जन्म लेते ही बच्चे का मर जाना (बार-बार बच्चा होकर मर जाना) child just after birth

जन्म लेते ही बच्चे का मर जाना (बार-बार बच्चा होकर मर जाना)


1. काला सुरमा:
काला सुरमा, रीठा का छिलका 20-20 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी में घोटकर छोटी-छोटी आकार की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। गर्भ ठहरने के बाद 1-1 गोली सुबह-शाम 1 कप दूध से बच्चा होने तक बच्चे को भी दूध पीने तक प्रयोग करायें।चिकित्सा:

2. शिवलिंगी के बीज: शिवलिंगी के बीज पांच ग्राम, दखनी मिर्च लगभग 7 ग्राम, नागकेसर, धन्तर के बीज 2-2 ग्राम सुच्चे मोती, 240 मिलीग्राम कस्तूरी, 360 मिलीग्राम लौह भस्म, 5 ग्राम हाथी के दांत का बुरादा, 7 ग्राम संख्या भस्म, लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग पानी मिलाकर छोटी-छोटी की गोलियां बनाकर माहवारी खत्म होने के बाद रात को खाना खाने के बाद 2 घंटे बाद एक गोली दूध से 7 दिनों तक सेवन करना चाहिए। इससे निश्चित रूप से गर्भाधान होगा और बच्चा होने पर बच्चा मरता नहीं है।

नष्टार्तव (मासिक-धर्म `माहवारी` बंद हो जाना) mahawari ka band hona

नष्टार्तव (मासिक-धर्म `माहवारी` बंद हो जाना)


      रजोनिवृत्ति काल (समय) से पहले ही मासिक धर्म का रुकना
नष्टार्तव (मासिक धर्म का रुकना) कहा जाता है। अर्थात महिलाओं का मासिक-धर्म का बंद हो जाना नष्टार्तव कहलाता है।परिचय:


हिन्दी

मासिक रुकावट।

अरबी

रजनाश।

बंगाली

नष्टार्तव।

डोंगरी

मासिक धर्म नष्ट हो जने, सुखी जनये।

कन्नड़

नुईटामुट्टू।

मराठी

अल्पविताला, रितुरोध।

तमिल

मदविदय निनरूपोथाल।

अंग्रेजी

ऐमेनोरिया।
          शरीर में खून की कमी, ठंड के कारण दोषों की विकृति से रक्त का गाढ़ा होना, गर्भाशय की नसों का मुंह बंद हो जाना, गर्भाशय में सूजन आना अथवा घावों का होना, गर्भाशय से रज निकलने के मार्ग में मस्सा उत्पन्न हो जाना, अधिक मोटापा तथा गर्भाशय के मुंह का किसी ओर घूम जाना और अधिक चिंता आदि कारणों से स्त्रियों का मासिक-धर्म अर्थात रज:स्राव बंद हो जाता है।
          सभी युवा महिलाएं प्रत्येक महीने रजस्वला होती है तथा उनकी योनि से 3 से 5 दिनों तक एक प्रकार का रक्त जिसे `रज` कहते हैं रिस-रिसकर निकला करता है। इसी को मासिकधर्म अथवा `रजोदर्शन` अथवा ऋतुस्राव आदि नामों से जाना जाता है। रजोदर्शन का समय आमतौर पर बालिकाओं में 12 वर्ष की आयु से प्रारम्भ होता है तथा लगभग 45 से 50 वर्ष की आयु में समाप्त हो जाता है। रजोधर्म के बाद 16 दिनों तक गर्भाशय का मुंह खुला रहता है। इस अवधि में मैथुन करने से गर्भ स्थिति होने की संभावना बनी रहती है। इसके बाद गर्भ नहीं ठहरता है। रज:स्राव बंद होने के 16 दिन बाद तक स्त्री को ऋतुमती कहा जाता है।