घरेलू स्क्रब जो गर्मी में सनटैन से आपकी त्वचा की रक्षा करे

सूर्य से निकलने वाली पैराबैंगनी विकिरण ( ultraviolet (UV) radiation ) त्वचा के लिए काफी नुकसानदेह होती है। इससे त्वचा में मेलनिन का स्तर बढ़ जाता है, जो सन टैन की मुख्य वजह है (cause of sun tan or sun burn)। शरीर का जो हिस्सा सूर्य की रोशनी (Our body parts which facing Sunlight) के संपर्क में आता है (चेहरा, हाथ व पैर आदि) उसके साथ अक्सर सन टैन की समस्या हो जाती है। गर्मी में चिलचिलाती धूप में सन टैन से त्वचा (to prevent our skin from sun tan) को बचाना जरूरी है। 
सन टैन को दूर करने के लिए हमारे अपने घर में ही कई ऐसी चीजें उपलब्ध हैं, जो इसे आसानी से दूर कर सकती हैं। नींबू रस, बादाम तेल, शहद, खीरा और आलू में सन टैन को दूर करने का गुण है। इससे त्वचा में जान आ जाती है। यह त्वचा में मेलनिन की वृद्धि को रोकते हैं। रोम छिद्रों को साफ करते हुए त्वचा को चमकदार बनाते हैं। सबसे अच्छी बात है की इन तत्वों से कोई साइड इफेक्ट (side effect) नहीं होता। ये पूरी तरह से प्रकृतिक होते हैं। जानते हैं कुछ घरेलू नुस्खे (Gharelu Nuskhe), घरेलू स्क्रब (Home made scrub) के बारे जो गर्मी में आपकी त्वचा को बचाए रखे ।

सन टैन दूर करे स्क्रब (scrub): टैनिंग को दूर करने का सबसे बेहतर माध्यम है स्क्रबिंग (scrubbing)। इसके लिए आप कई तरह के स्क्रब का प्रयोग (use of home made scrub) कर सकते हैं। एक कप कच्चे दूध में एक चम्मच चन्दन का पाउडर मिलाएँ। इस मिश्रण को अच्छे से मिला कर टैनिंग वाली जगह पर लगाएँ और हल्के हाथों से स्क्रब करें। इस मिश्रण से तब तक स्क्रबिंग करें जब तक यह सुख न जाये। फिर साफ पनि से धो लें। 

मिल्क पाउडर (Milk Powder) बादाम का तेल (Almond oil) व शहद (Honey) स्क्रब: मिल्क पाउडर, नींबू रस, शहद व बादाम का तेल बराबर मात्रा लेकर उसे अच्छे से मिलाएँ। इस तरह बने लेप (solution) को प्रभावित क्षेत्र में लगाकर 15 मिनट बाद धो लें। जल्द असर पाने के लिए इसे दिन में दो-तीन बार करें (use 2-3 times a day)। 

कच्चा दूध हल्दी (turmeric) और नींबू (lemon): नींबू को सबसे अच्छा प्रकृतिक ब्लीच माना जाता है। यह टैनिंग को दूर करने का सबसे बेहतर तत्व है। कच्चे दूध में हल्दी व नींबू के रस को मिलाएँ और इसे टैंड स्किन पर लगाएँ। यह बहुत ही अच्छा प्रकृतिक स्क्रब ( natural scrub) है। इसे 25 मिनट बाद धो लें। 

एलोबेरा (Aloe vera) :- एलोबेरा में आयुर्वेदिक गुण (Ayurvedic quality) होते हैं। सन टैनिंग होने पर इसके पल्प को प्रभावित क्षेत्र में आधा घंटा तक लगा कर रखें। आधे घंटे के बाद धो लें। झुलसी त्वचा पर निखार आ जाएगी। 

टमाटर (Tomato) : टमाटर का रस (Tomato juice) टैनिंग को दूर करने के बेहतर तत्वों में एक है। टमाटर के रस को चेहरा पर 10 मिनट के लिए छोड़ दें। ऐसा रोज दिन में लगातार दो तीन बार करें। टैनिंग कुछ ही दिनों में गायब हो जाएगी।

चीनी और नींबू (Sugar and Lemon) :- चीनी व नींबू रस को मिला कर एक गाढ़ा मिश्रण बनाएँ। इस स्क्रब को टैंड फेस व शरीर में लगाकर 20 मिनट के लिए छोड़ दें। उसके बाद ठंडे पानी से धो लें। चीनी चेहरे की सफाई के लिए काफी लाभदायक है।

आलू स्क्रब (Potato scrub):- आलू के कुछ टुकड़ों को क्रश कर ले। उसे प्रभावित क्षेत्र पर कम से कम 20 मिनट लगा कर छोड़ दें। यह बहुत ही अच्छा स्क्रब है, जो जल्दी स्किन को पहले जैसे टोन में आता है।

दही (Curd):- इसके सेवन से शरीर को तरावट मिलती है। दही के सेवन से त्वचा के रोमछिद्रों में कसाव आता है।

खीरा (Cucumber) :- खीरा त्वचा को हाइड्रेड़ करता है। त्वचा में पानी की कमी (dehydration) को पूरा करता है। दही टमाटर खीरा को पीस कर मिला लें। इस पेस्ट में आधा कप आटा मिला लें और फेंट लें। इसे लगाकर 30-35 मिनट तक सूखने दें और फिर धो लें।  

सुगर स्क्रब (Sugar scrub) से निखार: सुगर स्क्रब आपकी त्वचा को फिर से एक बार निखार सकता है। चीनी को धीरे-धीरे टैनिंग वाले क्षेत्र में स्क्रब करें (scrub slowing in the tanning area of your skin)। फिर ठंडे पानी से धो लें। चीनी चेहरे की सफाई के लिए काफी लाभदायक है।

चन्दन पाउडर व कच्चा दूध स्क्रब: एक कप कच्चे दूध में एक चम्मच चन्दन का पाउडर (Sandalwood Powder) मिलाएँ। इस मिश्रण को अच्छे से मिला कर टैनिंग वाली जगह पर लगाये। हल्के हाथों से स्क्रब करें। तब तक स्क्रबिंग करें, जब तक यह सुख न जाये। साफ पानी से धो लें।    

गर्भावस्था में होने वाले स्ट्रेच मार्क से बचना है संभव

गर्भवस्था (Pregnancy) में होने वाली स्ट्रेच मार्क (stretch mark) एक ऐसी समस्या है, जिससे लगभग सभी  महिलाएं परेशान होती हैं। परंतु, यदि गर्भवती महिलाओं द्वारा थोड़ी सावधानी बरती जाये और समय पर उपचार कराया जाये, तो इस समस्या से अवश्य बचा जा सकता है।  

स्ट्रेच मार्क गर्भावस्था के दौरान होनेवाली समस्या है। इसमें त्वचा की निचली परत (dermis) के अंदर का प्रोटीन (collagen and elastin) टूट कर दरक जाता है। इसके कारण त्वचा में एक प्रकार का गड्ढा या स्कार बनता है। 

क्या हैं कारण (Cause of Stretch mark during pregnancy in hindi)

गर्भावस्था में भ्रूण के विकास के साथ - साथ पेट की त्वचा पर तनाव बढ़ता जाता है। ज्यादा तनाव के कारण मास्ट सेल (mast cell) से बहुत सारे केमिकल व एंजाइम निकलते हैं। इसमें इलास्टिन प्रोटीन और कोलेजेन को गलाने की शक्ति होती है। जिसके कारण शुरुआत में त्वचा में लालीपन आ जाती है और खुजली होने लगती है। इस अवस्था को लिनिया निगरा (linea nigra) कहते हैं। यह आगे चल कर सफ़ेद या त्वचा के रंग का हो जाता है। इस अवस्था को लीनिया अल्बा (linea alba) कहते हैं। गर्भावस्था में भ्रूण के विकास के साथ जिस हिसाब से गर्भ एवं पेट का आकार बढ़ता है, उस अनुपात में त्वचा नहीं फैल पाती है। जिस कारण त्वचा में तनाव उत्पन्न होता है और इसी से स्ट्रेच मार्क का निर्माण होता है। इसके अलावा अचानक वजन बढ़ना, अचानक लंबा होना, जिम में स्ट्रेचिंग के व्यायाम अधिक करने आदि से भी यह समस्या हो सकती है। महिलाओं में पेट॰ स्तन, जांघ आदि जगहों पर यह समस्या होती है।

कई बार यह देखा गया है कि लोग मिक्स क्रीम (जैसे - फोरडर्म, क्वाडीडर्म, बेतनोवेट जीएम, पेनडर्म) यानी स्टेरॉयड, एंटीबायोटिक और एंटीफंगल क्रीम को मिला कर लगा लेते हैं, इसे लगातार लगाते रहने से एपिडमींस (त्वचा कि ऊपरी सतह) पतली हो जाती है और कोलेजेन प्रोटीन कमजोर पड़ने से स्ट्रेच मार्क आते हैं। दमा या गठिया आदि के मरीज यदि स्टेरॉयड की गोली रोज लेते हैं, तो उनमें भी तनाववाली जगहों पर स्ट्रेच मार्क हो जाता है।    

स्ट्रेच मार्क से बचाव एवं उपचार 

शुरुआत में जब त्वचा में लालीपन आने लगता है उस समय इसका इलाज करने से ज्यादा लाभ होता है। परंतु यदि इसका रंग उजला हो चुका हो अर्थात यह लिनिया अल्बा में बदल चुका हो, तो इस अवस्था में ठीक होने में समय लगता है। इर्मेटोऑजिस्ट इस अवस्था में ट्रेटीनोइन क्रीम रात में तथा विटामिन इ, सेरामाइड व एलोवेरा मिश्रित क्रीम को दिन में लगाने के लिए दिया जाता हैं। इससे काफी लाभ होता है। अनेक प्रकार के लेजर (जैसे-पल्स डाइ लेजर, एनडी वाइएजी लेजर, फ्रैक्शनल सीओटू लेजर) आइपीएल मशीन, रेडियो फ्रिक्वेंसी मशीन से भी स्ट्रेच मार्क में 50% से ज्यादा बदलाव लाना संभव है। कभी-कभी टीसीए (25%) केमिकल लगाने से भी त्वचा ठीक होती है और नया कोलेजेन बनना शुरू होता है। इससे स्ट्रेचमार्क कम होता है। परंतु कभी-कभी ये स्ट्रेच मार्क इन सबके बावजूद भी पूरी तरह से नॉरमल स्किन में नहीं बदल पाती हैं। अतः बचाव बहुत जरूरी है।