गले के रोग gale ke rog



गले के रोग

     गले में कई तरह के रोग हो सकते हैं, जैसे- घेंघा (गले की सूजन), टान्सिलाइटिस (गले की गांठे), तुतलाना, स्वरभंग (आवाज का बैठ जाना) आदि।परिचय :

विभिन्न भाषाओं में नाम :


हिन्दी

गले की बीमारियां

अंग्रेजी

डिजीजेज आफ थ्रोट

अरबी

कण्ठबेमार, गलार बेमार

बंगाली

कण्ठरोग, गलरोग

कन्नड़

गन्तालु माट्टुक टिट्गेरोग

मलयालम

थोण्डइलम काझ, थीलुमुल्ल रोगम्

मराठी

कण्ठरोग, गल्याचे रोग

तमिल

तोण्डइनीय

तेलगू

गोण्टुरोगमूल।
2. हल्दी : हल्दी, मालकांगनी, देवदारू, पाढ़, रसौत, जवाक्षार और पीपल को बराबर मात्रा में लेकर शहद के साथ मिलाकर उसकी गोलियां बना लें। एक गोली मुंह में रखकर चूसने से गले के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।

                                      अन्ननली का सिकुड़ना

                                      अन्ननली का सिकुड़ना


                                             जब गले की मांसपेशियों और आहार नली के तन्तुओं में दोष पैदा हो जाते हैं तो आहार नली फैलने और सिकुड़ने (संकुचन और प्राकुचन) की क्रिया ठीक से नहीं करती और ऐसा महसूस होता है कि गले में कुछ खाने के दौरान अटक-सा गया है। साथ-ही साथ सांस घुटने लगती है। इसे ही आहार नली का सिकुड़ना कहते हैं।परिचय :

                                      विभिन्न औषधियों से उपचार :

                                      1. प्रसारिणी :