1. लहसुन: हृदय में दर्द और सांस फूलने पर लहसुन की 2-3 कलियों को चबाकर रस चूसने से बहुत लाभ होता है। पेट से गैस निकल जाने पर हृदय का दबाव भी कम होता है।
2. अजवायन: 3 ग्राम की मात्रा में अजवायन का चूर्ण पानी के साथ सेवन करने पर हृदय शूल (दिल का दर्द) शांत होता है।
3. चित्रक: चित्रक, त्रिकुटा और पिप्पली की जड़ 10-10 ग्राम मात्रा में लेकर 500 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर दिन में 2 बार पीने से दर्द में लाभ होता है।
4. गिलोय: 10-10 ग्राम गिलोय और कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर, 3 ग्राम हल्के गर्म पानी से सेवन करने से हृदय शूल यानी दिल के दर्द में लाभ होता है।
5. केला: केले के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर शहद को मिलाकर खाने से दिल के दर्द की समस्या नहीं रहती है।
6. अकरकरा: अकरकरा और अर्जुन की छाल को बराबर की मात्रा में कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर, 3 ग्राम की मात्रा में चूर्ण को गाय के दूध से पीने पर दिल में दर्द नहीं होता है।
7. नींबू: 250 मिलीलीटर पानी में 10 ग्राम शहद और नींबू का रस मिलाकर सेवन करने से दिल के दर्द में लाभ होता है।
8. पीपलामूल: खस के 10 ग्राम चूर्ण में पीपलामूल का 10 ग्राम चूर्ण मिलाकर रख लें। इस चूर्ण को प्रतिदिन 2 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ सेवन करने से दिल के दर्द में लाभ होता है।
9. सौंठ:
10. भटकटैया: गिलोय और भटकटैया की जड़ दोनों 10-10 ग्राम लेकर 500 मिलीलीटर पानी में उबालें, 100 मिलीलीटर शेष रह जाने पर काढ़े को छानकर सुबह-शाम पीने से दिल के दर्द की समस्या में बहुत लाभ होता है।
11. गुलकन्द: हृदय रोगी को कब्ज के कारण हृदय की धड़कन तेज होने से घबराहट अधिक होती है। कब्ज को नष्ट करने के लिए रोगी को प्रतिदिन आंवले का मुरब्बा खाना चाहिए। दूध के साथ गुलकन्द खाने से भी कब्ज नष्ट होती है।
12. कलमीशोरा: कलमीशोरा 10 ग्राम पीसकर मूली के रस 100 मिलीलीटर में घोंटे, जब यह गाढ़ा हो जाये तो कालीमिर्च के आकार की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। दर्द के समय एक गोली पानी से लें।
13. सौंफ: सौंफ 5 ग्राम, धनिया सूखा 3 ग्राम को एक साथ मोटा-मोटा पीसकर रात को 100 मिलीलीटर गुलाबजल में भिगो दें, इसे सुबह पीस-छानकर रख लें। पहले किशमिश खाकर ऊपर से इस पानी को पीने से दिल की धड़कन ठीक हो जाती है।
14. गुलाब: पहले रोगी को गुलाब का इत्र सुघायें और इसे बाईं पसली पर मलें।
15. बिल्ली लोटन: 10 ग्राम बिल्ली लोटन कूटकर 150 मिलीलीटर पानी में उबालें। ठंडा होने पर छान लें। इसे शहद के साथ मिलाकर पिलाने से हृदय के रोगों में लाभ होता है।
16. हींग: आधा ग्राम हींग को पीसकर बीज निकले मुनक्का में रखकर गोली बनाकर हल्के गर्म पानी से दें।
17. धनिया: सौंफ, धनिया सूखा 25-25 ग्राम कूट छानकर खांड 50 ग्राम मिला लें। इसे 5-5 ग्राम पानी से भोजन के बाद दोनों समय लें। यह दिल की धड़कन में लाभकारी है।
18. लहसुन: लहसुन का रस 10 से 30 बूंद घी के साथ या दूध में उबालकर सेवन करने से हृदय के ऊपर का दबाव कम होकर, हृदय का दर्द नष्ट होता है।
19. जटामांसी: हृदय की धड़कन, कमजोरी, दर्द आदि में जटामांसी का चूर्ण आधा ग्राम से 1 ग्राम रोज दो बार देने से लाभ होता है।
20. आंवला: आंवले के मुरब्बा का सेवन करें। यह हृदय को बल देता है।
2. लौकी:
3. गुलकन्द: गुलकन्द या गुलाब के सूखे फूलों में चीनी मिलाकर खाने से हृदय को बल मिलता है।
4. गुलाबजल: गुलाब जल में थोड़े-से गुलाब के फूल और 100 ग्राम हरा धनिया पीसकर चटनी के रूप में सेवन करने से दिल के रोग में लाभ होता हैं।
5. अजवायन: यदि दिल की कमजोरी के कारण छाती में दर्द होता हो, तो 1 चम्मच अजवाइन को 2 कप पानी में उबालें। आधा कप पानी बचा रहने पर काढ़े को छानकर रात के समय इस काढ़े को रोजाना 40 दिनों तक सेवन करें और ऊपर से आंवले का मुरब्बा खाएं। यह हृदय रोग को दूर करने में लाभकारी है।
6. करौंदा: करौंदा हृदय रोग को दूर करने में बहुत उपयोगी है। करौंदे की सब्जी मीठा डालकर या मुरब्बा खाना बहुत लाभदायक है।
7. गाय का दूध : हृदय रोगी को गाय का दूध व घी फायदेमंद हैं भोजन में इसका प्रयोग रोजाना सेवन करना भी लाभकारी होता हैं।
8. लहसुन :
9. पालक रस: चौलाई का रस आधा चम्मच, पालक का रस 1 चम्मच और नींबू का रस 1 चम्मच। तीनों को मिलाकर रोजाना सुबह 20 दिनों तक सेवन करने से हृदय रोग में लाभ होगा।
10. लीची का रस: गर्मी के मौसम में आधा कप लीची का रस रोज पीने से हृदय को काफी बल मिलता है।
11. खूबानी का रस: खूबानी का रस 4 चम्मच पानी में डालकर रोजाना रोगी को पिलायें।
12. इमली: पकी हुई इमली का घोल 2 चम्मच और थोड़ी-सी मिश्री, दोनों को मिलाकर सेवन करने दिल की बीमारी में आराम मिलता है।
13. कपास: एक कप पानी में कपास के 4 फल भिगो दें। 4-5 घंटे बाद इसे उसी पानी में मथ लें। इसमें थोड़ी-सी मिश्री डालकर रोगी को सेवन कराने से लाभ होता है।
14. काले चने: हृदय के रोगियों को काले चने उबालकर उसमें सेंधानमक डालकर खाने से दिल के रोग में लाभ होता है।
15. बथुआ: बथुए की लाल पत्तियों को छांटकर उनका रस लगभग आधा कप निकाल लें। उसमें सेंधा नमक डालकर सेवन करें।
16. बरगद का दूध: बरगद के दूध की 4-5 बूंदे बताशे में डालकर लगभग 40 दिनों तक सेवन करने से हृदय के रोग में लाभ मिलता है।
17. जावित्री: जावित्री 10 ग्राम, दालचीनी 10 ग्राम और अकरकरा 10 ग्राम। तीनों को मिलाकर आधा चम्मच चूर्ण प्रतिदिन शहद के साथ सेवन करने से हृदय रोग में लाभ होता है।
18. नीम की जड़: बड़े नीम की जड़ 10 ग्राम, कूट 10 ग्राम, सोंठ 10 ग्राम तथा कचूर 10 ग्राम को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 4 ग्राम चूर्ण देशी घी में मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
19. बिजौरा: पोहकर मूल, बिजौरा, नींबू की जड़, सौंठ, कचूर, तथा हरड़। इन सबको बराबर की मात्रा में लेकर कूट-पीसकर लुगदी बना लें। इसमें से छोटे बेर के समान लुगदी लेकर सेंधानमक के साथ सेवन करने से दिल की बीमारी में आराम मिलता है।
20. मुनक्का: 5 ग्राम मुनक्का, 2 चम्मच शहद और एक छोटी डली मिश्री तीनों को पीसकर चटनी बना लें। यह चटनी सुबह के समय नाश्ते के बाद सेवन करने आराम मिलता है।
21. पीपला मूल: पीपला मूल और छोटी इलायची का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में देशी घी के साथ चाटने से हृदय रोग का शमन हो जाता है।
22. हींग: हींग, बच, सोंठ, जीरा, कूट, हरड़ चीता, जवाखार, संचर नमक और पोहकर मूल। इन सबको बराबर की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण शहद या देशी घी के साथ सेवन करें। इससे दिल की बीमारी में आराम मिलता है।
23. अरबी: हृदय के रोगी को अरबी की सब्जी 25 ग्राम दिन में एक बार रोजाना खाते रहने से हृदय रोग में लाभ होता है।
24. चौलाई: चौलाई की हरी सब्जी का रस पीने से हाई ब्लडप्रेशर में लाभ होता है।
25. कुलथी: कुलथी भिगोये गये पानी को छानकर सुबह-शाम पीने से हाई ब्लडप्रेशर (उच्च रक्तचाप) में लाभ होगा।
26. आलू का रस:
27. मौसमी:
28. सेब: दिल की कमजोरी दूर करने के लिए सेब खाना लाभदायक है।
29. खजूर: खजूर खाने से दमा और सूखी खांसी दूर होती है। इससे शरीर ताकतवर बनता है और हृदय में भी ताकत आती है।
30. गेहूं: गेहूं के नवजात पौधे का रस अल्प मात्रा में नियमित पीने से दमा, खांसी और छाती के कैन्सर तक दूर होते हैं।
31. शलगम: शलगम, बंदगोभी, गाजर और सेम का रस मिलाकर सुबह-शाम 2 सप्ताह तक पीने से हृदय के रोग में लाभ होता है।
32. शहद: हृदय की घबराहट, दुर्बलता आदि जब मालूम हो 1 कप गर्म पानी में 2 चम्मच शहद घोलकर रोजाना 2-3 बार सेवन करने से इन रोगों में लाभ होगा।
33. सौंठ :
34. रूद्राक्ष: हरे एवं ताजे रुद्राक्ष के फलों को लेकर इसका छिलका निकालकर, काढ़ा बना लें। इसे थोड़ी-सी मात्रा में कुछ महीने तक सेवन करने से हृदय के समस्त रोगों में लाभ होता है।
35. मेथीदाना: सूखे मेथी दाने का प्रयोग हाई ब्लडप्रेशर (उच्च रक्तचाप) में लाभकारी होता है। यह कालेस्ट्राल का स्तर रक्त में घटाता है। जिसके फलस्वरूप उच्च रक्तचाप के रोग से मुक्ति मिलती है।
36. अदरक :
37. हरीतकी:
हरीतकी फल मज्जा और वचा प्रकन्द समान मात्रा में मिलाकर 1 ग्राम चूर्ण को 4 से 6 ग्राम शहद के साथ दिन में 2 बार सुबह-शाम सेवन करने से दिल के रोग में आराम मिलता है।
हरीतकी फल मज्जा, वचा प्रकन्द, रास्ना मूल, शटी, पुष्करमूल, पिप्पलीफल व शुंठी समभाग मिलाकर 3 से 6 ग्राम चूर्ण, 100 से 250 मिलीलीटर दूध के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से लाभ होगा।
हरीतकी फल मज्जा, त्रिवृत्, शटी, बला, पुष्कर मूल व शुंठी एक समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 2 से 4 ग्राम की मात्रा में 7 से 14 मिलीलीटर गौमूत्र या 50 मिलीलीटर गर्म पानी के साथ दिन में दो बार लेना चाहिए।
38. पिप्पली:
39. अर्जुन:
अर्जुन की छाल 10 ग्राम, गुड़ 10 ग्राम और मुलेठी 10 ग्राम तीनों को एक साथ, लगभग 250 मिलीलीटर दूध में उबालकर दिल के रोगी को सेवन कराने से लाभ होता है।
अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से हृदय की धड़कन, हार्टफेल और घबराहट आदि विभिन्न हृदय रोगों में लाभ मिलता है।
अर्जुन की छाल और गुड़ को दूध में औटाकर पिलाना चाहिए।
3 से 6 ग्राम अर्जुन की छाल का चूर्ण व 3 से 6 ग्राम गुड़, 50 मिलीलीटर पानी के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से हृदय की बीमारी में लाभ होता है।
10 ग्राम अर्जुन छाल, 40 मिलीलीटर दूध व 160 मिलीलीटर पानी मिलाकर तब तक उबालें जब तक वह चौथाई न रह जाये। इस दूध की 100 से 250 मिलीलीटर मात्रा 5 से 10 ग्राम शर्करा के साथ दिन में 2 बार लेने से हृदय के रोग में लाभ होगा।
अर्जुन की मोटी छाल का महीन चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में मलाई निकाले एक कप दूध के साथ सुबह-शाम नियमित सेवन करते रहने से हृदय के समस्त रोगों में लाभ मिलता है, हृदय को बल मिलता है और कमजोरी दूर होती है। हृदय की बढ़ी हुई धड़कन सामान्य होती है।
हृदय की सामान्य धड़कन जब 72 से बढ़कर 150 से ऊपर रहने लगे, तो एक गिलास टमाटर के रस में एक चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से शीघ्र ही धड़कन सामान्य हो जाती है। आवश्यक होने पर यही प्रयोग बार-बार दोहराया जा सकता है।
हृदयाघात, हृदयशूल में अर्जुन की 3 से 6 ग्राम छाल दूध में उबालकर लें।
अर्जुन की छाल के सेवन से हृदय को आवश्यक रक्त पहुंचता है, हृदय के संकोचन, विकास और आराम की क्रियाओं में वृद्धि होती है, हृदय को बल मिलता है। इसके सेवन से सारे शरीर में रक्त का संचरण ठीक होता है। यह शरीर में व्याप्त विषों को मूत्र की मात्रा बढ़ाकर बाहर निकाल देता है। अर्जुन के सेवन से रक्त-वाहिनियां और सूक्ष्म कोशिकाओं का आकुंचन होकर रक्त का दबाव बढ़ता है, पोषण होता है, धड़कन सुचारू रूप से कार्य करती है। बढ़ी हुई धड़कन की संख्या कम होती है। एक चम्मच अर्जुन की छाल का दो कप पानी और इतना ही दूध में काढ़ा बनाकर पीने से हृदय रोगों में लाभ होता है। इसी काढ़े से स्वप्नदोष एवं ज्वर के पश्चात् होने वाली कमजोरी में लाभ होता है। हृदय की मांसपेशियों को बल मिलता है। खांसी, पसली का दर्द, अपच में लाभ होता है। यह रक्तशोधक भी है। काढ़े में स्वाद के लिए गुड़ या चीनी मिला सकते हैं।
अर्जुन की छाल का चूर्ण एक-एक चम्मच सुबह-शाम दूध या ताजे पानी के साथ लें। आप इसे निरन्तर प्रयोग कर सकते हैं। आप देखेंगे कि कुछ समय बाद ही आप हृदय रोग से मुक्ति हो गये हैं।
एक अन्य विधि के अनुसार अर्जुन की छाल के चूर्ण को चाय के साथ उबालकर ले सकते हैं। चाय बनाते समय एक चम्मच इस चूर्ण को डाल दें। इससे भी समान रूप से लाभ होगा। अर्जुन की छाल के चूर्ण के प्रयोग से उच्च रक्तचाप भी अपने-आप सामान्य हो जाता है। यदि केवल अर्जुन की छाल का चूर्ण डालकर ही चाय बनायें, उसमें चायपत्ती न डालें तो यह और भी प्रभावी होगा, इसके लिए पानी में चाय के स्थान पर अर्जुन की छाल का चूर्ण डालकर उबालें, फिर उसमें दूध व चीनी आवश्यकतानुसार मिलाकर पियें।
गेहूं का आटा 20 ग्राम लेकर 30 ग्राम गाय के घी में भून लें गुलाबी हो जाने पर अर्जुन की छाल का चूर्ण तीन ग्राम और मिश्री 40 ग्राम तथा खौलता हुआ पानी 100 मिलीलीटर डालकर पकायें, जब हलुवा तैयार हो जाये तब सुबह सेवन करें। इसका नित्य सेवन करने से हृदय की पीड़ा, घबराहट, धड़कन बढ़ जाना आदि शिकायतें दूर हो जाती हैं।
गेहूं और अर्जुन की छाल को बकरी के दूध और गाय के घी में पकाकर इसमें मिश्री और शहद मिलाकर चाटने से अति उग्र हृदय रोग मिटता है।
हृदय की शिथिलता में एवं उसमें उत्पन्न सूजन में इसकी छाल का चूर्ण 6 से 10 ग्राम तक गुड़ और दूध के साथ पकाकर और छानकर पिलाने से रक्त लसीका का पानी रक्त वाहिनियों में नहीं भर पाता, फलत: सूजन का बढ़ना रुक जाता है जिससे हृदय की शिथिलता दूर हो जाती है।
हार्ट अटैक होने पर 40 मिलीलीटर काढ़ा सुबह तथा रात दोनों समय सेवन करें। यह अनुपम हृदय शक्तिवर्धक है। पूर्ण लाभ के लिए गाय के दूध में काढ़ा बना लेना आवश्यक है। इसके सेवन से दिल की धड़कन तेज होना, हृदय में पीड़ा (एन्जाइना) घबराहट होना आदि रोग दूर होते हैं।
हृदय रोगों में अर्जुन की छाल का कपड़े से छाने चूर्ण का प्रभाव इन्जेक्शन से भी अधिक होता है। जीभ पर रखकर चूसते ही रोग कम होने लगता है। इसे सरबिट्रेट गोली के स्थान पर प्रयोग करने पर उतना ही लाभकारी पाया गया। हृदय के अधिक धड़कने और नाड़ी की गति बहुत कमजोर हो जाने पर इसको रोगी की जीभ पर रखने मात्र से नाड़ी में तुरंत शक्ति प्रतीत होने लगती है। इस दवा का लाभ स्थायी होता है और यह दवा किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाती है तथा एलोपैथी की प्रसिद्ध दवा डिजीटेलिस से भी अधिक लाभप्रद है।
एक ग्राम अर्जुन की छाल का चूर्ण, 100 से 250 मिलीलीटर गर्म दूध के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से हृदय के रोग में आराम मिलता है।
1 से 3 ग्राम नागबला चूर्ण, 100 से 250 मिलीलीटर गर्म दूध के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से लाभ होगा।
1 ग्राम पुष्करमूल चूर्ण, 4 से 6 ग्राम शहद के साथ दिन में 2 बार लेने से दिल के रोग में आराम मिलता है।
40. एला बीज: एला बीज एवं पिप्पली मूल समभाग में लेकर 3 से 6 ग्राम की मात्रा में 5 ग्राम घी या 5 ग्राम शहद के साथ दिन में दो बार सेवन करना चाहिए।
41. दालचीनी :
42. दही:
43. राई: हृदय के ढीलेपन में हृदय में कम्पन या वेदना हो, बेचैनी हो, कमजोरी महसूस होती है, तब हाथ-पैरों पर राई के चूर्ण की मालिश करने से रोगी को लाभ होता है।
44. दालचीनी: शहद और दालचीनी समान मात्रा में लेकर 1 चम्मच को नाश्ते में ब्रेड या रोटी से लगाकर प्रतिदिन खाएं। इससे धमनियों का कोलेस्ट्राल कम हो जाता है जिसको एक बार हार्ट अटैक आ चुका है, उनको दुबारा हार्ट अटैक नहीं आता है।
45. धनिया :
46. मौलसिरी: मौलसिरी के फूलों को रात भर आधा किलो पानी में भिगोकर रखें, प्रात:काल 10-20 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम 3-6 दिनों तक उस पानी को बच्चे को पिलाने से खांसी मिट जाती है।
47. एल्फाल्फा: एल्फाल्फा में कीटाणुनाशक गुण होते हैं। यह प्राकृतिक क्लोरोफिल होता है। यह हृदय रोगियों के लिए लाभदायक होती है।
48. आंवला :
55. सफेद पेठा: हृदय (दिल) के रोगी को बाईपास सर्जरी कराने से पहले 1 बार पेठा जरूर खाना चाहिए। पेठा एंजाइना का दर्द तुरंत दूर करता है, रुकी हुई धमानियों को खोलता है। हृदय (दिल) के रोगों में पेठे का रस रोजाना 3 बार पीने से लाभ होता है।
अनार के ताजे पत्तों के 10 मिलीलीटर रस को 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर सुबह-शाम पीने से हृदय की तेज धड़कन में बहुत लाभ होता है।
अनार का रस उच्च रक्तचाप कम करता है। यह धमनियों के सिकुड़ने को कम करता है और खराब कोलेस्ट्रॉल के कॉक्सीडेशन को भी कम करता है। रोज अनार का रस पीने से बाईपास सर्जरी से भी बचा जा सकता है।
अनार का शर्बत 20-25 मिलीलीटर का नित्य सेवन करें। इससे हृदय के रोग नष्ट हो जाते हैं।
छाया में सुखाये हुए अनार के महीन पत्तों के चूर्ण को ताजे पानी के साथ सेवन करने से हृदय के रोग तथा दाद, चंबल (सोरायसिस) जैसे रक्तविकार, कुष्ठ, प्रमेह, दिल की धड़कन, नासूर, क्षत, पित्तज्वर, वातकफज्वर में गर्म पानी के साथ लेने से लाभ होता है।
चीनी के शर्बत में अनारदाने का रस मिलाकर सेवन करें। यह शर्बत हृदय की जलन, आमाशय की जलन, घबराहट और मूर्च्छा आदि को दूर करता है।
परवल पाचक, हृदय के लिए हितकारी, वीर्यवर्धक (धातु को बढ़ाने वाला), हल्के, अग्निप्रदीपक (भूख को बढ़ाने वाला), चिकना और गर्म है। यह खांसी, रक्तविकार (खून के रोग), बुखार, कृमि (कीड़े) और त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) नाशक है।
परवल के पत्ते, इलायची के दाने और पीपलामूल। तीनों को समान मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बनाकर 3 ग्राम की मात्रा में सुबह के समय देशी घी के साथ हृदय के रोग में सेवन करने से रोगी को लाभ होता है।