के साथ अवश्य चाट लें।
गिलोय या कालीमिर्च या त्रिफला के 5 ग्राम चूर्ण को शहद में मिलाकर प्रतिदिन सुबह और शाम चाटने से पीलिया रोग मिट जाता है।
40 ग्राम दही मे 10 ग्राम हल्दी डालकर सुबह-शाम खाने से पीलिया रोग मे लाभ होता जिगर के रोगों में भी यह प्रयोग लाभदायक है।
100 मिलीलीटर छाछ या मट्ठे मे 5 ग्राम हल्दी डालकर रोजाना सुबह-शाम खाने से 1 हफ्ते में ही पीलिया रोग में लाभ नजर आता है।
हल्दी को पानी में डालकर पीस लें। फिर कुछ हल्दी लेकर काढ़ा बना लें। कढ़ाही में घी, हल्दी की लुग्दी और काढ़ा डालकर धीमी आग पर चढ़ा दें और जब केवल घी रह जो (पानी जल जाय) तब उतार लें। इस घी का सेवन करने से पाण्डु (पीलिया) रोग मिट जाता है।
10 ग्राम हल्दी का चूर्ण और 50 ग्राम दही को मिलाकर रोजाना सुबह खाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
2 ग्राम लोहे की जंग को 6 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर 8 दिन तक खाने से पीलिया-रोग में लाभ होता है।
लोहे की जंग को तपाकर गोमूत्र में बुझा लें। लगभग आधा ग्राम लोहे का काट, 6 ग्राम शहद और 3 ग्राम घी मिलाकर चाटने से पीलिया रोग मिट जाता है।
लौहसार और सूखे आंवलों के चूर्ण को मिलाकर 2 ग्राम की मात्रा में खाने से पाण्डु (पीलिया) रोग मिट जाता है।
आधा चम्मच त्रिफला का चूर्ण, आधा चम्मच गिलोय का रस और आधा चम्मच नीम के रस को एकसाथ मिलाकर शहद के साथ 15 दिन तक खुराक के रूप में चाटने से पीलिया में आराम मिलता है।
त्रिफला, गिलोय, वासा, कुटकी, चिरायता और नीम की छाल को एक साथ मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण की 20 ग्राम मात्रा को लगभग 160 मिलीलीटर पानी में पका लें। जब पानी चौथाई बच जायें तो इस काढ़े में शहद मिलाकर सुबह और शाम के समय सेवन करने से पीलिया रोग नष्ट होता है।
त्रिफला, कुटज और ढाक मोटापे तथा शुक्रदोष को नष्ट करने वाले होते हैं। यह प्रमेह (वीर्य विकार), अर्श (बवासीर) और पीलिया रोग को समाप्त करते हैं।
40 मिलीलीटर त्रिफला के काढ़े में 5 ग्राम शहद मिलाकर पीने से पीलिया दूर हो जाता है।
एक तिहाई कप त्रिफला का रस इतना ही गन्ने के रस में मिलाकर दिन में 3 बार पीने से पीलिया रोग में लाभ होता हैं।
हरड़ की छाल, बहेड़े की छाल, आंवला, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, नागरमोथा, वायविडंग, चित्रक को थोड़ी-थोड़ी सी मात्रा में लेकर पीस लें। इसकी 4 खुराक तैयार करें। दिन भर में चारों खुराक शहद के साथ सेवन करें। इसी अनुपात में 15 दिनों की दवा तैयार कर लें। यह प्रसिद्ध योग है।
हरड़ को गाय के मूत्र में पकाकर खाने से पीलिया रोग और सूजन मिट जाती है।
100 ग्राम बड़ी हरड़ के छिलके और 100 ग्राम मिश्री को मिलाकर चूर्ण बनाकर 6-6 ग्राम की खुराक के रूप में सुबह-शाम ताजे पानी के साथ खाने से पीलिया मिट जाता है।
5 ग्राम बड़ी हरड़ को करेले के पत्तों के रस में घिसकर पीने से पीलिया रोग दूर हो जाता है।
बड़ी हरड़ को गाय के पेशाब में भिगोकर फिर गोमूत्र में ही मिलाकर सेवन करने से कफज पाण्डु रोग दूर होता है।
13. सत्यानाशी : सत्यानाशी की जड़ की छाल का चूर्ण लगभग एक ग्राम तक लेने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
मदार के 25 पत्ते और उसी मात्रा में मिश्री मिलाकर घोंट लें, फिर चने के बराबर गोलियां बना लें। 2-2 गोली दिन में 3 बार खाने से पीलिया में लाभ होगा। ध्यान रहें कि इस दौरान मिर्च और खटाई न खाएं।
1 ग्राम मदार की जड़ की छाल और 12 कालीमिर्च को एकसाथ पीसकर ठंड़ाई की तरह दिन में 2 बार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
लगभग डेढ़ ग्राम मदार की छाल, 12 कालीमिर्च के दाने और 2-3 ग्राम पुननर्वा की जड़ को पानी में घोटकर और छानकर दिन में 2 बार पिलाएं। ध्यान रहें कि इस दौरान गर्म और चिकनी वस्तुओं से परहेज रखें।
1 मदार के पके पत्ते को पोछकर उस पर आधे ग्राम से कम की मात्रा में चूना लगाकर बारीक पीस लें। चने के आकार की गोलियां बनाकर 2 गोली रोगी को प्रात: काल पानी से निगलवा दें। ध्यान रहें कि भोजन के रूप में दही तथा चावल लेना चाहिए।
आक की कोपल को सुबह उठते ही पान के पत्ते में रखकर चबाकर खाने से 3 से 5 दिन में पीलिया ठीक हो जाता है।
10 ग्राम मेंहदी के पत्तों को 200 मिलीलीटर पानी में रात को भिगों दें। सुबह इस पानी को छानकर रोगी को पिला दें। इससे कुछ दिन में ही पीलिया रोग जड़ से मिट जाता है।
पीलिया रोग में 50 ग्राम मेंहदी को कुचलकर आधा गिलास पानी में रात को भिगो दें। सुबह इस पानी को 8-10 दिनों तक लगातार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
पुनर्नवा की जड़ को साफ करके छोटे-छोटे टुकड़े काट लें। उन 21 टुकड़ों की माला बनाकर रोगी के गलें में पहना दें। पीलिया ठीक होने के बाद उस माला को किसी पेड़ पर लटका दें।
एक तिहाई कप पुनर्नवा के रस या मकोये के रस में शहद मिलाकर दिन में 3 बार पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
पुनर्नवा का 2 चम्मच रस सुबह-शाम भोजन करने के बाद शहद के साथ रोजाना सेवन करने से और पुनर्नवा की जड़ के 108 टुकड़ों से बनी माला को गले में धारण करने से पीलिया के रोग में लाभ होता हैं।
पुनर्नवा के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) के 10-20 मिलीलीटर रस में हरड़ के 2 से 4 ग्राम चूर्ण को मिलाकर पीने से पीलिया रोग कम हो जाता है।
100 मिलीलीटर मूली के पत्तों के रस में 20 ग्राम चीनी को मिलाकर खाली पेट 15 से 20 दिन पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
25 मिलीलीटर मूली के रस में लगभग आधा ग्राम की मात्रा में पिसा नौसादर को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से पीलिया के रोग में लाभ होता है।
1 चम्मच कच्ची मूली के रस में एक चुटकी जवाखार मिलाकर सेवन करें। कुछ दिनों तक सुबह, दोपहर और शाम को लगातार यह रस पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
2 चम्मच मूली के पत्तों के रस में थोड़ी-सी मिश्री को मिलाकर रोजाना 8-10 दिन तक सेवन करने से पीलिया के रोग में आराम मिलता है।
कच्ची मूली रोजाना सुबह उठते ही खाते रहने से कुछ दिनों में पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
125 मिलीलीटर मूली के पत्तों के रस में 30 ग्राम चीनी मिलाकर और छानकर सुबह के समय पीने से हर प्रकार के पीलिया रोग में लाभ होता है।
मूली की सब्जी का सेवन करने से सभी तरह के पीलिया रोग मिट जाते हैं।
मूली में विटामिन `सी´, `लौह´, `कैल्शियम´, `सोडियम´, `मैग्नेशियम´ और क्लोरीन आदि कई खनिज लवण होते हैं, जो जिगर की क्रिया को ठीक करते हैं इसलिए पीलिया रोग में मूली का रस 100 से 150 मिलीलीटर की मात्रा में गुड़ के साथ दिन में 3 से 4 बार पीने से लाभ होता है।
10 से 15 मिलीलीटर मूली के रस को 1 उबाल आने तक पकाएं। बाद में इसे उतारकर इसमें 25 ग्राम खांड या मिश्री मिलाकर पिलाएं इसके साथ ही मूली और मूली का साग खाते रहने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
सिरके में बने मूली के अचार का सेवन करने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
मूली के ताजे पत्तों को पानी के साथ पीसकर उबाल लें। उबालने पर इसमें दूध की तरह झाग ऊपर आ जाता है। इसको छानकर दिन में 3 बार पीने से पीलिया रोग मिट जाता हैं।
मूली के पत्तों के साथ उसका रस निकाल लें। दिन में 3 बार इस रस को 20-20 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
70 मिलीलीटर मूली के रस में 40 ग्राम शक्कर (चीनी) मिलाकर पीने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
60 मिलीलीटर मूली के पत्ते का रस व 15 ग्राम खाड़ को एकसाथ मिलाकर पीने से पीलिया रोग कुछ ही समय में समाप्त हो जाता है।
मूली के पत्तों के 100 मिलीलीटर रस में शर्करा मिलाकर प्रात:काल पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है। सुबह मूली खाने या उसका रस पीने से भी पीलिया रोग नष्ट होता है। बिच्छू के डंक मारने पर मूली का रस लगाने और मूली का रस पिलाने से विष का प्रभाव कम होता है तथा जलन और पीड़ा भी नष्ट होती है।
गन्ने के रस के साथ मूली के रस को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता है। मूली के पत्तों की बिना चिकनाई वाली भुजिया खानी चाहिए।
100 मिलीलीटर मूली के रस में 20 ग्राम शक्कर मिलाकर पीने से पीलिया रोग मिट जाता है। रोगी को खाने में मूली, संतरा, पपीता, खरबूज, अंगूर और गन्ना आदि दे सकते हैं।
10 मिलीलीटर हरे आंवले के रस में थोड़ा सा गन्ने का रस मिलाकर सेवन करें। जब तक पीलिया का रोग खत्म न हो जाए, तब तक उसे बराबर पीते रहें।
60 मिलीलीटर ताजे आंवले का रस और 25 ग्राम शहद को आधा गिलास पानी में मिलाकर रोगी को पिलाने से पीलिया में आराम होता है।
हरे आंवले का रस शहद के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
छाछ के साथ आंवले का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार रोजाना सेवन करने से पीलिया में आराम मिलता है।
आंवले और गन्ने का ताजा निकाले हुए आधा-आधा कप रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम लगातार पीने से दो-तीन महीने में पीलिया का रोग दूर हो जाता है। इसके अलावा ज्वर या अन्य कारणों से उत्पन्न हुआ पीलिया भी समाप्त हो जाता है।
लगभग 3 ग्राम चित्रक के चूर्ण को आंवलों के रस में 3-4 उबाल देकर गाय के घी के साथ रात में चाटने से पीलिया रोग दूर हो जाता है।
आंवले का रस पीते रहने से पीलिया रोग कुछ ही समय में दूर हो जाता है।
जिगर की कमजोरी व पीलिया को दूर करने के लिए आंवले को शहद के साथ चटनी बनाकर सुबह-शाम लेने से लाभ होता है।
लगभग आधा ग्राम से कम की मात्रा में लौहभस्म के साथ एक-दो आंवले का सेवन करने से पीलिया और खून की कमी जैसे रोगों में अत्यन्त लाभ होता है।
गन्ने के रस को पीलिया रोग की प्रमुख औषधि माना जाता है। जब गन्ने का मौसम न हो तो चीनी के शर्बत में नींबू डालकर पिया जा सकता है।
एक गिलास गन्ने के रस में 2-4 चम्मच ताजे आंवले का रस 2-3 बार रोजाना पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
गन्ने के टुकड़े करके रात के समय घर की छत पर ओस में रख देते हैं। सुबह मंजन करने के बाद उन्हे चूसकर रस का सेवन करें। इससे 4 दिन में ही पीलिया के रोग में बहुत अधिक लाभ होता है।
अमलतास के गूदे को अल्पमात्रा में लेकर गन्ने के रस के साथ रोजाना सुबह और शाम सेवन करने से पीलिया रोग में जल्दी लाभ होता है।
गन्ने का रस, अनार का रस और आंवला के रस को शहद के साथ सेवन करने से पीलिया दूर हो जाता है और शरीर में खून भी बढ़ता है।
जौ का सत्तू (जौ को रेत में सुखा भुनकर और पीसकर बनाया जाता है) खाकर ऊपर से गन्ने का रस पीयें। इसको पीने से 7 दिनों में ही पीलिया ठीक हो जाता है। सुबह गन्ना भी चूसें। गन्ने का रस दिन में कई बार पीयें।
46. चीते की जड़ : चीते की जड़ को बारीक पीसकर छाछ में मिलाकर सेवन करने से पीलिया रोग में आराम मिलता है।
5 ग्राम कुटकी और 5 ग्राम हरड़ को पानी में पीसकर दिन में 2 बार 15 दिन तक इस्तेमाल करने से पीलिया में लाभ होता है।
कुटक 10 ग्राम और मुनक्का 10 ग्राम को रात में भिगों दे। सुबह इसे पीसकर दिन में 2 बार 15 दिनो तक सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
3 ग्राम कुटकी का चूर्ण दिन में 3 बार पानी के साथ खायें। साथ ही धनियां और गुड़ को मिलाकर 20-20 ग्राम के लड्डू बनाकर दिन में 2 बार खाने से भयंकर पीलिया भी 3-4 दिनों में ही पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
कुटकी और मिश्री को मिलाकर हथेलीभर फांककर ऊपर से गुनगुना पानी पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
10 ग्राम कुटकी और 10 ग्राम चिरायता को कूटकर आधे कप पानी में भिगों दें। फिर छानकर इसकी 3 खुराक को सुबह, दोपहर और शाम को पीलिया से पीड़ित रोगी को सेवन कराने से लाभ होता है।
एक करेले को पानी में पीसकर सुबह और शाम रोजाना सेवन कराने से पीलिया के रोगी को लाभ होता है।
एक चम्मच करेले का रस लेकर उसमें चुटकी भर कुटकी को पीसकर मिला दें। इस रस का कुछ दिनों तक सेवन करने से पीलिया रोग में आराम मिलता है।
करेले के 15 मिलीलीटर रस को 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर रोजाना सुबह-शाम पीने से पीलिया में काफी लाभ मिलता है।
200 ग्राम दही में चुटकी भर फिटकरी को घोलकर पीने से पीलिया रोग में आराम मिल जाता है। इस प्रयोग के समय दिनभर केवल दही ही सेवन करें। इससे पीलिया रोग शीघ्र ही ठीक हो जाता है। इसके सेवन से अगर किसी को उलटी हो जाये तो उसे घबराना नहीं चाहिए और छोटे बच्चों को यह कम मात्रा में देना चाहिए।
सफेद फिटकरी को भूनकर पीस लें। पीलिया रोग होने पर पहले दिन फिटकरी के आधा ग्राम चूर्ण को दही में मिलाकर खाएं, दूसरे दिन इस चूर्ण की मात्रा बढ़ाकर एक ग्राम और तीसरे दिन लगभग 2 ग्राम इसी प्रकार बढ़ाते हुए सातवें दिन साढ़े 4 ग्राम चूर्ण को दही में डालकर 7 दिनों तक लगातार खाने से पीलिया रोग समाप्त हो जाता है।
लगभग 18 ग्राम फिटकरी को बारीक पीसकर 21 पुड़िया बना लें। रोजाना सुबह उठते ही बिना कुछ खाए एक पुड़िया गाय के 20 ग्राम मक्खन में मिलाकर खाने से पाण्डु रोग में लाभ होता है।
एक चुटकी फूली हुई फिटकरी को मिश्री में मिलाकर दिन में 3 बार पानी से सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता हैं।
मेहंदी के 5 ग्राम पत्तों को लेकर रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो दें और सुबह उठकर इन पत्तों को मसलकर तथा छानकर पीने से रोगी को आराम मिलता हैं। इसके एक सप्ताह के सेवन से पुराना पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
मेहंदी के सूखे पत्तों को 1 गिलास पानी में मिलाकर रात को भिगो दें। सुबह इसे छानकर रोजाना एक बार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
रोजाना 3 बार 1-1 चम्मच शहद को पानी में डालकर पीलिया के रोगी को पिलाने से लाभ होता है।
त्रिफला का चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से पीलिया रोग जल्दी ही दूर हो जाता है।
पीलिया रोग में नीम के पत्तों का रस आधा चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करना चाहिए।
कलमीशोरा तथा जवाखार को मिलाकर पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से पीलिया रोग में पेशाब साफ आने लगता है।
पीलिया के रोग में ग्वारपाठा का 10 से 20 मिलीलीटर रस दिन में 2-3 बार पीने से पित्त नलिका का अवरोध दूर होकर लाभ हो जाता है। इस प्रयोग से आंखों का पीलापन और कब्ज दूर हो जाता है। इसके रस को रोगी की नाक में बूंद-बूंद करके डालने से नाक में से पीले रंग का स्राव होना बन्द हो जाता है।
लगभग 3 से 6 ग्राम ग्वारपाठा के लवण को छाछ के साथ सेवन करने से प्लीहा (तिल्ली) वृद्धि, यकृत (जिगर) वृद्धि, आध्यमानशूल, तथा अन्य पाचन संस्थान के रोगों में लाभ होता है। ग्वारपाठा के पत्तों का गूदा निकालकर शेष छिलकों को मटकी में भरकर उसमें बराबर मात्रा में नमक मिलाकर मटकी का मुंह बन्द करके कण्डों की आग में रख देते हैं। जब मटकी के अन्दर का द्रव्य जलकर काला हो जाता है तो उसे बारीक पीसकर शीशी में भरकर रखते हैं।
छोटे प्याज को छीलकर उनको चोकोर काटकर या उसके रस को सिरके या नींबू के रस में डाल दें। इसके ऊपर से उसमें नमक और कालीमिर्च डालकर खाल लें। इस तरह रोजाना सुबह और शाम एक प्याज खाने से पीलिया का रोग दूर होता हैं।
सफेद प्याज के आधा कप रस में गुड़ और पिसी हुई हल्दी मिलाकर सुबह और शाम पीने से या नाक के द्वारा लेने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
10 से 20 मिलीलीटर पिठवन के पत्ते और जड़ के रस को रोजाना पीलिया के रोगी को पिलाने से लाभ होता है।
पिठवन के पत्तों को मोटा-मोटा पीसकर छाया में सुखाकर रखें। सुबह-शाम इसे 10 ग्राम की मात्रा में लेकर 400 मिलीलीटर पानी में पकायें। जब 100 मिलीलीटर काढ़ा शेष रहें तब उसे छानकर पीने से प्लीहा (तिल्ली) में वृद्धि, जलोदर (पेट में पानी का भरना), यकृत (जिगर) और पेट के रोगों में आराम पहुंचता है।
पीलिया के रोगी को अनानास खिलाने व उसका रस पीने से बहुत लाभ होता है। अनानास का सेवन करने से रक्तवृद्धि होती है और पाचनक्रिया तीव्र होने से अधिक भूख लगती है।
अनानास के पके फलों के 10 मिलीलीटर रस में 2 ग्राम हल्दी के चूर्ण और 3 ग्राम मिश्री को मिलाकर सेवन करने से पीलिया के रोग में लाभ होता है।
अनानास का रस पीलिया रोग को दूर करता है।
पीपल के पेड़ के 3-4 पत्तों को पानी में घोलकर मिश्री के साथ खरल करके घोटें। इन्हें बारीक पीसकर 250 ग्राम पानी में मिलाकर छान लें। यह शर्बत रोगी को 2-2 बार पिलायें। 3 से 5 दिन तक यह प्रयोग करने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
5 ग्राम छोटी पीपल, 5 ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण और 5 ग्राम सहजन की छाल को एकसाथ मिलाकर 2 कप पानी में पकाकर काढ़ा बनाएं। पानी जब आधा कप बचा रह जाए, तो उसे उतारकर व छानकर 8-10 दिनों तक पीलिया के रोगी को काढ़े का सेवन कराने से लाभ होता है।
पीपल के 4 नए पत्ते और 4 लसोढ़े के नए पत्तों की चटनी बनाकर सेवन करने से पीलिया में आराम मिलता है।
अनार के 20 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम मिश्री को मिलाकर सुबह-शाम लेने से थोड़े दिनों में ही पीलिया ठीक हो जाता है।
अनार खाने और उसका रस पीने से शारीरिक कमजोरी नष्ट होती है और रक्ताल्पता (एनीमिया) रोग से मुक्ति मिलती है।
50 मिलीलीटर अनार के रस में रात को साफ लोहे का टुकड़ा डुबो दें। सुबह लोहे का टुकड़ा निकालकर, छानकर स्वादानुसार मिश्री और 25 ग्राम पानी मिलाकर पी जायें। इससे पीलिया रोग में लाभ होता है।
लगभग 250 मिलीलीटर अनार के रस में 750 ग्राम चीनी मिलाकर चाशनी बना लें। इस का सेवन दिन में 3-4 बार करने से पीलिया रोग दूर हो जाता है।
छाया में सुखाए हुए अनार के पत्ते का बारीक चूर्ण 6 ग्राम की मात्रा में गाय की छाछ तथा शाम को उसी छाछ के साथ सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
अनार का रस मलावरोधव यानी पेट में रुके हुए मल को दूर करता है और पीलिया रोग में फायदा करता है।
पपीते का सेवन करने से पीलिया व तिल्ली (प्लीहा) के रोगो में लाभ होता है।
जिन बच्चों को पीलिया रोग हो, उनका पेट बड़ा हो गया हो, हाथ-पैर पतले हो गए हो या जिगर बड़ा हो गया हो उन्हे आधा गिलास पपीते के रस में 1 कप अंगूर, संतरा व मौसमी तीनों का रस मिलाकर दिन में 2 बार कुछ दिन तक दें। साथ में गन्ना चूसने या 1 कप गन्ने का रस पिलाने से भी लाभ होता है।
पका पपीता, पपीता उबालकर तथा पपीते की सब्जी बनाकर खाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
75 ग्राम छिलके सहित कच्चा पपीता चटनी की तरह बारीक पीसकर 250 मिलीलीटर पानी में घोलें। इसमें स्वाद के अनुसार चीनी या ग्लूकोज मिलाकर पीलिया के रोगी को 3 बार रोजाना पिलाने से कुछ ही दिनों में पीलिया ठीक हो जाता है। इसे और स्वादिष्ट बनाने के लिए स्वादानुसार नींबू, कालीमिर्च मिला सकते हैं। बच्चों के लिए मात्रा कम लें। पपीते का यह शर्बत पीलिया ठीक कर देता है। पपीता ताजा होना चाहिए और पपीते में जो दूध होता है, वह लाभ करता है।
एरण्ड के डंठल को दही में पीसकर 6-7 दिन तक पीलिया के रोगी को देने से शरीर में जरा सुस्ती आ जाती है, परन्तु एरण्ड की जड़ को शहद के साथ देने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
गर्भवती महिला को यदि पीलिया हो जाये और गर्भ शुरुआती अवस्था में हो तो, एरण्ड के पत्तों का 10 मिलीलीटर रस सुबह-सुबह 5 दिन पीने से पीलिया दूर हो जाता है और सूजन भी दूर हो जाती है।
एंरड के पत्तों के 5 मिलीलीटर रस में पीपल का चूर्ण मिलाकर नाक में डालकर सूंघने से या आंखों में अंजन करने से पीलिया रोग मिट जाता है।
6 मिलीलीटर एरंड की जड़ का रस, दूध 250 मिलीलीटर में मिलाकर पीने से पीलिया रोग मिट जाता है।
10 मिलीलीटर एरण्ड के पत्तों के रस को 20 मिलीलीटर गाय के कच्चे दूध में मिलाकर सुबह-शाम पीने से 3 से 7 दिन में ही पीलिया नष्ट हो जाता है। ध्यान रहें पथ्य में रोगी को दही-चावल ही खिलायें और यदि कब्ज हो तो दूध अधिक पिलाएं।
10 ग्राम एरण्ड के पत्ते लेकर, उन्हें 100 मिलीलीटर दूध में पीसकर छान लें। फिर उसमें 5 ग्राम चीनी को मिलाकर दिन में 3 बार पीने से पीलिया रोग शान्त हो जाता है।