आँखों का जाला aankho ka jaala

   aankho ka jaala

क्या होता है आँखों का जाला
आँखों का जाला और फूला आम रोग हैं. रोगी को आँखों में जाला होने पर आँखों के सामने छोटे-छोटे बारीक कण उड़ते हुए दिखाई देते हैं. एक पारदर्शी सा जाला हमेशा उसकी आँखों के सामने रहता है. नज़रें इधर-उधर करने पर ये जाला महसूस होता है.
क्या होता है आँखों का फूला
आँखों में सफ़ेद भाग का कहीं से फूल जाना, आँखों का फूला कहलाता है.
आँखों का जाला और फूला का इलाज
1- कच्चा आलू पत्थर पर घिसकर सुबह-शाम काजल की तरह प्रयोग करें. ऐसा करने से लगभग 3-4 महीने में जाला या फूला साफ हो जाता है.
2- समुद्र झाग को पानी या बिनौले के तेल में पीसकर आँखों में लगाने से आँखों का फूला दूर होता है.
3- बैंगन की जड़ को उत्तम गुलाबजल में बारीक पीस लें. उसकी बेर बराबर गोली बनाकर छाया में सुखा लें. गोली को गुलाब अर्क या पानी में घिसकर आँखों में लगाएं. आँखों का फूला दूर होगा.

4- नींबू का रस एक शीशी में भर लें. उसमे एक गाँठ हल्दी की डाल दें. 40 दिन बाद हल्दी निकालकर पत्थर पर बारीक पीस लें. कपड़छन कर एक शीशी में भर लें. रोज सलाई से आँखों में लगाएं. जाला और फूला ठीक हो जाएगा.

पोथकी (रोहे)



पोथकी

  पोथकी आंखों का बहुत ही भयंकर रोग है। पोथकी को जनसाधारण में `रोहे´ कहा जाता है। पोथकी रोग किसी रोगी से सिर्फ हाथ मिलाने से दूसरे व्यक्ति को हो जाता है। संसार में सबसे ज्यादा लोग इस रोग के कारण अंधे हो जाते हैं।परिचय :

कारण :

          पोथकी रोग की उत्त्पत्ति जीवाणुओं के फैलने से होती है। किसी रोगी व्यक्ति से इस रोग के जीवाणु दूसरे स्वस्थ व्यक्ति तक पहुंचते हैं। पोथकी रोगी तेज जलन और दर्द के कारण बार-बार आंखों को छूता है या किसी रूमाल से पोंछता है तो रूमाल से पोथकी के जीवाणु उसके हाथों में लग जाते हैं। पोथकी रोग राजस्थान में बहुत अधिक होता है। इसके ज्यादा होने का कारण है राजस्थान की रेत। जब रेत के कण आंखों में पहुंच जाते हैं तो बैचैन होकर पलकों को हाथों से रगड़ देते हैं। पलकों के रगड़ने से रेत के कणों के कारण जख्म बन जाते हैं। इन जख्मों में सूजन आती है और फिर पोथकी के छोटे-छोटे दाने उभर आते हैं।

लक्षण :

          पोथकी के दानों में बहुत जलन और दर्द होता है। चिकित्सा में देर होने से दाने बड़े होकर आंखों में जख्म बनाकर आंखों की रोशनी को समाप्त कर देते हैं। ऐसे में पलकों के बाल अंदर की ओर मुड़कर जख्म को बड़ा देते हैं। धूल-मिट्टी, धुएं के वातावरण में रहने से आंखों को ज्यादा नुकसान पहुंचता है। रोग ज्यादा बढ़ जाता है और आंखों की रोशनी चले जाने की संभावना बढ़ जाती है। पलकों की कार्टिलेज और बाल अंदर की ओर मुड़ने से कनीमिका से रगड़ लगने से जख्म होने से आंखों की रोशनी समाप्त हो जाती है। रोगी अंधा होकर रह जाता है। पोथकी की बीमारी दोनों आंखों में एक साथ होती है। घर में किसी एक को इस रोग के होने से दूसरे को उसके संपर्क से बचना चाहिए। पोथकी रोग से छोटे बच्चे जल्दी अंधे हो जाते हैं।
1. त्रिफला :
2. अनार : 100 मिलीलीटर अनार के हरे पत्तों के रस को खरल यानी पीसकर सुखाकर रख लें। इस सूखे चूर्ण को आंखों में सूरमे की तरह दिन में 2-3 बार लगाने से पोथकी की बीमारी समाप्त हो जाती है।
3. सहजना : 25 मिलीलीटर सहजने का रस और 25 ग्राम असली शहद को किसी कांच की शीशी में मिलाकर रखें। रोजाना इस मिश्रण को सलाई से आंखों में लगाने से अनेक प्रकार के आंखों के रोग समाप्त हो जाते हैं।
4. सत्यानाशी :
5. चकबड़ : चकबड़ के बीजों को पत्थर पर घिसकर काजल की तरह से लगाने से नेत्रपोथिकी रोग में लाभ मिलता है।