गुर्दे की सूजन
कभी-कभी गुर्दे में खराबी के कारण गुर्दे (वृक्क) अपने सामान्य आकार से बड़े हो जाते हैं और उसमें दर्द होता है। इस तरह गुर्दे को फूल जाने को गुर्दे की सूजन कहते हैं। इसमें दर्द गुर्दे के स्थान से चलकर कमर तक फैल जाता है।परिचय :
लक्षण :
भोजन तथा परहेज :
गुर्दे की सूजन से पीड़ित रोगी को भोजन करने के बाद तुरन्त पेशाब करना चाहिए। इससे गुर्दे की बीमारी, कमर दर्द, जिगर के रोग, गठिया, पौरुष ग्रंथि की वृद्धि आदि अनेक बीमारियों से बचाव होता है।
ज्यादा मात्रा में दूध, दही, पनीर व दूध से बनी कोई भी वस्तु न खाएं। इस रोग से पीड़ित रोगी को ज्यादा मांस, मछली, मुर्गा, ज्यादा पोटेशियम वाले पदार्थ, चॉकलेट, काफी, दूध, चूर्ण, बीयर, वाइन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
इस रोग में सूखे फल, सब्जी, केक, पेस्ट्री, नमकीन, मक्खन आदि नहीं खाना चाहिए।
गुर्दे की खराबी से यदि पेशाब बनना बन्द हो गया हो तो मूली का रस 20-40 मिलीलीटर दिन में 2 से 3 बार पीना चाहिए।
पेशाब में धातु का आना (मूत्राघात) रोग में मूली खाना लाभकारी होता है।
मूली के पत्तों का रस 10-20 मिलीलीटर और कलमीशोरा का रस 1-2 मिलीलीटर को मिलाकर रोगी को पिलाने से पेशाब साफ आता है और गुर्दे की सूजन दूर होती है।
प्रतिदिन आधा गिलास मूली का रस पीने से पेशाब के समय होने वाली जलन और दर्द दूर होता है।