मानसिक तनाव

मानसिक तनाव

             मनुष्य को अपने जीवन में कई कारणों से मानसिक तनाव उत्पन्न होता है। किसी कार्य में सफलता न मिलने, अपने परिवार के बारे में सोचने, रोग उत्पन्न होने और किसी अन्य कारणों से दु:खी रहने से चिन्ता अर्थात मानसिक तनाव हो सकता है। चिन्ता का मूल कारण आत्मविश्वास की कमी और अपने आप पर विश्वास न होना है। जब किसी व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है तो मानसिक तनाव उत्पन्न होता है। जीवन में किसी भी चीज की कमी के कारण मनुष्य में मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकता है।परिचय:

            यदि मनुष्य किसी चिन्ता या परेशानी से घिरा हुआ हो तो उसे परेशानी या चिन्ता को अपने मन में नहीं रखना चाहिए। व्यक्ति को अपनी चिन्ता व परेशानी को अपने दोस्तों या रिश्तेदारों को बताना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से दोस्तों व रिश्तेदारों के द्वारा दिलासा मिलने से रोगी की मानसिक परेशानी व चिन्ता दूर होती है। आप हमेशा अपने दोस्तों के साथ समय बिताने की कोशिश करें ताकि आप कभी अकेलापन महसूस न कर सकें और मानसिक तनाव से बच सकें। इसके अलावा आप पुस्तकालय, सांस्कृतिक कार्यक्रम और संग्रहालय में जाएं जिससे आपका मन हल्का हो सके। इस तरह किताब आदि पढ़ने से मानसिक परेशानी का सामना करने की हिम्मत रोगी में आती है। रात को सोते समय यदि नींद न आ रही हो तो लघु कथाएं और हल्की फुल्की कहानियां पढ़ना या सुनना चाहिए।
        यदि आपको कहीं भी सही समय से पहुंचना हो तो घर से समय से पहले निकलना चाहिए ताकि रास्ते में अगर किसी कारण फंस जाते हैं तो चिन्ता न हो, वह मानसिक तनाव से दूर बच सकें। यदि रोगी के पास कार्य की अधिकता हो तो कार्य को देखकर घबराना नहीं चाहिए और धैर्यपूर्वक कार्य को आराम से करना चाहिए। इन कार्यो को पूरा करते समय लागातार कार्य न करें और कार्य करते समय बीच-बीच में अपने रुचि और स्वास्थ्य के अनुसार कुछ खाते और पीने के साथ घूमते भी रहें। जब आप मानसिक कार्य करते समय थकान महसूस करें तो अपनी दोस्तों के साथ गपशप करें। मानसिक तनाव से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को जिद्दी नहीं होना चाहिए। मनुष्य को चिन्ता कम करनी चाहिए और चिन्तन अधिक करना चाहिए। व्यक्ति को भगवान की आराधना व मनन करना चाहिए इससे मानसिक तनाव कम होता है।
1. दालचीनी : दालचीनी को पानी के साथ पीसकर माथे पर लेप करने से सिर दर्द और तनाव दूर होता है।
2. चमेली : चमेली मानसिक तनाव (डिप्रेशन) की गुणकारी औषधि होती है।
3. मेंहदी : यदि कोई बहुत ही कमजोर व्यक्ति मानसिक तनाव से ग्रस्त होता है तो उसे मेंहदी के फूलों को सुंघाना चाहिए और पीसकर माथे पर लेप करना चाहिए।
4. रीठा : रीठे के फल को 1 से 2 कालीमिर्च के साथ घिसकर नाक में 4 से 5 बूंद टपकाने से आधे सिर का दर्द खत्म होता है।
5. जमालगोटा : सिर के बाल मुड़वाकर 3 चम्मच जैतून के तेल में एक चम्मच जमालगोटा का तेल मिलाकर मालिश करने से मानसिक तनाव दूर होता है।
6. हरी दूब : शरीर में ज्यादा गर्मी व जलन मालूम होने पर हरी दूब का रस निकालकर पूरे शरीर पर लगाने से आराम मिलता है।
7. चुकन्दर : चुकन्दर का रस प्रतिदिन पीने और सलाद खाने से मानसिक कमजोरी दूर होती है और स्मरण शक्ति बढ़ती है।
8. कलौंजी : एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल डालकर रात को सोते समय पीने से स्नायविक व मानसिक तनाव दूर होता है।
9. बकायन : बकायन के फूलों का लेप बनाकर लगाने से मस्तिष्क की खुजली दूर होती है।
10. एरण्ड : एरण्ड की जड़ को भांगरे के रस में घिसकर सूंघने से छींक आकर मस्तक का दर्द दूर होता है।
11. गाजर : लगभग 250 मिलीलीटर गाजर का रस प्रतिदिन पीने से मानसिक तनाव दूर होता है। आफिसों में काम करने वाले स्त्री-पुरुषों, परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों और दूसरे मानसिक कार्य करने वालों को गाजर का रस पीना लाभकारी होता है।

सदमा (कोमा)

सदमा (कोमा)


            सदमा से पीड़ित रोगी की चेतना शून्य हो जाता है और वह बिना कुछ बोले, बिना किसी प्रतिक्रिया के ही स्थिर हो जाता है। यदि सदमे में पड़े रोगी को अधिक उल्टी आती हो तो उसके हाथ व तलवों को मलना चाहिए। यदि सदमे में रोगी की सांस चलती हो तो इसमें कोई व्यक्तिगत उपचार न करें।परिचय :

कारण :

लक्षण :

          इस रोग में शरीर काम करना बन्द कर देता है, नाड़ी की गति कम हो जाती है, शरीर का तापमान कम हो जाता है और हाथ-पैर ठंड़े हो जाते हैं। इस रोग में रोगी बिना किसी प्रतिक्रिया के ही पड़ा रहता है जैसे कोई मुर्दा हो लेकिन मरे हुए व्यक्ति और सदमा में पड़े रोगी में अन्तर यह है कि सदमे में पड़े रोगी की आंखों में प्रतिबिम्ब या छाया दिखाई देती है जबकि मुर्दे की आंख में छाया नहीं दिखाई देती।
1. जटामांसी : लगभग आधे से एक ग्राम जटामांसी के चूर्ण को शहद के साथ रोगी को खिलाने से मानसिक आघात अथवा किसी भी तरह के सदमे में बहुत लाभ मिलता है।
2. नारियल : किसी व्यक्ति के अन्दर कमजोरी आने के कारण बार-बार उसे सदमे आते हों तो उसे नियमित रूप से एक-एक कप नारियल का दूध सुबह-शाम पिलाना चाहिए। इससे सदमे का बार-बार आना बन्द होता है और कमजोरी दूर होती है।
3. असगंध नागौरी : लगभग 3-6 ग्राम असगंध नागौरी के चूर्ण को सुबह-शाम घी व चीनी मिले दूध के साथ खाने से स्नायविक कमजोरी के कारण बार-बार आने वाले सदमा खत्म होता है।
4. चना : 20 ग्राम काले चने और 25 किशमिश को ठंडे पानी में शाम को भिगोकर रख दें और सुबह उठकर खाली पेट खाने से सदमा आना बन्द होता है।
5. शंखपुष्पी : शंखपुष्पी, ब्राह्मी और बच को बराबर मात्रा में लेकर ब्राह्मी के रस में 3 भावना देकर सुखाकर चूर्ण बनाकर रख लें। यह चूर्ण आधे से एक ग्राम सुबह-शाम घी और शहद के साथ खाने से सदमा में आराम मिलता है।
6. चुकन्दर : चुकन्दर और एलवा बेर को पानी में पीसकर पानी में मिलाकर छानकर रोगी की नाक में 2-4 बून्द डालने से सदमा में आराम मिलता है।
7. सिंगी : खून जमने के कारण हुए सदमे में सिंगी लगवाने से गन्दा खून शरीर से निकल जाता है और सदमा ठीक होता है।
8. साबुन : साबुन और गेरू को पीसकर किसी भी प्रकार के घाव पर लगाने से घाव ठीक होकर सदमा समाप्त होता है।
9. फिटकरी : घाव के कारण सदमे में पड़े रोगी के घाव पर फिटकरी को भूनकर लगाने से लाभ मिलता है।