एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर है अनार

"अनार में एंटी ऑक्सीडेंट्स, एंटी बैक्टीरियल, फाइबर, विटामिन, पोंलीफिनोल, टैनिन आदि गुणकारी तत्व मौजूद होती है जो हृदय रोग, कैंसर, वजन कम करने में, दांत रोग, कब्ज, तनाव आदि को दूर करने में सहायक होता है।"

अनार (Pomegranate) बाजार में हमेशा प्राप्त होनेवाला फल है। यह फल खाने में जितना मीठा और स्वादिष्ट होता है, हमारे शरीर के लिए भी उतना ही फायदेमंद (Benefit) होता है। रोजाना एक अनार का सेवन आपकी इम्यूनिटी को काफी मजबूत बना सकता है। 
आनर के गुण

हमारे शरीर के अंगों में होने वाले अनेक समस्याओं को दूर करने के लिए अनार काफी फायदेमंद होता है। खाने से अनेक रोगों में फायदा होता है। यह शरीर को स्वस्थ रखने में काफी मददगार है।

हृदय रोग (Heart Disease) : पॉलीफिनोंल, टैनिन और दूसरे एंटी ऑक्सीडेंट (Anti Oxidant) की मात्र अनार में काफी होती है।  ये तत्व ब्लड प्रेशर और बैड कोलेस्ट्रॉल को कम रखते हैं। जिसके कारण यह हृदय को सुरक्षित रखते हैं।

कैंसर (Cancer) : अनेक शोधों से पता चला है कि अनार में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स और पॉलीफिनोल कैंसर से भी बचाने का कार्य करते हैं एवं कैंसर उत्पन्न करनेवाली कोशिकाओं को भी नष्ट करते हैं। 

वजन रखता है सामान्य (Weight Loss) : अनार के बीजों में कैलोरी काफी कम होती है, लेकिन ये फाइबर और विटामिन से भरपूर होते हैं। इससे वजन नियंत्रित रहता है। 

स्वस्थ त्वचा (Skin) : अनार रोज खाने से त्वचा हमेशा युवा, स्वस्थ रहती है। झुर्रीयां पड़ने का खतरा भी कम होता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स उम्र के प्रभाव को कम करने का कार्य करते हैं।  

दांत रोगों में (Teeth Disease) : इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं। यह दांत रोगों में लाभकारी है। इसका जूस पीने से डेंटल प्लाक दूर रहते हैं। इससे दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं। 

पाचन रखता है सही : हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के गाइडलाइंस के अनुसार 20 से 35 ग्राम फाइबर रोज खाना चाहिए। अनार में यह तत्व प्रचुर मात्रा में होता है। यह कब्ज को दूर रखता है और पाचन तंत्र सुदृढ़ रखता है। इससे दूसरे पोषक तत्व शरीर द्वारा आसानी से अवशोषित किये जाते हैं।

बढ़ाता है इम्युनिटी (Immunity): इसमें विटामिन सी भी काफी मात्रा में होता है। यह इम्युनिटी बूस्ट करता है। इससे शरीर कई प्रकार के इन्फेक्शन से सुरक्षित रहता है। 

तनाव करता है दूर : क्वीन मार्गरेट यूनिवर्सिटी के रिसर्च के अनुसार अनार का जूस पीने से तनाव कम होता है। इस शोध में देखा गया कि जिन लोगों ने अनार का जूस पीया उनमें कॉटिर्सोल का लेवल कम पाया गया। यह होंर्मोन तनाव बढ़ाता है। 

दूर करता है अलजाइमर्स का खतरा : लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च में पता चला है कि रोज एक गिलास अनार का जूस पीने से अल्जाइमर्स उत्पन्न करनेवाले हानिकारक प्रोटीन का बनना बंद हो जाता है।   

न्यूट्रिशन फ़ैक्ट (Nutrition of Pomegranate)

मात्रा प्रति सौ ग्राम
* कैलोरी 83%
* फैट 1.2 ग्राम
* सेचुरेटेड फैट 0.1 ग्राम
* पॉलीअनसेचुरेटेड फैट 0.1 ग्राम
* कोलेस्ट्रॉल 0 मिलीग्राम
* सोडियम 3 मिलीग्राम
* पोटैशियम 236 मिलीग्राम
* कार्बोहाइट्रेट 19 ग्राम
* फाइबर 4 ग्राम
* शूगर 14 ग्राम
* प्रोटीन 1.7 ग्राम
* विटामिन ए 0%
* कैल्शियम 1%
* विटामिन सी 17%
* विटामिन बी-6 5%

नोट : इसमें कैलोरी काफी होती है। अतः डायबिटीज रोगी अनार का जूस न पिएं।

आपके शरीर को कितना कैल्सियम चाहिए

कमजोर हड्डी और जोड़ों का दर्द कई बार सही डायट नही मिलने से भी होता है, ये समस्याएं अगर आपके साथ हैं, तो सतर्क हो जाएं।  यह कैल्शियम की कमी से भी हो सकता है।

कैल्शियम प्रमुख पोषक तत्व है, इसकी कमी से अनेक रोग होते हैं, कार्बन, हाइड्रोजन और नाईट्रोजन के बाद शरीर में कैल्शियम की मात्रा सबसे अधिक होती है। 90% कैल्शियम हड्डियों व दांतों में पाया जाता है। कुछ मात्रा रक्त में भी होती है।

क्या है इसका कार्य: इससे सिर्फ हड्डियां ही नहीं मजबूत होती हैं, बल्कि यह हाइ बीपी, डायबिटीज़ और कैंसर से बचने के लिए भी जरूरी है। इसकी सहायता से नर्वस सिस्टम की मांसपेशियां गतिशील होती हैं। रक्त में घुला कैल्शियम कोशिकाओं को सक्रिय रखता है, गर्भस्थ शिशु की हड्डियों के विकास के लिए गर्भवती को कैल्शियमयुक्त पदार्थो का सेवन करना चाहिए। डॉक्टर की सलाह से कैल्शियम की गोलियों का भी सेवन करना चाहिए। बच्चों के दांत निकलते समय उन्हें प्रयाप्त दूध और उससे बनी चीजें देनी चाहिए। टीनएजर्स के शारीरिक विकास के लिए भी अधिक कैल्शियम जरूरी है।

हर किसी की जरूरत अलग: 30 वर्ष तक हड्डियां विकसित हो जाती हैं, 40 वर्ष के बाद स्त्रियों में मेनोपोज की अवस्था आती है। इस समय उन्हें प्रतिदिन 1300 मिग्रा कैल्शियम की जरूरत होती है। ऐसे में इसकी कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।

विटामिन डी भी जरूरी: ग्रहण किये गये कुल कैल्शियम का 30% ही मेटाबोंल्जिम के जरिये हम तक पहुंचता है। बाकी कैल्शियम शरीर से बाहर निकल जाता है।  कैल्शियम के अवशोषण और पाचन के लिए फॉस्फोरस और विटामिन डी की भी होता है। इसलिए इसे अलग से नहीं लेना पड़ता। विटामिन डी के लिए रोजाना सुबह हल्की धूप में बैठना चाहिए।

इनसे मिलेगा भरपूर कैल्शियम : दूध और उससे बनी चीजों में इसकी भरपूर मात्रा होती है। एक गिलास दूध में 300 मिग्रा कैल्शियम होता है। सफेद रंग के सभी फलों और सब्जियों जैसे-केला, नारियल, शरीफा, अमरूद, गोभी और मुली आदि में काफी कैल्शियम होता है। जिन्हें दूध और डेयरी प्रोडक्ट पसंद नहीं, वे भोजन में रागी और गुड़ शामिल करें। ब्रोकली, पालक और सी फूड भी इसके अच्छे स्त्रोत हैं। तिल और हिलसा मछली में कैल्शियम और विटामिन डी दोनों होते हैं। सोया मिल्क और संतरे में भी यह होता है।

उम्र के अनुसार डोज : कैल्शियम की जरूरत उम्र और अवस्था के आधार पर होती है। खास कर गर्भावस्था और बीमारी में इसपर ज्यादा ध्यान रखना चाहिए।

नवजात के लिए
0-6 महीने   200 मिग्रा
7-12 महीने  260 मिग्रा

बच्चों और किशोर के लिए
1-3 साल   700 मिग्रा
4-8 साल   1000 मिग्रा
9-18 साल   1,300 मिग्रा

वयस्क के लिए
19-50 साल   1000 मिग्रा
50-70 साल के पुरुष  1000 मिग्रा
50-70 औरत   1,200 मिग्रा

गर्भवती और स्तनपान करानेवाली महिलाओं के लिए
14-18 साल   1300 मिग्रा
19-50 साल    1000 मिग्रा

अधिक कैल्शियम है खतरनाक :  कई बार लोग कैल्शियम सप्लिमेंट ले लेते हैं, जो घातक हो सकता है। इसमें मांसपेशियां जकड़ जाती हैं और तेज दर्द होता है। अतः बिना डॉक्टर की सलाह के इसे न लें। कैल्शियम की जांच के लिए हर छह महीने में बिएमडी टेस्ट कराएं।