गुर्दे की सूजन gurde ji sujan

गुर्दे की सूजन

         कभी-कभी गुर्दे में खराबी के कारण गुर्दे (वृक्क) अपने सामान्य आकार से बड़े हो जाते हैं और उसमें दर्द होता है। इस तरह गुर्दे को फूल जाने को गुर्दे की सूजन कहते हैं। इसमें दर्द गुर्दे के स्थान से चलकर कमर तक फैल जाता है।परिचय :

लक्षण :

        गुर्दे रोगग्रस्त होने से रोगी का पेशाब पीले रंग का होता है। इस रोग से पीड़ित रोगी का शरीर भी पीला पड़ जाता है, पलके सूज जाती हैं, पेशाब करते समय कष्ट होता है, पेशाब रुक-रुककर आता, कभी-कभी अधिक मात्रा में पेशाब आता, पेशाब के साथ खून आता है और पेशाब के साथ धातु आता (मूत्रघात) है। इस रोग से पीड़ित रोगी में कभी-कभी बेहोशी के लक्षण भी दिखाई देते हैं।

भोजन तथा परहेज :

एडिसन addison


एडिसन


          छोटे गुर्दे के अन्दर (उपवृक्क) का क्षय (टी.बी.) होने को एडिसन रोग कहते हैं।परिचय
:

लक्षण :

1. गोरखमुण्डी : गोरखमुण्डी का रस 25 से 50 मिलीलीटर की मात्रा में 2-2 घंटे के अन्तर पर लेने से रक्तचाप सामान्य अवस्था में आ जाता है और त्वचा के काले धब्बे खत्म हो जाते हैं। इसका उपयोग कुछ दिनों तक करने से लाभ मिलता है।
2. कपूर :
3. मंजीठ (मंजिष्ठ) : मंजीठ का काढ़ा 20 से 40 मिलीलीटर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से त्वचा पर उभरे दाग-धब्बे खत्म हो जाते हैं।
4. तुम्बरू (तेजफल): तुम्बरू का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से एडिसन रोग में लाभ मिलता है और क्षय हो रहे छोटे गुर्दे ठीक होते हैं।
5. चनसुर : उपवृक्क क्षय तथा अन्य ग्रंथि रोगों में चनसुर 5 से 10 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से रोग खत्म होता है और शरीर की कमजोरी भी दूर होती है।
6. लहसुन : लहसुन का टिंचर 3.50 से 7 मिलीलीटर को सुबह-शाम सेवन करने से उपवृक्क की क्षय या किसी भी प्रकार के टी.वी रोगों में लाभ मिलता है।
7. लाल चीता :  लाल चीता (चित्रक) आधा से दो ग्राम शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से उपवृक्क की क्षय (टी.वी) के रोगियों का रोग ठीक होता है।  इसके प्रयोग करने से शरीर की कमजोरी दूर होती है और शरीर स्वस्थ होता है।