धूप में सांवलापन dhoom me sanwlapan

धूप में सांवलापन


       
धूप में अधिक देर तक काम करने के कारण त्वचा में सांवलापन आ जाता है। इससे त्वचा में पानी की कमी हो जाती है और त्वचा रूखी हो जाती है।परिचय :

1. टमाटर : लाल टमाटर या अंगूर का रस चेहरे पर लगाने से चेहरे का सांवलापन कुछ ही समय में दूर हो जाता है।
2. खीरा : 100 ग्राम खीरे के टुकड़े करके 500 मिलीलीटर पानी में उबाल लें और जब उबलते हुए पानी आधा बाकी रह जाये तो पानी को उतार लें और इस पानी से चेहरा धो लें। इस क्रिया को रोजाना करने से त्वचा का सांवलापन कम हो जाता है।
3. हल्दी : 5-5 ग्राम मैंसिल, लोध, दोनों हल्दी और सरसों को पीसकर पानी में मिला लें और चेहरे पर लगाएं। इसकों चेहरे पर लगाने के आधे घंटे के बाद धोने से सांवली त्वचा में लाभ होता है।
4. चेहरे की चमक : चमेली के 10-20 फूलों को पीसकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे की चमक बढ़ जाती है।
5. बेसन : लगभग 12 चम्मच बेसन, 3 चम्मच दही या दूध और थोड़ा सा पानी मिलाकर लेप सा बनाकर पहले चेहरें पर मले और फिर पूरे शरीर पर मलने के लगभग 10 मिनट बाद स्नान करें तथा स्नान में साबुन का उपयोग न करें। इस प्रकार के लेप को प्रतिदिन करते रहने से त्वचा का सांवलापन दूर हो जाता है।
6. चंदन : तेज धूप में घूमने से हाथ, पैर और चेहरे की त्वचा का रंग काला पड़ने लगता है तथा त्वचा झुलसने लगती है। इसे सनबर्न कहते हैं। इसके लिए बाहर जाने से पहले चेहरे को ठंड़े पानी से धोना चाहिए तथा ठंड़ा पानी पीकर बाहर जाना चाहिए। दिन में एक बार बर्फ का टुकड़ा चेहरे पर लगाना चाहिए। चंदन का बुरादा, बेसन, गुलाबजल एवं नींबू को मिलाकर चेहरे पर लेप करना चाहिए। दिन में 1 बार गुलाबजल में रूई को भिगोकर चेहरे को साफ करना चाहिए। सनबर्न के कारण चेहरे की त्वचा अधिक काली पड़ जाती है। ऐसी स्थिति में कच्चे दूध को चेहरे पर सुबह-शाम लगाना चाहिए जब दूध सूख जाए तो उसे ठंड़े पानी से धोना चाहिए।
7. चावल : सफेद चावलों को पानी में भिगोकर उस पानी से चेहरे को धोने से चेहरे की झांईयां और कालिमा मिटकर चेहरे का रंग साफ और सुंदर हो जाता है।

चर्म रोग (त्वचा के रोग) charam rog

चर्म रोग (त्वचा के रोग)


            त्वचा के रोग कई तरह के होते हैं जैसे-
खाज-खुजली, फोड़े-फुंसी, दाद, एक्जिमा (छाजन), छाले, खसरा आदि। ये रोग ज्यादातर गलत दवा को खाने से, ज्यादा तेज धूप में चलने से, स्त्रियों में मासिकधर्म की गड़बड़ी की वजह से, खून की खराबी से, नायलान के कपड़े पहनने से, नहाते समय ज्यादा सोडे वाले साबुन का उपयोग करने से, धूल मिट्टी के शरीर पर लगने की वजह से हो जाते हैं जैसे- कोढ़ का रोग एक तरह के भोजन के बाद बिल्कुल उसके उल्टी तरह का भोजन करने से, उल्टी, छींक, डकार, टट्टी-पेशाब आदि को आने से रोकने से, भोजन करने के बाद तुरन्त कसरत करने से, खट्टी चीजे, मूली, गुड़, चावल को ज्यादा खाने से हो जाता है। शरीर में खून की खराबी की वजह से खुजली का रोग हो जाता है। गैस के शरीर में ज्यादा होने से खुश्की का रोग हो जाता है। ज्यादा गर्म चीजें खाने से फोड़े-फुंसिया हो जाती हैं। इसी तरह खून में गर्मी बढ़ जाने के कारण, और गैस ज्यादा होने के कारण और बलगम के जम जाने के कारण चेहरे पर मुंहासे निकल आते हैं।परिचय :

विभिन्न भाषाओं में नाम :


हिन्दी     

चर्मरोग   

मराठी     

चर्म रोग, काटडांचे रोग

असमी  .   

छालार बेमार    

पंजाबी  .   

चमड़ी दे रोग

अंग्रेजी  .   

डिजीजेज आफ दि स्किन    

तमिल  .   

चरुम नोय

तेलगु     

चर्मरोगमुलु

बंगाली  .   

चर्मरोग

मलयालम 

त्वक्रोगम्  

गुजराती   

चमड़ा ना रोग

कन्नड़  .   

चर्मरोग

लक्षण :

भोजन और परहेज :