आंखों के रोहें, फूले कुकरे

आंखों के रोहें, फूले कुकरे

1. सत्यानाशी : सत्यानाशी (पीला धतूरा) को दूध घी में मिलाकर लगाने से आंखों के रोहे, फूले आदि विभिन्न रोग समाप्त हो जाते हैं।
2. शहद : अपामार्ग की जड़ को शहद में घिसकर लगाने से आंख के फूले समाप्त हो जाते हैं।
3. तोरई : तोरई (झिगनी) के ताजे पत्तों का रस निकालकर रोजाना 2 से 3 बूंदें दिन में 3 से 4 बार आंखों में डालें। इससे आंखों के रोहे (पोथकी) में लाभ मिलता है।
4. ममीरा : ममीरा को आंखों में लगाने से आंखों के बहुत से रोगों में आराम आता है।
5. चिरमिटी (करंजनी, गुंजा) : यह दो तरह का होता है। लाल को रक्त गुंजा और सफेद को श्वेत गुंजा कहते हैं। इसे दूध में घिसकर आंखों में लगाने से फूले और रोहे मिट जाते हैं।
6. पुनर्नवा : विसखपरा या पुनर्नवा (गदपुरैना) के पत्तों के रस को शहद के साथ मिलाकर आंखों में लगाने से रोहें, फूले आदि आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं।
7. बरगद : बरगद के 10 मिलीलीटर दूध में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग कपूर और 2 चम्मच शहद को मिलाकर आंखों में लगाने से आंखों का फूलना (सूजन) बंद होता है।
8. प्याज : प्याज का रस 1 से 2 बूंद नियमित रूप से 2 से 3 बार आंखों में डालने से आंख का फूला नष्ट होता है।
9. मूली : मूली का रस (कन्द का रस) 1 से 2 बूंद रोजाना 2-3 बार आंखों में डालने से आंखों का जाला (आंखों में कीचड़), फूला, धुंध (धुंधला दिखाई देना) आदि रोग दूर हो जाते हैं।
10. सफेद कत्था : सफेद कत्था का हल्का घोल पानी में बनाकर रखें। इस पानी की 2 से 3 बूंदों को रोजाना 3-4 बार आंखों में डालने से फूला, रोहें और कुकरे आदि आंखों के रोग समाप्त हो जाते हैं।
11. नीलाथोथा (तूतिया, कापरसल्फेट) :
12. मिश्री : आंखों के रोहे में 6 से 10 ग्राम महात्रिफलादि घृत इतनी ही मिश्री के साथ मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से आंखों का लाल होना, आंखों की सूजन, दर्द और रोहे आदि रोग दूर होते हैं। इसके साथ ही त्रिफला के पानी से आंखों को बीच-बीच में धोना चाहिए।
13. चमेली : चमेली के फूलों की 5-6 सफेद कोमल पंखुड़ियों को थोड़ी-सी मिश्री के साथ पीसकर आंख की फूली पर लगाने से कुछ दिनों में फूली कट जाती है।
14. अमरबेल : बेल के लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग रस में शक्कर मिलाकर आंखों में लेप करने से नेत्रभिष्यंद (मोतियाबिंद) और आंखों में सूजन में लाभ होता है।
15. अमरूद : अमरूद के पत्तों की पुल्टिश बनाकर रात को सोते समय आंखों पर बांधने से आंखों का दर्द ठीक हो जाता है तथा आंखों की लालिमा और आंखों की सूजन मिट जाती है।
16. अनार :

आंखों की पलकों का फड़कना



आंखों की पलकों का फड़कना

(EYELID’S CRAMPS)          


          स्नायविक कम्पन के कारण कभी-कभी आंखों की पलकें अपने आप कांपने लगती हैं जिसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता। यह कम्पन कभी-कभी इतना अधिक होता है कि देखने में कठिनाई होती है। कुछ लोगों का मानना है कि पुरुषों की दाहिनी (सीधी) आंख और महिलाओं की बायीं (उल्टी) आंख का फड़कना या कम्पन शुभ संकेत है।

विभिन्न औषधियों से उपचार:
1. जटामांसी : जटामांसी का काढ़ा लगभग 28 मिलीलीटर से 55 मिलीलीटर तक की मात्रा में रोजाना 2 से 3 बार पीने से पलकों का कम्पन (फड़कना) कम हो जाता है।
2. लहसुन :
  • 4 जवा (कली) लहसुन और 4 छिलके रहित एरण्ड के बीज लें, फिर उन्हें पीसकर दूध में अच्छी तरह उबालकर रोजाना रात को पिलाने से पलकों का कम्पन (फड़कना) ठीक हो जाता है।
  • सबसे पहले लहसुन को तेल में पका लें। उसके बाद उस तेल से पलकों की मालिश करने तथा वायविडंग और लहसुन की खीर बनाकर सेवन करने से पलकों का फड़कना ठीक हो जाता है।
3. महानींबू : 10 से 20 मिलीलीटर महानींबू (चकोतरा) का पत्र स्वरस (पत्तों का रस) पीने से पलकों का कम्पन (फड़कना) ठीक हो जाता है। महानींबू बिजौरा नींबू से भी बड़ा होता है इतना बड़ा कि फल का व्यास 15 से 20 सेमी तक होता है।
4. सोंठ : महारास्नादि के काढ़े में सोंठ को मिलाकर सुबह-शाम पीने से शरीर के किसी अंग की हिलते रहने की शिकायत तथा फड़कना आदि ठीक होता है। चाहे अंगुलियों की कंपन हो या पलकों का फड़कना। सभी ठीक हो जाते हैं।
5. मिश्री : 10 ग्राम गोघृत (गाय का घी) और 40 मिलीलीटर दूध लेकर अच्छी तरह उबाल लें। फिर गर्म-गर्म दूध के साथ मिश्री और 3 से 6 ग्राम असगंध नागौरी का चूर्ण सुबह-शाम सेवन किया जाए तो पूरी तरह से पलकों का फड़कना बंद हो जाता है।
6. हरीतकी : हरीतकी (हर्रे) को पानी में घिसकर अन्जनहारी (आंखों की पलकों) पर लेप करने से बहुत लाभ होता है।
7. सत्यानाशी : सत्यानाशी (पीला धतूरा) का दूध घृत (घी) में मिलाकर आंखों में लगाने से लाभ होता है।
8. पत्थरचटा : चाहे कितना ही भयानक रूप का आंख का रोग क्यों न हो गया हो पत्थरचटा के पत्तों को पीसकर आंख बंद करके पट्टी बांधने से काफी लाभ होता है।
9. हरड़ : त्रिफला का चूर्ण 7-8 ग्राम की मात्रा में नियमित रूप से पानी में डालकर रखें। सुबह उठकर थोड़ा मसलकर कपड़े से छान लें और छाने हुए पानी से आंखों को धोएं। इससे कुछ दिनों के बाद आंखों के सभी तरह के रोग ठीक हो जाते हैं।