डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट (2012) के मुताबिक भारत में अभी हर वर्ष करीब सवा करोड़ यूनिट ब्लड की जरूरत है, जबकि 90 लाख यूनिट ही उपलब्ध हो पाता है। कई लोग इसके अभाव में दम तोड़ देते हैं। रक्तदान (Blood Donation) के समय ज्यादातर लोगों को इससे होनेवाली कमजोरी का भय होता है, जबकि हकीकत यही है कि रक्तदान (Raktdaan) के बाद हमारा शरीर 24 घंटे में ही उस रक्त के तरल भाग की पूर्ति कर लेता है। यह सेहत के लिए कई तरह से लाभदायक भी है।
रक्तदाता के लाभ (Raktdaan ke labh) क्या है: रक्तदान करने से शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है, हालांकि यह भ्रांति अवश्य है कि रक्तदान (Blood donate) करने से कमजोरी आती है। कमजोरी कुछ घंटो के लिए आ सकती है। बाद में सबकुछ सामान्य हो जाता है। वहीं रक्तदान करने के कुछ फायदे (Raktdaan karne ke fayde) भी हैं, जो इस प्रकार हैं -
- आयरन को रखता है संतुलित : स्वस्थ शरीर के लिए आयरन जरूरी है, क्योंकि यह विभिन्न अंगो में ऑक्सीजन पहुंचता है। इसकी अधिक मात्रा लिवर, हार्ट और पैंक्रियाज में इकट्ठी हो जाती है, जिससे सिरोसिस, हार्ट डिजिज, हाइबीपी और डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। रक्तदान से आयरन शरीर से बाहर निकलता है।
- होती है हेल्थ स्क्रीनिंग : रक्तदान से पहले डॉक्टर डोनर की स्वास्थ्य जांच करते हैं, जिसमें हार्ट बीट, बीपी, कोलेस्ट्रोंल, हीमोग्लोबिन की जांच की जाती है। रोग होने पर इसका पता प्रारंभित स्तर पर चल जाता है।
- कैलोरी बर्न करता है : इससे कैलोरी बर्न करने और कोलेस्ट्रॉल घटाने में भी मदद मिलती है। रक्तदान से रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है। भरपाई के लिए शरीर बोन मैरो को नये आरबीसी बनाने के लिए प्रेरित करता है। इससे नयी कोशिकाएं बनती है और हमारा सिस्टम रिफ्रेश हो जाता है। रक्तदान करने से हृदय रोग में पाँच प्रतिशत तक की कमी आती है।
रक्तदान (Blood donation) को बनाएं जीवन का हिस्सा : अक्सर देखा जाता है कि लोग जरूरत पड़ने पर या इमरजेंसी में ही रक्तदान करते हैं। ऐसा इसलिए भी किया जाता है, क्योंकि कोई अपना या फिर परिचित को रक्त की जरूरत होती है। वहीं दूसरी ओर कई जरूरतमंद समय पर रक्त न मिलने से मौत के मुंह में समा जाते हैं। इसलिए रक्तदान को रूटीन का हिस्सा बनाएं और नियमित रूप से रक्तदान करें (Raktdaan karen)। नियमित रूप से रक्तदान करने पर अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में ब्लड स्टॉक रह सकता है और जरूरत पड़ने पर अनेक मरीजों को बचाया जा सकता है। पुरुष साल में चार बार और महिलाएं साल में तीन बार रक्तदान कर सकती हैं।
शरीर में रक्त के कार्य- सेल्स और टिश्यू तक ऑक्सीजन की सप्लाइ करता है।
- जरूरी न्यूट्रिएंट्स जैसे - एमिनो एसिड, फैटी एसीड्स, ग्लूकोज आदि की सप्लाइ भी करता है।
- शरीर के विभिन्न अंगों में मौजूद कार्बन डाइ ऑक्सीजन, यूरिया, लेक्टिक एसिड को बाहर निकालता है।
- रक्त में मौजूद व्हाइट ब्लड सेल्स (डब्ल्यूबीसी) में एंटीबॉडीज होते है, जो शरीर को इन्फेक्शन से बचाता है।
- यह शरीर में पीएच लेवल और तापमान को नियंत्रित रखने का कार्य करता है।
- रक्त में मौजूद प्लेटलेट्स दुर्घटना के बाद रक्त का थक्का जमाने में मददगार होते है, जो रक्त को बहने से रोकते हैं।
रक्तदान आप कहां कर सकते हैं
रक्तदान किसी भी लाइसेंस युक्त ब्लड बैंक में कर सकते हैं। यह सुविधा सभी जिला-चिकित्सालयों में उपलब्ध है। मान्यता प्राप्त एजेंसियों जैसे-रोटरी क्लब, लायंस क्लब द्वारा रक्तदान शिविरों का आयोजन भी होता रहता है। रक्तदान (Blood Donation) के बाद रक्तदाता को डोनर कार्ड मिलता है, जिससे वह रक्तदान की तिथि से 12 महीने तक जरूरत पड़ने पर स्वयं या परिवार के लिए ब्लड बैंक (Blood Bank) से एक यूनिट रक्त (per unit blood) ले सकता है।
वजन के अनुसार लिया जाता है रक्त : आपके वजन के आधार पर खून लिया जाता है। यदि वजन 60 किलो से कम है, तो शरीर से 350 ml रक्त लिया जाता है। वहीं यदि वजन 60 किलो से ज्यादा है, तो शरीर से 450 ml रक्त लिया जाता है। रक्तदान के दौरान जितना खून निकाला जाता है, वह शरीर 21 दिनों के अंदर फिर से बना लेता है।
चार तरह के ब्लड ग्रुप (Blood Group) होते हैं : ब्लड को दो एंटीजेन (ए और बी) की उपस्थिति और अनुपस्थिति के आधार पर चार ग्रुपों में बांटा गया है:-
ग्रुप ए: इस ग्रुप के ब्लड में रेड सेल्स पर ए एंटीजन होता है, जबकि इसके प्लाज्मा में बी एंटीबॉडी पाया जाता है।
ग्रुप बी: इस ग्रुप के ब्लड में रेड सेल्स पर बी एंटीजेन होता है, जबकि इसके प्लाज्मा में ए एंटीबॉडी रहता है।
ग्रुप एबी: इसमें ए और बी, दोनों एंटीजेन होते हैं। प्लाज्मा में एंटीजेन नहीं होता है। एबी पॉजिटिव ग्रुपवाले किसी से भी ब्लड ले सकते हैं।ग्रुप ओ: रेड सेल्स पर एंटीजेन नहीं होता। प्लाज्मा पर ए और बी एंटीजेन होते हैं। ओ नेगेटिव ग्रुपवाले किसी को भी ब्लड दे सकते हैं।
ग्रुप एचएच: यह दुर्लभतम प्रकार है, इस ब्लड ग्रुपवाले लोग किसी को भी ब्लड दे सकते हैं, लेकिन खुद जरूरत पड़ने पर सिर्फ इसी ग्रुप का ब्लड ले सकते हैं।
कब होती है रक्त की जरूरत : अधिकांश बड़े ऑपरेशनों और पार्ट्स ट्रांसप्लांटेशन में भी रक्त की जरूरत होती है, थैलेसीमिया, कैंसर, डायलिसिस आदि रोगों के वक्त भी रक्त की जरूरत होती है। दुर्घटना होने पर खून ज्यादा बह जाये, तो भी रक्त की जरूरत पड़ती है।
कौन कर सकता है रक्तदान (Who can donate blood in hindi?)- 18 से 60 वर्ष के लोग दे सकते हैं ब्लड
- दो ब्लड डोनेशन के बीच रखें तीन महीने का अंतर
- जिनका वजन 45 किलो है, वे 350 एमएल और 60 किलो वजनवाले लोग 450 एमएल ब्लड डोनेट कर सकते हैं।
- एचआइवी पॉजिटिव और एसटीडी से ग्रसित लोग ब्लड नहीं दे सकते।
- जिन लोगों का वजन अचानक घट रहा हो, सूजन हो या हल्का बुंखार लगातार रहे, वे न करें।
- वैसे लोग जो एंटीबायोटिक, स्टेरॉयड या अल्कोहल ले रहे हों, उन्हें ब्लड डोनेट करने से पहले कुछ समय संबंधी नियमों का पालन करना होता है।
- प्रेगनेंट, ब्रेस्ट फीडिंग करानेवाली महिलाएं और मासिक के समय महिलाएं ब्लड डोनेट नहीं कर सकती हैं।
- हृदय रोगी या हाइबीपीवाले लोग ब्लड डोनेट नहीं कर सकते, हेपेटाइटिस बी या सी, लेप्रोसी और टीबी के मरीज डोनेट नहीं कर सकते।
किन स्थितियों में रक्तदान नहीं करना चाहिए (When we should not donate blood?)
- यदि वायरल संक्रमण है, तो रक्तदान न करें, क्योंकि इससे रक्त के माध्यम से संक्रमण रक्त लेनेवाले व्यक्ति में जाने की आंशका रहती है।
- किडनी, हृदय, दिमाग, फेफड़े, लिवर आदि से संबंधित कोई भी बीमारी हो, तो रक्तदान नहीं करना चाहिए।
- यदि थायरॉयड रोग है, तो रक्तदान न करें।
- यदि आपको स्वयं कभी रक्त की जरूरत पड़ी हो, तो कम-से-कम एक साल तक रक्तदान न करें।
- यदि शरीर पर टैटू बनवाया हो, तो टैटू बनवाने के छह माह बाद रक्तदान कर सकते हैं।
- यदि हीमोग्लोबिन का लेवल 18 ग्राम/ डीएल से ऊपर हैं।
- शूगर, हाइपरटेंशन आदि से ग्रस्त मरीज भी ब्लड डोनेट नहीं कर सकते हैं।
- रक्तदान टेंशन फ्री होकर करें।
- सुबह का नाश्ता करने के लगभग एक-डेढ़ घंटे के बाद रक्तदान करें।
- सभी रोगों की जानकारी डॉक्टर को दें।
- रक्तदान करने के बाद पाँच से दस मिनट तक आराम करना जरूरी होता है।
- रक्तदान करने के बाद नॉर्मल खाना खाएं।
- रक्तदान करने के बाद आप अगले एक दिन तक जिम नहीं जा सकते।
- रक्तदान करने के बाद 24 घंटे तक धूम्रपान व शराब का सेवन न करें।
- एक बार रक्तदान कर दिया है, तो तीन माह बाद ही दोबारा रक्तदान कर सकते हैं।
हां, ब्लड डोनेट करने से पहले ब्लड टेस्ट जरूरी है अन्यथा यदि आपको कोई रोग होगा, तो वह मरीज को भी हो जायेगा। इसमें हेपेटाइटिस, एचआइवी आदि प्रमुख टेस्ट हैं। इसके अलावे आजकल एचटीएलवी (एंटीबॉडी टू ल्यूकेमिया वायरस) का टेस्ट भी जरूरी है। यह टेस्ट ब्लड कैंसर के लिए होता है। यदि ब्लड कैंसर के मरीज का ब्लड सामान्य व्यक्ति को चढ़ा दिया जाये, तो उसे भी ब्लड कैंसर होने का खतरा होता है।
क्या ब्लड डोनेशन से रिएक्शन हो सकता है?
यदि रोगी को डोनर का ब्लड सूट नहीं करता है, तो उससे रिएक्शन हो सकता है। इससे खुजली आदि की समस्या हो सकती है। यहां एक बात और ध्यान रखना जरूरी है कि बेहोश व्यक्ति को ब्लड चढ़ाने पर यदि कोई रिएक्शन होता है, तो वह पता नही चल पाता है लेकिन इसके भी कुछ लक्षण सामने आते हैं, जैसे-धड़कनों का बढ़ जाना, पेशाब की मात्रा का कम हो जाना, ब्लड प्रेशर का लो हो जाना आदि। समय पर पता न चलने पर रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।
क्या ब्लड ग्रुप का आरएच नेगेटिव रेयर होता है?
हाँ, पॉजिटिव ग्रुप आसानी से उपलब्ध हो जाता है, जबकि नेगेटिव के मिलने में परेशानी होती है।
ब्लड बैंक में जमा ब्लड में हीमोग्लोबिन कम होता है?
रेड ब्लड सेल्स का लाइफ 120 दिनों का होता है। उसके बाद वह कम होने लगता है, इसलिए ट्रांस्फ्यूजन के लिए फ्रेश ब्लड का ही प्रयोग होता है। कई रोगों में प्लेटलेट्स का ट्रांस्फ्यूजन भी होता है। वह भी फ्रेश किया जाता है क्योंकि इसकी लाइफ 5 दिन ही होती है।
साइंस और टेकनोलॉजी दिन-प्रतिदिन तरक्की करने के बावजूद अभी तक वैज्ञानिक कृत्रिम खून नहीं बना पाये हैं। यह केवल शरीर में ही बन सकता है, इसलिए गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने के बाद, विभिन्न सर्जरी या फिर एक्सीडेंट में गंभीर रूप से घायल होने के बाद रक्त की जरूरत होती है, तब ब्लड डोनर यह रक्त देता है। समय पर रक्त मिलने से अधिकतर मरीजों की जन बच जाती हैं। वहीं कई बार रक्त न मिलने से रोगी की मृत्यु भी हो जाती है। वैसे कई अस्पताल और सामाजिक संस्थान समय-समय पर रक्तदान के लिए कैंपों का भी आयोजन करते हैं, जिनमें इकट्ठा हुआ रक्त अस्पताल के माध्यम से जरूरतमंद को दिया जाता है या ब्लड बैंक में रखा जाता है। प्रत्येक रक्तदान तीन लोगों की जान बचा सकता है, क्योंकि जो रक्त दान किया जाता है, उसमें तीन अलग-अलग रक्त कण (आरबीसी, प्लाज्मा और प्लेटलेट्स) होते हैं, जो तीन अलग-अलग मरीजों के काम आ सकता है, इसलिए एक बार रक्तदान करके तीन जिंदगियां बचायी जा सकती हैं। प्लाज्मा को एक साल और प्लेटलेट्स को पाँच दिनों तक रखा जा सकता है। इस अवधि के बाद यह खराब हो जाता है।
साइंस और टेकनोलॉजी दिन-प्रतिदिन तरक्की करने के बावजूद अभी तक वैज्ञानिक कृत्रिम खून नहीं बना पाये हैं। यह केवल शरीर में ही बन सकता है, इसलिए गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने के बाद, विभिन्न सर्जरी या फिर एक्सीडेंट में गंभीर रूप से घायल होने के बाद रक्त की जरूरत होती है, तब ब्लड डोनर यह रक्त देता है। समय पर रक्त मिलने से अधिकतर मरीजों की जन बच जाती हैं। वहीं कई बार रक्त न मिलने से रोगी की मृत्यु भी हो जाती है। वैसे कई अस्पताल और सामाजिक संस्थान समय-समय पर रक्तदान के लिए कैंपों का भी आयोजन करते हैं, जिनमें इकट्ठा हुआ रक्त अस्पताल के माध्यम से जरूरतमंद को दिया जाता है या ब्लड बैंक में रखा जाता है। प्रत्येक रक्तदान तीन लोगों की जान बचा सकता है, क्योंकि जो रक्त दान किया जाता है, उसमें तीन अलग-अलग रक्त कण (आरबीसी, प्लाज्मा और प्लेटलेट्स) होते हैं, जो तीन अलग-अलग मरीजों के काम आ सकता है, इसलिए एक बार रक्तदान करके तीन जिंदगियां बचायी जा सकती हैं। प्लाज्मा को एक साल और प्लेटलेट्स को पाँच दिनों तक रखा जा सकता है। इस अवधि के बाद यह खराब हो जाता है।