भूख

भूख

(APPETITE)     शरीर में ऊर्जा व स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भोजन अत्यंत आवश्यक होता है। भोजन के लिए भूख लगना और भूख के अनुसार भोजन करना आवश्यक होता है क्योंकि भोजन से ही हमारा स्वास्थ्य व ऊर्जा स्रोत बना रहता है। किसी भी व्यक्ति को भूख लगने पर ही खाना चाहिए और यदि किसी कारण से भूख न लगती हो तो उसका उपचार करना चाहिए ताकि भोजन किया जा सके।परिचय :

भूख न लगना

अरुचि (भूख न लगना)

          आमाशय की खराब या पाचनतंत्र में गड़बड़ी उत्पन्न होने के कारण भूख लगनी कम हो जाती है। ऐसे में यदि कुछ दिनों तक इस बात पर ध्यान न दिया जाए तो भूख लगनी बिल्कुल ही बंद हो जाती है। इस रोग में रोगी को भोजन करने का मन नहीं करता चाहे कितना भी अच्छा व स्वादिष्ट भोजन क्यों न हो। इस तरह भूख न लगने को अरूचि या भूख  न लगना कहते हैं।परिचय­:

विभिन्न भाषाओं में नाम :


हिंदी            

अरुचि।

अंग्रेजी            

एनोरेक्सिया

बंगाली            

अरुचि।

कन्नड़            

अरुचि, हसिवुनास।

गुजराती  

अरुचि।

पंजाबी            

भुखनास।

मराठी            

अन्नद्वेश।

तमिल            

रुचियिण्मई, अरुचि।

तेलगू     

अरुचि।

मद्रास     

रुचियिल्लम।

उड़िया            

अरुचि।
          जब किसी व्यक्ति को कब्ज की शिकायत होती है और लम्बे समय तक कब्ज बनी रहती है तो आंतों में जमा मल सूख जाता है जिससे पाचनतंत्र में गड़बड़ी उत्पन्न होती है और पाचनतंत्र खराब होने से भूख लगनी बंद हो जाती है। ज्यादा चिंता, डर, गुस्सा और घबराहट के कारण भी भूख समाप्त हो जाती है। कुछ समय तक ऐसी हालत बनी रहने पर भूख पूरी तरह समाप्त हो जाती है और रोगी को भोजन की खुशबू से भी अरूचि होने लगती है। कभी-कभी संक्रामक रोगों के चलते भूख नष्ट हो जाती है। जब किसी कारण से शरीर में खून की ज्यादा कमी हो जाने से रक्ताल्पता (एनीमिया) रोग हो जाता है तो रोगी की भूख समाप्त हो जाती है। रोगी को भोजन को देखकर ही घिन आने लगती है चाहे कितना भी रोगी का पसंदीदा भोजन क्यों न हो उसका मन बिल्कुल भी खाने को नहीं करता। यकृत (जिगर) की खराबी उत्पन्न होने पर भी भूख नहीं लगती।
          इस रोग में रोगी को भोजन अच्छा नहीं लगता। रोगी को अगर जबरदस्ती खाने को कहा जाए तो उसे भोजन अरुचिकर लगता है। रोगी 1 या 2 ग्रास से ज्यादा नहीं खा पाता। उसे बिना कुछ खाए-पिए खट्टी डकारे आने लगती है। कुछ भी काम करने और सीढ़ियां चढ़ने में रोगी को बहुत थकावट महसूस होती है। शरीर में कमजोरी महसूस होती है। रक्ताल्पता (एनीमिया) रोग की चिकित्सा में अगर ज्यादा देर हो जाए तो रोगी मरने की हालत में हो जाता है।
49. नारियल : नारियल 160 ग्राम लेकर उसमें 40 ग्राम घी डालकर अच्छी तरह सेकें। फिर इसमें 160 ग्राम चीनी और 1 लीटर नारियल का पानी डालकर गुड़ के पाक जैसा बना लें। फिर इसमें धनिया, पीपर (पीपल), नागरमोथा, बांसपूर, जीरा, कालाजीरा, दालचीनी, तमालपत्ता, इलायची और नागकेशर का 5-5 ग्राम चूर्ण डालकर पाक बनाकर रख लें। इसका सेवन प्रतिदिन करने से अम्लपित्त, अरूचि (भूख का कम लगना) आदि रोग दूर होता है।